Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 March 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 14 March 2020


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : What is Essential Commodities Act?

संदर्भ

भारत सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत मास्क और हैंड सेनिटाइज़र को 30 जून 2020 तक आवश्यक वस्तु अधिसूचित किया है. सरकार ने यह घोषणा इसलिए की है क्योंकि अधिकांश विक्रेताओं ने कहा है कि ये वस्तुएँ भंडार से बाहर हो गई हैं.

यह कदम क्यों उठाना पड़ा?

भारत में COVID-19 (कोरोना वायरस) के वर्तमान प्रकोप के चलते सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है. 

इससे क्या होगा?

  • इस कदम से बाजार में उचित मूल्य पर मास्क और सैनिटाइज़र की उपलब्धता में वृद्धि होगी और इससे काला बाज़ारी करने वालों पर नकेल कसने में सहायता मिलेगी, जो इसके लिए अत्यधिक दाम वसूल रहे हैं.
  • केंद्र सरकार को आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 2 ए के अंतर्गत एक वस्तु को “आवश्यक वस्तु” घोषित करने का अधिकार है, जिससे उचित मूल्य पर उसका समान वितरण और उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.
  • इसमें अधिनियम की धारा 3 के तहत आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण, आदि को विनियमित करने या धारा 5 के अंतर्गत राज्य सरकार को ऐसी शक्तियों को सौंपने की शक्ति है.
  • धारा 3 के तहत उल्लंघनकर्ता को सात वर्ष के कारावास अथवा जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है तथा चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के अधीन उसे अधिकतम 6 महीने के लिए नजरबंद किया जा सकता है.

आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 

  • आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 को उपभोक्‍ताओं को अनिवार्य वस्‍तुओं की सरलता से उपलब्‍धता सुनिश्चित कराने तथा कपटी व्‍यापारियों के शोषण से उनकी रक्षा के लिए बनाया गया है.
  • इस अधिनियम में उन वस्‍तुओं के उत्‍पादन वितरण और मूल्‍य निर्धारण को विनियमित एवं नियंत्रित करने की व्‍यवस्‍था की गई है, जिनकी आपूर्ति बनाए रखने या बढ़ाने तथा उनका समान वितरण प्राप्‍त करने और उचित मूल्‍य पर उनकी उपलब्‍धता के लिए अनिवार्य घोषित किया गया है. अधिनियम के तहत अधिकांश शक्तियां राज्‍य सरकारों को प्रदत्त हैं.
  • अनिवार्य घोषित की गई वस्‍तुओं की सूची की आर्थिक परिस्थितियों में, परिवर्तनों विशेषतया उनके उत्‍पादन मांग और आपूर्ति के संबंध में, के आलोक में समय-समय पर समीक्षा की जाती है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to Health.

Topic : One Health Concept

संदर्भ

विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) ने एक स्वास्थ्य की अवधारणा (One Health Concept) को स्पष्ट करते हुए कहा है कि मानव स्वास्थ्य एवं पशु स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और जिस पारिस्थितिकी में वे दोनों रहते हैं, उसके स्वास्थ्य से वे बंधे हुए रहते हैं.

इस अवधारणा को इस बात से बल मिल रहा है कि मानव को होने वाले अधिकांश रोग पशुओं से ही आते हैं. अभी जिस COVID-19 रोग का प्रकोप चल रहा है यह भी एक पशु से मनुष्य तक पहुँचने वाला रोग है. इस रोग की रोकथाम के लिए एक स्वास्थ्य की अवधारणा के अनुसार काम करना उचित होगा.

एक स्वास्थ्य की अवधारणा क्या है?

  • यह अवधारणा एक स्वास्थ्य पहल कार्यदल के द्वारा परिभाषित अवधारणा है. इसमें मनुष्यों और पशुओं के आदर्श स्वास्थ्य और अच्छे पर्यावरण का लक्ष्य पाने के लिए वे सभी प्रयास समाहित हैं जो स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तरों पर किये जा रहे हैं.
  • एक स्वास्थ्य मॉडल पशुजन्य रोगों को नियंत्रित करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण उपलब्ध कराता है.

