Sansar Daily Current Affairs, 16 March 2020
GS Paper 2 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : UP property damage ordinance
संदर्भ
उत्तर प्रदेश की सरकार ने विरोध प्रदर्शनों, आंदोलनों, जुलूसों और धरने के दौरान सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों को क्षति पहुंचाने वाले लोगों से नुकसान की भरपाई के लिए अध्यादेश लाने का निर्णय किया है. हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई अध्यादेश 2020 के प्रारूप को स्वीकृति दी गई.
अध्यादेश से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- इस अध्यादेश में राजनीतिक जुलूस, प्रदर्शन, हड़ताल व बंद के दौरान सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने पर उपद्रवियों से वसूली के लिए बहुत ही कठोर प्रावधान किए गए हैं.
- इसके लिए राज्य सरकार सेवामुक्त जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायाधिकरण बनाएगी. इसके निर्णय को किसी भी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी.
- अध्यादेश की धारा 3 के अनुसार, पुलिस का एक क्षेत्राधिकारी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के आधार पर घटना में हुए नुकसान की भरपाई के लिए दावा याचिका रिपोर्ट तैयार करेगा.
- न्यायाधिकरण को आरोपी की संपत्ति जब्त करने अधिकार होगा. साथ ही वह अधिकारियों को आरोपी का नाम, पता व फोटोग्राफ प्रचारित-प्रसारित करने का आदेश दे सकेगा कि आम लोग उसकी संपत्ति की खरीदारी न करें.
- अध्यादेश के अनुसार न्यायाधिकरण में अध्यक्ष के अतिरिक्त एक सदस्य भी होगा. यह सहायक आयुक्त स्तर का अधिकारी होगा. न्यायाधिकरण नुकसान के आकलन के लिए कमिश्नर की तैनाती कर सकेगा. वह कमिश्नर की सहायता के लिए प्रत्येक जिले में एक-एक सर्वेक्षक भी नियुक्त कर सकता है, जो नुकसान के आकलन में तकनीकी विशेषज्ञ की भूमिका निभाएगा.
- न्यायाधिकरण को दीवानी न्यायालय का सम्पूर्ण अधिकार होगा और यह भू-राजस्व की तरह वसूली का आदेश दे सकेगा. सरकार की मानें तो इस अध्यादेश के कानून बन जाने से सार्वजनिक संपत्ति व निजी संपत्ति की बेहतर सुरक्षा हो सकेगी.
- अध्यादेश की धारा 13 के अंतर्गत यदि आरोपी उपस्थित होने में विफल रहता है तो न्यायाधिकरण उसकी संपत्ति की कुर्की करने का आदेश जारी करेगा. साथ ही अधिकारियों को निर्देश देगा कि वे सार्वजनिक रूप से नाम, पता आदि के साथ उसकी तस्वीर प्रकाशित करें.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.
Topic : NCS (NATIONAL CAREER SERVICE)
संदर्भ
राष्ट्रीय करियर सेवा
- राष्ट्रीय कैरियर सेवा माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 20 जुलाई, 2015 को प्रारम्भ की गई एक पंचवर्षीय मिशन मोड परियोजना है.
- राष्ट्रीय करियर सेवा (National Careers Service) भारत का एक राष्ट्रीय आईसीटी आधारित पोर्टल है जो युवाओं की आकांक्षाओं के साथ सुनहरे अवसर जोड़ने के लिए मुख्य रूप से विकसित की गई है.
- यह पोर्टल नौकरी के इच्छुक लोगों, नौकरी प्रदाताओं, कौशल प्रदाताओं, कैरियर सलाहकारों, आदि के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करता है.
- पोर्टल के एक बहुत ही पारदर्शी और उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके से नौकरी मिलान सम्बद्धी सेवाएँ प्रदान करता है.
- कैरियर परामर्श सामग्री के साथ-साथ ये सुविधाएं कैरियर केन्द्रों, मोबाइल उपकरणों, सीएससी, आदि जैसे कई चैनलों के जरिये पोर्टल द्वारा वितरित किया गया है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Awareness in space.
Topic : What is ExoMars?
संदर्भ
हाल ही में यूरोप में Covid-19 के बढ़ते प्रकोप के चलते यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency-ESA) ने जुलाई 2020 में मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले एक्सोमार्स मिशन को वर्ष 2022 तक विलंबित/स्थगित करने की घोषणा की है.
