Sansar Daily Current Affairs, 16 February 2022
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय.
Topic : Lassa fever
संदर्भ
‘लासा बुखार’ (Lassa fever) नामक गंभीर बीमारी से नाइजीरिया में पिछले माह 40 लोगों की मौत हुई और 200 से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए.
ब्रिटेन में भी ‘लासा फीवर’ से तीन लोग संक्रमित पाए गए जिनमें से एक शख्स की मौत हो गई है. ये तीनों व्यक्ति अफ्रीका से यात्रा के बाद ब्रिटेन लौटे थे.
‘लासा / लस्सा’ क्या है?
- लासा वायरस (Lassa virus) का नामकरण नाइजीरिया के लासा नामक एक शहर के नाम पर किया गया है जहां 1969 में सबसे पहले इस प्रकार के मामले देखे गए थे.
- इस बीमारी से जुड़ी मृत्यु दर कम है, लगभग एक प्रतिशत.
- हालांकि, कुछ व्यक्तियों के लिए मृत्यु दर अधिक है, जैसे गर्भवती महिलाओं की तीसरी तिमाही में.
संचरण
- ‘लासा बुखार’ या ‘लासा फीवर’ मुख्यतः चूहों से फैलता है.
- इस वायरस के ‘व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण’ की भी संभावना है.
लक्षण
- ‘लासा फीवर’ से संक्रमित होने पर हल्के लक्षणों में हल्का बुखार, थकान, कमजोरी और सिरदर्द शामिल हैं, और अधिक गंभीर लक्षणों में रक्तस्राव, सांस लेने में कठिनाई, उल्टी, चेहरे की सूजन, छाती, पीठ और पेट में दर्द और झटके लगना आदि शामिल हैं.
- ‘लासा फीवर’ से जुड़ी सबसे आम समस्या ‘बहरापन’ है.
- यद्यपि, इस बीमारी से जुड़ी ‘मृत्यु दर’ काफी कम, लगभग एक प्रतिशत है. किंतु, कुछ व्यक्तियों- जैसेकि छह माह से अधिक का गर्भ धारण करने वाली गर्भवती महिलाओं – के लिए मृत्यु दर अधिक होती है.
रोकथाम / निवारण
इस बीमारी से संक्रमित होने से बचने का सबसे अच्छा तरीका चूहों के संपर्क से बचना है.
इस प्रकार के संक्रामक रोगों / महामारियों से निपटने का तरीका
इस प्रकार के संक्रामक रोगों / महामारियों से निपटने हेतु, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आने वाली पीढ़ियों की रक्षा करने में सक्षम एक अधिक सशक्त वैश्विक स्वास्थ्य संरचना का निर्माण करने के लिए “महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया हेतु एक नई अंतर्राष्ट्रीय संधि की दिशा में” एक साथ काम करना चाहिए.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता.
Topic : PSLV -C52/ EOS-04 Mission
संदर्भ
हाल ही में इसरो (ISRO) द्वारा भू-प्रेक्षण उपग्रह ‘EOS-04’ तथा दो अन्य उपग्रहों (INSPIRE SAT-1 और INS-2TD) को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया है.
इन उपग्रहों को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के प्रथम प्रमोचन पैड से ‘ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक रॉकेट’ (PSLV- C52) को प्रक्षेपित किया गया है.
महत्त्व
- इसरो द्वारा वर्ष 2022 में किया जाना पहला प्रक्षेपण है.
- अगस्त 2021 में GSLV F10 मिशन की विफलता के बाद इसरो का यह पहला मिशन था.
- एस सोमनाथ की अध्यक्षता में अंतरिक्ष एजेंसी का यह पहला मिशन था.
कक्षा: तीनों उपग्रहों को 529 किमी की सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में सफलतापूर्वक अंतःक्षेपित किया गया है.
ईओएस-04 के बारे में
EOS-04 एक रेडार प्रतिबिंबन / इमेजिंग (Imaging) उपग्रह है, जिसे कृषि, वानिकी एवं पौधारोपण, मृदा नमी एवं जल विज्ञान तथा बाढ़ मानचित्रण, जैसे अनुप्रयोगों के लिए सभी मौसम स्थितियों में उच्च गुणवत्ता युक्त प्रतिबिंबों को उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है.
