Sansar Daily Current Affairs, 15 June 2021
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.
Topic : The history of Tulu and the demand for official language status
संदर्भ
तुलु भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने, तथा कर्नाटक और केरल में इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग जोर पकडती जा रही है.
तुलु भाषा का संक्षिप्त परिचय
- तुलु एक द्रविड़ भाषा है जिसे बोलने वाले लोग दक्षिण भारत में रहते हैं. पिछली जनगणना से पता चलता है कि भारत में तुलु बोलने वाले लोगों की संख्या 18,47,427 है जबकि आठवीं अनुसूची में सम्मिलित मणिपुरी और संस्कृत भाषा बोलने वाले लोग तुलनात्मक दृष्टि से बहुत कम हैं.
- रोबर्ट काल्डवेल (1814-1891) ने द्रविड़ भाषाओं का एक तुलनात्मक व्याकरण लिखा था जिसमें बताया गया था कि तुलु द्रविड़ परिवार की सर्वाधिक विकसित भाषाओं में से एक है.
- जिन क्षेत्रों में तुलु भाषा प्रधानतः बोली जाती है उसे बोलचाल की भाषा में तुलु नाडु कहा जाता है. इसके अन्दर दक्षिण कन्नड़ के जिले, कर्नाटक का उडुपी और पयसवनी नदी अथवा चंद्रगिरी तक फैला हुआ केरल का कसरागोड़ जिला आता है. विदित हो कि कसरागोड़ जिले को सप्तभाषा संगम भूमि भी कहते हैं क्योंकि यहाँ तुलु समेत सात भाषाओं का संगम देखने को मिलता है. वस्तुतः कसरागोड़ के साथ-साथ मंगलुरु और उडुपी नगर तुलु संस्कृति के गढ़ माने जाते हैं.
आठवीं अनुसूची (EIGHTH SCHEDULE) क्या है?
संविधान की आठवीं अनुसूची में देश की आधिकारिक भाषाओं की सूची दी गई है. अनुच्छेद 344(1) और 351 के अनुसार इस अनुसूची में 22 भाषाएँ अंकित हैं. ये भाषाएँ हैं – असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू.
दरअसल, इनमें से 14 भाषाओं को संविधान में सम्मिलित किया गया था. परन्तु इस अनुसूची में अन्य भाषाओं के प्रवेश की माँग हमेशा से उठती आई हैं. 1967 ई. में सिन्धी भाषा को आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया. इसके पश्चात्, कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा और नेपाली भाषा को 1992 ई. में जोड़ लिया गया. 2003 में बोड़ो भाषा, डोगरी भाषा, मैथिली भाषा और संथाली भाषा आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कर लिए गये.
आठवीं अनुसूची में प्रवेश का नितिहार्थ
- आठवीं अनुसूची में प्रवेश होने पर तुलु भाषा को साहित्य अकादमी की मान्यता मिल जायेगी.
- तुलु भाषा की पुस्तकों का देश की अन्य मान्यता प्राप्त भाषाओं में अनुवाद होने लगेगा.
- संसद तथा राज्य विधान सभाओं में सांसद और विधायक तुलु भाषा में बोल सकेंगे.
- लोक सेवा परीक्षाओं में तथा अन्य अखिल भारतीय प्रतिस्पर्धाओं में तुलु भाषी अपनी भाषा में लिख सकेंगे.
भारत की भाषाई विविधता
- 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत में ऐसी 30 भाषाएँ हैं जिनमें प्रत्येक को बोलने वालों की संख्या 10 लाख से ऊपर है.
- इन 30 भाषाओं के अतिरिक्त 122 भाषाएँ ऐसी हैं जिनमें प्रत्येक को बोलने वालों की संख्या 10,000 तक है.
- 1,599 भाषाएँ ऐसी हैं जिनको “बोली” कह सकते हैं क्योंकि ये किसी विशिष्ट क्षेत्र तक सीमित हैं और जिनमें से कुछ विलुप्ति के कगार पर हैं.
