Sansar Daily Current Affairs, 14 January 2022
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय.
Topic : Pradhan Mantri Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission
संदर्भ
हाल ही में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘तमिलनाडु’ में ‘स्वास्थ्य अवसंरचनाओं और स्वास्थ्य अनुसंधान क्षेत्र में, खासकर जिला स्तर पर मौजूद महत्त्वपूर्ण अंतराल को दूर करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा अगले पांच वर्षों में ‘प्रधान मंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन’ (Pradhan Mantri Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission) के तहत राज्य को 3,000 करोड़ रुपये प्रदान किए जाने की घोषणा की है.
प्रधान मंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन योजना
यह देश भर में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिये सबसे बड़ी अखिल भारतीय योजनाओं में से एक है.
यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त है.
- यह 10 ‘उच्च फोकस’ वाले राज्यों में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को सहायता प्रदान करेगा और देश भर में 11,024 शहरी स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र स्थापित करेगा.
- इसके माध्यम से देश के पाँच लाख से अधिक आबादी वाले सभी ज़िलों में एक्सक्लूसिव क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक के माध्यम से क्रिटिकल केयर सेवाएँ उपलब्ध होंगी, जबकि शेष ज़िलों को रेफरल सेवाओं के माध्यम से कवर किया जाएगा.
- इस योजना के अंतर्गत एक स्वास्थ्य पहल के लिये एक राष्ट्रीय संस्थान, वायरोलॉजी हेतु चार नए राष्ट्रीय संस्थान,दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) का एक क्षेत्रीय अनुसंधान मंच, नौ जैव सुरक्षा स्तर- III प्रयोगशालाएँ और रोग नियंत्रण के लिये पाँच नए क्षेत्रीय राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किये जाएंगे.
योजना के अंतर्गत स्थापित किए जाने वाले संस्थान
इस योजना के तहत, ‘एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान’, चार नए ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’, विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र हेतु एक क्षेत्रीय अनुसंधान मंच, जैव सुरक्षा स्तर- III सहित नौ प्रयोगशालाएं और रोग नियंत्रण के लिए पांच नए क्षेत्रीय राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किए जाएंगे.
योजना के लाभ और महत्त्व
‘आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन’, विशेष ध्यान दिए जाने रहे 10 राज्यों में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के लिए सहायता प्रदान करेगा. इसके अलावा, सभी राज्यों में 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए जाएंगे.
भारत में ‘स्वास्थ्य अवसंरचनाओं’ का संक्षिप्त विवरण:
भारत को लंबे समय से एक देशव्यापी स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जा रही है. नीचे एक नवीनतम सर्वेक्षण के निष्कर्ष दिए गए हैं:
- सर्वेक्षण किए गए, 70 प्रतिशत स्थानों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध थी. तथापि, शहरी क्षेत्रों (87 प्रतिशत) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (65 प्रतिशत) में इन सेवाओं की उपलब्धता कम थी.
- 45 प्रतिशत स्थानों पर, लोग पैदल चलकर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सकते थे, जबकि 43 प्रतिशत स्थानों में उन्हें परिवहन का उपयोग करने की जरूरत पड़ती थी.
सर्वेक्षण में यह भी पाया गया, कि शहरी इलाकों में नजदीकी स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता अधिक थी: 64 प्रतिशत प्रगणकों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में लोग पैदल चलकर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सकते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 37 प्रतिशत को ही अपने नजदीक में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध थीं.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध.
Topic : Sir Creek pact
संदर्भ
अतीत में ‘सियाचिन’ और ‘सर क्रीक’ (Sir Creek) को भारत और पाकिस्तान के बीच समाधान के लिए लंबे समय से ‘आसानी से हल किए जा सकने वाले मुद्दे’ (Low Hanging Fruits) बताया जाता रहा है. सियाचिन के मुद्दे पर दोनों देशों के मध्य रक्षा सचिव स्तर पर 13 दौर की वार्ता की जा चुकी हैं तथा इस विषय पर अंतिम वार्ता जून 2012 में हुई थी.
हालांकि, इस मुद्दे पर अभी तक कोई समाधान नहीं हो सका है.
