Sansar डेली करंट अफेयर्स, 16 June 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 16 June 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.

Topic : Talamaddale

संदर्भ

COVID -19 महामारी के दौरान, यक्षगान रंगमंच की एक पारंपरिक कला ‘ताल-मद्दले (Talamaddale)’ का प्रदर्शन आभासी रूप से किया जाने लगा है. 13 जून को इस कला का सोशल मीडिया पर सजीव प्रसारण किया गया.

ताल-मद्दले क्या है?

  • यह कर्नाटक राज्य की नाट्य शैली है.
  • ताल मद्दले, में कलाकार द्वारा किसी भी वेशभूषा में मंच पर एक स्थान पर बैठ कर चुने गए कथानक के आधार पर अपनी वाक्कला का प्रदर्शन किया जाता है.
  • यक्षगान प्रदर्शन के ठीक उलट, पारंपरिक ताल-मद्दले में, कलाकार कोई विशेष वेशभूषा धारण नहीं करते हैं, तथा प्रदर्शन के दौरान मंच पर एक स्थान पर बैठ कर चुने गए कथानक के आधार पर अपनी वाक्कला का प्रदर्शन करते हैं. यक्षगान प्रदर्शन तथा ताल-मद्दले में संगीत की समानता होती है. लेकिन, ताल-मद्दले में मात्र संवादों का प्रयोग होता है, जबकि यक्षगान प्रदर्शन के दौरान कलाकार विशिष्ट वेश-भूषा धारण करते हैं तथा नृत्य-अभिनय का प्रदर्शन करते हैं.
  • कला का यह रूप दक्षिण भारत के कर्नाटक तथा केरल के करावली एवं मलनाड क्षेत्रों में प्रचलित है. 

यक्षगान (Yakshagana)

  • यह एक कर्नाटक का प्रसिद्ध लोकनाट्य है जो तटीय क्षेत्र में किया जाता है.
  • विदित हो कि यक्षगान कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में किया जाने वाला प्रसिद्ध लोकनाट्य है. यक्षगान का शाब्दिक अर्थ है – यक्ष के गीत.
  • कर्नाटक में यक्षगान की परंपरा संभवतः 800 वर्ष पहले की मानी जाती है. यक्षगान भगवान गणेश की वंदना से प्रारम्भ होता है. इसके पश्चात् एक हास्‍य अभिनय प्रस्तुत किया जाता है.
  • इसमें संगीत की अपनी शैली होती है जो भारतीय शास्त्रीय संगीत ‘कर्नाटक’ और ‘हिंदुस्तानी’ शैली दोनों से अलग है. 
  • यह संगीत, नृत्य, भाषण और वेशभूषा का एक समृद्ध कलात्मक मिश्रण है, इस कला में संगीत नाटक के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और जन मनोरंजन जैसी विशेषताओं को भी महत्त्व दिया जाता है.
  • यक्षगान की कई सामानांतर शैलियाँ हैं जिनकी प्रस्तुति आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में की जाती है. 
  • इसकी सबसे लोकप्रिय प्रस्तुतियाँ महाभारत (अर्थात् द्रौपदी स्वयंवर, सुभद्रा विवाह, अभिमन्यु वध, कर्ण-अर्जुन पद) और रामायण से (अर्थात् राजयभिषेक, लव-कुश युद्ध, बाली-सुग्रीव पद और पंचवटी) से प्रेरित हैं.
  • गोम्‍बेयेट्टा कठपुतली रंगमच/नाट्य (Gombeyatta Puppet Theatre) यक्षगान का सबसे निकट अनुसरण करता है.

