Sansar Daily Current Affairs, 16 August 2021
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.
Topic : Ayushman Bharat
संदर्भ
केंद्र सरकार के अनुसार “आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना” के अंतर्गत, अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 तक करीब 20.32 लाख कोविड 19 परीक्षण और 7.08 लाख उपचारों के लिए स्वीकृति दी गयी थी.
आयुष्मान भारत योजना
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) का लाभ उठाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 द्वारा अनुशंसित “आयुष्मान भारत” योजना को वर्ष 2018 में आरंभ किया गया था.
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) से तात्पर्य यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय कठिनाई का सामना किए बिना पर्याप्त गुणवत्तापूर्ण हो का आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं (रोकथाम, उत्थान, उपचार, स्वास्थ्य लाभ और उपशमन सहित) तक सभी लोगों की पहुंच हो.
आयुष्मान भारत में दो अंतर-संबंधित घटक शामिल हैं यथा:
- स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र(HWCs): रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन के लिए मौजूदा उप केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को परिवर्तित करके 1,50,000 स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का निर्माण करना.
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना(AB-PMJAY): यह सार्वजनिक व सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में माध्यमिक एवं तृतीयक स्वास्थ्य उपचार के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर प्रदान करती है.
- योजना के लाभ पूरे देश में पोर्टेबल हैं अर्थात् इस योजना का लाभ पूरे देश में कहीं भी लिया जा सकता है.
- योजना के अंतर्गत परिवार के आकार पर कोई सीमा आरोपित नहीं की गई है.
लाभार्थी को लाभ मिलना भी चुनौती होगी
- लाभार्थी को इस योजना का लाभ मिले यह एक बड़ी चुनौती है. इस योजना के संबंध तमाम फेक वेबसाइट सक्रिय हैं जो आम लोगों में भ्रम पैदा कर रही हैं. कुछ वेबसाइट के नाम हैं net, ayushmanbharat.co.in, pradhanmantriyojna.in आदि.
- ये सभी वेबसाइट्स गलत सूचनाएँ दे रही हैं. इनके द्वारा बताया जा रहा है कि यह नामांकन आधारित योजना है. इसके लिये जनता से रुपए लेकर नामांकन का दावा किया जा रहा है. जबकि यह नामांकन आधारित योजना नहीं है. सबसे पहले जनता को इस संबंध में जागरूक करने की आवश्यकता है कि यह सामाजिक, आर्थिक, जातिगत जनगणना पर आधारित 10 करोड़ परिवारों की सूची तैयार की गई है जिसका सत्यापन सरकार द्वारा कर लिया गया है और उन्हें कार्ड देने की प्रक्रिया जारी है और ये लाभार्थी इन्हीं परिवारों के सदस्य हैं.
- इन फेक वेबसाइट्स पर लगाम लगाना भी एक चुनौती है. हालाँकि गृह मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा है कि इन तमाम वेबसाइट्स को ट्रैक कर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए.
निष्कर्ष
- यह मुहिम सिर्फ भारत सरकार या राज्य सरकारों की नहीं है. यह उनके लिये है जिनको इसकी ज़रुरत है. इसमें सबसे बड़ी भूमिका आम नागरिक के साथ साथ सभी अस्पतालों, डाक्टरों, नर्सों तथा पैरा मेडिकल स्टाफ की भी है जिनके सहयोग से गरीब जनता को उसका हक़ मिल पाएगा.
- देश में सार्वजनिक चिकित्सा सुविधाओं को बहुत अच्छा नहीं माना जाता और इनमें उत्तरदायित्व की कमी जैसे कई नकारात्मक पहलू उजागर होते हैं. साथ ही, सभी देशवासियों की पहुँच अच्छे हॉस्पिटलों तक होना अब भी सपना जैसा है.
- स्पष्ट रूप से जहाँ इस कार्यक्रम के अंतर्गत बहुत से लक्ष्यों को प्राप्त करने की रणनीति बनाई जा रही है वहीं, कई पक्ष ऐसे भी हैं जिनके विषय में और अधिक ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है.
- सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव अधिक है. ऐसे में निजी अस्पतालों को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना होगा. सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट को बढ़ाकर स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढाँचे पर काम करने की आवश्यकता है. लाभार्थियों को इस योजना का लाभ तभी मिल सकता है जब प्राथमिक उपचार केंद्र मज़बूत हों और सरकार सभी पक्षों की भागीदारी सुनिश्चित करे.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.
Topic : Flag Code of India
संदर्भ
22 जुलाई, 1947 को, भारत की स्वतंत्रता से 23 दिन पहले संविधान सभा की एक बैठक में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप (क्षैतिज आयताकार तिरंगा) में अपनाया गया था और 15 अगस्त 1947 को यह भारतीय स्वतंत्र-उपनिवेश (Dominion of India) का आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज बन गया.
