Sansar डेली करंट अफेयर्स, 14 September 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 14 September 2021


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.

Topic : Battle of Saragarhi

संदर्भ

12 सितंबर को सारागढ़ी के युद्ध की 124वीं वर्षगाँठ मनाई गई. यह युद्ध 12 सितंबर 1897 को ब्रिटिश भारतीय सेना के सिख सैनिकों और उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त में पशून ओरकजई एवं अफरीदी आदिवासियों के बीच लड़ा गया था. 21 सिख सैनिकों द्वारा लगभग 8,000 की पश्तून सेना के विरुद्ध लड़े गये इस युद्ध को इतिहास की कुछ सबसे साहसिक लड़ाइयों में शुमार किया जाता है.

सारागढ़ी का लड़ाई

सारागढ़ी का युद्ध 12 सितंबर 1897 को लड़ा गया था. इसे विश्व के सैन्य इतिहास में सबसे बेहतरीन अंतिम मोर्चों में से एक माना जाता है.

  • इस युद्ध में ब्रिटिश सेना के इक्कीस सैनिकों ने 8,000 से अधिक अफरीदी और ओरकजई कबायली लड़ाकों का मुकबला किया था, और उन्होंने सात घंटों तक किले पर कब्ज़ा नहीं होने दिया.
  • हालांकि, गिनती में काफी कम होने के बाबजूद, 36वीं सिख प्लाटून के सैनिकों ने हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में अपनी अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी, जिसमें 200 कबायली मारे गए और 600 से अधिक बुरी तरह से घायल हुए थे.

सारागढ़ी का महत्त्व

सारागढ़ी का किला, ‘फोर्ट लॉकहार्ट’ और ‘फोर्ट गुलिस्तान’ के बीच स्थित संचार दुर्ग था.

  • ऊबड़ खाबड़ ‘उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत’ (NWFP) में स्थित इन दोनों किलों (जो अब पाकिस्तान में हैं) का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था, बाद में अंग्रेजों ने इनका नाम परिवर्तित कर दिया था.
  • इन दोनों महत्वपूर्ण किलों में, ‘उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत’ के बीहड़ इलाके में बड़ी संख्या में तैनात किए जाने वाले ब्रिटिश सैनिक रहते थे, सारागढ़ी का किला, इन दोनों किलों में संपर्क कायम रखने में सहायक था.

इस युद्ध की विरासत

तत्कालीन ब्रिटेन में मरणोपरांत वीरता पदक नहीं देने की परंपरा थी. इस परंपरा को तोड़ते हुए महारानी विक्टोरिया ने 36वीं सिख प्लाटून के 21 शहीद सैनिकों – गैर-सैनिक कार्य करने वाले शहीद को छोड़कर – के लिए प्रत्येक को 500 रुपये, दो ‘मरबा’ (50 एकड़) जमीन और ‘इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट’ (विक्टोरिया क्रॉस के समान पदक) से सम्मानित किया.

  • कुछ दिनों के बाद, अंग्रेजों ने किले पर फिर से अधिकार कर लिया और सारागढ़ी की जली हुई ईंटों से शहीदों के लिए एक स्मारक स्तंभ का निर्माण करवाया.
  • अंग्रेजों ने इन शहीदों के सम्मान में अमृतसर और फिरोजपुर में गुरुद्वारों की स्थापना की.

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