उपग्रह का मिशन जीवन-काल 10 वर्ष है.
ऑप्टिकल उपकरणों की अपेक्षा रडार इमेजिंग के लाभ
रडार इमेजिंग में मौसम, बादल, कोहरे अथवा सौर-प्रकाश की कमी आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. यह सभी परिस्थितियों में और हर समय उच्च-गुणवत्ता वाले चित्र प्रदान कर सकता है.
आईएनएस-2डीटी
आईएनएस-2डीटी (INS-2DT) प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करने वाला एक उपग्रह है, जिसमें एक ‘थर्मल इमेजिंग कैमरा’ लगा हुआ है और यह वनस्पति मानचित्रण के अलावा भूमि और पानी की सतह के तापमान के आकलन में मदद करने में सक्षम है.
इंस्पायरसैट-1 उपग्रह
इंस्पायरसैट-1 सॅटॅलाइट (InspireSat-1 satellite) में ‘आयनोस्फीयर गतिकी’ (Ionosphere Dynamics) और ‘सूर्य के कोरोना की उष्मन प्रक्रिया’ (Sun’s Coronal Heating Process) का अध्ययन करने के लिए दो उपकरणों का उपयोग किया जाएगा.
ध्रुवीय सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV)
- PSLV का पहला सफल प्रक्षेपण अक्तूबर 1994 में किया गया था.
- पीएसएलवी पहला लॉन्च वाहन है जो तरल चरण (Liquid Stages) से सुसज्जित है.
- PSLV इसरो द्वारा उपयोग किया जाने वाला अब तक का सबसे विश्वसनीय रॉकेट है, जिसकी 54 में से 52 उड़ानें सफल रही हैं.
- PSLV का उपयोग भारत के दो सबसे महत्त्वपूर्ण मिशनों (वर्ष 2008 के चंद्रयान-I और वर्ष 2013 के मार्स ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट) के लिये भी किया गया था.
- इसरो वर्तमान में दो लॉन्च वाहनों – PSLV और GSLV (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) का उपयोग करता है, इनमें भी कई प्रकार के संस्करण होते हैं.
जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV)
- जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एक अधिक शक्तिशाली रॉकेट है, जो भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में अधिक ऊँचाई तक ले जाने में सक्षम है. जीएसएलवी रॉकेटों ने अब तक 18 मिशनों को अंजाम दिया है, जिनमें से चार विफल रहे हैं.
- यह 10,000 किलोग्राम के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जा सकता है.
- स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS)- ‘GSLV Mk-II’ के तीसरे चरण का निर्माण करता है.
- Mk-III संस्करणों ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को अपने उपग्रहों को लॉन्च करने हेतु पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया है.
- इससे पहले भारत अपने भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिये ‘यूरोपीय एरियन प्रक्षेपण यान’ पर निर्भर था.
अंतरिक्ष में भारत के उपग्रहों की संख्या
- वर्तमान में भारत के 53 उपग्रह कार्यरत हैं, जिनमें से 21 भू-प्रेक्षण उपग्रह (Earth Observation Satellites) पृथ्वी अवलोकन वाले हैं और अन्य 21 उपग्रह संचार आधारित हैं.
- EOS-4 लॉन्च PSLV रॉकेट की 54वीं उड़ान होगी, और इसके छह स्ट्रैप-ऑन बूस्टर वाले सबसे शक्तिशाली XL-संस्करण की 23वीं उड़ान है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन.
Topic : Fly ash
संदर्भ
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने ‘फ्लाई ऐश प्रबंधन और उपयोग मिशन’ के गठन का निर्देश दिया है.
‘फ्लाई ऐश प्रबंधन और उपयोग मिशन’ के बारे में
- यह मिशन अप्रयुक्त फ्लाई ऐश के वार्षिक स्टॉक के निपटान की निगरानी के अलावा सुनिश्चित करेगा कि 1,670 मिलियन टन फ्लाई ऐश का सबसे कम खतरनाक तरीके से कैसे उपयोग किया जा सकता है तथा बिजली संयंत्रों द्वारा सभी सुरक्षा उपाय कैसे किये जा सकते हैं.