मुख्य तथ्य

  • विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मानव वर्तमान में जिन संक्रामक रोगों को झेलता है, उनमें 60% जीवजन्य हैं अर्थात् वे सभी पशुओं से मनुष्यों में संक्रमित होते हैं. अब जो नये-नये संक्रामक रोग मनुष्यों में उभर रहे हैं, उनमें 75% के मूल में पशु ही हैं.
  • प्रत्येक वर्ष पाँच ऐसे नए-नए रोग सामने आ रहे हैं जो पशुओं से संक्रमित हो कर मनुष्यों पीड़ित कर रहे हैं.
  • 80% जैव एजेंट जीवजन्य एथोजेनों से आते हैं जिनका प्रयोग जैव आतंकवाद में हो सकता है.
  • अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष जीवजन्य रोगों के दो बिलियन मामले होते हैं और उनके कारण दो मिलियन से अधिक मौतें होती हैं जो कि HIV एड्स और अतिसार से होने वाली मौतों से अधिक है.
  • निर्धन देशों में अकाल मृत्यु का पाँचवाँ भाग उन रोगों से होता है जो पशु से मनुष्य में संक्रमित होते हैं.

भारत के लिए चुनौतियाँ

  • भारत जैसे विकासशील देशों के लिए “एक स्वास्थ्य” प्रणाली अत्यंत हितकर होगा क्योंकि वहाँ खेती-बाड़ी के काम में मनुष्य और पशु एक साथ जुड़े होते हैं.
  • भारत में पशु लगभग उतने ही हैं जितने कि मनुष्य. 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 121 करोड़ जन हैं. दूसरी ओर, यहाँ मवेशियों और मुर्गियों आदि पंछियों की संख्या 5 करोड़ है.
  • भारत में सरकारी क्षेत्र में 90 लाख स्वास्थ्य संस्थान हैं जो यहाँ के स्वास्थ्य प्रबंध के लिए मेरुदंड हैं. इनके अतिरिक्त कई निजी सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं.
  • परन्तु जहाँ तक पशुओं का प्रश्न है, देश में केवल 65,000 पशु चिकित्सालय हैं जो 5 करोड़ पशुओं की देखभाल करते हैं. पशु चिकित्सालयों की इस संख्या में वे 28,000 चलंत डिस्पेंसरियाँ और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी सम्मिलित हैं, जहाँ सुविधाएँ न्यूनतम स्तर पर होती हैं.
  • पशु चिकित्सा सेवा के मामले में निजी क्षेत्र की उपस्थिति लगभग शून्य है.

GS Paper 2 Source: Down to Earth

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Sustainable Development Goals: 36 changes in global indicator framework

संदर्भ

सतत विकास लक्ष्यों (SDG) हेतु वैश्विक संकेतक ढांचे में 36 प्रमुख परिवर्तनों को संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग (UNSC) ने अपने 51वें सत्र में 6 मार्च, 2020 को स्वीकृति देकर अपना लिया है.

पृष्ठभूमि

ये परिवर्तन सतत विकास लक्ष्यों के संकेतकों (आईएईजी-एसडीजी) को लेकर संयुक्त राष्ट्र की अंतर-एजेंसी और विशेषज्ञों के समूह के द्वारा  ‘व्यापक समीक्षा 2020’ के आधार पर किए गए हैं. इन परिवर्तनों को UNSC के त्रिदिवसीय सत्र के प्रथम दिवस में ही प्रस्तुत किया गया था.

परिवर्तन के पश्चात् इस समय 231 संकेतक विद्यमान हैं जो कि असल संकेतक ढांचे के लगभग समतुल्य हैं. विदित हो कि वैश्विक संकेतक ढ़ांचे को संयुक्त राष्ट्र की आमसभा में 6 जुलाई 2017 को अपनाया गया था.

