Sansar Daily Current Affairs, 14 May 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Unlawful activities (Prevention) Act
संदर्भ
केन्द्रीय सरकार ने लिट्टे अर्थात् Liberation Tigers of Tamil Eelam पर लगाये हुए प्रतिबंध को और पाँच वर्ष के लिए तत्काल प्रभाव से बढ़ा दिया है. ऐसा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के अनुभाग 3 के उप-अनुभाग 1 एवं 3 के अंतर्गत किया गया है.
यह आवश्यक क्यों हुआ?
सम्बंधित अधिसूचना में कहा गया है कि LTTE अभी भी ऐसी हिंसक एवं विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त है जिनसे भारत की एक एकता एवं संप्रभुता पर खतरा है. साथ ही यह गुट एक प्रबल भारत विरोधी रुख अपनाए हुए है और भारत के नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है.
गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम क्या है?
- यह कानून भारत में गैरकानूनी कार्य करने वाले संगठनों की कारगर रोकथाम के लिए बनाया गया था.
- इसका मुख्य उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए कानूनी शक्ति का प्रयोग करना है.
- इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई राष्ट्रद्रोही आन्दोलन का समर्थन करता है अथवा किसी विदेशी देश द्वारा किये गये भारत के क्षेत्र पर दावे का समर्थन करता है तो वह अपराध माना जाएगा.
- UAPA 1967 में पारित हुआ था. बाद में यह पहले 2008 में और फिर 2012 में संशोधित हुआ था.
अधिनियम के कुछ विवादित प्रावधान
- इसमें आतंकवाद की जो परिभाषा दी गई है वह उतनी स्पष्ट नहीं है. इसलिए अहिंसक राजनैतिक गतिविधियाँ और राजनैतिक विरोध भी आतंकवाद की परिभाषा के अन्दर आ जाता है.
- यदि सरकार किसी संगठन को आतंकवादी बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा देती है तो ऐसे संगठन का सदस्य होना ही एक आपराधिक कृत्य हो जाता है.
- इस अधिनियम के अनुसार किसी को भी बिना आरोप-पत्र के 180 दिन बंदी बनाया जा सकता है और 30 दिनों की पुलिस कस्टडी ली जा सकती है.
- इसमें जमानत मिलने में कठिनाई होती है और अग्रिम जमानत का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
- इसमें मात्र साक्ष्य के बल पर किसी अपराध को आतंकवादी अपराध मान लिया जाता है.
- इस अधिनियम के अन्दर विशेष न्यायालय बनाए जाते हैं जिनको बंद करने में सुनवाई करने का अधिकार होता है और जो गुप्त गवाहों का उपयोग भी कर सकते हैं.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Fund for rural agricultural start-ups
संदर्भ
नाबार्ड ने ग्रामीण कृषि स्टार्ट-अप कम्पनियों के लिए 700 करोड़ रू. की आरम्भिक पूँजी देने की घोषणा की है.
मुख्य तथ्य
- यह परियोजना नाबार्ड की सहायक इकाई Nabventures ने आरम्भ की है.
- नाबार्ड ने 500 करोड़ रू. की राशि प्रस्तावित की है और साथ ही यह विकल्प रखा है कि सम्बंधित कम्पनी अन्य 200 करोड़ रू. अपने पास आवश्यकतानुसार रख सकती है.
- नाबार्ड जिन क्षेत्रों से सम्बंधित स्टार्ट-अप कम्पनियों में निवेश करेगा, वे हैं – कृषि, खाद्य पदार्थ एवं ग्रामीण विकास.
परियोजना का माहात्म्य
कृषि, खाद्य वस्तुएँ एवं गाँव-देहात में आजीविका में वृद्धि देश के प्रमुखप्रक्षेत्र हैं. इस परियोजना से इन क्षेत्रों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा.
NABARD का है?
- राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) भारत का एक शीर्ष बैंक है जिसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है.
- इसे कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए प्राधिकृत किया गया है.
