Sansar Daily Current Affairs, 15 April 2020
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Who are Nihangs?
संदर्भ
हाल ही में पंजाब के पटियाला में निहंग सिखों द्वारा पुलिसकर्मियों पर हमले में सहायक उप-निरीक्षक (ASI) का हाथ कटने की घटना से देशभर में हड़कंप मच गया था.
निहंग सिख कौन हैं?
- परंपरागत हथियार रखने वाले सिखों को ही निहंग सिख माना जाता है.
- इतिहास की बात की जाए तो उन्हें सिखों की सैन्य क्षमताओं और लड़ाइयों में गौरवशाली स्थान दिया गया है. इतिहास में अपने युद्ध कलाओं की वजह से सिखों में निहंगों को बहुत सम्मान मिला है.
- निहंग सिख अपने साथ हथियार लेकर चलते हैं.
- विदित हो की निहंगों को उनके आक्रामक व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है.
निहंग शब्द कहाँ से आया?
- गुरु शबद रत्नाकर महान कोश के अनुसार, निहंग शब्द के अनेक अर्थ हैं, जैसे – तलवार, कलम, घोड़ा, मगरमच्छ या जो बिना किसी शंका के हो यानी निशंक. जिसका किसी से मोह न हो, निसंग. श्री गुरु ग्रन्थ साहिब और श्री दशम ग्रन्थ साहिब में इस शब्द का प्रयोग हुआ है. ज्ञातव्य है कि श्री दशम ग्रन्थ साहिब में गुरु गोबिंद सिंह के उपदेश हैं.
- शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अनुसार, निहंग शब्द फ़ारसी से आया है. जिसका अर्थ होता है मगरमच्छ. यह नाम मुगलों ने सिख लड़ाकों को दिया था क्योंकि जिस तरह जल में मगरमच्छ का कोई मुकाबला नहीं होता, वैसे ही लड़ाई के मैदान में निहंगों का सामना करना बहुत ही मुश्किल था.
निहंग सिखों का इतिहास
- सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिन्द सिंह ने सिख पंथ में सैन्य शिक्षा को प्रोत्साहन देते हुए अकालियों की सेना तैयार की. स्वयं गुरु हरगोबिन्द सिंह एक बहुत बड़े योद्धा थे. 52 लड़ाकों की सेना सदैव उनके साथ रहती थी. यह समय था वर्ष 1600 के आस-पास का. आज के समय में जो निहंग देखे जाते हैं, उनकी शुरुआत सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह के समय में हुई. इन्हीं के चार बेटे थे – अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह, और फ़तेह सिंह.
- ऐसा कहा जाता है कि एक दिन तीनों बड़े भाई युद्ध कला का अभ्यास कर रहे थे. तभी छोटे भाई फ़तेह सिंह उनके मध्य आ पहुंचे और कहा कि इस युद्ध कला में मुझे भी सम्मिलित कर लो. तीनों ने उनकी ओर देखा और कहा कि अभी इसका समय नहीं आया है. अभी तुम काफी छोटे हो. यह सुनकर फ़तेह सिंह उदास हो गये और दौड़ कर अंदर गए एवं नीले रंग का चोला पहन लिया. उन्होंने एक हाथ ऊंचा दुमाला (दस गज या उससे ज़्यादा लंबे कपड़े की पग) अपने सर पर बांधा. उस पर चक्कर लगाया (ये गोल चक्र होता है जो निहंग सिख दुमाले पर पहनते हैं). किरपाण उठाई और एक हाथ में भाला पकड़ लिया. और फिर वह अपने भाइयों के पास पहुंच गए और कहा कि अब मैं छोटा नहीं रहा.
- यह देख कर गुरु गोबिंद सिंह को अपने छोटे बेटे के लिए प्रेम उमड़ पड़ा. ऐसा कहा जाता है कि निहंगों का आज के समय का जो पहनावा है, वह यहीं से शुरू हुआ. इसे लेकर दूसरी कहानियां भी चलती हैं, लोककथाओं के रूप में, लेकिन सार लगभग सबका यही है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Governor right in ordering floor test: Supreme Court
संदर्भ
मध्यप्रदेश में पिछले महीने कमलनाथ सरकार गिरने और राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट का आदेश देने पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की.
न्यायालय द्वारा किए गए अवलोकन
- राज्यपाल के पास सरकार को विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश देने की शक्ति है. जब सरकार ने बहुमत खो दिया तो यह बहुत जरूरी है.