इस विषय में संवैधानिक स्थिति
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि संविधान में किसी राज्य को अपना झंडा रखने की मनाही नहीं है. परन्तु राज्य के झंडे को इस तरह नहीं फहराना चाहिए कि राष्ट्रीय झंडे का अपमान हो.
संविधान की सातवीं अनुसूची में वर्णित समवर्ती सूची में झंडे का उल्लेख नहीं है. परन्तु अनुच्छेद 51A यह निर्देश करता है कि सभी नागरिक संविधान का पालन करेंगे और इसके आदर्शों एवं संस्थानों, राष्ट्रीय झंडे और राष्ट्रगीत का सम्मान करेंगे.
2002 की भारतीय झंडा संहिता (FLAG CODE OF INDIA) क्या कहती है?
यह संहिता राज्य के अलग झंडे का निषेध नहीं करता है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अन्य झंडे इस शर्त पर फहराए जा सकते हैं कि उन्हें उसी डंडे में नहीं लगाया जाए जिसमें भारतीय झंडा लगा हो अथवा उन्हें राष्ट्रीय झंडे से अधिक ऊँचे स्थान पर नहीं लगाया जाए.
किसी राज्य के लिए अलग झंडा स्वीकृत करने का निहितार्थ
एक राज्य को अपना झंडा रखने की छूट मिलेगी तो शेष अन्य राज्य भी अपना-अपना झंडा माँगने लगेंगे. कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि जर्मनी और अमेरिका में राज्यों को अलग-अलग झंडा मिला हुआ है इसलिए भारत में भी ऐसा होना चाहिए. परन्तु भारत और उन देशों के बीच बहुत अंतर है क्योंकि उन देशों की तुलना में भारत का संघीय स्वरूप अधिक प्रबल है और यहाँ के राज्य उतने स्वतंत्र नहीं हैं जितने कि उन देशों में.
उल्लेखनीय तथ्य
- भारत का राष्ट्रीय ध्वज, हाथ से काते गए और हाथ से बुने हुए ऊन / कपास /रेशम खादी की पट्टियों से निर्मित होगा.
- राष्ट्रीय ध्वज, आकार में आयताकार होगा. झंडे की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होगा.
- सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार सार्वजनिक भवनों पर झंडे को आधा झुकाए जाने के अवसरों को छोड़कर, आधा झुका हुआ झंडा नहीं फहराया जाएगा.
- राज्य द्वारा किए जाने वाले अंतिम संस्कार या सशस्त्र बलों अथवा अन्य अर्धसैनिक बलों के अंत्येष्टि संस्कार को छोड़कर, निजी अंतिम संस्कार सहित किसी भी रूप में ध्वज का उपयोग, किसी भी रूप में शव- आवरण के रूप में नहीं किया जाएगा.
- ध्वज का उपयोग किसी भी प्रकार की पोशाक या वर्दी के हिस्से के रूप में नहीं किया जाएगा, और न ही इसकी, किसी तकिया, रूमाल, नैपकिन या किसी ड्रेस सामग्री पर छपाई या कशीदाकारी की जाएगी.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.
Topic : The Tribunals Reforms Bill, 2021
संदर्भ
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने एक सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह देश में स्टाफ की कमी से जूझ रहे न्यायाधिकरणों को बंद कर देना चाहती है.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि केंद्र सरकार न्यायाधिकरण सुधार विधेयक, 2021 लेकर आई है, जिसके अंतर्गत कम से कम 8 न्यायाधिकरणों को समाप्त करने की योजना है. इस विधेयक को लोकसभा द्वारा पारित कर दिया गया है.
समाप्त किये जाने वाले न्यायाधिकरणों में फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (FCAT), बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड तथा कस्टम, एक्साइज एवं सर्विस टैक्स अपीलीय न्यायाधिकरण प्रमुख हैं.
सरकार ने वर्ष 2015 में अधिकरणों के सुव्यवस्थीकरण की प्रक्रिया आरंभ की थी. वित्तीय अधिनियम, 2017 के अनुसार, कार्यात्मक समरूपता के आधार पर सात अधिकरणों का विलय कर दिया था और उनकी कुल संख्या 26 से घटकर 19 रह गई थी.
न्यायाधिकरण सुधार विधेयक, 2021 के प्रमुख प्रावधान
- इसके जरिए अप्रैल 2021 में लाये गये न्यायाधिकरण सुधार अध्यादेश, 2021 को प्रतिस्थापित किया जायेगा.
- इसे विभिन्न क्षेत्रों में अर्द्ध न्यायिक निकायों के रूप अपीलीय संस्थाओं के रूप में कार्य कर रहे 8 न्यायाधिकरणों को समाप्त करने के लिए लाया गया है. अब इनके कामों को उच्च न्यायालयों को हस्तांतरित कर दिया जायेगा.