मुख्य तथ्य

  • सतत विकास के लक्ष्यों में 6 नवीन लक्ष्यों में 2, 3, 4, 10, 13 और 16 को सम्मिलित किया गया है.
  • हर वर्ष कुल ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को संकेतक 13.2.2 और 13.2 में एकीकृत जलवायु परिवर्तन के उपायों को राष्ट्रीय नीतियों, रणनीतियों और योजनाओं में सम्मिलित किया गया है.
  • वर्ष 2030 तक 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में एनीमिया को खत्म करने और गर्भावस्था (प्रतिशत में) के लक्ष्य को 2.2 तक लाकर कुपोषण के प्रकारों को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है.
  • चयनित रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी जीवों के चलते रक्तप्रवाह के संक्रमण के प्रतिशत को कम करने हेतु एक नवीन संकेतक वैश्विक स्वास्थ्य लक्ष्य (एसडीजी 3) के अंतर्गत जोड़ा गया है.
  • संकेतक 10.7.3 समुद्री, भूमि और हवाई सीमाओं को पार करने का प्रयास करते हुए मारे गए प्रवासियों की संख्या पर होगा. संकेतक 10.7.4 मूल देश में शरणार्थियों की जनसंख्या के अनुपात पर रखा गया है.
  • सतत विकास के लक्ष्यों से 6 संकेतक जिसमें 1, 4, 8, 11, 13 और 17 समिलित हैं को हटाया गया है. संकेतक 1.ए.1 को सरकार द्वारा सीधे गरीबी में कमी लाने वाले कार्यक्रमों के लिए आवंटित किए गए घरेलू स्तर पर उत्पन्न संसाधनों के अनुपात के ऊपर रखा गया है.
  • संकेतक 4.2.1 को 5 वर्ष तक के बच्चों के लिंग के अनुसार स्वास्थ्य, सीखने की स्थिति और मनो-सामाजिक स्वास्थ्य के अनुपात को दर्शाने के लिए निर्धारित किया गया है.  
  • संकेतक का वह भाग जो 0 से 23 महीने के बच्चों के लिए प्रगति को मापता है, जो वर्तमान में तृतीय श्रेणी में है, को आईएईजी के द्वारा विलोपन के लिए प्रस्तावित किया गया था.
  • जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए SDG लक्ष्य के अंतर्गत, संकेतक 13.3.2 को उन देशों की संख्या को निर्धारित करने हेतु रखा गया है जिन्होंने विकास कार्य का हटाकर अनुकूलन, जलवायु परिवर्तन की तेजी को कम करना और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लागू करने के लिए क्षमता निर्माण की ओर ध्यान दिया है.
  • जब वैश्विक स्तर पर कुल 13.6 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं, तो स्थायी पर्यटन रोजगार का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत और एसडीजी के तहत एक जरूरी संकेतक हो सकता है. यद्यपि, कुल पर्यटन नौकरियों में से स्थायी पर्यटन उद्योगों में नौकरियों के अनुपात पर संकेतक 8.9.2 को वैश्विक एसडीजी ढांचे से यूएनएससी द्वारा हटा दिया गया है. सत्र में उपस्थित वक्ताओं ने इस सूचक को हटाने पर अपनी चिंता व्यक्त की.
  • सदस्य राज्यों ने संकेतक 15.9.1 को संशोधित करने के महत्त्व को स्वीकारा  है जो कि जैव विविधता के एकीकरण को राष्ट्रीय लेखांकन में पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन की प्रणाली के तहत दर्ज करता है.

आगे की राह

यह एक सकारात्मक कदम है कि ग्रीनहाउस गैस पर केंद्रित एक संकेतक जोड़ा गया है, परन्तु जलवायु की समानता को आदर्श रूप से प्रति व्यक्ति संकेतक की जरूरत होगी. विकसित देश ख़ुद ठोस क़दम न उठाकर भारत जैसे विकासशील देशों पर इसकी ज़िम्मेदारी थोप रहे हैं. जलवायु परिवर्तन को व्यापार से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.


GS Paper 2 Source: Economic Times

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UPSC Syllabus : Government Policies and Interventions for Development in various sectors and Issues arising out of their Design and Implementation.

Topic : What is Dearness Allowance?

संदर्भ

सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्‍ते (Dearness Allowance – DA) में 4% बढ़ोतरी का एलान किया है. डीए को 17% से बढ़ाकर 21% किया गया है. केंद्र सरकार का यह निर्णय 1 जनवरी, 2020 से प्रभावी होगा.

किसे लाभ होगा?

इस फैसले से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ही नहीं, बल्कि उसके पेंशनरों को भी फायदा होगा. केंद्र सरकार से फैमिली पेंशन पाने वालों को भी इसका लाभ मिलेगा.

DA क्या है?

  • सरकार अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ता यानी कि DA इसलिए देती है, ताकि वे बढ़ते हुए दैनिक जीवन के खर्चों का सामना कर सकें. महंगाई/चीज-सामानों के लगातार बढ़ते दाम पैसे की क्रय शक्ति कम करने लगते हैं.
  • मान लीजिए कि सालाना महंगाई दर पांच फीसदी है, तब पहले साल में जो चीज 100 रुपए की है, वह अगले साल 105 रुपए की हो जाएगी. कर्मचारी की सैलरी 100 रुपए है, पर दूसरे साल भी अगर तनख्वाह उतनी ही रही, तब वह उस चीज (105 रुपए वाली को) को खरीद ही नहीं पाएगा. यही खाई पाटने का काम डीए करता है.

DA की गणना कैसे होती है?

DA की गणना के लिए सरकार ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (All India Consumer Price Index) आधारित महंगाई दर का प्रयोग करती है. बड़े स्तर पर प्रभाव के लिए प्रत्येक दो वर्ष में डीए संशोधित किया जाता है.

