Sansar Daily Current Affairs, 15 August 2019
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Operation Number Plate
संदर्भ
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने पिछले दिनों भारतीय रेलवे के लिए एक अभियान आरम्भ किया है जिसका नाम “ऑपरेशन नंबर प्लेट” है.
ऑपरेशन नंबर प्लेट अभियान क्या है?
इस अभियान के अंतर्गत रेलवे परिसरों में पार्क की गई गाड़ियों का सत्यापन किया जाएगा और साथ ही इसका हिसाब लगाया जाएगा कि रेलवे परिसरों में गाड़ी घुमाने की जगह कितनी है और पार्किंग का क्षेत्रफल क्या है.
इस अभियान में यह भी पता लगाया जाएगा कि “No Parking” क्षेत्रों में लम्बे समय से पार्क की गई गाड़ियों की संख्या क्या है.
अभियान आवश्यक क्यों?
रेलवे परिसर में अनजान गाड़ियों की पार्किंग सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है. साथ ही यह यात्रियों तथा रेलवे के अन्य हितधारकों के लिए भी निरापद नहीं है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Food processing and related industries in India- scope and significance, location, upstream and downstream requirements, supply chain management.
Topic : Certification of seeds to be made mandatory
संदर्भ
भारत सरकार की योजना है कि बीज अधिनियम, 1966 में सुधार कर पूरे देश में बीजों का समरूप अभिप्रमाणन अनिवार्य कर दिया जाए.
अनिवार्य अभिप्रमाणन आवश्यक क्यों?
भारत में बिकने वाले आधे से अधिक बीज किसी सही परीक्षण एजेंसी के द्वारा अभिप्रमाणित नहीं होते हैं और बहुधा इनकी गुणवत्ता ठीक नहीं होती है. इसलिए अभिप्रमाणन को अनिवार्य बनाना उचित जान पड़ता है. इसके अतिरिक्त बीज अधिनियम भी आधी शताब्दी से अधिक पुराना हो चुका है इसलिए इसमें कुछ संशोधन अपेक्षित होंगे.
मुख्य प्रस्तावित परिवर्तन
मूल अधिनियम इन शब्दों से आरम्भ होता है : यह अधिनियम बेचे जाने वाले कुछ बीजों की गुणवत्ता को विनियमित करने के लिए पारित हुआ है.
प्रस्तावित संशोधन के अनुसार इस वाक्य में से “कुछ” शब्द को हटा दिया जाएगा और उसके बदले ये शब्द डाले जाएँगे – “देश में बिकने वाले सभी बीजों के साथ-साथ सभी निर्यात किए जाने वाले और आयात किये जाने वाले बीजों की गुणवत्ता का विनियमन किया जाएगा.”
संशोधित अधिनियम में निर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर दिए जाने वाले दंड को बढ़ाया जा रहा है. विदित हो कि इसके लिए मूल अधिनियम में 500 रु. से लेकर 5,000 रु. तक के अर्थदंड का प्रावधान है.
संशोधनों का महत्त्व
आशा की जाती है कि सभी बीजों को विनियमन के अधीन लाने से देश की समग्र कृषिगत उत्पादकता 25% तक बढ़ सकती है. नए कानून का उद्देश्य मुख्य रूप से बीजों की गुणवत्ता के अभिप्रमाणन में समरूपता लाना है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Awareness in technology and development of new technology.
Topic : Iron ion battery
संदर्भ
IIT मद्रास ने पिछले दिनों घोषणा की कि उसके वैज्ञानिकों ने दोबारा चार्ज होने योग्य एक लौह आयन बैटरी का निर्माण कर लिया है और इसका सफलतापूर्वक परीक्षण भी हो चुका है.
लौह-आयन बैटरी के बारे में मुख्य तथ्य
- वैज्ञानिकों ने जिस फिर से चार्ज होने योग्य लौह-आयन बैटरी बनाई है उसमें एनोड के रूप में हल्के स्टील का प्रयोग हुआ है.
- लौह आयन बैटरी लागत की दृष्टि से किफायती होती है और इसमें जमा होने वाली ऊर्जा की मात्रा भी बहुत अधिक होती है.
- जहाँ किसी लिथियम आयन बैटरी में चार्ज के वाहन लिथियम आयन होते हैं, वहीं लौह-आयन बैटरी यह काम Fe2+ आयन करते हैं.
- नियंत्रित दशाओं में बनाने पर किसी लौह आयन बैटरी से निकाली जाने वाली ऊर्जा की मात्रा प्रति किलो 220 Wh होती है. यह मात्रा लिथियम आयन बैटरी की क्षमता का 55-60% है.
- किसी लौह आयन बैटरी में केथोड (cathode) के रूप में वेनैडियम पेंटोऑक्साइड (vanadium pentoxide) का प्रयोग होता है क्योंकि वेनैडियम पेंटोऑक्साइड में एक ऐसी परतदार संरचना होती है जिसके अन्दर परतों के बीच ढेर सारी जगह होती है. परतों के बीच इन जगहों के कारण लौह आयन सरलतापूर्वक इधर-उधर गतिशील रहते हैं और केथोड की अंदरूनी परतों को बांधे रखते हैं. ये आसानी से अलग भी हो जाते हैं और फिर से एनोड में पहुँच जाते हैं.
लिथियम की तुलना में लोहा कितना लाभदायक होगा?
- लिथियम के समान ही लोहे में भी उपयोगी भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म होते हैं.
- लौह आयन में लिथियम आयन की तुलना में रिडॉक्स (redox) की क्षमता अधिक होती है.
- लौह आयन की त्रिज्या लगभग लिथियम आयन जितनी होती है परन्तु चार्जिंग प्रक्रिया के समय लोहा अधिक स्थिर रहता है और इसलिए बैटरी को शोर्ट-सर्किट से बचाता है. इस कारण लौह आयन वाली बैटरी अधिक निरापद होती है.
