Sansar Daily Current Affairs, 14 May 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.
Topic : Employment Working Group – EWG
संदर्भ
हाल ही में ब्रिक्स (BRICS) देशों के बीच पहली ब्रिक्स रोजगार कार्यसमूह (Employment Working Group- EWG) की बैठक हुई है.
प्रमुख बिन्दु
- ब्रिक्स रोजगार कार्यसमूह (Employment Working Group- EWG) की बैठक की अध्यक्षता भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव ने की है. ज्ञातव्य है कि भारत ने इसी साल ब्रिक्स का अध्यक्ष पद संभाला है.
- ब्रिक्स रोजगार कार्यसमूह (EWG) की बैठक में ब्रिक्स देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौतों को प्रोत्साहन देने, श्रम बाजारों को आकार देने, श्रमशक्ति के रूप में महिलाओं की भागीदारी और श्रम बाजार में कार्यशील घंटे इत्यादि मुद्दों पर चर्चा हुई.
- इसके अतिरिक्त, इस बैठक में पार्ट-टाइम के हिसाब से काम करने वालों (गिग) तथा किसी संगठन से जुड़कर काम करने वालों के रोजगार के मुद्दे आदि भी शामिल थे.
- ब्रिक्स सदस्य देशों के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization : ILO) तथा अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा एजेंसी (आईएसएसए) के प्रतिनिधियों ने भी इस बैठक में अपनी बात रखी और एजेंडा पर अपने सुझाव दिये.
- इस बैठक में ‘सामाजिक सुरक्षा समझौते’ पर ब्रिक्स के सदस्य देशों ने प्रतिबद्धता व्यक्त की है.
- इसके अलावा, ब्रिक्स के सदस्य देशों ने रोजगार और कोविड-19 महामारी के दौरान जोखिम के मद्देनजर विभिन्न उपायों पर भी गौर किया है.
BRICS क्या है?
- BRICS विश्व की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले पाँच बड़े देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका – का संघ है. इसका नाम इन देशों के पहले अक्षरों को मिला कर बना है.
- BRICS की पहली बैठक जून 2009 रूस के Yekaterinburg शहर में हुई थी.
- 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे “BRIC” के नाम से जाना जाता था.
- यह नाम 2001 में Goldman Sachs संस्था के अर्थशास्त्री Jim O’Neill द्वारा सुझाया गया था.
- इसकी बैठक हर वर्ष होती है जिसमें राजनीतिक एवं सामाजिक-आर्थिक सहयोग के क्षेत्र के विषय में चर्चा होती है.
- BRICS की अध्यक्षता एक देश के पास न होकर प्रतिवर्ष बदलती रहती है और बदलने का एक क्रम भी BRICS के नाम के अनुसार ही होता है अर्थात् पहले B=Brazil, R=Russia आदि आदि…
- BRICS में सम्बंधित देशों के प्रमुखों की बैठक तो होती है, साथ ही कई क्षेत्रीय (sectoral) बैठकें भी होती हैं जिनकी संख्या पिछले दस वर्षों में 100 पहुँच चुकी है.
- BRICS देशों के बीच में सहयोग का कार्यक्रम तीन स्तरों अथवा ट्रैकों (TRACKS) पर चलता है. ये ट्रैक हैं –
- Track I = सम्बंधित देशों के बीच में औपचारिक कूटनीतिक कार्यकलाप,
- Track II = सरकार से सम्बद्ध संस्थानों, यथा – सरकारी उपक्रम एवं व्यवसाय परिषदों के माध्यम से किये गये कार्यकलाप,
- Track III = सिविल सोसाइटी के साथ और “जन से जन” स्तर पर किये गए कार्यकलाप.