- 12 जुलाई 1982 को नाबार्ड की स्थापना की गयी थी. इसके लिए बी.शिवरामन की अध्यक्षता में एक समिति ने अनुशंसा की थी. इस समिति का गठन भारतीय रिज़र्व बैंक ने किया था.
- नाबार्ड ने जिन संस्थाओं का स्थान लिया, वे थीं – कृषि ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक का ग्रामीण नियोजन एवं ऋण कोषांग तथा कृषि पुनर्वित्तीयन एवं विकास निगम.
- नाबार्ड का मुख्य लक्ष्य गाँवों में ऋण प्रवाह बढ़ाना और कृषि एवं गैर-कृषि प्रक्षेत्र को आगे बढ़ाना है.
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने NABARD के अपने सम्पूर्ण हितों (entire stakes) को हाल में बेच दिया है. इस विनिवेश के लिए दूसरी नरसिंहम समिति का सुझाव था. नाबार्ड के इस कृत्य से अब इसका शत-प्रतिशत हित सरकार के हाथ में आ गया है.
GS Paper 3 Source: Indian Express
Topic : Herbivore Census in Gir forest
संदर्भ
गुजरात सरकार का वन विभाग प्रत्येक वर्ष गर्मियों में गिर जंगल में रहने वाले शाकाहारी प्राणियों की गिनती करता है. जिन शाकाहारी पशुओं की गणना होती है, वे हैं – चीतल, नील गाय, सांबर, चिंकारा, चौसिंघा, जंगली सूअर, लंगूर और मोर.
इस प्रकार की गणना क्यों आवश्यक है?
एशियाई सिंह मुख्य रूप से वन्य हरिन, नीलगाय आदि पशुओं और लंगूरों को खाते हैं. पशुओं की गणना से यह पता चलता है कि इन सिंहों को तथा साथ ही इनके जैसे शिकारी पशुओं यथा – तेंदुओं, लकड़बग्घों, भेड़ियों को उचित संख्या में शिकार मिल रहे हैं अथवा नहीं. ज्ञातव्य है कि इनमें गीर सिंहों की संख्या गीर के 22,000 वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्र में सिमट कर रह गयी है और उन्हें संकटग्रस्त प्रजाति मान लिया गया है. यदि इनको पर्याप्त मात्रा में शाकाहारी वन्यपशु मिलेंगे तो इनकी अपनी संख्या में वृद्धि होगी और साथ ही ये बस्तियों में जाना बंद कर देंगे.
यह सर्वेक्षण गर्मियों में ही क्यों?
ऐसा इसलिए होता है कि ग्रीष्म काल में शुष्क और पर्णपाती उष्णकटिबंधीय जंगलों में हरियाली सबसे कम होती है. इस कारण वन्य पशुओं को देख पाना सरल होता है. इसके अतिरिक्त गर्मियों में पशु प्यास के मारे जलाशयों के आस-पास जमा होते हैं. विदित हो कि गिर जंगलों में ऐसे 450 कृत्रिम जलाशय हैं जिनमें वन विभाग पानी भरता रहता है.
हाल के वर्षों में शाकाहारी पशुओं की संख्या का रुझान
1974 में पहली गणना से लेकर आज तक गिर के जंगलों में शाकाहारी पशुओं की संख्या बढ़ती ही रही है. 2013 में इनकी संख्या 1,26,893 थी अर्थात् प्रत्येक वर्ग किलोमीटर में 76.49 पशु निवास कर रहे थे. यदि इन सभी पशुओं का भार जोड़ दिया जाए तो यह 8,000 किलो होगा. इस प्रकार यहाँ के मांसभक्षी पशुओं को लगभग उतना ही मांस उपलब्ध था जितना कि तंजानिया के सेरेंगेटी राष्ट्रीय उद्यान के पशुभक्षियों को.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : CPI inflation
संदर्भ
केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आँकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं तथा ईंधन के दामों में तेज वृद्धि के कारण अप्रैल महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – CPI) 2.92% पर था जो पिछले छह महीने की सबसे ऊँची दर है.