- सरकार गठन के बाद भी बीच में राज्यपाल परिस्थितियों को देखते हुए विश्वास मत हासिल करने का आदेश दे सकते हैं इस संबंध में कोई रोक नहीं है.
- एकराज्यपाल के लिए कोई बाधा नहीं है कि वह मुख्यमंत्री से फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कहे, अगर वह प्रथम दृष्टया विचार करता है कि सरकार बहुमत खो चुकी है.
- राज्यपालविधानसभा का सत्र बुला सकते हैं लेकिन रनिंग हाउस में फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश नहीं दे सकते.
- राज्यपाल को बहुमत साबित करने का आदेश देने की शक्तियों का बहुत सावधानी के साथ इस्तेमाल करना चाहिए. इस संबंध में राज्यपाल को कोई छूट प्राप्त नहीं है. राज्यपाल के इस आदेश की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है.
- ऐसा करते समय राज्यपाल को ध्यान रखना चाहिए कि इससे चुनी हुई सरकार अस्थिर न हो बल्कि राज्यपाल तभी ऐसे मामले में दखल तभी दे जब उनको लगे कि सरकार ने बहुमत खो दिया है. राज्यपाल को यह शक्ति इस सिद्धांत को बनाए रखने के लिए प्रदान की गई है कि सरकार को हर वक्त सदन का विश्वास प्राप्त है.
- न्यायालय यह जांच सकता है कि राज्यपाल का आदेश प्रदत्त शक्तियों का मनमाना इस्तेमाल तो नहीं था.
मामला क्या है?
प्रदेश में सियासी उठापटक की शुरुआत 9 मार्च को हुई थी जब कुछ कांग्रेस और निर्दलीय विधायक गुड़गांव के एक रिसॉर्ट में जाकर ठहर गए थे. तब कांग्रेस ने सरकार गिराने के लिए भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया. इसके पश्चात् ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के साथ जुड़ गये. उनके खेमे के लगभग 22 विधायक कमलनाथ सरकार के रवैये से नाराज होकर बेंगलुरु चले गए. उन्होंने अपने इस्तीफे राज्यपाल और स्पीकर को भेज दिए थे. इसी बीच कमलनाथ ने बागी हुए प्रदेश के 6 मंत्रियों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश राज्यपाल से की थी.
सामान्य फ्लोर टेस्ट क्या होता है?
- सामान्य फ्लोर टेस्ट अर्थात् विश्वासमत एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे पता लगाया जाता है कि मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले व्यक्ति या उसकी पार्टी के पास पद पर बने रहने हेतु पर्याप्त बहुमत है या नहीं. उस व्यक्ति या दल को सदन में बहुमत साबित करना पड़ता है.
- अगर राज्य में सरकार की बात है तो विधानसभा और यदि केंद्र का मुद्दा है तो लोकसभा में बहुमत साबित करना होता है. फ्लोर टेस्ट में विधायकों या सांसदों को सदन में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होता है और सबके समक्ष अपना वोट देना होता है. विपक्ष सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाती है. इसके पश्चात् फ्लोर टेस्ट किया जाता है.
- अगर मुख्यमंत्री सदन में अपना बहुमत साबित करने में असफल हो जाता है तो सरकार गिर जाती है. विश्वासमत मिलने की स्थिति में सरकार बनी रहती है.
- कई बार सरकारें जब यह देखती हैं कि उनके पास पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं हैं, तो विश्वास मत से पूर्व ही इस्तीफा हो जाता है, जैसा कि कर्नाटक के मामले में हुआ था. बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था.
- फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल का किसी भी तरह से कोई हस्तक्षेप नहीं होता. फ्लोर टेस्ट स्पीकर के सामने होता है.
- फ्लोर टेस्ट का निर्णय स्पीकर करता है. अगर स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ है तो पहले प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त किया जाता है. प्रोटेम स्पीकर अस्थायी स्पीकर होता है. किसी भी नई विधानसभा या लोकसभा के चुने जाने पर प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है. यह जिम्मा ज्यादातर सदन के सबसे अनुभवी सदस्य को दिया जाता है. उसका कार्य सदन के सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर का चुनाव कराना होता है. स्पीकर के चुनाव के पश्चात् फ़्लोर टेस्ट की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है और बहुमत साबित करना होता है.
