Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 June 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 14 June 2019


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Multilateral Convention to Implement Tax Treaty Related Measures

संदर्भ

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आधार क्षरण (base erosion) एवं लाभ हस्तांतरण (profit shifting) को रोकने के लिए उपायों से सम्बंधित कराधान संधि को लागू करने के लिए बने बहुपक्षीय समझौते को भारत की ओर से स्वीकृति के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है.

यह बहुपक्षीय समझौता क्या है?

यह बहुपक्षीय समझौता आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण की समस्या के समाधान के लिए बनाई गई OECD/G20 की BEPS परियोजना (Base erosion and profit shifting project) का प्रतिफल है. इसमें यह तय हुआ था कि कराधान की ऐसी रणनीतियाँ बनाई जाएँ जिनसे कर से सम्बंधित उन छिद्रों को बंद किया जाए जिनका फायदा उठाकर लाभ को कृत्रिम रूप से ऐसी जगह भेज दिया जाता है जहाँ कर या तो कम हैं या बिल्कुल नहीं हैं और जहाँ नाममात्र की आर्थिक गतिविधियाँ होती हैं जिस कारण निगम कर का भुगतान अत्यंत कम अथवा शून्य होता है. यह समझौता संधि के दुरूपयोग को रोकने और पारस्परिक समझौता प्रक्रिया के माध्यम से विवादों के निस्तारण से सम्बंधित दो न्यूनतम मानकों का कार्यान्वयन करता है.

किसी एकल वर्तमान संधि का संशोधन प्रोटोकॉल कर समझौतों को सीधे संशोधित कर देता है, परन्तु यह समझौता वैसा नहीं है. यह वर्तमान कर संधियों के समानांतर लागू होगा और BEPS उपायों को कार्यान्वित करने के लिए संधियों के प्रयोग में परिवर्तन लाएगा.

यह समझौता BEPS परियोजना में बहुपक्षीय सन्दर्भ में कार्यान्वयन की निरंतरता और निश्चितता सुनिश्चित करता है. साथ ही यह किसी विशेष कर संधि को हटाकर तथा विशेष प्रावधानों को लागू नहीं करने की छूट देकर लचीलापन लाता है.

भारत के लिए लाभ

  • यह बहुपक्षीय समझौता BEPS के परिणामों को भारत की वर्तमान कर संधियों में तेजी से सुधार करते हुए लागू करने में सहायता पहुँचायेगा.
  • यह भारत के हित में होगा कि उसके सभी संधि भागीदार BEPS के दुरूपयोग-विरोधी परिणामों को अपनाएँ.
  • यह समझौता यह सुनिश्चित करेगा कि लाभों पर वहीं कर लगे जहाँ अच्छी-खासी आर्थिक गतिविधियाँ हों और जहाँ अधिक से अधिक लाभ का सृजन हो. इस प्रकार यह समझौता संधि के दुष्प्रयोग और आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण को रोकते हुए राजस्व की क्षति को अवरुद्ध करेगा.

GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : Aadhaar and Other Laws (Amendment) Ordinance, 2019

संदर्भ

आधार को जनानुकूल बनाने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाते हुए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पहले वाले अध्यादेश के स्थान पर एक नया विधेयक आधार एवं अन्य कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 को अपनी मंजूरी दे दी है.

प्रभाव

ये संशोधन यूआईडीएआई को जनहित की सेवा करने एवं आधार के दुरुपयोग को सीमित करने के लिए अधिक मजबूत तंत्र की स्थापना करने में सक्षम बनायेंगे. इस संशोधन के बाद किसी भी व्यक्ति को अपनी पहचान स्थापित करने के प्रयोजन से सत्यापन की प्रक्रिया के लिए आधार संख्या रखने का प्रमाण उपलब्ध कराने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, जबतक कि संसद द्वारा बनाये गए किसी कानून द्वारा ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया जाता.

