Sansar Daily Current Affairs, 15 January 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Role of women and women’s organizations, Population and associated issues, Poverty and developmental issues, Urbanization, their problems and their remedies. Issues related to health.
Topic : SC to hear plea against compulsory nature of confessions to priests
संदर्भ
गत दिनों राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने चर्च यानी गिरिजाघरों में ‘कन्फेशन’ की परंपरा को ख़त्म करने की अनुशंसा की है, जिसके बाद विवाद प्रारम्भ हो गया.
गिरिजाघरों में पादरी के समक्ष गलतियों को स्वीकार करने की परंपरा को ‘कन्फेशन’ कहा जाता है.
पृष्ठभूमि
केरल के मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के चार पादरियों के विरुद्ध अपने गिरिजाघर की एक विवाहित महिला का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है. केरल में पांच महिलाओं ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि, यह प्रथा इनके लिए संविधान के अनुच्छेद 25 के अंतर्गत धर्म की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है. चर्च की सदस्य याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है, कि इस प्रथा के कारण महिलाओं के यौन शोषण तथा पुरुष और महिला अनुयायियों की ब्लैकमेलिंग सहित कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं.
प्रचलित प्रथा
- इस धार्मिक प्रथा के अनुसार, चर्च के सदस्य को पुजारी के समक्ष ‘सेक्रामेंटल कन्फेशन’ से गुजरना पड़ता है. यह प्रथा, कहा जाता है कि पाप से मुक्ति के लिए आवश्यक है और ईसाई होने की सांसारिक और आध्यात्मिक आवश्यकता को पूरा करने की शर्त हैं. यदि कोई व्यक्ति इस प्रक्रिया से नहीं गुजरता है, तो चर्च की सेवाओं से वंचित कर दिया जाएगा.
- यदि किसी व्यक्ति ने कन्फेशन नहीं किया है, तो उस व्यक्ति का नाम हलके के रजिस्टर से हटा दिया जाएगा और उसे चर्च की सभी गतिविधियों से रोक दिया जाता है.
- यदि संबंधित व्यक्ति शादी करना चाहता है, तो उसे पहले अनिवार्य कन्फेशन करना होगा, ऐसा करने में विफल रहने पर उसे चर्च के सदस्य के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है.
इस प्रकार के मामले में उच्चतम न्यायलय के पूर्व निर्णय
इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मलंकारा आर्थोडाक्स सीरियन चर्च के वर्ष 1934 के संविधान की वैधता को बरकरार रखा था. इसमें चर्च के तहत आने वाले क्षेत्रों के नियंत्रण संबंधी नियमों का निर्धारण किया गया था.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Part of static series under the heading – “Right to Life and its interpretations”
Topic : Supreme Court took up the task of improving polluted rivers, Notice to five states
संदर्भ
यमुना में अमोनिया के खतरनाक स्तर पर दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी नदियों के प्रदूषण दूर करने का निर्णय लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 की और उदारपूर्ण व्याख्या करते हुए इसमें प्रदूषण मुक्त जल को भी शामिल किया है.
पृष्ठभूमि
दिल्ली जल बोर्ड बार-बार यह शिकायत करा रहा था कि हरियाणा से यमुना नदी में खतरनाक प्रदूषित तत्वों वाला जल छोड़ा जा रहा है. इससे यमुना नदी के जल में अमोनिया की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है और जब इसमें क्लोरीन का मिश्रण किया जाता है तो कार्सिनोजेनिक बन जाता है, जो कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ उत्पन्न कर सकता है.
अनुच्छेद 21
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त ‘जीवन जीने के अधिकार’ में स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार भी शामिल है. इसके अतिरिक्त, इस अनुच्छेद में गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार शामिल है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि “किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है”.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board)
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत सितंबर 1974 को किया गया.
- इसके पश्चात् केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गए.
- यह बोर्ड पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है.
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कार्यों को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत वर्णित किया गया है.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Schemes for the vulnerable sections of the society.
Topic : Rs 1,364 crore went to 20.48 lakh ineligible beneficiaries under PM-Kisan till July, shows RTI reply
संदर्भ
एक RTI अनुरोध के उत्तर में कृषि मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, प्रधान मंत्री किसान सम्मान योजना (पीएम-किसान) के तहत अनुचित तरीके से 20 लाख से अधिक अपात्र लाभार्थियों को 1,364 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.
पीएम-किसान योजना
- इस योजना के तहतदो हेक्टेयर तक के मिश्रित जोतों/स्वामित्व वाले पात्र छोटे और मध्यम किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की राशि प्रदान की जाएगी.
- यह धनराशि प्रति 2000 रुपये की तीन किस्तों में प्रदान की जाएगी.
पीएम-किसान योजना के लाभ
- योजना के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) की प्रक्रिया मानवीय हस्तक्षेप के बिना लाभार्थियों के बैंक खातों में पारदर्शी रूप से बिना किसी देर के डिजिटली प्रमाणिक भुगतान सुनिश्चित करती है.
- भारत सरकार की योजनाओं के लिए समस्त भुगतान डीबीटी के जरिये किये जा रहे हैं.
