Sansar Daily Current Affairs, 15 March 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Mercer Quality of Living Ranking 2019
संदर्भ
हाल ही में मर्सर नामक वैश्विक परामर्शी प्रतिष्ठान ने जीवन की गुणवत्ता से सम्बन्धित अपने वार्षिक सर्वेक्षण का 21वाँ संस्करण प्रकाशित किया है जिसमें संसार-भर के 231 शहरों को विभिन्न कारकों के आधार पर रैंकिंग दी गई है.
रैंकिंग के आधारभूत कारक
- मनोरंजन, लोक सेवाएँ और परिवहन.
- सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश.
- पाठशालाएँ और शिक्षा.
- चिकित्सा और स्वास्थ्य
- राजनैतिक और सामाजिक परिवेश.
- प्राकृतिक परिवेश.
- आवास.
- आर्थिक परिवेश
- उपभोक्ता वस्तुओं की उपलभ्यता
मुख्य निष्कर्ष
- पिछले नौ वर्षों की भाँति इस बार भी वियना रैंकिंग में सर्वप्रथम रहा. इसके बाद ज्यूरिच का स्थान है.
- इस बार मर्सर ने जीवन की गुणवत्ता को मापने के लिए “व्यक्तिगत सुरक्षा” नामक एक नया कारक चुना है जिसके लिए अलग से रैंकिंग दी गई है.
- इसमें पश्चिम यूरोप का वर्चस्व देखने को मिलता है और लक्जमबर्ग को विश्व का सबसे सुरक्षित शहर बताया गया है.
- प्रतिवेदन के अनुसार यूनाइटेड किंगडम में रहने के लायक सबसे अच्छा शहर लन्दन को बताया गया है.
- जहाँ तक भारत के शहरों की बात है, चेन्नई को 105वाँ और बेंगलुरु को 149वाँ स्थान मिला है. इस प्रकार ये दोनों शहर भारत के सर्वश्रेष्ठ निवास- योग्य शहर बन गये हैं.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : World Consumers Rights Day
संदर्भ
प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया गया. इसके लिए यह तिथि इसलिए चुनी गई थी कि इसी तिथि को 1962 में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ.केनेडी ने उपभोक्ता के अधिकारों की परिभाषा दी थी. इस बार इस दिवस के समारोह की थीम है – विश्वस्त चतुर उत्पाद (Trusted Smart Products).
इस दिवस को उपभोक्ता के मूलभूत अधिकारों को प्रोत्साहन दिया जाता है और बाजार की कुप्रथाओं और सामाजिक अन्याय का विरोध किया जाता है.
मुख्य तथ्य
- विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च, 1983 को मनाया गया था.
- इसका आयोजन कंस्यूमर्स इंटरनेशनल नामक संस्था करती है, जिसकी स्थापना 1960 में हुई थी.
- यह विश्व-भर के उपभोक्ताओं का सबसे प्रामाणिक प्रतिनिधि है जिसके साथ 115 देशों में 220 सदस्य-संगठन जुड़े हुए हैं.
- भारत में अलग से एक उपभोक्ता अधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 24 दिसम्बर को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन राष्ट्रपति ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को अपना अनुमोदन दिया था.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Electoral bond scheme
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें चुनावी बांड योजना 2018 को समाप्त करने और वित्त अधिनियम, 2017 में संशोधन करने की माँग की गई है. इस याचिका पर सरकार ने अपना मन्तव्य सर्वोच्च न्यायालय को समर्पित किया है जिसमें निम्नांकित आधार पर योजना का बचाव किया गया है –
- योजना इसलिए लाई गई है कि राजनैतिक दलों द्वारा चंदा लेने के काम में पारदर्शिता आये.
- योजना में KYC के माध्यम से बांड ख़रीदा जा सकता है और उसका अंकेक्षण हो सकता है.
- योजना में बांड के परिपक्व होने का समय बहुत छोटा रखा गया है, अतः इसके दुरूपयोग की कोई संभावना नहीं है.
- बांड खरीदने वाले चंदा दाताओं को अपना चंदा बैंक के माध्यम से देना होगा और उनकी पहचान बांड निर्गत करने वाले अधिकार के पास होगी. इसलिए पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी.
चुनावी बांड योजना से सम्बंधित प्रमुख तथ्य
- ये चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे.
- चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत 1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
- इलेक्टोरल बांड1,000 रु., 10,000 रु., 1 लाख रु, 10 लाख रु. और 1 करोड़ रु. के होंगे.
- हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
- परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए अतिरिक्त 30 दिन और दिए जायेंगे.
- बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
- चुनाव आयोग में पंजीकृत दल से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
- चुनावी बांड राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
- चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
- चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.