संविधान का अनुच्छेद 29
संविधान का अनुच्छेद 29 यह प्रावधान करता है कि विशिष्ट भाषा, विशिष्ट लिपि या विशिष्ट संस्कृति रखने वाले नागरिकों को यह अधिकार है कि वे इन वस्तुओं का संरक्षण करें.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : NATO Summit
संदर्भ
हाल ही में, बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में नाटो शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था. इसमें सभी 30 मित्र राष्ट्रों के नेताओं ने भाग लिया.
बैठक के परिणाम
- नाटो देशों के प्रमुखों ने कहा कि वे “नाटो की संस्थापक ‘वाशिंगटन संधि’ तथा इसमें शामिल ‘सामूहिक रक्षा संबंधी अनुच्छेद- 5’ के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं. ‘अनुच्छेद- 5’ में कहा गया है, कि नाटो संगठन के किसी एक सहयोगी के खिलाफ हमले को, सभी के खिलाफ हमला माना जाएगा.
- इस बैठक में, एक महत्वपूर्ण और चिंताजनक विषय बन चुके प्रमुख साइबर हमलों को, अनुच्छेद 5 की भाषा में शामिल करने के लिए इसको अद्यतन करने के बारे में सहमति वयक्त की गई.
नाटो क्या है?
- नाटो का पूरा नाम North Atlantic Treaty Organization है अर्थात् उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन है.
- यह एक अन्तर-सरकारी सैन्य संघ है.
- इस संधि पर 4 अप्रैल, 1949 को हस्ताक्षर हुए थे.
- इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में है.
- नाटो का सैन्य मुख्यालय बेल्जियम में ही मोंस नामक शहर में है.
- यह सामूहिक सुरक्षा की एक प्रणाली है जिसमें सभी सदस्य देश इस बात के लिए तैयार होते हैं यदि किसी एक देश पर बाहरी आक्रमण होता है तो उसका प्रतिरोध वे सभी सामूहिक रूप से करेंगे.
- स्थापना के समय इसका प्रमुख उद्देश्य पश्चिमी यूरोप में सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा के प्रसार को रोकना था.
- यह सैन्य गठबंधन सामूहिक रक्षा के सिद्धांत पर काम करता है जिसका तात्पर्य एक या अधिक सदस्यों पर आक्रमण सभी सदस्य देशों पर आक्रमण माना जाता है. (अनुच्छेद 5)
- नाटो के सदस्य देशों का कुल सैन्य खर्च विश्व के सैन्य खर्च का 70% से अधिक है.
- वर्तमान में नाटो अफगानिस्तान में ‘गैर-युद्ध मिशन’ का संचालन कर रहा है, जिसके माध्यम से अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों, संस्थानों को प्रशिक्षण, सलाह और सहायता प्रदान करता है.
- नाटो की स्थापना के बाद से, गठबंधन में नए सदस्य देश शामिल होते रहें है. शुरुआत में, नाटो गठबंधन में 12 राष्ट्र शामिल थे, बाद में इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 30 हो चुकी है. नाटो गठबंधन में शामिल होने वाला सबसे अंतिम देश ‘उत्तरी मकदूनिया (North Macedonia)’ था, उसे 27 मार्च 2020 को शामिल किया गया था.
नाटो के उद्देश्य
राजनैतिक :- नाटो प्रजातांत्रिक मान्यताओं को बढ़ावा देता है. यह सुरक्षा और सैन्य मामलों के समाधान के लिए आपसी सहयोग और परामर्श का एक मंच प्रदान करता है.
सैन्य :- नाटो विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है. यदि किसी विवाद के निपटारे के लिए कूटनीतिक प्रयास विफल होते हैं तो यह अपनी सैन्य का प्रयोग कर कार्रवाई कर सकता है. नाटो की मूल संधि – वाशिंगटन संधि की धारा 5 के प्रावधान के अनुसार ऐसी स्थिति में नाटो के सभी देश मिलकर सैनिक कार्रवाई करते हैं.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : SIPRI Yearbook 2021
संदर्भ
हाल ही में, स्वीडिश थिंक टैंक ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (SIPRI) द्वारा अपनी ईयर बुक 2021 निर्गत की गई है.
प्रमुख निष्कर्ष
- वर्ष 2021 की शुरुआत में भारत के पास अनुमानतः 156 परमाणु हथियार थे, जबकि पिछले साल की शुरुआत में इनकी संख्या 150 थी.