- लिथियम आयन वाली बैटरी की तुलना में लौह आयन बैटरी की लागत कम बैठेगी.
GS Paper 3 Source: PIB
UPSC Syllabus : Conservation and pollution related issues.
Topic : Stubble burning
संदर्भ
“पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश राज्यों और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पराली को खेत में ही निपटने के लिए कृषि में मशीनीकरण को प्रोत्साहन” नामक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के अंतर्गत किये गये विविध प्रयासों के फलस्वरूप धान की पराली जलाने की घटनाओं में 2018 में वर्ष 2016 और 2017 की तुलना में क्रमशः 41% और 15% की कमी आई है. यह डाटा संचार उपग्रहों के माध्यम से प्राप्त हुआ है.
इस डाटा से यह भी पता चला कि पंजाब और हरियाणा के 4,500 से अधिक गाँवों में 2018 में पराली जलाने की एक भी घटना नहीं घटी.
पराली जलाना क्या होता है?
नवम्बर महीने में धान की फसल कट जाने पर उसी खेत में गेहूँ बोने की जल्दबाजी होती है जिस कारण किसान फसल कटाई से बची हुई पराली को जलाकर गेहूँ की तैयारी झट-पट करने लगते हैं. ऐसा करने से न केवल वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का ही, अपितु पार्टिकुलेट पदार्थ का भी उत्सर्जन होता है.
किसान पराली जलाना क्यों चाहते हैं?
- किसान पराली जलने से होने वाले स्वास्थ्य के खतरे को समझते हैं, परन्तु उनके पास खेत को दुबारा झट-पट खेती के योग्य बनाने का और कोई दूसरा उपाय नहीं होता.
- फसल कटाई से बची हुई पराली के निस्तारण के लिए नई तकनीक उपलब्ध है, परन्तु उनके लिए ये तकनीक सुलभ नहीं होती.
- विशेषज्ञों का कहना है कि नई तकनीक के खर्चीले होने के कारण किसान पराली को जला देने में ही अपनी भलाई समझते हैं.
- ऐसा नहीं है कि पराली जलाने से क्षति ही क्षति होती है. इसके कुछ लाभ भी हैं, जैसे –
- इससे खेत झट-पट तैयार हो जाता है.
- यह सबसे सस्ता उपाय है.
- यह खरपतवार को समाप्त कर देता है. इन खरपतवारों में कुछ ऐसे भी होते हैं जिनको कीटनाशक दवाओं से मारना कठिन होता है.
- यह कीड़े-मकौडों को मार देता है.
- इससे नाइट्रोजन टाई-अप में कमी आती है.
पराली जलाने से बचने के वैकल्पिक उपाय
- धान के डंठलों से बिजली बनाई जा सकती है. ऐसा करने से किसान पराली को नहीं जलाएंगे और उन्हें रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.
- पराली को मिट्टी में ही दबा देने से मिट्टी की नमी में सुधार आएगा और इसके भीतर मृदा सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ेगी जो अंततः पौधों के बेहतर विकास में काम आएगी.
- पराली को कम्पोस्ट करके जैव-खाद में बदला जा सकता है.
- पराली से खमीर प्रोटीन भी निकल सकता है जिसका उद्योगों में उपयोग हो सकता है.
Prelims Vishesh
Commandos For Railway Security :–
- रेलवे की सुरक्षा के समक्ष उभरती हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय रेलवे ने रेलवे सुरक्षा कमांडो का गठन किया है.
- इसमें RPF/RPSF के 30 से 35 वर्ष की औसत उम्र वाले युवा और उत्साही जवानों को लिया जाएगा.
- इन कमांडो को रेलवे के क्षेत्रों में वामपंथी अतिवाद/विद्रोह/आतंक के विरुद्ध तैनात किया जाएगा.
What is a notifiable disease?
- जिन रोगों के बारे में सरकारी अधिकारियों के द्वारा कानूनन रिपोर्ट किया जाना अनिवार्य होता है उन्हें अधिसूचनीय रोग (notifiable disease) कहा जाता है.
- इस प्रकार की अधिसूचना का विधान विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमावली, 1969 के अनुरूप किया गया है और इसका उद्देश्य सम्भावित महामारी आदि पर समय से पहले लगाम लगाना है.
- अधिसूचनीय रोग के विषय में अधिसूचना निर्गत करने का दायित्व राज्य सरकारों को दिया गया है. यदि सम्बंधित अधिकारी इस प्रकार की अधिसूचना नहीं देते हैं तो इसे एक आपराधिक कृत्य मानते हुए राज्य सरकार अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई कर सकती है.
- ऐसे कुछ रोग हैं – हैजा, डिप्थीरिया, कपाल ज्वर, कुष्ठ रोग, मेनिनजाइटिस (गर्दन तोड़), पर्टुसिस (कुकुर खांसी), प्लेग, तपेदिक, एड्स, हेपेटाइटिस, खसरा, पीला बुखार, मलेरिया डेंगी आदि.
New species of marmoset discovered in the Amazon :-
- ब्राजील के अमेज़न क्षेत्र में शोधकर्ताओं ने मार्मोसेट वानरों की एक नई प्रजाति का पता लगाया है जिसको Mico munduruku नाम दिया गया है.
- यह नाम munduruku नाम के अमेरिकी इंडियनों के नाम पर रखा गया है जो उस क्षेत्र में रहते हैं.
- खोजे गये मार्मोसेट की पूँछ काली न होकर सफ़ेद होती है और इसके पैर एवं हथेलियाँ और हाथ सफ़ेद होते हैं. साथ ही इनके केहुनी में पीले धब्बे होते हैं.
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