Sansar डेली करंट अफेयर्स, 15 July 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 15 July 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Social empowerment, communalism, regionalism & secularism.

Topic : Commission to Examine Sub Categorization of other Backward Classes

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने, केंद्रीय सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के भीतर उप-वर्गीकरण से जुड़े मुद्दों पर गौर करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत गठित आयोग के कार्यकाल में ग्यारहवें विस्तार को स्वीकृति दे दी है.

पृष्ठभूमि

वर्ष 2015 में ‘राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग’ (National Commission for Backward Classes- NCBC) द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes- OBCs) के उप-वर्गीकरण का प्रस्ताव पेश किया गया था.

इसके बाद, अक्टूबर 2017 में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा, संविधान के अनुच्छेद 340 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत, ‘अत्यंत पिछड़े वर्गों’ (Extremely Backward Classes- EBCs) को प्राथमिकता देते हुए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जी. रोहिणी की अध्यक्षता में OBC समूह के उप-श्रेणीकरण संबंधी विषयों का अन्वेषण करने हेतु एक आयोग की नियुक्ति की गयी थी.

NCBC क्या है?

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग 14 अगस्त, 1993 को स्थापित भारत के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक संवैधानिक निकाय है. इसका गठन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार किया गया था.

NCBC के कार्य

NCBC संविधान एवं अन्य कानूनों के तहत पिछड़े वर्गों के लिए प्रावधान की गई सुरक्षा की जाँच-पड़ताल और निगरानी करेगा. साथ ही वह अधिकारों के उल्लंघन से सम्बंधित विशेष शिकायतों की जाँच भी करेगा.

प्रतिवेदन (REPORT)

NCBC को पिछड़े वर्गों की सुरक्षा पर उसके द्वारा किए गये काम के बारे में राष्ट्रपति को प्रत्येक वर्ष प्रतिवेदन देना होता है. यह प्रतिवेदन संसद और सम्बंधित राज्यों के विधानमंडलों में उपस्थापित किया जाता है.

व्यवहार न्यायालय की भूमिका

NCBC को छानबीन करने अथवा शिकायतों की जाँच करने के लिए एक व्यवहार न्यायालय के समान शक्तियाँ होती है. ये शक्तियाँ हैं :-

  1. लोगों को बुला भेजना (summon) और उनसे शपथ लेकर जाँच-पड़ताल करना
  2. किसी दस्तावेज अथवा सार्वजनिक अभिलेख को प्रस्तुत करने का आदेश देना
  3. गवाही लेना

NCBC का वर्तमान दर्जा

विदित हो कि इंदिरा साहनी (मंडल आयोग) वाद/Indira Sawhney (Mandal Commission) case में अपना अंतिम निर्णय देते समय सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि NCBC को वैधानिक निकाय (statutory body) के रूप में स्थापित किया जाए.

इस निर्देश के आधार पर 1993 में इस आयोग के गठन के लिए कानून पारित किया था. तब से NCBC केंद्र सरकार के लिए पिछड़े वर्ग की सूची में विभिन्न जातियों को सम्मिलित करने के मामलों की जाँच करता आया है.


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : Article 311 in The Constitution Of India

संदर्भ

हाल ही में, संघ शासित प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के प्रावधानों के तहत जम्मू-कश्मीर के 11 सरकारी कर्मचारियों को कथित तौर पर आतंकी समूहों के साथ संबंध रखने के लिए बर्खास्त कर दिया है.

संवैधानिक प्रावधान

संविधान का अनुच्छेद 311 “संघ या राज्य के अधीन सिविल सेवाओं में नियोजित व्यक्तियों को पदच्युत करने, पद से हटाए जाने या पदानवत करने” से संबंधित है.