मुख्य विशेषताएँ

  • आधार नंबर धारक की सहमति से ऑफलाइन सत्यापन के प्रमाणीकरण द्वारा भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग का प्रावधान करता है.
  • किसी व्यक्ति के वास्तविक आधार नंबर को छुपाने के लिए 12 संख्या के आधार नंबर एवं इसकी वैकल्पिक आभासी पहचान के उपयोग का प्रावधान करता है.
  • उन बच्चों को, जो आधार कार्डधारी हैं, 18 वर्ष पूरे हो जाने पर अपना आधार नंबर रद्द करने के विकल्प का प्रावधान करता है.
  • संस्थाओं को केवल तभी प्रमाणीकरण करने की अनुमति देता है जब वे प्राधिकारी द्वारा निर्दिश्ट गोपनीयता एवं सुरक्षा मानदंडों के अनुपालक हों, और प्रमाणीकरण की अनुमति संसद द्वारा बनाये गए किसी कानून के तहत दी जा सकती है या वे केंद्र सरकार द्वारा देश के हित में अनुशंसित हो.
  • स्वैच्छिक आधार पर प्रमाणीकरण के लिए आधार संख्या के उपयोग की अनुमति देता है जैसाकि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 एवं काला धन शोधन रोकथाम अधिनियम 2002 के तहत केवाईसी दस्तावेज के रूप में स्वीकार्य है.
  • निजी संस्थाओं द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा 57 के विलोपन का प्रस्ताव रखता है.
  • यूनिक आईडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया फंड की स्थापना के लिए प्रावधान करता है.
  • आधार पारिस्थितिकी तंत्र में कंपनियों द्वारा आधार अधिनियम एवं प्रावधानों के उल्लंघन के संबंध में नागरिक दंड, इसके अधिनिर्णय एवं संबंधित अपील का प्रावधान करता है.

पृष्ठभूमि

एक आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि आधार संवैधानिक रूप से एक वैध प्रलेख है. परन्तु साथ ही उसने आधार अधिनियम एवं विनियमावली के कुछ अनुभागों को निरस्त कर दिया था तथा निजता के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए कुछ अन्य निर्देश भी निर्गत किये थे.

इन निर्देशों के अनुपालनार्थ यह प्रस्ताव था कि कुछ अधिनियमों में संशोधन लाया जाए. ये अधिनियम हैं – आधार अधिनियम, भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम तथा मनी लौंडरिंग रोकने से सम्बंधित अधिनियम. विदित हो कि डाटा सुरक्षा के विषय में न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण समिति ने भी इस आशय पर सुझाव अपने प्रतिवेदन में दिया था. इसी परिप्रेक्ष्य में यह नया विधेयक लाया जा रहा है.


GS Paper  3 Source: Times of India

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Topic : Proliferation of Kelps in the Arctic

संदर्भ

वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक ताप वृद्धि के कारण आर्कटिक क्षेत्र के समुद्र के अन्दर पाए जाने वाले केल्प जैसे जंगलों का विस्तार हो रहा है. विदित हो कि केल्प आर्कटिक क्षेत्र में पाए जाते हैं और इनके लिए कनाडा के निकट का आर्कटिक क्षेत्र अधिक अनुकूल है.

kelpकेल्प क्या होते हैं?

केल्प बड़े भूरे काई समुद्री खरपतवार हैं जिनकी 30 अलग-अलग प्रजातियाँ होती हैं. इन्होंने भीषण प्रतिकूल दशाओं में अपने आप को ढाल लिया है. ये ठन्डे जल की प्रजातियाँ हैं जो जमा देने वाले तापमान और लम्बी चलने वाली अन्धकार की अवधि में जीवित रहने के लिए विशेष रणनीतियाँ अपनाती हैं. वस्तुतः ये समुद्र की बर्फ के नीचे भी फल-फूल सकती हैं. ठन्डे और पोषक तत्त्वों से समृद्ध जल वाले क्षेत्रों में ये जिस दर से बढ़ती हैं, वह दर पृथ्वी के किसी प्राकृतिक पारिस्थितिकी तन्त्र की तुलना में अधिक है.