‘सर क्रीक’ क्या है?
सर क्रीक (Sir Creek), कच्छ के रण की दलदली भूमि में भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित पानी की एक 96 किलोमीटर लंबी पट्टी है.
- इस जल-धारा को मूल रूप से बाण गंगा के नाम से जाना जाता था, बाद में एक ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर इसका नाम ‘सर क्रीक’ रख दिया गया.
- सर क्रीक की यह धारा गुजरात के कच्छ क्षेत्र से पाकिस्तान के सिंध प्रांत को विभाजित करती हुई अरब सागर में जाकर गिरती है.
सिर क्रीक विवाद क्या है?
- सिर क्रीक मामले पर विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 के दशक में शुरू हुआ था. दोनों देशों की आजादी से पूर्व यह क्षेत्र ब्रिटिश भारत की बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा था.
- सिर क्रीक विवाद दरअसल 96 किलोमीटर लंबी दलदली ज़मीन का विवाद है जो भारतीय राज्य गुजरात और पाकिस्तान के राज्य सिंध के बीच कच्छ के रान में स्थित है.
- पहले इसे बन गंगा कहा जाता था.
- सिर क्रीक पानी के कटाव के कारण बना है और यहाँ ज्वार-भाटे के कारण यह तय नहीं होता कि कितने हिस्से में पानी रहेगा और कितने में नहीं.
- दूसरे शब्दों में सिर क्रीक दोनों देशों के बीच अस्थिर-सी सीमा है.
- इस कारण दोनों देशों के मछुआरों के लिए अच्छी-ख़ासी मुसीबत बनी हुई है जो असावधानी से सीमा उल्लंघन कर बैठते हैं.
- इस क्षेत्र को तेल और प्राकृतिक गैस से समृद्ध माना जाता है और यह क्षेत्र एशिया के सबसे बड़े मछली उत्पादन क्षेत्रों में से एक है.
- पाकिस्तान पूरे सिर क्रीक पर अपना दावा करता है और इसके लिए 1914 में सिंध सरकार और कच्छ के राव महराज के बीच हुए एक संकल्प के अनुच्छेद 9 और 10 का हवाला देता है.
- दूसरी ओर, भारत का दावा है कि इस क्रीक के बीचो-बीचदोनों देशों की सीमा पड़ती है जैसा कि 1925 के एक मानचित्र में दिखाया गया था. उल्लेखनीय है कि इसी मानचित्र के अनुसार, समुद्र के बीचो-बीच खम्बे भी गाड़े गये थे.
- भारत का यह भी तर्क है कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून में वर्णित थालवेग सिद्धांत (Thalweg Doctrine) के अनुसार दो देशों के बीच पड़ने वाली नदी में सीमा का अंकन उसके बीचो-बीच होना चाहिए.
‘सर क्रीक’ का महत्त्व
- रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण होने के अलावा, ‘सर क्रीक’ (Sir Creek) का मुख्य महत्व मत्स्यन संसाधनों को लेकर है. ‘सर क्रीक’ को एशिया के सबसे बड़े मत्स्यन क्षेत्रों में से एक माना जाता है.
- इसके महत्व का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण, इस क्षेत्र में समुद्र के नीचे तेल और गैस की बड़ी मात्रा की संभावित मौजूदगी है. इस मुद्दे पर जारी गतिरोध के कारण वर्तमान में इस संपदा का कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय.
Topic : South China Sea Dispute
संदर्भ
बीजिंग द्वारा ‘दक्षिणी चीन सागर’ (South China Sea) में व्यापक क्षेत्र पर “ऐतिहासिक अधिकारों” के दावों को अमेरिकी विदेश विभाग की एक नई रिपोर्ट ने उन्हें “अंतर्राष्ट्रीय कानून के साथ स्पष्ट रूप से असंगत” बताते हुए खारिज कर दिया है.
महत्त्वपूर्ण रूप से, रिपोर्ट का यह निष्कर्ष है कि चीन द्वारा किए जाने वाले ये दावे ‘महासागरों में कानून-व्यवस्था’ और ‘अभिसमय’ में परिलक्षित सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय कानून के कई प्रावधानों को गंभीर रूप से कमजोर करते हैं.