- फ्लोर टेस्ट ध्वनिमत, EVM द्वारा या बैलट बॉक्स किसी भी तरह से किया जा सकता है. परन्तु इसमें स्पष्ट होना चाहिए कि बहुमत किस तरफ है. ऐसे में ध्वनिमत अर्थात् जोर से बोलकर पक्ष या विपक्ष में होने का ऐलान करना. परन्तु ध्वनिमत से फ्लोर टेस्ट में गड़बड़ी की शिकायतें होती हैं. ऐसे में पक्ष या विपक्ष के सदस्यों की संख्या जानने के लिए संख्या गिनी जाती है.
- इस प्रक्रिया के दौरान विधायक दो हिस्सों में विभक्त हो जाते हैं – एक ओर पक्ष वाले और दूसरी तरफ विपक्ष वाले. इसके अतिरिकित लॉबी विभाजन के माध्यम से भी फ्लोर टेस्ट होता है. इसमें विधायक एक-एक करके सदन की लॉबी में आते हैं और एक रजिस्टर में वे हस्ताक्षर करते हैं. रजिस्टर में दो सेक्शन बने होते हैं. एक ओर पक्ष और दूसरी तरफ विपक्ष का सेक्शन होता है. जिस तरफ अधिक वोट होंगे वह सरकार का गठन कर सकती है.
कंपोजिट फ्लोर टेस्ट
- जब एक से अधिक नेता सरकार बनाने का दावा करते हैं तो इस स्थिति में कंपोजिट फ्लोर का प्रावधान किया जाता है. इसके लिए राज्यपाल विशेष सत्र बुलाते हैं और फिर यह देखा जाता है कि किस नेता के पास बहुमत है. इसके पश्चात् सदन में विधायक खड़े होकर या फिर हाथ उठाकर, ध्वनिमत से या डिविजन के माध्यम से वोट देते हैं.
- उत्तर प्रदेश में जगदम्बिका पाल और कल्याण सिंह दोनों ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था. इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी असेंबली में कंपोजिट फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था. इसके अंतर्गत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया और बहुमत परीक्षण किया गया. इस कंपोजिट फ्लोर टेस्ट में कल्याण सिंह विजेता हुए थे. उन्हें 225 वोट मिले थे जबकि जगदम्बिका पाल को मात्र 196 वोट मिले थे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : Measles
संदर्भ
दुनियाभर में फैल रहे कोरोना वायरस के कारण करीब 17 करोड़ से अधिक बच्चों को नहीं खसरे (measles) का टीका नहीं लग पाएगा. संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा कि कोरोनोवायरस महामारी का कहर गहराता जा रहा है, ऐसे में 37 देशों में 11 करोड़ 70 लाख से अधिक बच्चों को लाइव-सेविंग खसरा का टीका लगने की उम्मीद नहीं है.
मामला क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र के बच्चों के फंड यूनिसेफ ने कहा कि 24 देशों में खसरा टीकाकरण अभियान पहले ही विलंबित हो गया है और इसे स्थगित कर दिया जाएगा. खसरा और रूबेला पहल (एम एंड आरआई) ने एक बयान में कहा कि 37 देशों में 117 मिलियन से अधिक बच्चे, जिनमें से कई खसरे के प्रकोप वाले क्षेत्रों में रहते हैं, अनुसूचित टीकाकरण गतिविधियों के निलंबन से प्रभावित हो सकते है.
खसरा और रूबेला को ख़त्म करना आवश्यक क्यों?
इन रोगों से दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया क्षेत्रों में प्रतिवर्ष खसरा से 5 लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है. रूबेला से भी 55 हजार बच्चे प्राण गँवाते हैं. अतः गर्भवती स्त्रियों और शिशुओं के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए इन दोनों रोगों से मुक्ति प्राप्त करना आवश्यक है.
खसरा से सम्बंधित तथ्य
- यह एक अतिशय संक्रामक वायरल रोग है जो नाक, मुँह या गले के जलकणों से फैलता है. इसमें संक्रमण के 10-12 दिनों के बाद बच्चे को तेज बुखार और नजला हो जाता है तथा उसकी आँखें लाल हो जाती हैं और मुँह के अन्दर उजले छाले पड़ जाते हैं. कुछ दिनों के पश्चात् चेहरे से आरम्भ होकर गर्दन से होते हुए चक्कते नीचे की ओर फैलते चले जाते हैं.