- पीएम-किसान योजना के अंतर्गत पब्लिक फाइनेंशियल मैंनेजमेंट सिस्टम (PFMS) द्वारा इतने कम अर्से में लाभार्थियों की विशाल संख्या के खातों में धनराशि के इलेक्ट्रॉनिक अंतरण का सफल परिचालन, पीएफएमएस की ऐतिहासिक उपलब्घि है, जिसने भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल को और ज्यादा मजबूती प्रदान की है.
अपवर्जन की श्रेणियाँ
- संस्थागत भूमि धारक, संवैधानिक पदों के पूर्व और वर्तमान धारक, सेवारत और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी; 10,000 रुपये से अधिक मासिक पेंशन प्राप्त करने वाले पेंशनभोगी; अंतिम आकलन वर्ष में आयकर का भुगतान करने वाले व्यक्ति आदि.
- पात्र लाभार्थी किसानों की पहचान करने और पीएम-किसान पोर्टल पर उनका डेटा अपलोड करने का उत्तरदायित्व पूर्ण रूप से राज्य सरकारों के पास है.
- सभी पीएम-किसान लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) प्रदान किए जाएंगे, ताकि किसान बैंकों से सुलभ ऋण प्राप्त कर सकें.
- इससे ऐसे सभी किसानों को फसल और पशु /मत्स्य पालन के लिए अल्पावधि ऋण प्राप्त करने में सहायता मिलेगी. इसके अंतर्गत समय पर पुनर्भुगतान करने पर 4% की अधिकतम ब्याज दर लागू होगी.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Science and Technology.
Topic : 3-D PRINTING
संदर्भ
अमेरिकियों और भारतीयों के मध्य त्रि-आयामी मुद्रण (3D Printing) के बारे में जानकारी के संदर्भ में विभेद है. एक अध्ययन के अनुसार सर्वेक्षण में 77% अमेरिकी अधिकारियों की तुलना में केवल 30% भारतीय अधिकारियों को 3D मुद्रण के बारे में जानकारी थी.
त्रि-आयामी मुद्रण
- 3-D मुद्रण या योज्य विनिर्माण में वस्तुओं के आद्यरूप व क्रियाशील प्रतिरूपों के सृजन हेतु कप्यूटर सहायक डिजाइनिंग का प्रयोग किया जाता है.
- इस प्रक्रिया में प्लास्टिक, रेजिन, थर्मोप्लास्टिक, धातु, फाइबर व मृत्तिका जैसे पदार्थों की क्रमिक परतों का निर्माण किया जाता है.
- सॉफ्टवेयर की सहायता से मुद्रित किया जाने वाला प्रतिरूप सर्वप्रथम कंप्यूटर द्वारा विकसित किया जाता है. इसके उपरांत यह 3-D प्रिंटर को निर्देश देता है.
- 3-D मुद्रण सब्ट्रैक्टिव (पारंपरिक) विनिर्माण के विपरीत है, जिसमें एक मिलिंग मशीन से धातु या प्लास्टिक के टुकड़े को काटा, खोखला किया जाता है.
- ऐसे उत्पादों के लिए अनुप्रयोग क्षेत्र: चिकित्सा और संबद्ध क्षेत्र ऑटो और सहायक ऑटो व मोटर स्पेयर पार्ट्स व्यवसाय, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स आदि.
3D मुद्रण के लाभ
- ऊर्जा का कम उपयोग और स्थिरता में सुधार,
- यह उत्पादों को अधिक अनुकूलन प्रदान करती है,
- इन्वेंट्री को संग्रह करने के लिए कम स्थान की आवश्यकता होती है,
- पारंपरिक तरीकों की तुलना में कम अपशिष्ट उत्पन्न करती है आदि.
ऐसे उत्पादों के लिए अनुप्रयोग क्षेत्र: चिकित्सा और संबद्ध क्षेत्र ऑटो एवं सहायक ऑटो व मोटर स्पेयर पार्ट्स व्यवसाय, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड आदि.
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी योज्य (additive) विनिर्माण क्षेत्रक के भीतर सभी उप-द्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीति निर्मित कर रहा है.
Prelims Vishesh
2D electron gas (2DEG) :-
- 2D-इलेक्ट्रॉन गैस (2DEG) का उत्पादन नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा किया गया है.
- नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है.
- 2DEG वस्तुतः अत्यंत उच्च गतिशीलता वाली एक इलेक्ट्रॉन गैस होती है. यह इलेक्ट्रॉन गैस किसी उपकरण के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक क्वांटम सूचना और सिग्नल के हस्तांतरण की गति एवं एवं डेटा भंडारण व मेमोरी को बढ़ा सकती है.
- 2D-इलेक्ट्रॉन गैस में इलेक्ट्रॉनों की मजबूत प्रचक्रण-कक्षीय संयुग्मन (स्पिन-ऑर्बिट कपलिंग) और सापेक्षकीय प्रकृति के परिणामस्वरूप रश्बा क्षेत्र (Rasbha field) निर्मित होता है.
- रश्बा प्रभाव (Rashbha effect) के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली में स्पिन-बैंड का विखंडन होता है. यह स्पिनट्रॉनिक उपकरणों में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
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