- इसके अतिरिक्त इस विधेयक में अन्य न्यायाधिकरणों में समान वेतन एवं उनके सदस्यों को हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है.
- विधेयक के अनुसार, सर्च-सिलेक्शन समिति की अनुशंसा पर सरकार न्यायाधिकरणों के सदस्यों को दिए गये विभिन्न आधारों पर हटा सकती है.
- राज्य न्यायाधिकरणों के लिए सर्च-सिलेक्शन समिति में मुख्य सचिव, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को वोटिंग अधिकारों, जबकि राज्य के प्रशासनिक विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को बिना वोटिंग अधिकार के शामिल किया गया है. समिति के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास अब निर्णायक मत नहीं होगा.
न्यायाधिकरणों को समाप्त करने के पीछे सरकार के तर्क
सरकार का कहना है कि न्यायाधिकरणों के गत तीन साल के डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि कई क्षेत्रों में न्यायाधिकरणों ने त्वरित रूप न्याय प्रदान नहीं किया. इस प्रकार इनके गठन के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पा रही थी. और तो और इनके कारण राजकोष पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था.
न्यायालय द्वारा व्यक्त चिंताएँ
न्यायाधिकरणों में सुधार, जवाबदेही में बढ़ोतरी के नाम पर सरकार इन अर्द्ध-न्यायिक निकायों की मूल संरचना के साथ खिलवाड़ कर रही है. इन न्यायाधिकरणों मे सेवानिवृत न्यायाधीश होते हैं, जिनके चयन नौकरशाहों को सौंपकर सरकार इनके कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप कर रही है. CJI रमनन्ना का कहना है कि भारत में अभी 16 ट्रिब्यूनल ऐसे हैं, जो रिक्तियों के कारण ठीक से कार्य नही कर पा रहे हैं जिनमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, आर्म्ड फोर्सज अपीलीय ट्रिब्यूनल, डेट रिकवरी ट्रिब्यूबूल आदि शामिल हैं. इसके अतिरिक्त न्यायाधिकरणों के सदस्यों के पास उस क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञता हासिल होती थी, इसलिए उनसे बेहतर निर्णय की उम्मीद की जा सकती थी. उच्च न्यायालयों में ऐसा नहीं होगा. उदाहरण के तौर पर फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों के प्रमाणन संबंधी CBFC के निर्णयों के विरुद्ध अपील के लिए FCAT के पास जाते थे, जो सिर्फ फिल्मों से संबंधित मामलों की सुनवाई करता था, लेकिन अब उन्हें इसके लिए उच्च न्यायालय जाना होगा.
आगे की राह
जुलाई 2021 में, सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की बेंच ने मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ केस में 2:1 के निर्णय में अध्यादेश के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक करार दिया था क्योंकि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है. अब यह देखना होगा कि न्यायपालिका और सरकार के बीच इस विवाद का हल किस प्रकार निकाला जाता है.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.
Topic : Cryptocurrency
संदर्भ
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को विनियमित करने से सम्बंधित प्रस्तावित कानून को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया गया है और इस पर मंत्रिमंडल की स्वीकृति की प्रतीक्षा की आ रही है.
क्रिप्टोकरेंसी पर वर्तमान स्थिति
- क्रिप्टोकरेंसी मामले पर गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा, भारत में राज्य द्वारा निर्गत किसी भी आभासी मुद्राओं को छोड़कर, सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किए जाने की अनुशंसा की गयी है.
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी बाजार में कारोबार की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी पर चिंता जताई है और इस विषय में केंद्र के लिए अवगत कराया है.
- मार्च 2020 में वापस, सर्वोच्च न्यायालय ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को RBI द्वारा वर्ष 2018 में जारी सर्कुलर की उपेक्षा करते हुए क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सेवाओं को बहाल करने की अनुमति दी थी. आरबीआई द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को (“अनुरूपता” के आधार पर) प्रतिबंधित कर दिया था.
विधेयक का अवलोकन
क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) के तहत सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज पर प्रतिबंध लगाने तथा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ऑफिशियल डिजिटल करेंसी निर्गत किए जाने का प्रावधान किया गया है.
इस कानून के उद्देश्य
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्गत आधिकारिक डिजिटल मुद्रा हेतु सुविधाजनक ढांचा तैयार करना.
- भारत में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज को प्रतिबंधित करना.
क्या है क्रिप्टोकरेंसी?
- क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी करेंसी है जिसे आप देख नहीं सकते इसलिए इसे आभासी मुद्रा भी कहते हैं.
- सरल शब्दों में आप इसे डिजिटल रुपया या डिजिटल करेंसी भी कह सकते हैं.
- क्रिप्टोकरेंसी को कोई बैंक जारी नहीं करती है.