  • अनुच्छेद 311 (2): के अनुसार, किसी लोक सेवक को, उसके विरुद्ध आरोपों के संबंध में सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दिए बगैर उसे पदच्युत अथवा पद से नहीं हटाया जाएगा या पद में अवनत नहीं किया जाएगा.
  • अनुच्छेद 311(2)(a): व्यक्ति को आपराधिक आरोप पर सिद्धदोष ठहराया जाने पर ‘जांच’ संबंधी संरक्षोपाय लागू नहीं होंगे.
  • अनुच्छेद 311(2)(b): “जहाँ किसी व्यक्ति को पदच्युत करने या पद से हटाने या पंक्ति में अवनत करने के लिए सशक्त प्राधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि किसी कारण से, जो उस प्राधिकारी द्वारा लिखित रूप में दर्ज किया जाएगा, कि इस मामले में जाँच करना युक्तियुक्त रूप से साध्य नहीं है”, तो इस स्थिति में भी ‘जांच’ संबंधी संरक्षोपाय लागू नहीं होंगे.
  • अनुच्छेद 311(2)(c): जहाँ, यथास्थिति, राष्ट्रपति या राज्यपाल का यह समाधान हो जाता है कि राज्य की सुरक्षा के हित में यह समीचीन नहीं है कि ऐसी जाँच की जाए. इस स्थिति में भी ‘जांच’ संबंधी संरक्षोपाय लागू नहीं होंगे. .

उपलब्ध उपाय

बर्खास्त कर्मचारियों के लिए एकमात्र उपलब्ध उपाय, उच्च न्यायालय में सरकार के फैसले को चुनौती देना है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian economy.

Topic : Initial Public Offering

संदर्भ

फ़ूड डिलीवरी कंपनी ज़ोमैटो 14 जुलाई को 9,375 रु. करोड़ जुटाने के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (Initial Public Offerings: IPOs) जारी करने जा रही है. इसके लिए ज़ोमैटो को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्वीकृति मिल चुकी है.

प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) क्या है?

इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत कोई कंपनी पूंजी जुटाने के लिये पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपने शेयरों की बिक्री करती है. आमतौर पर अपने व्यवसाय को फ़ैलाने के लिए आवश्यक पूंजी जुटाने के लिए कम्पनियाँ IPO का सहारा लेती है.

कम्पनी की मार्केट वैल्यू के अनुमान के आधार पर, इन्वेस्टमेंट बैंक शयेरों की कीमत का निर्धारण करते हैं तथा IPO की प्रक्रिया को कंपनी की ओर से संचालित करते हैं.इसके बदलने में उन्हें कमीशन या भागीदारी दी जाती है. कंपनियाँ, IPO के द्वारा सार्वजनिक रूप से नए शेयर जारी करके पूँजी जुटा सकती हैं या फिर मौज़ूदा शेयरधारक अपने शेयर जनता को बेच सकते हैं.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड

  1. अप्रैल, 1988 में Securities & Exchange Board of India (SEBI) की स्थापना हुई.
  2. जनवरी, 1992 को सेबी को वैधानिक शक्ति प्रदान की गयी.
  3. इसका मुख्यालय मुंबई में है.
  4. इसके क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में हैं.
  5. इसके कार्य हैं – प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना, प्रतिभूति बाजार के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और उससे सम्बंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology. 

Topic : Over The Top  Platform – OTT

संदर्भ

हाल ही में केरल सरकार ने अपना खुद का ओवर द टॉप (Over The Top – OTT) प्लेटफॉर्म बनाने का प्रस्ताव रखा है. ज्ञातव्य है कि नेटफ्लिक्स और अमेज़न जैसे प्रमुख ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म मलयालम सिनेमा में अधिक रुचि दिखा रहे हैं जबकि घरेलू ओटीटी प्लेटफॉर्म, जैसे- नीस्ट्रीम और मेनस्ट्रीम टीवी के पास इन बड़े बहुराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म्स की बराबरी करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है.

अत: केरल सरकार द्वारा प्रस्तावित प्लेटफॉर्म यह सुनिश्चित करेगा कि मौजूदा प्लेटफॉर्म का उपयोग करके डेटा और सामग्री तीसरे पक्ष के बजाय सरकार के पास हो. हालाँकि केरल सरकार की प्राथमिकता अभी भी बड़े पर्दे पर फिल्मों के प्रदर्शन को बढ़ावा देने की है, बड़े पर्दे पर रिलीज के बाद ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्म दिखाई जाएगी.  

OTT (OVER-THE-TOP) क्या है?