चिंता का विषय
- रेटिंग एजेंसी CRISIL का अनुमान है कि खुदरा मुद्रा स्फीति वित्तीय वर्ष 2018-19 के 4% की तुलना में 60 बेसिस बिंदु (basis point) बढ़कर 4% तक जायेगी.
- देश के पश्चिमी और दक्षिणी भागों में सूखे की स्थिति है और गर्मी भी सामान्य से पहले और सामान्य से अधिक पड़ रही है. इस कारण पिछले दो महीनों में कृषि उत्पादों के मूल्य में बढ़ोतरी हुई. इसलिए चालू वर्ष में खाद्य मुद्रा स्फीति बढ़ने की संभावना है.
इसका ब्याज दरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
मुद्रा स्फीति का ब्याज दरों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा. ऐसा इसलिए है कि भारतीय रिज़र्व बैंक रेपो दर घटा देगा और इस प्रकार मुद्रा स्फीति को 4% तक सीमित रखने के अपने लक्ष्य को पाने में सफल होगा.
विदित हो कि रेपो दर उस दर को कहते हैं जिसपर भारतीय रिज़र्व बैंक व्यवसायिक बैंकों को अल्पावधि कोष देता है. अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें – Repo in Hindi
CPI क्या है?
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) वह तरीका है जिससे परिवहन, खाद्य पदार्थ और चिकित्सा देखभाल जैसी उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं के एक समूह के औसत दाम का परीक्षण किया जाता है. जिन वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का परीक्षण होता है उनकी सूची पहले से बनी हुई होती है. परीक्षण के समय यह देखा जाता है कि इस सूची की प्रत्येक सामग्री के दामों में क्या परिवर्तन हुआ है. इन परिवर्तनों के आधार पर इस बात का आकलन किया जाता है कि इनसे जीने खाने के खर्च में क्या अंतर आया. विदित हो कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति एवं मुद्रा अवस्फीति का पता लगाने में सबसे अधिक प्रयोग में लगाया जाता है.
इस सूचकांक से अर्थव्यवस्था में समग्र मूल्य के स्तर का पता तो चलता ही है, साथ ही देश की मुद्रा की क्रय शक्ति की भी जाँच हो जाती है.
CPI के बारे में और भी डिटेल में पढ़ें > CPI in Hindi
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : CCMB scientists sequence Asiatic lion genome
संदर्भ
हैदराबाद में स्थित CSIR के कोषीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने पहली बार एशियाई सिंह के समूचे जीनोम को क्रमबद्ध किया है. इस कार्य का उद्देश्य इन सिंहों को DNA स्तर पर समझना तथा यह पता लगाना है कि अन्य बड़ी बिल्लियों, जैसे – बाघ, चीता, तेंदुआ आदि की तुलना में वातावरण से तालमेल बैठाने में इनके समक्ष कौन-कौन सी विशेष समस्याएँ आती हैं.
जीनोम को क्रमबद्ध करने का माहात्म्य
एशियाई सिंहों के जीनोम के क्रमबद्ध होने से शोधकर्ता इस बात को बेहतर ढंग से समझ पायेंगे कि इन सिंहों का विकास किस प्रकार हुआ. साथ ही वे अन्य बड़ी बिल्लियों के साथ एशियाई सिंह का तुलनात्मक विश्लेषण कर पाने में समर्थ होंगे. जीनोम को क्रमबद्ध करने का एक अन्य लाभ यह होगा कि वैज्ञानिक जनसांख्यिक आनुवंशिकी का अध्ययन करने के लिए विशिष्ट मार्कर भी तैयार कर पायेंगे और इस प्रकार इनकी जनसांख्यिक स्थिति और परवर्ती प्रबंधन के विषय में उनकी समझ बेहतर होगी. विदित हो कि एक विशेष जनसंख्या के अन्दर जीन के स्तर में अंतर के अध्ययन को जनसांख्यिक आनुवंशिकी कहते हैं. इस अध्ययन से एशियाई सिंहों के विशेष लक्षणों को लक्षित करके उनमें होने वाले रोगों का उपचार करने तथा उनकी संख्या को बनाए रखने अथवा बढाने में सहायता मिलेगी.
