Sansar Daily Current Affairs, 15 March 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Issues related to women.
Topic : Plea to constitute district medical boards
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार से बलात्कार के शिकार लोगों को सहयोग प्रदान करने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों सहित जिला मेडिकल बोर्ड गठित करने की माँग करने वाली एक याचिका पर प्रत्युत्तर देने को कहा है.
न्यायालय ने यह भी कहा है, कि यदि किसी महिला के साथ बलात्कार होता है और वह गर्भवती हो जाती है, इस स्थिति में महिला को यह सूचित करना अनिवार्य है कि उसके कानूनी अधिकार इस संदर्भ में क्या-क्या हैं.
संबंधित प्रकरण
न्यायालय द्वारा बलात्कार की शिकार एक 14 साल की बच्ची द्वारा गर्भपात कराने की माँग से संबंधित मामले की सुनवाई की जा रही है. पीड़िता के गर्भपात की अनुमति दिए जाने के अलावा याचिका में 20 सप्ताह से अधिक समय बाद अनचाहे गर्भ को समाप्त करने के बाबत मेडिकल बोर्ड गठित करने के लिए दिशा-निर्देश तय करने का अनुरोध किया गया था.
आवश्यकता
इस मामले ने प्रत्येक जिले में मेडिकल बोर्ड स्थापित करने की आवश्यकता को उजागर किया है. इससे बलात्कार के शिकार लोगों को प्रारम्भिक चिकित्सा सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो सकेगा तथा इन्हें और अधिक अतिरिक्त पीड़ा से गुजरने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा.
- महिलाओं के लिए प्रजनन संबंधी चुनाव अथवा विकल्प, उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और शारीरिक स्वायत्तता पर गंभीर प्रतिबंध लगाने वाले क़ानून के विरुद्ध जबरदस्त दबाव डाला जा रहा है.
- वर्ष 1971 के इस कानून के विरुद्ध, बलात्कार की शिकार तथा कई अन्य प्रभावित महिलाएँ भी सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगा चुकी हैं.
- अब तक, सर्वोच्च न्यायालय, मामला-दर मामला आधार पर गर्भापात संबंधी याचिकाओं का समाधान करती रही है.
क़ानून के प्रमुख प्रावधान
- मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 की धारा 3 के अनुसार, गर्भधारण के 20 सप्ताह के पश्चात् गर्भपात कराना निषिद्ध है.
- यदि किसी पंजीकृत चिकित्सक द्वारा न्यायालय में यह सिद्ध किया जाता है कि, गर्भपात नहीं करने की स्थिति में माँ की जान को खतरा हो सकता है, तब कानून के तहत इसके लिए छूट दी गयी है.
गत वर्ष, मार्च 2020 में ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (संशोधन) विधेयक’ (Medical Termination of Pregnancy (MTP) Amendment Bill), 2020 लोकसभा में पारित कर दिया गया था, परन्तु अभी इस पर राज्यसभा में चर्चा शेष है.
इस विधेयक में, विशेष परिस्थितयों में गर्भपात की अनुमति हेतु निर्धारित 20 सप्ताह की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 24 सप्ताह किये जाने का प्रस्ताव किया गया है.
गर्भपात बनाम मौलिक अधिकार
भारत में गर्भपात वास्तविक अर्थों में कानूनी अधिकार नहीं है। कोई महिला चिकित्सक के पास जाकर यह नहीं कह सकती कि वह गर्भपात करवाना चाहती है. सुरक्षित कानूनी गर्भपात उसी स्थिति में हो सकता है अगर चिकित्सक कहे कि ऐसा करना आवश्यक है.
मेरी राय – मेंस के लिए
प्रजनन संबंधी चुनाव अथवा विकल्प का अधिकार, गर्भधारण करने तथा इसे पूर्ण अवधि तक रखने अथवा गर्भपात कराने में महिला की इच्छा अथवा चुनाव का अधिकार है. यह स्वतंत्रता, संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा मान्यता प्राप्त निजता, गरिमा, निजी स्वायत्तता, शारीरिक संपूर्णता, आत्मनिर्णय और स्वास्थ्य के अधिकार का मूल तत्त्व है.