BRICS और भारत
हालांकि, भारत को व्यापक रूप से एक मजबूत, उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है, लेकिन BRICS के अन्य सदस्यों से तुलना करने के लिए इसकी आर्थिक क्षमता ही एकमात्र मानदंड नहीं होना चाहिए. समग्र GDP, सामाजिक असमानताओं एवं बुनियादी स्वास्थ्य और अन्य कल्याण सेवाओं तक पहुँच के मामले में, भारत अन्य BRICS राष्ट्रों से पीछे है. कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां भारत अपने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितों की वृद्धि हेतु, इस फोरम का उपयोग कर सकता है –
- भारत द्वारा विदेशी निवेशकों को और अधिक आकर्षित करने के लिए, अपने बुनियादी डांचे में सुधार हेतु अत्यधिक वित्त की आवश्यकता है. विश्व बैंक और IMF के अतिरिक्त, न्यू डेवलपमेंट बैंक भी एक महत्त्वपूर्ण संगठन है, जो भारत को बुनियादी ढांचे हेतु ऋण प्रदान कर सकता हैं.
- भारत की शक्ति श्रम, सेवा, जेनेरिक दवाइयों और सूचना प्रौद्योगिकी में निहित है. इसके साथ ही अन्य BRICS भागीदारों के साथ अन्य पर्याप्त सहक्रियाएं हैं, जिनका उपयोग कर इन क्षेत्रों में अंतर-BRICS संबंधों को और मजबूत बनाया जा सकता है.
- BRICS के सभी सदस्यों छ्वारा तीव्र शहरीकरण की चुनौती का सामना किया जा रहा है. इससे निपटने के लिए भारत ने BRICS सहयोग तंत्र में अर्थवनाईज़ैशन फोरम को शामिल किया है, जिसके माध्यम से एक-दूसरे के अनुभव से सबक लेकर BRICS सहयोग को आगे बढ़ाया जा सकता है.
- पूर्व सोवियत संघ के विघटन के पश्चात्, रूस के साथ भारत के महत्त्वपूर्ण संबंधों में कमी आती जा रही थी. BRICS एक महत्त्वपूर्ण मंच है, जिसके द्वारा भारत रूस के साथ अपने सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अपनी वार्ता को आगे बढ़ा सकता है.
- BRICS में सदस्य देशों के मध्य अधिक साझेदारी और सहयोग का वादा किया गया है. यह द्विपक्षीय मुद्दों को हुल करने के लिए भी मंच विकसित कर सकता है.
नीचे कुछ इसी तरह की प्रमुख विशिष्ट एजेंसियों के नाम दिए गए हैं और बगल में उनके मुख्यालय का भी उल्लेख है – GS Paper 3 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Environment. संदर्भ दिल्ली में कोविड-19 मामलों के कारण जैव चिकित्सा अपशिष्ट (Biomedical waste) का सृजन उच्चतम स्तर पर है. GS Paper 3 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Economy संदर्भ आयकर विभाग ने “महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति” (Significant Economic Presence) के लिए सीमा निर्धारित की है. आयकर विभाग ने महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति (SEP) के लिए एक सीमा को अधिसूचित किया है, जो 1 अप्रैल, 2022 से अधिसूचित की जाएगी. वर्ष 2016 में सरकार द्वारा समतुल्य लेवी (6 प्रतिशत) की शुरुआत की गई थी और इसे व्यवसाय-से-व्यवसाय डिजिटल विज्ञापनों तथा निवासी सेवा प्रदाताओं से संबद्ध सेवाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न राजस्व पर अधिरोपित किया जाता था. भारत में स्थायी प्रतिष्ठान (permanent establishment) के बिना सेवा प्रदान करने वाली अनिवासी कंपनियों द्वारा जब डिजिटल विज्ञापन सेवाओं के लिए कोई भुगतान प्राप्त किया जाता है (यदि यह राशि एक वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक है) तो उस पर लगने वाले कर को समतुल्य लेवी कहते हैं. समतुल्य लेवी, जो कि केवल भारतीय क्षेत्र से उत्पन्न राजस्व पर लागू होती है, में कोई पूर्वव्यापी तत्त्व या अतिरिक्त-प्रादेशिक अनुप्रयोग शामिल नहीं है. World Food Prize – 2021 :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi February, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : Biomedical waste
मुख्य बिंदु
जैव चिकित्सा अपशिष्ट से निपटने के लिए विद्यमान तंत्र
Topic : Significant Economic Presence
अधिसूचित सीमाएँ हैं –
समतुल्य लेवी (Equalization Levy)
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