- साथ ही यह मिशन कोयला बिजली संयंत्रों में फ्लाई ऐश प्रबंधन की स्थिति का आकलन करने और व्यक्तिगत संयंत्रों द्वारा राख के उपयोग हेतु रोडमैष बनाने तथा कार्य योजना तैयार करने के लिये एक महीने के भीतर अपनी पहली बैठक आयोजित करेगा.
- मिशन का नेतृत्त्व संयुक्त रूप से केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय कोयला और बिजली मंत्रालय के सचिव तथा मिशन से संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव करेंगे. MoEF&CC के सचिव समन्वय और अनुपालन के लिये नोडल एजेंसी होंगे.
फ्लाई ऐश क्या है?
फ्लाई ऐश एक बारीक पाउडर है जो तापीय बिजली संयंत्रों में कोयले के जलने से उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है. इसमें भारी धातु होते हैं और साथ ही PM 2.5 और ब्लैक कार्बन भी होते हैं.
इसमें पाया जाने वाला PM 2.5 गर्मियों में हवा के माध्यम से उड़ते-उड़ते 20 किलोमीटर तक फ़ैल जाता है. यह पानी और अन्य सतहों पर जम जाता है.
फ्लाई ऐश हानिकारक कैसे?
फ्लाई ऐश में सिलिका, एल्यूमीनियम और कैल्शियम के ऑक्साइड की पर्याप्त मात्रा होती है. आर्सेनिक, बोरान, क्रोमियम तथा सीसा जैसे तत्त्व भी सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते हैं. इस प्रकार इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट उत्पन्न होता है. फैक्ट्रियों से निकलने वाले कोयले के धुओं से फ्लाई ऐश तो वातावरण में फैलता ही है साथ ही साथ कई बार फैक्ट्रियाँ फ्लाई ऐश को जमा कर के बाहर उनका भंडार बना देती हैं. ये सारे कचरे जमा हो-हो कर कभी-कभी पहाड़ जैसा बन जाते हैं. वहाँ से फ्लाई ऐश वातावरण को प्रदूषित करते ही हैं और बहुधा नदी/नहरों में भी फ्लाई ऐश के अंश चले जाते हैं.
फ्लाई ऐश का उपयोग
- इसे कृषि में अम्लीय मृदाओं के लिए एक अभिकारक के रूप में, मृदा कंडीशनर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है.इससे मृदा की महत्त्वपूर्ण भौतिक-रसायन विशेषताओं, जैसे जल धारण क्षमता, हाइड्रोक्लोरिक कंडक्टिविटी आदि में सुधार होगा.
- भारत अभी तक फ्लाई ऐश प्रयोग की अपनी संभावनाओं का पूर्ण प्रयोग कर पाने में सक्षम नहीं है. हाल ही के CSE के एक अध्ययन के अनुसार, उत्पादित की जाने वाले फ्लाई ऐश का मात्र 50-60% ही प्रयोग हो पाता है.
सरकार द्वारा उठाये नीतिगत कदम
- वर्ष 2009 में पर्यावरण मंत्रालय ने ताप विद्यत संयंत्रों के 100 किमी के भीतर निर्माण कार्यों, सड़क के किनारों को भरने में फ्लाई ऐश के उपयोग को अनिवार्य बनाया.
- वर्ष 2018 में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा एक वेब आधारित निगरानी प्रणाली फ्लाई ऐश मोबाइल एप्लीकेशन “ऐश ट्रैक” लॉन्च की गई थी. यह प्लेटफार्म ताप बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पादित ऐश के बेहतर प्रबंधन में कारगर है, क्योंकि यह फ्लाई ऐश उत्पादकों (ताप बिजली संयंत्र) तथा सड़क ठेकेदारों, सीमेंट संयंत्रों जैसे संभावित उपयोगकर्त्ताओं के बीच सेतु का काम करता है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: राजकोषीय नीति, बैंकिंग क्षेत्र और एनबीएफसी/समावेशी विकास.