चुनावी बांड के फायदे
अक्सर ब्लैक मनी वाले लोग पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में लेन-देन न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे. पार्टी को बांड देने वालों की पहचान बैंक के पास होगी. अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : India Energy Modelling Forum
संदर्भ
नीति आयोग और संयुक्त राज्य अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) ने भारत ऊर्जा प्रारूपण फोरम (आईईएमएफ) की पहली कार्यशाला आयोजित की. कार्यशाला में आठ विशेषज्ञ-सत्र आयोजित किए गए. इन सत्रों में भारत-केन्द्रित ऊर्जा प्रारूपण पर चर्चा हुई.
भारत ऊर्जा प्रारूपण फोरम के मुख्य तथ्य
- पैसिफिक नॉर्थ वेस्ट नेशनल लैबोरेटरी (पीएनएनएल) के सहयोग से इस दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था.
- यह फोरम भारत के ऊर्जा भविष्य के संबंध में विचारों के आदान-प्रदान, परिदृश्य परिचर्चा व योजना निर्माण के लिए एक मंच उपलब्ध करता है.
- फोरम का लक्ष्य भारत सरकार तथा नीति निर्माताओं व विशेषज्ञों के बीच आपसी सहयोग और समन्वय को बेहतर बनाना है.
- फोरम ने भारतीय संस्थानों के क्षमता निर्माण और शोध के लिए भविष्य के क्षेत्र की पहचान करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया है.
- सत्र में इस विषय पर भी परिचर्चा हुई कि भारत के ऊर्जा प्रारूपण और विश्व के ऊर्जा प्रारूपण, किस प्रकार नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?
- पैनल विशेषज्ञों ने ग्रामीण-शहरी विभेद को कम करने पर विशेष जोर दिया. विशेषज्ञों ने कहा कि व्यावहारिक ऊर्जा मॉडल के लिए ऊर्जा खपत और स्थानीय स्थिति पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
- भारत-केन्द्रित मॉडल में भारत के नगरों, उद्योगों और परिवहन क्षेत्र को शामिल किया जाना चाहिए.
- भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए विद्युत आधारित परिवहन व्यवस्था, नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों तथा पर्यावरण की चिंताओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.
- केन्द्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने ऊर्जा उत्पादन और खपत के संदर्भ में सामाजिक, पर्यावरण और आर्थिक लागत पर विशेष बल दिया. प्रतिनिधियों ने कहा कि भविष्य के ऊर्जा संबंधी नीति-निर्माण के लिए इन लागतों का सटीक आकलन किया जाना चाहिए.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : West Nile virus (WNV)
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने वेस्ट नील वायरस को नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा की.
वेस्ट नील वायरस
- वेस्ट नील वायरस एक मच्छर-जनित रोग है. यह वायरस मनुष्यों में एक घातक न्यूरोलॉजिकल बीमारी का कारण बन सकता है. हालांकि, इससे संक्रमित लगभग 80% लोगों में इसके लक्षण नहीं पता लग पाते हैं.
- यह वायरस घोड़ों में गंभीर बीमारी और मृत्यु का कारण बन सकता है. घोड़ों को रोग से बचाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले टीके उपलब्ध हैं लेकिन अभी तक मनुष्य के लिए उपलब्ध नहीं हैं.
- पक्षी वेस्ट नील वायरस के प्राकृतिक वाहक हैं.
वेस्ट नील वायरस की उत्पत्ति
- वेस्ट नील वायरस (WNV) पहली बार वर्ष 1937 में युगांडा के वेस्ट नील जिले में एक महिला में पाया गया था.
- इसकी पहचान वर्ष 1953 में नील डेल्टा क्षेत्र में पक्षियों (कौवे और कोलम्बिफॉर्म) में हुई थी.
- वर्ष 1997 से पहले WNV को पक्षियों के लिए रोगजनक नहीं माना जाता था, लेकिन उस समय इज़राइल में एक ही समय पर सैंकड़ों पक्षी प्रजातियों की मृत्यु हो गई थी, जो एन्सेफलाइटिस और पक्षाघात के लक्षण प्रदर्शित कर रही थीं.
- WNV के चलते मानव में हुए संक्रमण को 50 से अधिक वर्ष पहले ही देखा जा चुका है.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : Man Portable Anti-Tank Guided Missile (MPATGM)
संदर्भ
सेना को बड़े रूप में प्रोत्साहित करते हुए रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आज राजस्थान के रेगिस्तान रेंज में दूसरी बार देश में विकसित कम वजन का फायर एंड फॉरगेट मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) का सफल परीक्षण किया.
MPATGM क्या है?
- MPATGM एक तीसरी पीढ़ी का टैंक विरोधी दिशा निर्दिष्ट मिसाइल है जिसे DRDO भारतीय रक्षा संवेदक VEM Technologies Ltd. के साथ 2015 से तैयार कर रहा था.