ओटीटी अर्थात् over-the-top एक मिडिया सर्विस है जो फिल्म, विडियो आदि को इन्टरनेट पर ऑनलाइन उपलब्ध करता है. इसके अन्दर ऑडियो प्रसारण, सन्देश सेवा अथवा इन्टरनेट पर आधारित वौइस् कॉलिंग भी आते हैं. OTT सेवा को दूरसंचार नेटवर्क या केबल टेलीविज़न प्रदाताओं की आवश्यकता नहीं पड़ती. यदि आपके पास मोबाइल या किसी स्थानीय नेटवर्क के माध्यम से इन्टरनेट सम्पर्क है तो आप आराम से OTT प्रसारण का आनंद ले सकते हैं. आजकल OTT लोकप्रिय है क्योंकि इसमें कम दाम पर अच्छी-अच्छी सामग्रियाँ उपलब्ध हो जाती हैं. इसमें नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसी मौलिक सामग्रियाँ भी मिल जाती हैं.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

लॉकडाउन की वजह से दूसरे कारोबार की तरह ही सिनेमा उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. दूसरी ओर, टीवी और सिनेमा जैसे पारंपरिक मीडिया के अतिरिक्त इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध होने वाली सामग्री (ओटीटी) सेवाओं जैसे नए पीढ़ी के मंच, मनोरंजन उद्योग को प्रोत्साहन देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. वास्तविकता तो यह है कि देश के वीडियो ओटीटी बाजार का आकार बढ़कर 82.3 करोड़ डॉलर (5,363 करोड़ रुपये) का होने जा रहा है और भारत का वीडियो ओटीटी बाजार विश्व के शीर्ष दस बाजार में सम्मिलित होने के बेहद निकट है.

यह भी सच है कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के पूर्व से ही ओटीटी यानी over-the-top सेवा का विस्तार बहुत हो चुका था, परन्तु तालेबंदी के दौरान तो यह मनोरंजन के लिहाज से अपरिहार्य ही हो गया है. अब एक बड़ा समूह इस पर आश्रित है.

इंटरनेट जैसे-जैसे अपनी गति बढ़ाता जा रहा है, वैसे-वैसे अपने मोबाइल के माध्यम से कहीं भी वीडियो, कंटेंट देखने की सुविधा ने इसके प्रयोग को जबरदस्त उछाल दिया है. विद्यालयों, कॉलेजों के छात्रों को जितना अपनी परीक्षा को लेकर चिंता नहीं होती है उससे कहीं अधिक उनको इन्तजार इस बात का होता है कि वेब सीरीज का अगला एपिसोड कब रिलीज हो रहा है. OTT के जरिये आसानी से उपलब्ध वेब सीरीज को देखने की लत छात्रों पर कुछ इस कदर भारी है कि अपने खाने-पीने, खेलकूद पर लगने वाले अनिवार्य समय को वे वेब सीरीज का सस्पेंस समाप्त करने में लगा देते हैं. छात्र जीवन जीवन का बड़ा अनमोल समय होता है एवं इसी काल में कच्ची मिट्टी से अच्छे मटके बनने की शुरुआत होती है. इस समय हमें सही दिशा-निर्देश की आवश्यकता होती है.

अगर ऊर्जा को सही दिशा नहीं दी जाए तो इसका दुष्परिणाम घातक हो सकता हैं, उदाहरण के तौर पर हम परमाणु शक्ति से बिजली भी बनना सकते हैं जो कि समाज के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, वहीं दूसरी ओर इस शक्ति का प्रयोग परमाणु बम बनाने में भी कर सकते हैं जो कि समाज की आने वाली पीढ़ियों को भी विनाश की कगार पर खड़ा कर देती है.