दुनिया-भर के सभी प्रमुख धर्मों का मानना है कि जीवन प्रकृति के द्वारा दी गई वस्तु है, इसलिए मनुष्य को जीवन छीनने या समाप्त करने का अधिकार नहीं है. भारतीय दंड संहिता, 1860 के अंतर्गत स्वेच्छा से गर्भपात कराना दंडनीय अपराध है. वहीं दूसरी तरफ, भारत के संविधान में जीवन का अधिकार मौलिक अधिकार है. परंतु पिछले कई दशकों से विश्व-भर में, विशेषतः पश्चिमी देशों में, ‘गर्भपात’ उग्र बहस का विषय रहा है. इस बहस के दो पक्ष रहे हैं – स्त्री सशक्तीकरण, गरिमा एवं स्वायत्तता तथा जीवन का अधिकार.
कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है कि प्रजनन और गर्भपात महिला की निजी पसंद व अधिकार हैं. दूसरी ओर, कई लोग यह कहते हैं कि राज्य का परम कर्त्तव्य है जीवन की रक्षा करना, न कि जीवन लेना. वे भ्रूण संरक्षण जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं और गर्भपात को अनैतिक. इंग्लैंड में बड़ी लंबी बहस और विरोध के बाद सर्वप्रथम 1967 में गर्भपात कानून निर्मित हुआ और उसमें समय-समय पर संशोधन हुए. वहाँ विशिष्ट व निर्धारित आधार पर ही गर्भपात की अनुमति है.
बलात्कार से गर्भ और जन्म नियंत्रण उपायों की विफलता सहित, या भ्रूण की असामान्यता के मामले में भी गर्भाधान के 20 सप्ताह के अंदर गर्भपात किया जा सकता है. लंबे समय से भारत में इस कानून में संशोधन की माँग रही है.
मातृत्व एक वरदान है, मगर बलात्कार से उत्पन्न जीवन उस माता के लिए सामाजिक अभिशाप बन सकता है. साथ ही असामान्य भ्रूण या अनिच्छा गर्भ तथा स्त्री को जीवन संकट ऐसी परिस्थितियाँ हैं, जिनसे निर्धारित प्रक्रिया और निश्चित आधार पर अब गर्भपात हो सकेगा.
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (संशोधन) विधेयक प्रगतिकारी है. यह एक लंबी अपेक्षा की पूर्ति करता है तथा महिलाओं की गरिमा और स्वायत्तता के अनुरूप है और उन्हें सशक्त करता है. इसके पारित होने से कई मामले, जो न्यायालयों में लंबित हैं, उनका स्वतः निराकरण होगा और सुरक्षित गर्भपात से मातृ मृत्यु दर तथा अस्वस्थता में कमी आएगी.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Sand Mining
संदर्भ
हाल ही में बिहार सरकार ने नदी सेतुओं के नजदीक रेत खनन (sand mining) को प्रतिबंधित किया है.
अवैध रेत खनन के कारण
- माँग-आपूर्ति में असंतुलन : भारत में वर्ष 2000 के बाद से निर्माण गतिविधियों में रेत का वार्षिक उपयोग तीन गुना हो गया है. इसके चलते रेत का मूल्य पिछले 2 वर्षों में 150-200% तक बढ़ गया है. इस प्रकार अवैध रेत व्यापारियों के लिए एक आदर्श स्थिति उत्पन्न हो गई है.
- अप्रभावी नीतियाँ और प्रशासन का लापरवाहीपूर्ण दृष्टिकोण.
- खनन कंपनियों, नौकरशाही और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच मिलीभगत.
संधारणीय खनन को प्रोत्साहन देने हेतु उठाए गए कदम
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में रेत खनन के लिए प्रवर्तन एवं निगरानी संबंधी दिशा-निर्देश निर्गत किए गए हैं.