- MPATGM में एक बहुत ही विस्फोटक एंटी टैंक निरोधी (high-explosive anti-tank – HEAT) अस्त्र लगा हुआ है जो 5 km तक लक्ष्य भेद सकता है.
MPATGM की माँग
भारतीय सेना को आज अपने पैदल सेना और यांत्रिक इकाइयों के लिए 40,000 से अधिक मिसाइल चाहिएँ. वैसे मिसाइलों के लिए दूसरे देशों से भी बात चल रही है. हाल ही में अमेरिका में बने जेवलिन प्रणाली (Javelin system) पर विचार हुआ पर उसे अस्वीकृत कर दिया गया. वर्तमान में इजरायल की स्पाइक प्रणाली को खरीदने की बात चल रही है पर इसपर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. पहला परीक्षण 13 मार्च, 2019 को किया गया था. दोनों मिशनों में मिसाइलों ने विभिन्न रेंजों पर निर्धारित लक्ष्यों पर निशाना साधा. मिशन के सारे उद्देश्य पूरे कर लिए गए हैं.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
Topic : Climate Vulnerability Index
संदर्भ
हिमालय क्षेत्र के समस्त राज्यों में जलवायु परिवर्तन के संकट के मूल्यांकन के लिए वैज्ञानिकों ने एक सामान्य ढाँचा को विकसित किया है. इसके आधार पर एक सूचकांक तैयार हुआ है जिसमें निम्नलिखत कारकों को ध्यान में रखा गया है –
- सामाजिक-आर्थिक दशा.
- जनसंख्या और स्वास्थ्य की स्थिति.
- कृषि उत्पादन की संवेदनशीलता.
- जंगल पर निर्भर रोजगार.
- सूचना, सेवाओं और अवसंरचना की उपलब्धता.
यह मूल्यांकन जिन प्रतिष्ठानों ने संयुक्त रूप से किया है, वे हैं – गुवाहाटी और मंडी में स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), बेंगलुरु का भारतीय विज्ञान संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, स्विस डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (SDC). विदित हो कि स्विस डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन वह संस्थान है जो भारतीय हिमालय जलवायु अनुकूलन कार्यक्रम (IHCAP) का कार्यान्वयन करता है.
मुख्य निष्कर्ष
- मूल्यांकन प्रतिवेदन से स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन से होने वाला संकट सबसे अधिक असम (0.72) और मिजोरम (0.71) पर है क्योंकि सूचकांक में इनका स्थान सर्वोपरि है.
- असम में जलवायु परिवर्तन के खतरे सबसे अधिक इन कारणों से हैं – निम्न प्रति व्यक्ति आय, जंगलों की कटाई, बहुत अधिक सीमांत किसान, सिंचाई की सुविधा से युक्त सबसे कम भूमि, आय के वैकल्पिक साधनों का अभाव, गरीबी की ऊँची दर.
- सूचकांक के अनुसार जिस राज्य पर जलवायु परिवर्तन का संकट न्यूनतम है वह सिक्किम (0.42) है.
- प्रतिवेदन के अनुसार किसी एक राज्य में जलवायु परिवर्तन का संकट इन कारणों से विभिन्न जिलों में अलग-अलग हो सकता है – भौगोलिक बनावट, जलवायु की दशा, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और जन समुदाय.
जलवायु परिवर्तन के संकट के प्रति संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों के सूचकांक का महत्त्व
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव हिमालय क्षेत्र में अभी से दिखाई देता है. यहाँ सेब की खेती के क्षेत्र घटते जा रहे हैं और फसल लगाने की पद्धतियाँ भी बदल रही हैं. भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएँ पहले से अधिक हो रही हैं. पहाड़ियों में झरने सूख रहे हैं और रोगवाहक-जनित रोग फ़ैल रहे हैं. इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि हिमालय क्षेत्र में इस खतरे का सम्यक मूल्यांकन हो और यह जानकारी हो कि ये खतरे कहाँ अधिक और कहाँ कम है. इससे सरकार को नीति-निर्धारण और धन आवंटन में सुविधा मिलेगी. साथ ही विशेषज्ञ लोग बदलती जलवायु के अनुसार यहाँ के जीवन को ढालने में समर्थ हो सकेंगे. वैज्ञानिक भी नई तकनीकों के सहारे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम करने में अपना योगदान कर सकते हैं.
Prelims Vishesh
AFINDEX-19 :–
- मार्च 18 से 27, 2019 तक पुणे में भारतीय सेना और 16 अफ्रीकी देश की सेनाओं का एक संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास होने जा रहा है.
- इस अभ्यास को AFINDEX कहा जाता है.
- इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर एक्ट के अधीन कार्यरत शान्ति-रक्षक सेनाओं को सहसंचालन का प्रशिक्षण देना है.
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