भारत में रंगमंच के अन्य महत्त्वपूर्ण रूप

  • नौटंकी (उत्तर प्रदेश) जो अक्सर अपने विषयों के लिये फारसी साहित्य पर आधारित होता है.
  • तमाशा (महाराष्ट्र)
  • भवाई (गुजरात)
  • जात्रा (पश्चिम बंगाल)
  • कूडियाट्टम, केरल के सबसे पुराने पारंपरिक रंगमंच रूपों में से एक है, जो संस्कृत रंगमंच परंपराओं पर आधारित है
  • मुदियेट्टू, केरल का पारंपरिक लोक रंगमंच
  • भाओना, (असम)
  • माच (मध्य प्रदेश)
  • भांड पाथेर, कश्मीर का पारंपरिक रंगमंच

प्रीलिम्स बूस्टर

 

 

  • कर्नाटक के प्रसिद्ध लोकनाट्य यक्षगान (Yakshagana) की 900 से अधिक लिपियों (Script) को डिजिटलीकरण करके सार्वजनिक कर दिया गया.
  • इन लिपियों में वर्ष 1905 में छपा ‘प्रह्लाद चरित्र’ (Prahlada Charitre), वर्ष 1907 का ‘रामाश्वमेध’ (Ramashwamedha), वर्ष 1913 का ‘पुत्राकामेस्ती’ (Putrakamesti), वर्ष 1929 का ‘कनकंगी कल्याण’ (Kanakangi Kalyana), वर्ष 1931 का ‘कुमुधावती कल्याण’ (Kumudhwati Kalyana) और वर्ष 1938 में छपे ‘संपूर्ण रामायण’ (Sampoorna Ramayana) को मुख्य रूप से सम्मिलित किया गया है.

 


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Supplying washed coal

संदर्भ

सरकार ने हाल ही में तापीय बिजली घरों को आपूर्ति किए जाने वाले कोयले की अनिवार्य धुलाई को समाप्त करने करने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम’ (Environment Protection Act) में संशोधन किया है.

इस अधिसूचना ने सरकार के ‘जलवायु-परिवर्तन प्रतिबद्धताओं के अंतर्गत खदान से 500 किमी से अधिक दूरी पर स्थित सभी तापीय इकाइयों को आपूर्ति की जाने वाली कोयले की धुलाई की अनिवार्यता’ संबंधी वर्ष 2016 के आदेश को रद्द कर दिया.

पृष्ठभूमि

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धता के तहत सरकार ने खान से 500 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले सभी तापीय इकाइयों को आपूर्ति के लिये कोयले की धुलाई करना अनिवार्य किया था. यह देश के जलवायु परिवर्तन पर बातचीत में रुख के अनुरूप था. उसमें भारत का रुख कोयले की खपत में कमी किये बिना उत्सर्जन नियंत्रण पर ध्यान देने का था.

कोयले की अनिवार्य धुलाई हेतु तर्क

जनवरी 2014 के अनंतर, पर्यावरण मंत्रालय, बिना धुले कोयले की आपूर्ति-दूरी को कम करने का प्रयास कर रहा है. इसका उद्देश्य, तापीय संयत्रों को धुले हुए कोयले की आपूर्ति, तथा उत्सर्जित राख की सीमा को 34% तक करना है, चाहे वे खदान से किसी भी दूरी पर स्थित हो.

  • यह नीति जलवायु परिवर्तन समझौतों में सरकार के निर्णयों के अनुरूप है – कोयला उपभोग में कमी नहीं की जायेगी, अपितु, उत्सर्जन नियंत्रण पर ध्यान किया जायेगा.
  • धुले हुए कोयले के प्रयोग से शुष्क ईंधन की दक्षता तथा गुणवत्ता में वृद्धि होती है.
  • सैद्धांतिक रूप में, कोयला धोने जैसी प्रक्रिया को सभी के लिए अच्छा माना जाता है. इससे तापीय शक्ति संयत्रों के परिचालन में समस्या नहीं आती है.
  • धुले कोयले का दहन, उत्सर्जन तथा स्थानीय वायु प्रदूषण के दृष्टिकोण से बेहतर होता है, और इससे उत्सर्जित राख तथा गैर-दहनशील सामग्री के अनावश्यक परिवहन में कमी आती है.