एशियाई सिंह
- एशियाई सिंह को IUCN लाल सूची में संकटग्रस्त बताया गया है.
- इसकी संख्या भारत के गुजरात राज्य तक ही सीमित है.
- संरक्षण कार्यों के चलते इनकी संख्या 500 से अधिक हो गई है जबकि 1890 में यह संख्या मात्र 50 थी.
- 2015 की पशु गणना के अनुसार गिर सुरक्षित क्षेत्र में 523 एशियाई सिंह निवास करते हैं.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : ABHYAS – High-speed Expendable Aerial Target (HEAT)
संदर्भ
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आज ओडिशा स्थित चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण केंद्र ‘अभ्यास’- हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टार्गेट (हीट) उड़ान का सफलतापूर्वक परीक्षण किया.
- इस उड़ान की विभिन्न रडारों एवं इलेक्ट्रो-ऑप्टिक प्रणाली के जरिए निगरानी की और इसने स्वत: दिशा निर्धारित करने के अपने प्रदर्शन को साबित किया है.
- ‘अभ्यास’ एक छोटे गैस टरबाइन इंजन पर काम करता है और यह अपने नेविगेशन और दिशा निर्देश के लिए स्वदेशी रूप से विकसित एमईएमएस आधारित नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करता है.
- यह एक बेहतरीन एयरक्राफ्ट है जो नवीन तकनीक का उदाहरण है और देश की रक्षा प्रणाली को मजबूती देगा.
Prelims Vishesh
ADMM-Plus Maritime exercise :-
- हाल ही में सिंगापुर और दक्षिण कोरिया ने संयुक्त रूप से आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की एक बैठक तथा साथ ही समुद्री सुरक्षा क्षेत्रीय प्रशिक्षण अभ्यास का आयोजन किया.
- बैठक में 18 देशों के रक्षा मंत्री आये. इनमें 10 मंत्री आसियान देशों के थे और शेष 8 इन देशों से आये थे – अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, रूस, चीन और भारत.
What is the Strait of Hormuz? :-
- अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते हुए तनाव के संदर्भ में हाल ही में होरमुज़ जलडमरूमध्य चर्चा में आया है.
- यह जलडमरूमध्य ईरान और ओमान को अलग करता है तथा खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है.
- यह जलडमरूमध्य जहाँ पर सबसे संकीर्ण है वहाँ इसकी चौड़ाई 33 किलोमीटर है, परन्तु जहाज जाने का मार्ग दोनों तरफ 3 ही किलोमीटर का है.
- यहाँ से 2016 में प्रत्येक दिन 50 लाख बैरल तेल गुजरा था. सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और इराक के द्वारा निर्यात किया गया अधिकांश कच्चा तेल इसी रास्ते से जाता है.
- विश्व के सबसे बड़े तरल प्राकृतिक गैस के निर्यातक देश कतर द्वारा उत्पादित गैस लगभग पूरा का पूरा इसी मार्ग से जाता है.
Thrissur Pooram :-
- हाल ही में त्रिसुर पूरम नामक पर्व केरल में मनाया गया.
- यह पर्व केरल में 200 वर्षों से हो रहा है और इसे पर्वों का पर्व कहा जाता है.
- यह पर्व अप्रैल-मई में मूल नक्षत्र में मनाया जाता है. इसका आरम्भ कोच्ची के तत्कालीन राजा सक्तन थमपूरन ने आरम्भ किया था.
- पर्व का आयोजन वड्डकुमनाथन मंदिर के आस-पास होता है. यहाँ दो दल सजाये हुए हाथियों के साथ पंचवाद्यम नामक वाद्य समूह के साथ आते हैं तथा भाँति-भाँति के खेल करते हैं.
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