यह अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है?

DA का पैसा सरकारी कर्मचारियों को मिलता है. हालांकि, यह इस पर निर्भर है कि वे इस रकम का इस्तेमाल किस तरह करते हैं. वे इसे बचत खाते में रखते हैं या फिर खर्च कर देते हैं. यह यह अतिरिक्त रकम वे खर्च देते हैं, तब इससे कमजोर होती उपभोग की मांग पर सकारात्मक असर पड़ता है, पर इस पूरी रकम को वे बचाकर सेविंग्स अकाउंट में रख लेते हैं, तब यह अर्थव्यवस्था की मदद करता है और बैंकिंग सिस्टम में फंड को बढ़ाता है.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : National Clean Air Programme (NCAP)

संदर्भ

पर्यावरण और वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर प्रदूषण की समस्या से निपटना है और शहरों से इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए योजनाएं तैयार करने को कहा गया है.

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 10 जनवरी 2019 को प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) नाम से एक योजना का अनावरण किया है. इसके अंतर्गत इन सभी शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे.

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के मुख्य तत्त्व

  • 2017 से लेकर 2024 तक पूरे देश में 5 और PM10 संघनन (concentration) में 20-30% कमी के लक्ष्य को प्राप्त करना.
  • इस कार्यक्रम को पूरे देश में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board – CPCB) वायु (प्रदूषण प्रतिषेध एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1986 के अनुभाग 162 (b) के अनुसार लागू करेगा.
  • इस कार्यक्रम के लिए पहले 2 वर्ष में 300 करोड़ रू. का आरम्भिक बजट दिया गया है.
  • इस कार्यक्रम में 23 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों के 102 शहरों को चुना गया है. इन शहरों का चुनाव केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2011 और 2015 की अवधि में इन शहरों की वायु गुणवत्ता से सम्बंधित आँकड़ों के आधार पर किया गया है. इन शहरों में वायु गुणवत्ता के राष्ट्रीय मानकों के अनुसार वायु की गुणवत्ता लगातार अच्छी नहीं रही है. इनमें से कुछ शहर ये हैं – दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कोलकाता, नोएडा, मुजफ्फरपुर और मुंबई.
  • इस कार्यक्रम में केंद्र की यह भी योजना है कि वह पूरे भारत में वायु गुणवत्ता की निगरानी के नेटवर्क को सुदृढ़ करे. वर्तमान में हमारे पास 101 रियल-टाइम वायु गुणवत्ता मॉनिटर हैं. परन्तु निगरानी की व्यस्था को सुदृढ़ करने के लिए कम से कम 4,000 मॉनिटरों की आवश्यकता होगी.
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में एक त्रि-स्तरीय प्रणाली भी प्रस्तावित है. इस प्रणाली के अंतर्गत रियल-टाइम भौतिक आँकड़ों के संकलन, उनके भंडारण और सभी 102 शहरों में एक्शन ट्रिगर प्रणाली की स्थापना अपेक्षित होगी. इसके अतिरिक्त व्यापक रूप से पौधे लगाये जाएँगे, स्वच्छ तकनीकों पर शोध होगा, बड़े-बड़े राजमार्गों की लैंडस्केपिंग की जायेगी और कठोर औद्योगिक मानदंड लागू किये जाएँगे.
  • इस कार्यक्रम के तहत राज्य-स्तर पर भी कई कदम उठाये जाएँगे, जैसे – दुपहिये वाहन का विद्युतीकरण, बैटरी चार्ज करने की व्यवस्था को सुदृढ़ करना, BS-VI मापदंडों को कठोरता से लागू करना, सार्वजनिक यातायात तन्त्र को मजबूत करना तथा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों का तीसरे पक्ष से अंकेक्षण कराना आदि.
  • इस राष्ट्रीय योजना में पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वोच्च समिति, अवर सचिव (पर्यावरण) की अध्यक्षता में एक संचालन समिति और संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति की स्थापना का भी प्रस्ताव है. इसी प्रकार राज्यों के स्तर पर भी परियोजना निगरानी के लिए समितियाँ होंगी जिनमें वैज्ञानिक और प्रशिक्षित कर्मचारी होंगे.

समिति के सदस्य

MoEFCC ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया है.