- वर्ष 2020 में पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों की संख्या 160 थी जो अब बढ़कर 165 हो गई है.
- चीन के परमाणु शस्त्रागार में 2020 के आरम्भ में 320 से ज्यादा परमाणु हथियार शामिल थे जो वर्ष 2021 में बढ़कर 350 हो चुके हैं.
- परमाणु हथियार संपन्न नौ देशों – अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इज़राइल और उत्तर कोरिया – के पास वर्ष 2021 के प्रारम्भ में अनुमानित रूप से कुल 13,080 परमाणु हथियार थे.
- कुल मिलाकर वैश्विक परमाणु हथियारों का 90% से अधिक हिस्सा, रूस और अमेरिका के पास है.
वर्तमान में चिंता का विषय
वैश्विक सैन्य भंडारों में हथियारों की कुल संख्या, वर्तमान में बढ़ती हुई प्रतीत हो रही है, जो कि इस बात का एक चिंताजनक संकेत है, कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से वैश्विक परमाणु शस्त्रागार में कमी होने की प्रवृत्ति अब रुक गई है.
- सबसे बड़ी चिंता यह है, कि भारत और पाकिस्तान, परमाणु युद्ध की सीमा पर एक दूसरे की सुरक्षा को खतरनाक रूप से कमजोर करने वाली नई प्रौद्योगिकियों और क्षमताओं की खोज में लगे हैं.
- भारत-पाकिस्तान “भविष्य में किसी संकटकालीन स्थिति के दौरान गलत अनुमान या गलत व्याख्या की वजह से अपने परमाणु हथियारों का उपयोग करने में ठोकर खाने का जोखिम उठा सकते हैं”.
- परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र के रूप में चीन की उभरती हुई छवि, भारत की सुरक्षा चुनौतियों को बढ़ा रही है.
परमाणु हथियारों पर भारत का दृष्टिकोण
भारत ने 18 मई, 1974 को पहला परमाणु विस्फोट किया. हालाँकि भारत पहले से ही कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. जब भारत ने एक बार फिर 11 से 13 मई, 1998 को पोखरन में दुबारा परमाणु परीक्षण किया तो उस समय तत्कालीन प्रधानमन्त्री ने दुनिया से कहा कि भारत का यह परीक्षण शांतिपूर्ण उद्देश्य और आत्म-रक्षा के लिए है. भारत ने कहा कि भारत स्वयं किसी देश पर सबसे पहले परमाणु हमला नहीं करेंगा और भारत की इसी नीति को “No First Use” नीति की संज्ञा दी गई.
- भारत सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण तथा सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण को उच्च प्राथमिकता देता है.
- भारत के अनुसार, निशस्त्रीकरण सम्मेलन’ (The Conference on Disarmament- CD) को विश्व का एकमात्र बहुपक्षीय निशस्त्रीकरण समझौता मंच है, और भारत इस मंच के माध्यम से एक व्यापक परमाणु हथियार सम्मेलन के तहत वार्ता आयोजित करने का समर्थन करता है.
- भारत निशस्त्रीकरण सम्मेलन में ‘फिसाइल मैटेरियल कट-ऑफ ट्रीटी’ (Fissile Material Cut-off Treaty– FMCT) के संदर्भ में भी वार्ता के लिये प्रतिबद्ध है.
SIPRI
- SIPRI का गठन स्टॉकहोम (स्वीडन की राजधानी) में 1966 में हुई थी.
- इसका एक कार्यालय बीजिंग, चीन में भी है और पूरी दुनिया में इसे एक सम्मानित थिंक-टैंक के रूप में जाना जाता है.
- यह एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो युद्ध, हथियार, शस्त्र-नियंत्रण और निरस्त्रीकरण से सम्बंधित अनुसंधान को समर्पित है.
- यह संस्थान नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया और रूचि रखने वाले लोगों को आँकड़े, विश्लेष्ण और सुझाव देता है.