OTT पर उपलब्ध कई सामग्रियाँ कम उम्र के बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं. इसमें उपलब्ध कई विडियो महिलाओं को गलत अर्थों में दिखाते हैं और बच्चों के साथ-साथ युवाओं के दिमाग को भी दूषित करते हैं. NETFLIX, ULLU app, Jio Cinema, Amazon Prime जैसी कंपनियां भारतीय दंड संहितासूचना प्रौद्योगिकी अधिनियममहिलाओं का प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम और भारतीय संविधान के कई प्रावधानों का भी उल्लंघन कर रही हैं. सच कहा जाए तो OTT पर प्रसारित सामग्रियों ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीवन के अधिकार को प्रभावित किया है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

आईपीसी की धारा 153A : यह धारा उनके विरुद्ध लगाई जाती है, जो धर्म, नस्ल, भाषा, निवास स्थान या फिर जन्म स्थान के आधार पर अलग-अलग समुदायों के मध्य नफरत फैलाने और सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास करते हैं. इस धारा के अंतर्गत तीन साल की जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.

इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 : इसमें प्रावधान किया गया है कि अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपत्तिजनक पोस्ट करता है या फिर शेयर करता है, तो उसके विरुध्द मामला दर्ज किया जा सकता है. अगर कोई प्रथम बार सोशल मीडिया पर ऐसा करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे 3 साल की जेल हो सकती है. साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है. इतना ही नहीं, अगर ऐसा अपराध पुनः दोहराया जाता है, तो मामले के दोषी को 5 वर्ष की जेल हो सकती है और 10 लाख रु. तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Related to Space.

Topic : Aurora

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के होप अंतरिक्ष यान ने मंगल ग्रह के वायुमंडल में रात के दौरान klmm में ‘असंतत ऑरोरा’ (Discrete Aurora) को कैप्चर किया है|

औरोरा क्या है?

  • औरोरा आकाश में चमकने वाला एक प्रकाशपुंज है जो आर्कटिक और अन्टार्कटिक के उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में मुख्यतया देखा जाता है. इसे ध्रुवीय प्रकाशपुंज भी कहा जाता है. यह कभी-कभी मध्य अक्षांशीय क्षेत्र में भी दिख जाता है, परन्तु भूमध्य रेखा पर यह शायद ही कभी दिखता है.
  • यह प्रकाशपुंज 100 से लकर 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर जन्म लेता है.

रंग

औरोरा सामान्यतः दुधिया हरे रंग का होता है. पर यह लाल, नीला, बैंगनी, गुलाबी और उजला भी होता है. इस ज्योतिपुंज का आकार भिन्न-भिन्न होता है और लगातार बदलता भी रहता है.

औरोरा क्यों होता है?

  • औरोरा की उत्पत्ति यह बतलाती है कि हमारी पृथ्वी विद्युतीय रूप से सूर्य से जुड़ी हुई है. यह ज्योतिपुंज सूर्य की ऊर्जा से पैदा होता है और पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में फंसे विद्युत-आविष्ट कणों से इसे ईंधन प्राप्त होता है.
  • अन्तरिक्ष के तीव्र गति से चलायमान इलेक्ट्रानों और धरती के ऊपरी वायुमंडल में स्थित ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन के बीच के टक्कर से यह उत्पन्न होते हैं.
  • पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र और इसके द्वारा नियंत्रित अन्तरिक्षीय क्षेत्र से आने वाले इलेक्ट्रान अपनी उर्जा को ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन के अणुओं और परमाणुओं में स्थानांतरित कर देते हैं और उन्हें आविष्ट कर देते हैं.
  • जब गैस अपनी सामान्य स्थिति में लौटते हैं, तो उनसे फोटोन निकलते हैं और प्रकाश के रूप में ऊर्जा के छोटे-छोटे विस्फोट होते हैं.
  • जब चुम्बकीय क्षेत्र से आकर वायुमंडल पर आक्रमण करने इलेक्ट्रानों की संख्या बहुत अधिक होती है, तो ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से इतना सारा प्रकाश उत्पन्न हो जाता है जो आँख से भी देखा जा सकता है. यह दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है.

औरोरा का रंग अलग-अलग क्यों होता है?