- भीषण खसरा बहुधा उन बच्चों को होता है जो कुपोषित हैं और जिनमें विटामिन A की कमी है और जिनकी प्रतिरोध क्षमता HIV-Aids जैसे रोगों के कारण दुर्बल हो गयी हो.
- विकट हो जाने के बाद खसरे से कई जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे – अन्धता, कपाल ज्वर, भीषण अतिसार, शरीर में पानी का अभाव, निमोनिया जैसे भयंकर स्वास संक्रमण आदि.
- इससे बचाव के लिए बच्चों को समय-समय पर टीका देना आवश्यक हो जाता है.
रूबेला से सम्बंधित तथ्य
- सामान्यतः यह एक हल्का-फुल्का संक्रमण होता है, परन्तु यदि यह रोग किसी गर्भवती स्त्री को हो जाए तो बच्चे में जन्मजात रूबेला के लक्षण (congenital rubella syndrome – CRS) उत्पन्न हो जाते हैं.
- इससे भ्रूण में दोष आ जाते हैं और नवजात शिशु को मोतियाबिंद और ग्लूकोमा हो सकता है. वह बहरा और मंदबुद्धि भी हो सकता है. रूबेला से जन्मजात बच्चे के हृदय में भी गड़बड़ी हो सकती है.
वैश्विक टीकारण कार्य योजना (Global Vaccine Action Plan)
इस कार्ययोजना के तहत WHO के पाँच क्षेत्रों में 2020 तक खसरा और रूबेला के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए अपेक्षित टीकाकरण और सर्वेक्षण कार्यों में सभी देशों सहयोग करने के लिए WHO को अग्रणी तकनीकी एजेंसी बनाया गया है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : ASEAN
संदर्भ
आसियान अर्थात् दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ का ऑनलाइन शिखर सम्मेलन पिछले दिनों सम्पन्न हुआ. इस सम्मेलन में COVID-19 से होने वाले आर्थिक बोझ के विषय में चेतावनी दी गई तथा आजीविका और खाद्य आपूर्ति की रक्षा के लिए व्यापारिक मार्गों को फिर से खोलने का आह्वान किया गया. साथ ही इस बात पर बल दिया गया की चिकित्सा उपकरणों का भंडार तैयार रखा जाए.
आसियान क्या है?
- ASEAN का full-form है – Association of Southeast Asian Nations.
- ASEAN का headquarters जकार्ता, Indonesia में है.
- इसकी स्थापना 8 अगस्त, 1967 को थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में हुई थी.
- इसका Motto है – “One Vision, One Identity, One Community” अर्थात् एक सोच, एक पहचान, एक समुदाय.
- आसियान में 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम) हैं और 2 पर्यवेक्षक देश हैं (Papua New Guinea और East Timor).
- ASEAN देशों की साझी आबादी 64 करोड़ से अधिक है जो कि यूरोपियन यूनियन से भी ज्यादा है.
- अगर ASEAN को एक देश मान लें तो यह दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
- इसकी GDP 28 हजार करोड़ डॉलर से अधिक है.
- सदस्य देशों के अंग्रेजी नामों के वर्णानुक्रम के आधार पर, आसियान की अध्यक्षता प्रतिवर्ष परिवर्तित होती है.
- आसियान में महासचिव का पद सबसे बड़ा है.पारित प्रस्तावों को लागू करने का काम महासचिव ही करता है. इसका कार्यकाल 5 साल का होता है.
- क्षेत्रीय सम्बन्ध को मजबूत बनाने के लिए 1997 में ASEAN +3 का गठन किया गया था जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया और चीन को शामिल किया गया.
- बाद में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड को भी इसमें शामिल किया गया. फिर इसका नाम बदलकर ASEAN +6 कर दिया गया.
- 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आसियान को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया.
- आसियान की बढ़ती महत्ता को देखते हुए अब कई देश इसके साथ करार करना चाहते हैं.