नयी अधिसूचना के तर्क

  • विद्युत् मंत्रालय ने यह मानता है कि धुले हुए कोयले के दहन से प्रदूषण-उत्सर्जन को कम करने में मदद नहीं मिलती है.
  • वाशरी (washery) निकला अवशिष्ट कोयला बाजार में पहुच जाता है तथा इसका उद्योगों द्वारा उपयोग किया जाता है जिससे प्रदूषण में बढ़ोत्तरी होती है.
  • इसका कहना है कि कोयले की धुलाई अपने उद्देश्यों को पूरा करने में असमर्थ है. इससे “प्रदूषण को मात्र कोयला खदानों के आसपास ही सीमित किया जा सकता है.
  • कोयला धोने की प्रक्रिया भारीभरकम तथा महंगी होती है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

कोल वाशरी से कोयले के ऐश कंटेट की पूरी तरह से सफाई नहीं होती. कोयले की सफाई में बहुत अधिक पानी का इस्तेमाल होता है इसके अलावा वाशरी के आसपास पानी और उपज में प्रदूषण का फैलाव होता है. कोल वाशरी छोटी-छोटी इकाईयों के रूप में स्थापित हैं, जिनके द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के मानकों के पालन किया जा रहा है या नहीं इस पर निगरानी नहीं रखी जा सकती है. इसके मुकाबले विद्युत संयंत्रों पर निगरानी रखना आसान है. उन्हें प्रदूषण नियंत्रण के मानकों के पालन के लिए अधिक कड़ाई से पालन करने के लिए कहा जा सकता है. उन्हें प्रदूषण नियंत्रण के अत्याधुनिक उपकरण लगाने के लिये भी बाध्य किया जा सकता है.


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : International Criminal Court (ICC)

संदर्भ

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा एक कार्यकारी आदेश निर्गत करके अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court-ICC) के कुछ कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

इस प्रतिबंध से क्या प्रभाव पड़ेगा?

ट्रम्प के इस आदेश से ICC के कर्मचारियों की वित्तीय संपत्ति में रुकावट आ जाएगी और साथ ही इन अधिकारियों और इनके करीबी रिश्तेदार संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.

को संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा.

प्रतिबंध का कारण

  • दरअसल, ICC के कुछ अधिकारी इस बात की जाँच कर रहे थे कि क्या अफगानिस्तान तथा अन्य स्थानों पर हुए युद्ध अपराधों में अमेरिकी सेना और इसके सहयोगी सम्मिलित थे?
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के अटॉर्नी-जनरल के अनुसार, अमेरिकी न्याय विभाग (US Justice Department) को पर्याप्त विश्वसनीय जानकारी मिली है जो अभियोजन पक्ष के कार्यालय में उच्चतम स्तर पर वित्तीय भ्रष्टाचार और दुर्भावना के लंबे इतिहास के बारे में गंभीर चिंताओं को उजागर करती है. 
  • उपरोक्त के अलावा अमेरिकी अधिकारियों ने ICC में अपने पक्ष में हेर-फेर करने के लिये रूस को भी ज़िम्मेदार ठहराया है.
  • अमेरिका मानना है कि इसका अधिकार क्षेत्र केवल तभी लागू होता है जब कोई सदस्य राज्य अत्याचारों के खिलाफ मुकदमा चलाने में असमर्थ या अनिच्छुक हो.

अमेरिका के निर्णय की आलोचना

  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने अमेरिका के इस फैसले की निंदा यह कहते हुए की है कि अमेरिका का फैसला “विधि के शासन और न्यायालय की न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का अस्वीकार्य प्रयास है”.
  • इज़राइल को छोड़कर, कई अन्य देशों ने हेग स्थित न्यायाधिकरण का समर्थन किया है.
  • संयुक्त राष्ट्र ने भी अमेरिका द्वारा दिये गए आदेशों की रिपोर्ट पर ध्यान दिया है.
  • अंतर्राष्ट्रीय NGO ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) के अनुसार, संपत्ति ज़ब्त करने और यात्रा प्रतिबंध लगाने जैसे निर्णय मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों के लिये हैं, न कि पीड़ितों के लिये न्याय की मांग करने वाले अभियोजन पक्ष तथा न्यायाधीश के लिये.

ICC क्या है?