Topic : Economic Survey 2021-22
संदर्भ
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, 2022 को लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 प्रस्तुत किया.
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के प्रमुख आँकड़े
- आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 का मूल विषय “त्वरित दृष्टिकोण” है.
- भारतीय अर्थव्यवस्था 2021-22 में 9.2 प्रतिशत वास्तविक वद्धि दर्ज करेगी.
- 2022-23 में भारत की आर्थिक विकास दर 8.0-8.5 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है.
- कृषि क्षेत्र में पिछले वर्ष 3.6 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर संभावित है.
- औद्योगिक क्षेत्र में 2020-21 के दौरान 7 प्रतिशत की विकास दर तेजी से बढ़कर 2021-22 में 11.8 प्रतिशत होने का अनुमान है.
- सेवाक्षेत्र की वृद्धि दर पिछले वर्ष की 8.4 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में 8.2 प्रतिशत हो जाएगी.
- अप्रैल-नवम्बर 2021 के लिए राजकोषीय घाटे को बजट अनुमानों के 46.2 प्रतिशत तक सीमित किया गया, जो जीडीपी का 6.8 प्रतिशत अनुमानित है.
- दिसंबर 2021 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ 5.6 प्रतिशत महंगाई दर लक्ष्य के अनुसार सहन-योग्य दायरे में है.
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 31 दिसम्बर, 2021 को 634 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. यह 13.2 महीनों के आयात के समतुल्य और देश के बाह्य ऋण से अधिक है.
आर्थिक सर्वेक्षण के बारे में
- आर्थिक सर्वेक्षण सरकार की ओर से प्रस्तुत एक विस्तृत रिपोर्ट होती है, जिसमें देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति, प्रमुख चुनौतियों एवं उनके समाधान के बारे में बताया जाता है.
- इसे आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) द्वारा, मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है.
- भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार हर वर्ष बजट से एक या दो दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण जारी करते हैं. भारत के वर्तमान मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन है.
- हालाँकि सरकार आर्थिक सर्वेक्षण को जारी करने के लिए बाध्य नहीं है, लेकिन फिर भी यह सरकार के अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विचारों को जानने के लिए एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज होता है.
Prelims Vishesh
One Ocean Summit :-
- हाल ही में, फ्राँस द्वारा संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के सहयोग से फ्रांस के ब्रेस्ट शहर में ‘वन ओशन समिट’ (One Ocean Summit) का आयोजन किया गया. भारत ने भी इस आयोजन में भाग लिया.
- ‘वन ओशन समिट’ का लक्ष्य समुद्री मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की महत्वाकांक्षा के सामूहिक स्तर को ऊपर उठाना है.
- ‘संयुक्त राष्ट्र’ द्वारा घटते समुद्री जीवन को बहाल करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए 2021 और 2030 के बीच के दशक को ‘सतत विकास के लिए महासागर विज्ञान का दशक’ के रूप में घोषित किया गया है.
Hamas :-
- ऑस्ट्रेलिया द्वारा पूरे फिलिस्तीनी इस्लामी आंदोलन ‘हमास’ को एक आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करने की योजना बनाई जा रही है.
- कैनबरा (Canberra) द्वारा इससे पहले ‘हमास’ के ‘अल-क़सम ब्रिगेड’ सैन्य विंग को एक आतंकवादी समूह के रूप में सूचीबद्ध किया जा चुका है, किंतु अब नए प्रावधानों के तहत संगठन को पूरी तरह से आतंकवादी समूह सूचीबद्ध करेगा, जिसमें इसकी राजनीतिक शाखा भी शामिल होगी.
- हमास एक फिलिस्तीनी इस्लामवादी राजनीतिक संगठन है जो सैन्य गतिविधियों से इजराइल के ऊपर आत्मघाती बमबारी और रॉकेट के हमले अपनी स्थापना के समय अर्थात् 1987 से ही करता आया है.
- इसका उद्देश्य इजराइल को मिटाना और उसके स्थान पर फिलिस्तीन देश का निर्माण करना है.
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