पाँच परमाणु अनुसंधान केंद्र GS Paper 3 Source : PIB UPSC Syllabus : Various Security forces and agencies and their mandate. संदर्भ हाल ही में रक्षा मंत्री ने वर्ष 2020 में रक्षा मंत्रालय में किए गए 20 सुधारों पर एक ई-पुस्तिका निर्गत की है. सुधारों का उद्देश्य नीतिगत परिवर्तन, नवाचार एवं डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से सशस्त्र बलों में अधिक सामंजस्य और आधुनिकीकरण को सुनिश्चित करना है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और सैन्य कार्य विभाग (DMA) CDS का पद सशस्त्र बलों के बीच दक्षता और समन्वय बढ़ाने तथा दोहराव को कम करने के लिए निर्मित किया गया था, जबकि बेहतर नागरिक-सैन्य एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए सैन्य कार्य विभाग (DMA) की स्थापना की गई थी. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 का अनावरण, आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण, घरेलू पूंजी अधिग्रहण के लिए पृथक बजटीय आवंटन, देश में नई प्रौद्योगिकी का विकास {पिनाका रॉकेट सिस्टम, आईडेक्स (iDEX) चैलेंज 4 आदि}, कई रक्षा उपकरण वस्तुओं का आयात बंद आदि सुधार किए गए हैं. स्वचालित मार्ग से 74 प्रतिशत तक और सरकारी (अनुमोदन) मार्ग से 74 प्रतिशत से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति प्रदान की गई है. रक्षा अधिग्रहण में आधुनिकीकरण और वर्धित पारदर्शिता विगत वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 में 10% बजट वृद्धि हुई. नीतिगत सुधार: सितंबर 2020 में रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया का अनावरण किया गया और अक्टूबर 2020 में DRDO खरीद नियमावली में संशोधन किया गया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास में सुधार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की पांच युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं का शुभारंभ किया गया. DRDO ने डिजाइन और विकास आदि में उद्योग के साथ भागीदारी की. सशस्त्र बलों में स्त्री शक्ति शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान कर दिया गया. भारतीय नौसेना में सर्वप्रथम पायलट के रूप में महिलाओं को सम्मिलित किया गया. शैक्षणिक सत्र 2020-21 से सभी सैनिक स्कूल छात्राओं के लिए खोल दिए गए. अन्य दूरस्थ स्थानों तक: की पहुंच का विस्तार किया गया है. एक नए सहायक अवतार में रक्षा कूटनीति: भारतीय रक्षा बल संकट में फंसे मित्र देशों की सहायता करते हैं. भारत पहली बार रक्षा उपकरण निर्यातक देशों की सूची में (84 से अधिक देशों में निर्यात का विस्तार) शामिल हुआ. GS Paper 3 Source : PIB UPSC Syllabus : Food security related issues. संदर्भ हाल ही में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित करते हुए बताया किया है, कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने, बिना राशन कार्ड वाले प्रवासियों और ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम’ (NFSA) के अंतर्गत प्रदान किए गए खाद्य-सुरक्षा दायरे से बाहर के व्यक्तियों को खाद्यान्न-आपूर्ति करने के लिए, इस साल ‘भारतीय खाद्य निगम’ (FCI) से रियायती दरों पर लगभग 3.7 लाख टन खाद्यान्न खरीदा है. इसके साथ ही, केंद्र-सरकार ने अदालत में उठाई गई उन आशंकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमे कहा गया था, कि बिना राशन कार्ड वालों को विनाशकारी महामारी के बीच मरने के लिए छोड़ दिया जा सकता है. पृष्ठभूमि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि “बिना राशन कार्ड वाले प्रवासी मजदूरों तक भोजन किस प्रकार पहुँचाया जाएगा”. NFSA, “पात्र परिवारों” से संबंधित व्यक्तियों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System – TPDS) के अंतर्गत केंद्रीय निर्गम मूल्य (Central Issue Price: CIP) पर खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार देता है. केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIPs) को अधिनियम लागू होने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिए निर्धारित किया गया था. हालांकि, केंद्र द्वारा इसमें संशोधन किया जाना अभी शेष है. World Ocean Day :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi May,2021 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : Defence Ministry releases E-booklet on 20 MoD reforms in 2020
किए गए प्रमुख सुधार निम्नलिखित हैं :-
Topic : National Food Security Act
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
मुख्य बिंदु
पात्र परिवार
नीति आयोग द्वारा संशोधित सुझाव
केंद्रीय निर्गम मूल्यों में संशोधन
Prelims Vishesh