GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : Input Tax Credit (ITC)
संदर्भ
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा अप्रयुक्त ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ संबंधी एक निर्णय की पुष्टि की है. इस निर्णय में उच्च न्यायालय ने निवेशित सेवाओं की वजह से संचित होने वाले अप्रयुक्त ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ (Input Tax Credit – ITC) की वापसी को निष्पादित करने हेतु ‘केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर’ (CGST) नियमों में शामिल एक वित्तीय सूत्र को बरकरार रखा था.
पृष्ठभूमि:
मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पिछले साल दिए गए एक फैसले के अनुसार, केंद्रीय माल और सेवा कर (Central Goods and Service Tax – CGST) अधिनियम की धारा 54 (3), जिसके तहत ‘व्युत्क्रमित शुल्क-संरचना’ (Inverted Duty Structure) की वजह से कर-संचय होने पर ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ (ITC) की वापसी का प्रावधान है, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करती है. अधिनियम में कहा गया है, कि व्युत्क्रमित शुल्क-संरचना’ के तहत कर-वापसी केवल चुकाए गए टैक्स पर की जाएगी न कि निवेशित सेवाओं पर.
‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ (ITC) क्या होता है?
- यह किसी कारोबार द्वारा माल की ‘खरीद’ पर भुगतान किया जाने वाला ‘कर’ होता है, और माल की बिक्री करने पर ‘कर-देयता’ (Tax Liability) को कम करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है.
- सरल शब्दों में, इनपुट क्रेडिट का मतलब आउटपुट पर टैक्स देते समय इनपुट पर चुकाए गए टैक्स को घटाकर शेष राशि का भुगतान करना है.
अपवाद: ‘कंपोजिशन स्कीम’ के तहत कोई व्यवसाय इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा सकता है. ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ (ITC) का उपयोग व्यक्तिगत उपयोग के लिए अथवा छूट वाले सामानों के लिए नहीं किया जा सकता है.
इसके दुरुपयोग पर चिंता:
- केवल टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए नकली चालान बनाकर बेईमान व्यवसायों द्वारा प्रावधान के दुरुपयोग की संभावना हो सकती है.
- कुल जीएसटी देयता का 80% तक ITC द्वारा निपटान किया जा रहा है और केवल 20% नकद के रूप में जमा किया जा रहा है.
- वर्तमान व्यवस्था के तहत, इनपुट आपूर्तिकर्ताओं द्वारा पहले ही भुगतान किए गए करों और ITC दावों के उसी समय मिलान करने का कोई प्रावधान नहीं उपलब्ध नहीं है.
- वर्तमान में ITC दावे और आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भुगतान किए गए करों के साथ मिलान करने के समय में काफी अंतर रहता है. इसलिए फर्जी चालान के आधार पर आईटीसी का दावा किए जाने की संभावना अधिक रहती है.
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC)
- यह वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग का एक हिस्सा है.
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) को वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के बाद वर्ष 2018 में CBIC के रूप में नामित किया गया था.
- यह मुख्य तौर पर सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, केंद्रीय माल एवं सेवा कर तथा एकीकृत माल एवं सेवाकर के करारोपण एवं संग्रहण से संबंधित कार्य करता है.