- इसको निर्गत करने वाले ही इसका नियंत्रण और संचालन करते हैं. इसका प्रयोग डिजिटल दुनिया में ही होता है.
- इस मुद्रा में कोडिंग तकनीक का प्रयोग होता है/इस तकनीक के माध्यम से करेंसी के लेन-देन का सम्पूर्ण लेखा-जोखा होता है.
- इसको हैक करना बहुत कठिन होता है. यही वजह है कि क्रिप्टोकरेंसी में धोखाधड़ी की संभावना न के बराबर होती है.
- इंटरनेट पर इस आभासी मुद्रा का प्रारम्भ जनवरी 2009 में बिटकॉइन के नाम से हुआ था.
विश्व-भर में विभिन्न नाम से क्रिप्टोकरेंसी
वर्तमान समय में पूरे विश्व में कई प्रकार के वर्चुअल करेंसी हैं. विश्व-भर में बिटकॉइन, रिप्लड, एथेरम और कार्डनो जैसे तकरीबन 2,116 क्रिप्टो करेंसियाँ प्रचलित हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण 119.46 अरब डॉलर के बराबर है.
- दुबई (UAE) – Emcash
- वेनेजुएला – Petro
- एस्टोनिया – Estcoin
- रूस – Crypytoruble
- स्वीडेन – E-Krona
- जापान – J-Coin
Bitcoin के बारे में डिटेल पढ़ें > Bitcoin in Hindi
मुख्य तथ्य
- भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों में कम उम्र के निवेशकों (18-35 वर्ष की आयु) की संख्या अधिक है.
- भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करन वालों की संख्या अब बढ़कर 1.5 करोड़ हो गई है.
- भारतीयों के अलावा चीन के नागरिकों ने $161 बिलियन डॉलर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किये हैं.
- ज्ञातव्य है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2018 में बैंकों समेत सभी विनियामक एजेंसियों को क्रिप्टोकरेंसी से निपटने हतु किसी भी व्यक्ति या इकाई द्वारा आभासी मुद्राओं (virtual currencies) के व्यवसाय को रोकने के लिये निर्देशित किया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2020 में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और व्यापार पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया.
- सर्वोच्च न्यायालय न कहा कि RBI ने क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार के तरीके में किसी खतरे को उजागर नहीं किया है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश एवं व्यापार पर प्रतिबन्ध लगाने के पीछे निम्न कारण थे-
किसी भी दश या केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित नहीं होने के कारण मुद्रा के रूप में क्रिप्टोकरेंसी की विश्वसनीयता में कमी, पारदर्शिता का अभाव एवं कीमतों की अस्थिरता.
Prelims Vishesh
Gestational diabetes mellitus : GDM :-
- सरकार सभी गर्भवती महिलाओं के लिए ब्लड शुगर टेस्ट अनिवार्य किए जाने पर बल दे रही है.
- इसमें रोग के कोई भी लक्षण प्रदर्शित नहीं करने वाली महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा.
- “डायबिटीज इन प्रेग्नेंसी स्टडी ग्रुप इंडिया (DIPSI)” द्वारा अनुशंसित एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा समर्थित “एकल जांच प्रक्रिया” (Single Test Procedure) द्वारा इस रोग का निदान, एक वहनीय और विश्वसनीय समाधान है.
- GDM को गर्भावस्था के दौरान, आरंभिक या प्रथम बार पहचाने गए ग्लूकोज इंटॉलरेन्स के किसी भी चरण के रूप में परिभाषित किया गया है.
- सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं में GDM के निदान और प्रबंधन हेतु कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इनके अनुसार सभी गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक प्रसव पूर्व देखभाल पैकेज में इस जांच को शामिल किया गया है.
Persons in news :-
Sarla Thakral
- सरला ठकराल (8 अगस्त 1914- 15 मार्च 2008) विमान उड़ाने वाली भारत की प्रथम महिला को गूगल ने उनकी 107वीं जयंती पर एक अनूठे डूडल के साथ सम्मानित किया,
- उन्होंने अपना “A लाइसेंस” प्राप्त करने के लिए 1,000 घंटे की उड़ान का समय पूर्ण किया था.
- यह उपलब्धि किसी भी भारतीय महिला द्वारा प्रथम बार प्राप्त की गई थी.
- वह एक कुशल चित्रकार और डिजाइनर भी थीं.
Mananiya Chaman Lal
- भारत के उपराष्ट्रपति ने मननिया चमन लाल के जीवन और कार्य को रेखांकित करने के लिए उन पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया है.
- वे एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और संघ प्रचारक थे.
- उन्होंने वर्ष 1947 के भारत विभाजन के पीड़ितों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास किए थे.
- पुनर्ववीकरण और पारिस्थितिक संतुलन के संरक्षण के प्रति भी उनकी गहरी रुचि थी.
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