आसियान के चार्टर के अनुसार, इसके शिखर सम्मेलन को संबल प्रदान करने के लिए चार महत्त्वपूर्ण मंत्रिस्तरीय निकाय होते हैं –
- आसियान राजनीतिक-सुरक्षा समुदाय परिषद् (ASEAN Political-Security Community Council)
- आसियान आर्थिक समुदाय परिषद् (ASEAN Economic Community Council)
- आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय परिषद् (ASEAN Socio-Cultural Community Council)
- आसियान समन्वय परिषद् (ASEAN Coordinating Council – ACC)
भारत-आसियान संबंधों का इतिहास एवं क्रमिक विकास
भारत ने वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की नीति का पालन किया एवं वह दक्षिण-पूर्व एशिया सहित अपने क्षेत्र में उपनिवेशवाद की समाप्ति का चैंपियन बन गया. परन्तु, 1970 के दशक के दौरान सोवियत संघ के प्रति भारत का झुकाव अनुभव किया गया जिसके चलते दक्षिण-पूर्व एशिया भारत से दूर होता गया क्योंकि सोवियत संघ एवं दक्षिण-पूर्व एशिया दोनों भिन्न -भिन्न प्रकार की आर्थिक एवं राजनीतिक विचारधाराओं का पालन कर रहे थे.
- भारत ने अपनी नीतियों में शीत युद्ध युग से बड़ा बदलाव करते हुए, 1991 में आर्थिक उदारीकरण के ठीक बाद ही, चीन जैसे पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ाने के लिए लुक ईस्ट नीति (LEP) को अपनाया. पिछले वर्षों में इस नीति द्वारा इस क्षेत्र में रणनीतिक और सुरक्षा पहलुओं पर घनिष्ठ संबंधों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है.
- आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौता (AIFTA), आसियान के साथ भारत की संलग्नता के प्रमुख परिणामों में से एक रहा है. इसे गहन आर्थिक एकीकरण की ओर आवश्यक चरण के रूप में देखा गया था. इसके प्रारंभिक ढांचे पर बाली, इंडोनेशिया में 8 अक्टूबर 2003 को हस्ताक्षर किए गए थे एवं 1 जनवरी 2010 से प्रवर्तित होने वाले अंतिम समझौते पर 13 अगस्त 2009 को हस्ताक्षर किए गए थे. मुक्त व्यापार समझौते (FTA) ने भारत और आसियान देशों के बीच व्यापार शुल्क बाधाओं को कम कर दिया एवं सेवाओं के व्यापार एवं निवेश को सुगम बनाने के लिए विशेष प्रावधानों को सम्मिलित किया.
- भारत को आसियान क्षेत्रीय मंच में अपनी सदस्यता के वाद 1995 में पूर्ण आसियान वार्ता साझेदार की प्रस्थिति प्रदान की गयी थी. भारत-आमियान संबंधों ने शीघ्र ही राजनीतिक और साथ ही सुरक्षा क्षेत्रों में अपना सहयोग विस्तारित किया. भारत 2005 में पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन (ईस्ट एशिया समिट: EAS) में भी सम्मिलित हो गया.
- आसियान 2012 से भारत का रणनीतिक साझेदार रहा है. भारत और आसियान के बीच 30 वार्ता तंत्र हैं जो नियमित रूप से बैठक करते हैं.
- नवम्बर 2014 में म्यांमार में आयोजित 12वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन एवं 9वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में ‘Act East Policy’ (AEP) की स्थापना के बाद आसियान एवं वृहत्तर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ भारत की संलग्नता ने और अधिक गति प्राप्त कर ली है.
- AEP के अंतर्गत भारत से न केवल क्षेत्र के साथ अपनी आर्थिक संलग्नता को सुदृढ़ करने की अपेक्षा है बल्कि यह संभावित सुरक्षा सम्तुलनकर्ता के रूप में उभरने के लिए भी उत्सुक है.
भारत के लिए आसियान का महत्त्व
आर्थिक रूप से:
भारत, आसियान का एक रणनीतिक साझेदार है. 1.8 बिलियन की कुल जनसंख्या एवं 3.8 ट्रिलियन डॉलर के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ आसियान और भारत दोनों मिलकर विश्व का एक महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्र निर्मित करते हैं.
भूराजनैतिक रूप से:
- भारत, भूराजनैतिक रूप से एवं साथ ही साथ आसियान एवं अन्य क्षेत्रीय देशों के साथ अपनी नवीन मित्रता से लाभान्वित होने की अपेक्षा करता है.
- भारत ने क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने की अपनी क्षमता प्रदर्शित करने का प्रयास किया है. दक्षिण चीन सागर में नौसंचालन की स्वतंत्रता बनाए रखने के महत्व का उल्लेख कर भारत ने चीन को एक दृढ़ संकेत दिया है.