- प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना शुरू की गई है.
- अवैध खनन की जाँच हेतु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए खनन निगरानी प्रणाली संचालित है.
- रेत का विकल्प ढूँढना, जैसे- फ्लाई ऐश, स्लैग (धातुमल) का उपयोग, चूर्णित काँच (powdered glass) आदि.
अवैध रेत खनन के प्रभाव
रेत खनन से न मात्र जल-प्रवाह की दिशा परिवर्तित हो जाती है, बल्कि यह नदियों पर निर्मित सेतुओं की नींव के लिए भी खतरा पैदा कर देता है.
वे घटक जिन पर अवैध रेत खनन का प्रभाव पड़ता है –
- जैव विविधता:- सम्बंधित पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव (उदाहरणार्थ, मत्स्यपालन)
- भूमि-निम्नीकरण:- अपरदन के माध्यम से अंतर्देशीय और तटीय दोनों भूमियों का निम्नीकरण
- जल-विज्ञान तंत्र:- जल प्रवाह, बाढ़ विनियमन और समुद्री धाराओं में परिवर्तन
- जलापूर्ति:- भौम जलस्तर के कम होने और प्रदूषण के माध्यम से प्रभावित
- अवसंरचना:- सेतुओं, नदी तटबंधों और तटीय अधोसंरचनाओं को क्षति
- जलवायु:- प्रत्यक्ष रूप से परिवहन से उत्सर्जन के माध्यम से, अप्रत्यक्ष रूप से सीमेंट उत्पादन के माध्यम से
- भू-परिदृश्य:- तटीय अपरदन, डेल्टा संरचनाओं में परिवर्तन, खदान, नदियों का प्रदूषण आदि.
- चरम घटनाएँ:- चरम घटनाओं (बाढ़, सूखा, चक्रवात महोर्मी आदि) से सुरक्षा की कमी.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Metal Recycling
संदर्भ
सरकार, जून 2021 तक धातु पुनर्चक्रण प्राधिकरण (Metal Recycling Authority) का गठन करेगी. यह प्राधिकरण प्रमुख अलौह धातुओं (जैसे-एल्यूमीनियम, तांबा, जस्ता और सीसा) के पुनर्चक्रण को प्रोत्साहन प्रदान करेगा. विदित हो कि इन अलौह-धातुओं का प्रयोग मोटर वाहन, विद्युत आदि जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से होता है.
- यह प्राधिकरण यह नीति 6Rs {Reduce- कम करना, Reuse-पुन: उपयोग, Recycle- पुनरावृत्ति, Recover- पुनर्प्राप्त, Redesign- नया स्वरूप और Remanufacture नया निर्माण} के सिद्धांतों पर कार्य करेगा.
- यह प्राधिकरण पुनर्चक्रण के लिए गुणवत्ता मानकों के निर्धारण, प्रमाणन और प्रक्रियागत मानकों की निगरानी करेगा.
- नीति आयोग के एक प्रतिवेदन के अनुसार, भारत में धातु पुनर्चक्रण दर वैश्विक मानकों की तुलना में बहुत कम है. इसके अतिरिक्त, पुनर्चक्रण अधिकांशतः: अनौपचारिक क्षेत्र में ही संचालित किया जाता है.
पुनर्चक्रण के सम्मुख मौजूद चुनौतियां
एक संगठित पुनर्प्राप्ति तंत्र का अभाव, पुनर्नवीनीकृत उत्पादों के मानकीकरण का अभाव, विशिष्ट कौशल घटकों का अभाव आदि.
घातु-पुनर्चक्रण से प्राप्त लाभ
सामाजिक लाभ: धातु निष्कर्षण ने विस्थापन, आजीविका की हानि और जनजातीय एवं अन्य स्थानीय समुदायों के विरोध से व्युत्पन्न संघर्षों में योगदान दिया है.
खनन द्वारा उत्पन्न दबाव को कम करने से पारिस्थितिक निम्नीकरण को भी कम करने में सहायता मिलेगी.