  • यह फौजदारी का अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय है जो हेग में स्थित है.
  • अंतर्राष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय को 1998 में घोषित रोम कानून (Rome Statute) के द्वारा स्थापित किया गया था.
  • यह संसार का ऐसा पहला अंतर्राष्ट्रीय स्थाई फौजदारी न्यायालय है जो किसी संधि पर आधारित है.
  • इसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विरुद्ध जघन्य और परम चिंतनीय अपराध करने वालों को सजा दिलवाना है.
  • इस न्यायालय का काम है – जनसंहार, युद्ध-अपराध, मानवता के प्रति अपराध तथा आक्रमण के अपराध के आरोपी व्यक्तियों का अपराध तय करना और उनके खिलाफ मुकदमा चलाना.
  • भारत ने अभी तक रोम कानून पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं और इसलिए वहअंतर्राष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय सदस्य नहीं है.
  • वैसे तो इस न्यायालय का खर्चा मुख्य रूप से सदस्य देश देते हैं किन्तु इसको अन्य स्रोतों से भी स्वैच्छिक वित्तीय सहायता मिलती है, जैसे – सरकारें, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, व्यक्ति, निगम और अन्य इकाइयाँ.

न्यायालय का स्वरूप और मतदान की शक्ति

  • न्यायालय का प्रबंधन और पर्यवेक्षण एक विधायी निकाय द्वारा किया जाता है जिसका नाम असेम्बली ऑफ़ स्टेट्स पार्टीज है जिसमें प्रत्येक देश का एक प्रतिनिधि होता है. इस असेंबली में एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष होते हैं जो सदस्यों द्वारा तीन वर्ष के लिए चुने जाते हैं.
  • प्रत्येक देश के पास एक वोट होता है. प्रयास किया जाता है कि जो भी निर्णय हो वह सर्वसहमति से हो. यदि सर्वसहमति नहीं होती है तभी मतदान होता है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

अंतर्राष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय के पास संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार करने की क्षमता नहीं होती है और वह इसके लिए सदस्य देशों पर निर्भर रहता है.इस न्यायालय के अभियोजकों और न्यायाधीशों के अधिकारों पर पर्याप्त नियंत्रण नहीं दिखता. फलस्वरूप इसके दुरुपयोग की संभावना को नकारा नहीं जा सकता. बहुधा इस न्यायालय को पश्चिमी साम्राज्यवाद का संवाहक और पक्षपातपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह अमीर और शक्तिशाली देशों द्वारा किये गये अपराधों से आँख मूँद लेता है और छोटे, दुर्बल देशों के नेताओं को ही दण्डित करता है.ICC वादों के चुनाव में एक-सी नीति नहीं अपनाता. इसको कठोर वाद नहीं दिए जाते. बड़े-बड़े अपराधी अपने देशों को अपने प्रभाव में लाकर इस न्यायालय में जाने से बच जाते हैं.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.

Topic : Global Partnership on Artificial Intelligence (GPAI)

संदर्भ

भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence– AI) के जिम्‍मेदार और मानव-केंद्रित विकास तथा उपयोग में सहायता करने हेतु ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Global Partnership on Artificial Intelligence- GPAI) में संस्‍थापक सदस्‍य के तौर पर सम्मिलित हो गया है.

GPAI क्या है?

  • ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) एक अंतर्राष्ट्रीय और बहु-हितधारक पहल है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के ज़िम्मेदारीपूर्ण विकास और मानवाधिकारों, समावेशन, विविधता, नवाचार और आर्थिक विकास में उपयोग का मार्गदर्शन करने पर आधारित है. 
  • उपरोक्त लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इस पहल के तहत AI से संबंधित प्राथमिकताओं पर अत्याधुनिक अनुसंधान और अनुप्रयुक्त गतिविधियों की सहायता से AI के संबंध में सिद्धांत (Theory) और व्यवहार (Practice) के बीच विद्यमान अंतर को समाप्त करनेका प्रयास किया जाएगा.
  • यह पहल प्रतिभागी देशों के अनुभव और विविधता का उपयोग करके AI से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने का अपने प्रकार की पहली कोशिश है. 
  • GPAI पहल के अंतर्गत AI के ज़िम्मेदारीपूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिये साझेदारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों और शिक्षाविदों को एक साथ लाया जाएगा और ऐसी कार्यप्रणाली विकसित की जाएगी, जिनसे यह दर्शाया जा सके कि COVID-19 के मौजूदा वैश्विक संकट से बेहतर ढंग से निपटने के लिये किस प्रकार AI का लाभ उठाया जा सकता है.   