समुद्री (maritime) महत्व:
- समुद्र के माध्यम से होने वाले अपने व्यापार को निर्वाध जारी रखने के लिए दक्षिण चीन सागर में नौसंचालन की स्वतंत्रता भारत के लिए आवश्यक है.
- समुद्री मार्ग “विश्व व्यापार की जीवन रेखायें” हैं. भारत नौसंचालन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है, जो समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) पर आधारित हो.
- नौसंचालन की स्वतंत्रता, नशीले पदार्थों की तस्करी एवं साइबर अपराध इत्यादि के क्षेत्र में सहयोग को विस्तार देने के लिए आसियान महत्वपूर्ण है.
सुरक्षा से जुड़े पहुलू:
भारत और आसियान विविध क्षेत्रों जैसे आतंकवाद, मानव और नशीले पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध एवं मलक्का जलडमरूमध्य में समुद्री डकैती इत्यादि जैसे गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरे पर संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं.
कनेक्टिविटी से जुड़े पहलू:
- भारत कनेक्टिविटी, भारत के लिए रणनीतिक प्राथमिकता का विषय है. यही स्थिति आसियान देशों के लिए भी है.
- भारत ने भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कालादान मल्टी मोडल परियोजना को लागू करने में काफी प्रगति की है. दूसरी तरफ, भारत और ASEAN के बीच समुद्री व हवाई संपर्क बढ़ाने तथा संपर्क गश्तियारों को आर्थिक गलियारों में बदलने से संबंधित मुद्दों पर बातचीत चल रही है.
- असीमित आर्थिक अवसर प्रदान करने वाले क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर स्थित भारत के अत्यधिक अविकमित पूर्वोत्तर राज्य, आर्थिक बदलाव के साक्षी बनेंगे.
ऊर्जा सुरक्षा:
- विशेष रूप से म्यांमार, वियतनाम और मलेशिया जैसे आसियान देश भारत की ऊर्जा सुरक्षा में संभावित रूप से योगदान कर सकते हैं.
- दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार विद्यमान हैं.
Prelims Vishesh
Gamosa :-
- COVID-19 वैश्विक महामारी के कारण गमोसा अर्थात् गमछा चर्चा का विषय बन गया है.
- ज्ञातव्य है कि गमोसा असम में प्रयोग होने वाला एक आयताकार गमछा है जिसमें तीन ओर लाल पट्टियाँ होती हैं और चौथी ओर लाल रंग की आकृतियाँ बुनी हुई होती हैं.
- असम में दो प्रकार के गमोसा होते हैं – उका, जो सादा होता है और पसीना पोछने या नहाकर शरीर पोछने के काम में आता है. दूसरे प्रकार गमोसा फूलम कहलाता है जिसमें फूल की आकृतियाँ बनी होती हैं. बिहू जैसे त्यौहारों में लोग एक-दूसरे के सम्मान में फूलम गमोसा भेंट किया करते हैं.
Operation Shield to fight Covid-19 :-
- ऑपरेशन शील्ड दिल्ली सरकार की एक योजना है जिसमें कोविड-19 से लड़ने के उपाय लागू होंगे.
- शील्ड का पूरा नाम है – Sealing, Home quarantine, Isolation and tracing, Essential supply, Local sanitation and Door-to-door checks.
- यह ऑपरेशन दिल्ली की 21 बस्तियों चलाया जा रहा है जिनका चयन रोकथाम क्षेत्रों के रूप में किया गया है.
Neighbouring rights law :–
- फ़्रांस के प्रतिस्पर्धा नियामक ने पिछले दिनों कहा कि यदि गूगल मीडिया समूहों की विषयवस्तु दिखाता है तो उसको उन समूहों को वह पैसा अवश्य भुगतान करे.
- उन समूहों के लेखों, चित्रों और विडियो तभी दिखाए जाएँ जब मीडिया समूह इसके लिए अनुमति दें. यदि वे अनुमति नहीं देते हैं तो खाली शीर्षक और मात्र लिंक ही दिखाए जाएँ.
- फ़्रांस के प्रतिस्पर्धा नियामक का यह निर्णय यूरोप के नए डिजिटल स्वत्वाधिकार कानून (Europe’s new digital copyright law) के सन्दर्भ में दिया गया है.
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