आर्थिक लाभ: केवल विनिर्माण क्षेत्र में, भारत 60,855 मिलियन रुपये तक की बचत कर सकता है.
रोजगार सृजन क्षमता: नए उद्योगों की स्थापना, पुनर्चक्रण में नवाचार आदि.
हाल ही में, खान मंत्रालय द्वारा स्क्रैप संग्रहण, पृथकरण और उद्धवंसन इकाइयों (dismantling) को विनियमित करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ राष्ट्रीय अलौह धातु स्क्रैप पुनर्चक्रण रूपरेखा (National Non-Ferrous Metal Recycling Framework) निर्गत की गई है.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Issues related to biotechnology.
Topic : Genome mapping in the Indian Ocean
संदर्भ
राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (National Institute of Oceanography- NIO) ने हिंद महासागर (Indian Ocean) में अपनी तरह की पहली जीनोम मैपिंग (Genome Mapping) परियोजना शुरू करने की योजना बनाई है.
जीनोम मैपिंग
- एक जीन के स्थान और जीन के बीच की दूरी की पहचान करने के लिये उपयोग किये जाने वाले विभिन्न प्रकार की तकनीकों को जीनोम मैपिंग (Genome Mapping) कहा जाता है.
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने जनवरी 2020 में मानव जीनोम परियोजना (Human Genome Project) से प्रेरणा लेते हुए महत्त्वाकांक्षी “जीनोम भारत परियोजना“ (Genome India Project) की शुरुआत की. इस परियोजना का उद्देश्य पूरे भारत से 10,000 नागरिकों के आनुवंशिक नमूने एकत्र करना है, ताकि एक संदर्भ जीनोम का निर्माण किया जा सके.
हिंद महासागर में प्रस्तावित जीनोम मैपिंग योजना के विषय में
- वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् – राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (CSIR-NIO) ने हिंद महासागर में एकल-कोशिका जीवों के अंदर विद्यमान जीनोम और पोषक तत्त्व की प्रोटेक्टिव मैपिंग का संचालन करने हेतु 90 दिवसीय वैज्ञानिक क्रूज मिशन प्रारम्भ करने की योजना बनायी है.
- इससे कैंसर के उपचार तथा वाणिज्यिक जैव प्रोद्योगिकी क्रियाविधि में भारत के अनुसंधान विंग को दृढ़ता मिलेगी.
- जलवायु परिवर्तन और पोषक तत्त्वों की प्रोटेक्टिव मैपिंग के लिए सामुद्रिक प्रतिक्रिया के अध्ययन में सहयोग प्राप्त होगा.
- इस अभियान में 30 वैज्ञानिक और शोधकर्ता कार्य करेंगे, जिसमें छह महिलाएँ भी सम्मिलित हैं.
- यह मार्च के दूसरे सप्ताह से लेकर मध्य मई तक (करीब 90 दिन) कार्यान्वित अभियान होगा.
- इस अभियान में करीब 9000 समुद्री मील तक की दूरी तय की जाएगी.
- इसमें भारत के पूर्वी तट से हिंद महासागर में ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस में पोर्ट लुई से होते हुए पाकिस्तान की सीमा की तरफ से भारत के पश्चिमी तट तक के सूक्ष्मजीवों की जीनोम मैपिंग के लिए नमूने एकत्र किए जाएँगे.
- शोधकर्त्ता समुद्र के विभिन्न हिस्सों से लगभग 5 किमी. की औसत गहराई पर नमूने एकत्र करेंगे.
- जीन मैपिंग जैसे इंसानों से एकत्र किये गए रक्त के नमूनों पर की जाती है, वैसे ही वैज्ञानिक समुद्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया, रोगाणुओं का मानचित्रण करेंगे.
- उनमें मौजूद पोषक तत्त्वों और समुद्र के विभिन्न हिस्सों में उनकी कमी का पता डीऑक्सीराइबोस न्यूक्लिक एसिड (DNA) और राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) की मैपिंग से चलेगा.