केल्पों का महत्त्व

  • केल्प पानी के अन्दर उसी प्रकार काम करते हैं जैसे कि धरती पर पेड़ करते हैं.
  • वे वानस्पतिक बस्तियाँ बनाते हैं और प्रकाश छोड़ते हुए एवं लहरों की गति को रोकते हुए भौतिक वातावरण को प्रभावित करते हैं.
  • केल्प के द्वारा बनाए गये समुद्री जंगलों का उपयोग कई प्राणी आश्रय एवं भोजन के लिए करते हैं.
  • एक अकेले केल्प पौधे पर 350 से अलग-अलग प्रजातियाँ वास कर सकती हैं अर्थात् एक लाख तक छोटे-छोटे बिना रीढ़ के प्राणी रह सकते हैं. केल्प के जंगलों पर कई मछलियाँ, पक्षी और स्तनपायी प्राणी निर्भर होते हैं.
  • जब आंधियाँ आती हैं उस समय समुद्र की लहरों की शक्ति बढ़ जाती है जिससे तटरेखा को खतरा होता है. परन्तु केल्प के जंगल ऐसी लहरों की शक्ति को कम कर देते हैं और तटरेखा के क्षरण को रोकते हैं.
  • पूरे विश्व में केल्प के जंगल तटीय अर्थव्यवस्थाओं में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि इनके आस-पास पर्यटन, मनोरंजन और व्यवसाय से जुड़ी हुई कई प्रकार की गतिविधियाँ होती हैं.
  • कई देशों में केल्प भोजन का एक प्रिय स्रोत होता है क्योंकि इसमें पोटाशियम, लोहा, कैल्शियम, रेशे और आयोडीन प्रचुर मात्र में होते हैं.
  • आर्कटिक क्षेत्र में रहने वाला इनुइट समुदाय परम्परागत रूप से केल्प का भोजन के रूप में प्रयोग करते आये हैं.

जलवायु परिवर्तन से केल्पों का विस्तार कैसे?

आनुवंशिक साक्ष्यों से प्रकट होता है कि आर्कटिक क्षेत्र के अधिकांश केल्प अंतिम हिमयुग के पश्चात् लगभग 8,000 वर्ष पहले ही अटलांटिक महासागर से पहुँचे हैं. अतः हम कह सकते हैं कि अधिकांश केल्प अपने आदर्श तापमान की तुलना में अब आर्कटिक में अधिक ठन्डे जल में रह रहे हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि अटलांटिक महासागर का तापमान इनके विकास के लिए अधिक अनुकूल है, पर ये वर्तमान में ठन्डे जल में रहने को विवश हैं. यदि समुद्र का तापमान बढ़ेगा तो इनको अटलांटिक महासागर वाला तापमान मिलने लगेगा और इसलिए इनकी उत्पादकता बढ़ जायेगी.

जैसे-जैसे पानी गर्म होगा और समुद्र की बर्फ पिघलेगी, वैसे-वैसे अधिक प्रकाश समुद्र-तल तक पहुँचने लगेगी जिससे समुद्री पौधों को लाभ होगा. शोधकर्ताओं का अनुमान है कि बिर्फ़ पिघलने के साथ केल्प के जंगल उत्तर की ओर बढ़ जाएँगे.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : RBI Panel on Economic Capital Framework

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भूतपूर्व RBI गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में आर्थिक पूँजी-ढाँचे (economic capital framework) के विषय में एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया था. यह पैनल RBI की संरक्षित धनराशि के विषय में समाधान सुझाने वाला था. विदित हो कि इस राशि को लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक और सरकार में ठनी हुई थी. परन्तु ज्ञात हुआ है कि अभी तक यह समिति किसी सर्वसम्मति पर नहीं पहुँची है और इसलिए अपना रिपोर्ट देने में देरी कर रही है.

मतभेद क्या हैं?

मुख्य मतभेद इस बात को लेकर है कि RBI की अधिकाई पूँजी के भंडार के स्थानान्तरण को लेकर समिति के सदस्यों और सरकार के प्रतिनिधियों में वैचारिक समानता नहीं है. राजस्व में कमी को देखते हुए केंद्र सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक को यह कहती रही है कि वह अपनी अतिरिक्त धनराशि भण्डार को सरकार को सौंप दे. यदि यह राशि सरकार को मिल जाती है तो उससे वह घाटे के अपने लक्ष्य को पूरा कर सकती है और साथ ही कमजोर बैंकों में पूँजी डालकर ऋण लेने की मात्रा बढ़ा सकती है और जनकल्याण कार्यक्रमों के लिए धन भी मुहैया करा सकती है.

समिति के अधिकांश सदस्यों का विचार है कि RBI के पूँजी भंडार को सरकार को विभिन्न चरणों में कई वर्षों तक हस्तांतरित किया जाए. वहीँ दूसरी ओर, सरकार चाहती है कि यह हस्तांतरण एकमुश्त हो.