‘संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि’ के तहत वर्ष 2016 में किया गया निर्णय
‘संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि’ (United Nations Convention on Law of Seas – UNCLOS) के तहत वर्ष 2016 में किया गया निर्णय, चीन द्वारा किए जाने वाले के दावों के लिए एक गंभीर झटका था. यह निर्णय ‘संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि’ पर आधारित था, जिस पर चीन द्वारा अभिपुष्टि की जा चुकी है.
UNCLOS निर्णय के प्रमुख बिंदु:
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अधिकरण द्वारा सुनाए गए इस निर्णय में, दक्षिणी चीन सागर में ‘नाइन-डैश-लाइन’ के अंतर्गत आने वाले संपूर्ण क्षेत्र पर बीजिंग के दावों को खारिज कर दिया गया.
- निर्णय में “द्वीपों” की परिभाषा को स्पष्ट किया गया था. इसमें पाया गया कि ‘इटू अबा’ (Itu Aba), थिटू (Thitu), स्प्रैटली आइलैंड्स (Spratly Islands), नॉर्थईस्ट केय (Northeast Cay) और साउथवेस्ट केय (Southwest Cay) सहित कोई भी आइलैंड्स कानूनी रूप से ‘द्वीप’ नहीं है क्योंकि इनमे से कोई भी द्वीप किसी स्थाई समुदाय या स्वतंत्र आर्थिक जीवन को बनाए रखने में सक्षम नहीं है.
- अंतर्राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अधिकरण ने फिलीपींस के साथ इस बात पर भी सहमति जताई कि इस क्षेत्र में अवस्थित जॉनसन रीफ, क्वार्टरॉन रीफ और ‘फेयरी क्रॉस रीफ’ कोई द्वीप न होकर मात्र समुद्री चट्टानें हैं. ‘ह्यूजेस रीफ’ और ‘मिसचीफ रीफ’ को उच्च ज्वार की जल सीमा के नीचे पाया गया, जिससे इन पर किसी प्रकार के समुद्री अधिकार का दावा नहीं किया जा सकता है.
- अधिकरण ने यह भी फैसला सुनाया कि दूसरा ‘थॉमस शोल’ और ‘रीड बैंक’ जलमग्न हैं और फिलीपींस के महाद्वीपीय शेल्फ से जुड़े हुए हैं, अतः इन पर चीन का कोई अधिकार नहीं है.
- गौरतलब है कि अधिकरण ने चीनी ‘भूमि-पुनर्ग्रहण कार्रवाई’ के खिलाफ भी यह कहते हुए फैसला सुनाया कि इसकी वजह से ‘प्रवाल-भित्त पर्यावरण को गंभीर नुकसान’ हुआ है. तथा अधिकरण ने चीन की ‘भूमि पुनर्ग्रहण कार्रवाईयों’ की कड़ी आलोचना भी की.
- अधिकरण ने चीन द्वारा स्कारबोरो शोल पर अपना कब्ज़ा करने के प्रयास में फिलीपींस के अधिकारों का उल्लंघन किए जाने की पुष्टि की. वर्ष 2012 में चीन द्वारा की गयी इस कार्रवाई को लेकर ही मनीला ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अधिकरण के समक्ष मुकदमा दायर किया था.
- अधिकरण के अनुसार, चीन ने रीड बैंक के समीप तेल और गैस की खोज करके फिलीपींस के संप्रभु अधिकारों का उल्लंघन किया था.
समग्र प्रकरण:
दक्षिणी चीन सागर में, बीजिंग द्वारा कई दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के साथ अतिव्यापी क्षेत्रीय दावा किया जाता रहा है.
- दक्षिणी चीन सागर पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम अपना दावा करते हैं, जबकि चीन, संसाधन-समृद्ध लगभग पूरे समुद्रीय क्षेत्र पर अपना प्रतिस्पर्धी दावा करता है. विदित हो कि, अरबों डॉलर सालाना का व्यापार करने वाले जहाज इस क्षेत्र से होकर गुजरते हैं.