- वाणिज्यिक जैव प्रोद्योगिकी अनुप्रयोगो में भारत के अनुसंधान को मजबूत करने के लिए जीनोम और सूक्ष्म पोषक तत्वों की तलाश में पानी, तलछट, समुद्री पादप और विभिन्न जीवों के नमूने लिए जाएंगे.
- मानचित्रण का मुख्य कारण पोषक तत्वों में आयरन, जिंक, मैग्नेशियम, कैडमियम, कोबाल्ट जैसे सूक्ष्म तत्वों कि उपस्थिति कि जांच करना है.
- ज्ञातव्य है की हिन्द महासागर पृथ्वी का तीसरा सबसे बड़ा महासागर ( प्रशांत और अटलांटिक महासागर के बाद) है. हिन्द महासागर जलवायु और ऑक्सीज़न के विनयमन के महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
CSIR
- वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है.
- इसकी स्थापना सितंबर 1942 में की गई थी. और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है.
- CSIR विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत स्वायत्त निकाय है.
- भारत का प्रधानमंत्री इस परिषद का पदेन अध्यक्ष और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पदेन उपाध्यक्षहोता है.
- वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद का उद्देश्य राष्ट्रीय महत्व से संबंधित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान करना है.
राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (National Institute of Oceanography – NIO)
- राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की एक प्रयोगशाला है.
- इसकी स्थापना वर्ष 1960 के अंतर्राष्ट्रीय हिंद महासागर अभियान (International Indian Ocean Expedition) के अंतर्गत 1 जनवरी सन् 1966 को हुई थी और इसका मुख्यालय गोवा में स्थित है तथा मुम्बई, कोच्चि एवं विशाखापट्टनम में इसके क्षेत्रीय कार्यालय हैं.
- इसका कार्य उत्तरी हिन्द महासागर के विशिष्ट समुद्र वैज्ञानिक पहलुओं का विस्तृत अध्ययन करना है.
Prelims Vishesh
Tavi River :-
- तवी नदी उत्तर भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में बहने वाली एक नदी है, जिसे जम्मू प्रांत की जीवन रेखा समझी जाती है.
- यह नदी जम्मू में 7 लाख से अधिक लोगों के लिए पेयजल का स्रोत है.
- इस नदी का उद्गम जम्मू के भद्रवाह में स्थित कैलाश कुंड हिमनद से होता है.
- तवी नदी डोडा और उधमपुर जिलों से गुजरते हुए चिनाब नदी में मिल जाती है.
Salda lake :-
- पृथ्वी के सुदूरवर्ती क्षेत्रों पर प्राचीन जीवन के संकेतकों की खोज में कार्यरत वैज्ञानिकों द्वारा साल्दा झील से एकत्र किए गये आँकड़ों का इस संदर्भ में प्रयोग किया जा रहा है.
- साल्दा झील एक मध्यम आकार का क्रेटर झील है.
- इस झील में मैग्नेशियम आयनों की अत्यधिक उच्च सांद्रता पाई जाती है.
- यह तुर्की के दक्षिण-पश्चिम में बुर्दुर प्रान्त में स्थित है. यह अत्यधिक क्षारीय झील है.
INS Karanj :-
- हाल ही में भारतीय सेना की तीसरी स्टील्थ स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS करंज को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है.
- फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई में छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं. छह में से दो पनडुब्बी आईएनएस कलवरी और खंडेरी पहले ही नौसेना के बेड़े में शामिल हो चुकी हैं.
- शेष तीन पनडुब्बियों के नाम हैं – INS वागीर, INS वेला और INS वाग्शीर.
- INS करंज डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है जिसे प्रोजेक्ट-75 के तहत तैयार किया जा रहा है.
- यह बिना किसी आवाज के दुश्मन के खेमे में पहुँचकर उसे तबाह करने की क्षमता रखती है. रडार इसे पकड़ नहीं सकते. लंबे वक्त तक पानी में रह सकती है.
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