विशेषज्ञ पैनल को सौंपे गये कार्य

  1. इस पैनल निर्धारित करना है कि क्या भारतीय रिज़र्व बैंक के पास अपेक्षा से अधिक धन-भंडार है?
  2. यह पैनल पूँजी भंडार की स्थिति को देखते हुए उसके लाभ को वितिरित करने के निमित्त एक समुचित नीति का सुझाव देगा.
  3. यह पैनल यह भी बतायेगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक को कितनी राशि रखनी होगी जो किसी जोखिम से निपटने के लिए पर्याप्त होगी.

सरकार का पक्ष

  • सरकार का कहना है कि भारतीय रिज़र्व बैंक की पूँजीगत आवश्यकता का निर्धारण पारम्परिक रूप से जोखिम के आकलन के आधार पर किया जाता है और यदि इसकी नए सिरे से समीक्षा की जाए तो उसके पास आवश्यकता से अतिरिक्त पूँजी मिलेगी. यदि RBI इस अतिरिक्त पूँजी को मुक्त कर दे तो सरकार उसका अपने ढंग से सदुपयोग कर पाएगी. भारत सरकार का कहना है कि RBI 27% आरक्षित पूँजी भंडार अपने पास रखती है, दूसरी ओर कई ऐसे देश है जहाँ यह प्रतिशत 13 या 14 है, जैसे अमेरिका और इंग्लैंड में.
  • कुछ अर्थशास्त्री पहले से कहते आ रहे हैं कि RBI को अपनी अतिरिक्त पूँजी सरकार को दे देनी चाहिए जिससे वह उस राशि का फलदायी उपयोग कर सके. विदित हो कि 2013 मेंमालेगम समिति ने यह अनुमान लगाया था कि भारतीय रिज़र्व बैंक के पास 40 लाख करोड़ रू. की अधिकायी है.
  • यदि सरकार को RBI की अधिकाई पूंजी एकमुश्त मिल जाए तो वह इसका उपयोग राजस्व घाटे से सम्बंधित लक्ष्य को प्राप्त करने, कमजोर बैंकों kको ऋण देने हेतु पूँजी उपलब्ध कराने और कल्याणकारी kaarकार्यक्रमों में धनराशि उपलब्ध कराने में करेगी.

क्या RBI अपनी अधिकायी अथवा लाभ पर कर देता है?

नहीं. इसका कानून यह प्रावधान करता है कि इसे आयकर अथवा सम्पत्ति कर समेत किसी अन्य कर के भुगतान से छूट मिली हुई है.


Prelims Vishesh

IRSDC :-

  • भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (IRSDC) ने पिछले दिनों फ्रेंच नेशनल रेलवेज (SNCF) एवं AFD नामक एक फ्रांसीसी एजेंसी के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता किया है.
  • इस समझौते के अनुसार, फ्रांसीसी एजेंसी AFD भारत में रेलवे स्टेशन के विकास के कार्यक्रम के लिए सात लाख यूरो की धनराशि उपलब्ध कराएगी.

NASAMS-II :

  • अमेरिका ने पिछले दिनों भारत को NASAMS-II वायु रक्षा प्रणाली बेचने का निर्णय किया है.
  • इस प्रणाली में नए 3D चलंत सर्वेक्षण रडार होंगे और साथ ही त्वरित प्रतिक्रिया के लिए इसमें 12 मिसाइल प्रक्षेपक भी होंगे.

Defence Space Research Agency (DSRA) :

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय समिति ने रक्षा अन्तरिक्ष शोध एजेंसी (DSRA) की स्थापना को हरी झंडी दिखला दी है.
  • प्रस्ताव यह है कि DSRA अन्तरिक्ष में युद्ध के लिए हथियार और प्रौद्योगिकियों का निर्माण करेगा.
  • DSRA में कई वैज्ञानिक होंगे जो जल, थल और नौसेना के रक्षा अधिकारियों के साथ समन्वय करते हुए नई प्रणाली के निर्माण का काम करेंगे.
  • यह एजेंसी बेंगलुरु में होगी और इसका प्रमुख एयर वाइस मार्शल के रैंक का कोई अधिकारी होगा.

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