  • इस समिति की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव करेंगे और इसके सदस्यों में संयुक्त सचिव (थर्मल), विद्युत मंत्रालय; महानिदेशक, ऊर्जा संसाधन संस्थान (TERI) आदि भी होंगे.
  • इस कार्यक्रम में 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 102 नॉन-अटेनमेंट शहरों  को शामिल किया गया है. इन शहरों का चुनाव केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2011 से 2015 के बीच की वायु गुणवत्ता के आधार पर किया है. वे शहर नॉन-अटेनमेंट शहर हैं जिनमे राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक वायु गुणवत्ता निरंतर ख़राब रहती है. नॉन-अटेनमेंट शहरों की सूची में दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कलकत्ता, नॉएडा, मुजफ्फरपुर और मुंबई ऐसे बड़े शहर शामिल हैं.

कार्यक्रम के लाभ

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से यह लाभ हुआ है कि वायु प्रदूषण को घटाने के लिए लक्ष्य निर्धारित हो गये हैं जिसके लिए बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी. इन लक्ष्यों से यह लाभ होगा कि उन क्षेत्रों का पता चल जाएगा जहाँ प्रदूषण की समस्या गंभीर है और यह भी पता चलेगा कि वहाँ प्रदूषण घटाने का लक्ष्य पाने के लिए कौन-कौन से कारगर कदम उठाये जाने चाहिएँ.


Prelims Vishesh

Bull and Bear Markets :-

  • यदि स्टॉक बाजारों में बढ़त होती है तो इसके लिए सांड (bull) शब्द का प्रयोग होता है और जब इनमें गिरावट होती है तो इसके लिए भालू (bear) शब्द का प्रयोग किया जाता है.
  • दूसरे प्रकार से कहा जाए तो बुल बाजार वह है जिसमें शेयरों के दाम ऊपर जाते हैं और आर्थिक स्थिति अच्छी होती है.
  • वहीं दूसरी ओर, जब बाजार गिर रहा होता है तो उसे भालू बाजार कहा जाता है.

What are blue chip stocks? :-

  • ब्लू चिप शेयर उन शेयरों को कहते हैं जो उन जानी-मानी कम्पनियों के होते हैं जिनका वित्तीय प्रदर्शन लम्बे समय से अच्छा रहा होता है.
  • इन शेयरों में यह क्षमता होती है कि वे बाजार में मंदी भी हो तो उसे झेल सकते हैं और जब बाजार ऊपर आये तो अच्छा प्रतिलाभ भी दे सकते हैं.
  • ब्लू चीप शेयर सामान्यतः महंगे होते हैं क्योंकि इनकी प्रतिष्ठा अच्छी होती है और अपने-अपने उद्योग जगत में ये बाजार के अगुआ होते हैं.

What is sepsis, a common cause of death from coronavirus? :-

  • सेप्सिस वह स्वास्थ्य विकृति है जो वायरस, बैक्टीरिया, फंफूद अथवा परजीवी से उत्पन्न होती है.
  • कोरोना वायरस एवं अन्य वायरस जैसे इबोला, पीतज्वर, डेंगी, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू वायरस आदि में भी सेप्सिस हो सकता है. विदित हो कि सेप्सिस जानलेवा हो सकता है क्योंकि इससे न केवल ऊतकों की क्षति होती है वरन कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं और मृत्यु भी संभव है.

What is Pi Day? :-

  • पाई (Pi) वह बहुज्ञात कांस्टेंट है जिसका मान यदि पाँच अंकों में मापा जाए तो 3 .14159 होता है.
  • इस कांस्टेंट के लिए मार्च 14 को प्रतिवर्ष एक अलग से दिवस मनाया जाता है जिसे पाई दिवस कहते हैं.
  • मार्च 14 को इस दिवस को मनाने का विचार अमेरिका से आया है क्योंकि यदि अमेरिकी पद्धति से 14 मार्च लिखा जाए तो वह 3/14 लिखा जाता है जो पाई के मान के बराबर है.
  • संयोग से मार्च 14 को ही अल्बर्ट आइन्स्टाइन का जन्म हुआ था.
  • जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पाई किसी वृत्त की परिधि से उसके व्यास के अनुपात को कहा जाता है.

What is circuit breaker in stock market? :-

  • जब शेयर बाजार के ग्राहकों को यह भय व्याप जाता है कि उनके शेयर के दाम आवश्यकता से अधिक अधिक बढ़ चुके हैं तो वे उन्हें घबरा के बेचने लगते हैं इससे बाजार तेजी से गिरने लगता है.
  • इस स्थिति से बचने के लिए जून, 2001 में SEBI ने सूचकांक पर आधारित पूरे बाजार में लागू होने वाले सर्किट ब्रेकर लगाने का निर्णय लिया था.
  • इसके अंतर्गत सूचकांक के पतन के समय तीन अवस्थाओं में सर्किट ब्रेकर लगाया जाता है – 10, 15 और 20% पर.

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