  • किसी औरोरा का रंग इस बात पर निर्भर करता है कि ऑक्सीजन अथवा नाइट्रोजन कौन-सा गैस इलेक्ट्रानों से आविष्ट हुआ है अथवा कितना आविष्ट हुआ है. ये रंग इसपर भी निर्भर होते हैं कि इलेक्ट्रान कितनी तेजी से चल रहे हैं अथवा टकराने के समय इनमें कितनी ऊर्जा है.
  • अधिक ऊर्जा वाले इलेक्ट्रानों से ऑक्सीजन हरा रंग छोड़ता है जोकि औरोरा ज्योतिपुन्जों का सबसे परिचित रंग है. कम ऊर्जा वाले इलेक्ट्रानों से लाल प्रकाश उत्पन्न होता है. नाइट्रोजन से सामान्यतः नीला प्रकाश होता है.
  • इन रंगों के सम्मिश्रण से औरोरा का रंग बैंगनी, गुलाबी और श्वेत हो जाता है.
  • ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से पराबैंगनी प्रकाश भी निकलता है जिसका पता उपग्रहों में लगे विशेष कैमरों से चल सकता है.

प्रभाव

  • औरोरा के चलते संचार, रेडियो और बिजली की लाइनें प्रभावित हो जाती हैं.
  • यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि इस पूरी प्रक्रिया में सूर्य से निकलने वाले सौर पवन का भी हाथ होता है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

सौर कलंक (Sunspots):  ये सूर्य के प्रकाश मंडल की अस्थायी घटनाएं हैं. जब सूर्य के किसी भाग का ताप अन्य भागों की तुलना में कम हो जाता है तो धब्बे के रूप में दिखता है, इसे सौर कलंक कहते हैं. इस धब्बे का जीवनकाल कुछ घंटे से लेकर कुछ सप्ताह तक होता है.

सौर प्रज्वाल (solar flare): यह सूरज की सतह के किसी स्थान पर अचानक बढ़ने वाली चमक को कहते हैं. यह प्रकाश वर्णक्रम के बहुत बड़े भाग के तरंगदैर्घ्यों (वेवलेन्थ) पर उत्पन्न होता है. सौर प्रज्वाल में कभी-कभी कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (coronal mass ejection) भी होता है जिसमें सूरज के कोरोना से प्लाज़्मा और चुम्बकीय क्षेत्र बाहर फेंक दिये जाते हैं. यह सामग्री तेज़ी से सौर मंडल में फैलती है और इसके बादल बाहर फेंके जाने के एक या दो दिन बाद पृथ्वी तक पहुँच जाते हैं. इनसे अंतरिक्ष यानों पर दुष्प्रभाव के साथ-साथ पृथ्वी के आयनमंडल पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिस से दूरसंचार प्रभावित होने की सम्भावना बनी रहती है.


Prelims Vishesh

Class Action Suits :-

  • चक्रवात तौकतै के बॉम्बे हाई स्थित तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ONGC) के बजरा (barge) (माल ढोने वाली लम्बी नौका रुपी जहाज) पोत से टकराने के परिणामस्वरूप हुई मृत्यु और विनाश ने प्रभावी क्लास एक्शन सूट की आवश्यकता को प्रकट किया है.
  • क्लास एक्शन (जिसे प्रतिनिधि कार्रवाई के रूप में भी जाना जाता हैं) मुकदमे का एक रूप है, जिसमें लोगों के एक वृहद् समूह द्वारा अदालत में सामूहिक रूप से दावा प्रस्तुत किया जाता है.
  • यह आम तौर पर तब दायर किया जाता है, जब कई लोगों को समान या समरूप जान-माल को नुकसान पहुँचा हो.
  • नागरिक प्रक्रिया संहिता, कंपनी अधिनियम, प्रतिस्पर्धा अधिनियम और उपमोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अंतर्गत क्लास एक्शन सूट दायर करने के कानूनी प्रावधान किए गए हैं.

Itat-e-Dwar :-

  • यह विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा आरंभ किया गया आयकर अपीलीय अधिकरण (ITAT) संचालित एक ई-फाइलिंग पोर्टल है.
  • यह देश के डिजिटल रूपांतरण को प्रतिबिंबित करता है.
  • इसका उद्देश्य ITAT की दैनिक कार्यप्रणाली में पहुंच, जवाबदेही और पारदर्शिता में वृद्धि करना है.
  • इससे कागज के प्रयोग में कमी होगी, लागत न्यून होगी और मामलों के निर्धारण के युक्तिकरण के परिणामस्वरूप मामलों के त्वरित निपटान को प्रोत्साहन मिलेगा.

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