- बीजिंग पर जहाज-रोधी मिसाइलों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों सहित सैन्य उपकरण तैनात करने का भी आरोप लगाया गया है. इसके अलावा, चीन द्वारा वर्ष 2016 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए के एक फैसले को भी अनदेखा किया गया है, जिसमे चीन द्वारा अधिकांश जल-क्षेत्र पर किए जा रहे ऐतिहासिक दावे को बिना आधार के घोषित किया गया था.
‘दक्षिण चीन सागर’ विवाद
- मूल विवाद दक्षिणी चीन सागर में स्थित दो द्वीप समूहों को लेकर है जिनका नाम स्प्रैटली द्वीप और पार्सल है. ये दोनों द्वीपसमूह वियतनाम और फिलिपिन्स के बीच पड़ते हैं.
- चीन इन दोनों पर अपना दावा करता है. दूसरी ओर चीन के इस दावे का विरोध फिलिपिन्स, वियेतनाम, मलेशिया और ताईवान की ओर से हो रहा है. ब्रूनेई को भी इसमें आपत्ति है.
- फिलीपींस द्वारा मामले को2013 में न्यायालयमें लाया गया था, जो स्कारबोरो शोल पर केंद्रित था. हालाँकि बीजिंग के द्वारा कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया गया.
- द हेग, नीदरलैंड स्थित स्थाई मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) ने फैसला दिया था कि दक्षिण चीन सागर पर ऐतिहासिक अधिकार के चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी.
Topic : Dr S Somnath: A Hindi Teacher’s Son, New ISRO Chairman
संदर्भ
प्रख्यात राकेट वैज्ञानिक एस सोमनाथ को इसरो का नया अध्यक्ष चुना गया है. वर्ष 2018 से डॉ. सोमनाथ केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (बीएसएससी) के निदेशक पद पर हैं. डॉ एस सोमनाथ ने इसरो के भविष्य के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वे भारत में वर्तमान 16 हजार करोड़ की अन्तरिक्ष अर्थव्यवस्था को 60 हजार करोड़ तक पहुँचाना चाहते हैं. इसके अलावा वे निजी क्षेत्र, स्टार्ट अप्स के साथ मिलकर अन्तरिक्ष क्षेत्र का विकास करना चाहते हैं.
डॉ सोमनाथ
- डॉ सोमनाथ का जन्म जुलाई 1963 में हुआ. उन्होंने केरल विश्वविद्यालय से दूसरे स्थान के साथ मैकेनिकल इंजीनियर्रिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की.
- वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियर्रिं में स्वर्ण पदक के साथ स्नातकोत्तर किया.
- डॉ सोमनाथ विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के साथ कार्य करते हुए PSLV एवं GSLV मार्क III के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं.
- वे प्रक्षेपण यानों के सिस्टम इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ हैं.
इसरो के बारे में
- वर्ष 1969 में भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की स्थापना हुई.
- इसका मुख्यालय बैंगलुरू में है.
- यह भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अधीन कार्य करता है.
Prelims Vishesh
Siachen Glacier :-
- सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे ने हाल ही में कहा है, कि भारत सियाचिन ग्लेशियर के विसैन्यीकरण के खिलाफ नहीं है, किंतु इसके लिए पाकिस्तान को दोनों देशों की स्थिति को विभाजित करने वाली ‘वास्तविक ग्राउंड पोजिशन लाइन’ (AGPL) को स्वीकार करना होगा.
- सेना प्रमुख ने कहा, कि सियाचिन का सैन्यीकरण 1984 के अंत में पाकिस्तान द्वारा यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने के प्रयास का परिणाम था, जिसकी वजह से भारत को जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा/
- सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier), हिमालय की पूर्वी काराकोरम श्रेणी में स्थित है.
- यह विश्व के गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों में अवस्थित दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर है.
- सियाचिन ग्लेशियर यूरेशियन प्लेट को भारतीय उपमहाद्वीप से अलग करने वाले ‘महान जल विभाजक’ के ठीक दक्षिण में स्थित है.
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