संस्थापक सदस्य

भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, स्लोवेनिया, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ.

कार्यप्रणाली

  • इस पहल के तहत AI से संबंधित प्राथमिकताओं पर अत्याधुनिक अनुसंधान और अनुप्रयुक्त गतिविधियों की सहायता करते हुए AI के संबंध में सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की जाएगी.
  • GPAI, एआई के जिम्मेदारीपूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए साझेदारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों और शिक्षाविदों के प्रमुख विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा.
  • यह ऐसी कार्यप्रणालियां भी विकसित करेगा, जिनसे यह दर्शाया जा सके कि कोविड-19 के मौजूदा वैश्विक संकट से बेहतर ढंग से निपटने के लिए AI का लाभ किस प्रकार उठाया जा सकता है.

भारत के लिए महत्त्व

GPAI में संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल होने से भारत समावेशी विकास के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग के अपने अनुभव का लाभ उठाते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वैश्विक विकास में सक्रिय रूप से भाग लेगा.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  (AI) से हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में व्यापक बदलाव आएगा. रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों से तो उत्पादन और निर्माण के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के मुताबिक अकेले अमेरिका में आगामी दो दशकों में डेढ़ लाख रोज़गार खत्म हो जाएंगे.विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने और समझने वाले रोबोट यदि किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगे तो यह मानवता के लिये बड़ा खतरा बन सकता है.


Prelims Vishesh

Lonar lake :-

  • पिछले दिनों महाराष्ट्र की लोनार झील के पानी का रंग गुलाबी हो गया था. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ कि झील में लवणता और काई की मात्रा बढ़ गई.
  • कहा जाता है कि प्राचीन काल में एक उल्कापिंड के गिरने से यह गोल झील बनी थी.
  • 1979 में इस झील को भू-धरोहर (geo-heritage) स्थल घोषित किया गया था.

lonar lake

World Day against Child Labour :-

  • प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 12 जून को विश्व बाल श्रम विरोध दिवस मनाया गया.
  • इस बार की थीम थी – COVID-19 – बच्चों को पहले से भी कहीं अधिक बाल श्रम से बचाना / COVID-19 – Protect children from child labour now, more than ever”.
  • ज्ञातव्य है कि संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य के बिंदु 8.7 में 2025 तक बाल श्रम को समाप्त करने का संकल्प किया गया है.

Malabar gliding frog :-

  • पिछले दिनों पश्चिमी घाट के कोझनचेरी के निकट स्थित पुल्लाड में मालाबारी उड़न्त मेढक को देखा गया.
  • यह मेढक हरे रंग का और छरहरे शरीर का होता है. इसके पैर में एक जाल होता है जिसके कारण यह हवा में उड़ सकता है.
  • IUCN संरक्षण सूची में इस प्रजाति को न्यूनतम चिंतनीय (Least Concern) श्रेणी में रखा गया है.

Monkey Park in Karnataka :-

  • कर्नाटक सरकार शरावती अवरुद्ध जलक्षेत्र (Sharavathi backwaters region) के कुछ ऐसे द्वीपों पर बन्दर उद्यान बनाने जा रही है जहाँ कोई रहता नहीं है.
  • यह विचार इसलिए आया है कि राज्य में बंदरों का उत्पात बढ़ गया है. चालू वित्तीय वर्ष में इस उद्यान के लिए 6.25 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है.

What is Juneteenth? :-

  • अमेरिका के 45 राज्यों में जून 19 को सरकारी छुट्टी होती है. यह छुट्टी जून 19 को दासता के समापन की याद में मनाया जाता है. इसलिए इसे मुक्तिदिवस भी कहते हैं. इसका एक और नाम है – Juneteenth Independence Day.
  • विदित हो कि इसी दिन 1865 में गृह युद्ध समाप्त हुआ था और दासता का अंत हुआ था. इसकी घोषणा उस समय मेजर जनरल Gordon Grangerने Galveston (टेक्सास) में की थी.


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