एक्सोमार्स (ExoMars) मिशन
- एक्सोमार्स (ExoMars) मिशन को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency-ESA) और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकोमोस स्टेट कॉर्प (Roscosmos State Corp) के सहयोग से तैयार किया गया है.
- इस मिशन के दो भाग हैं. मिशन के पहले हिस्से में वर्ष 2016 में ‘ट्रेस गैस ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट’ (Trace Gas Orbiter spacecraft) को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था.
- ट्रेस गैस ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट का लक्ष्य मंगल ग्रह के वातावरण में मीथेन (CH4), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), एसीटिलीन (C2H2) एवं जलवाष्प की खोज करना था.
रॉसलिंड फ्रैंकलिन (Rosalind Franklin) रोवर
- इस रोवर का नाम ब्रिटिश रसायनशास्त्री ‘रॉसलिंड फ्रैंकलिन ’ के नाम पर पड़ा है.
- रॉसलिंड फ्रेंक्लिन डीएनए (DNA) की खोज में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये जाने जाते हैं.
- रॉसलिंड फ्रेंक्लिन रोवर की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह मंगल ग्रह की सतह पर 2 मीटर की गहराई तक खुदाई करेगा और फिर जाँच के लिये नमूने एकत्र करने में समर्थ होगा.
- ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा मंगल ग्रह पर भेजे गए क्यूरियोसिटी रोवर की खुदाई क्षमता लगभग 2 इंच के समतुल्य थी.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : How does soap use help in tackling COVID-19?
संदर्भ
विशेषज्ञों का मानना है कि अपने हाथों को समय-समय पर साबुन से धोकर या हैंड सैनिटाइज़र का प्रयोग कर कोरोना वायरस के खतरे को कम किया जा सकता है.
साबुन क्यों बेहतर है?
- सैनिटाइज़र तथा साबुन दोनों ही वायरस को मारने में सक्षम हैं, परन्तु वायरस को धो देना अधिक कारगर उपाय है.
- सैनिटाइज़र के ओर्योग से वायरस के शत-प्रतिशत मरने कीगारंटी नहीं रहती है. जबकि साबुन वायरस को प्रभावी तरीके से धो देता है.
- अधिकांश लोग हर 2-5 मिनट में एक बार अपने चेहरे को छूते हैं. जब तक वायरस आपके हाथ में विद्यमान होता है, वायरस से संक्रमित होने का जोखिम प्रबल होता है. विशेषतः तब तक जब तक आप हाथ धो ना लें.
- हाथ को सिर्फ पानी से धोना पर्याप्त नहीं है क्योंकि वायरस चिपचिपा होता है.
- साबुन का पानी बिल्कुल भिन्न होता है. साबुन में फैट जैसे पदार्थ होते हैं जो वायरस से लड़ने में अधिक सक्षम होते हैं.
- साबुन हाथ की त्वचा और वायरस के बीच परत बनाने का काम भी करता है.
- अगर आपकी हाथ की त्वचा रूखी है, तो आपको अपने हाथ साबुन से अच्छे तरीके से ढोने चाहिए जिससे कि वायरस का खतरा पूर्ण रूप से खत्म हो सके.
- अपनी अंगुलियों के बीच और नाखुनों के अंदर भी ठीक प्रकार से साबुन लगाकर धोना चाहिए.
आगे की राह
सही ढंग से हाथ धोने से अच्छा विकल्प कोई नहीं है और इसके साथ-साथ सजगता भी आवश्यक है. हमें टीकों और चिकित्सा विज्ञान के लिए इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है. इन चीज़ों की सहायता से हर व्यक्ति स्वयं की और दूसरों की सुरक्षा कर सकता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Disaster and disaster management.
Topic : State Disaster Response Fund (SDRF)
संदर्भ
गृह मंत्रालय ने कहा है कि सरकार ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के अंतर्गत सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से COVID 19 को एक अधिसूचित आपदा के रूप में माना है.
विदित हो कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत किया जाता है एवं यह अधिसूचित आपदाओं से निपटने हेतु राज्य सरकारों के समक्ष मौजूद प्राथमिक निधि होती है.
सरकार आपदाओं को कैसे वर्गीकृत करती है?
- 10वें वित्त आयोग (1995-2000) ने एक प्रस्ताव की जाँच के आधार पर पाया गया कि एक आपदा की “दुर्लभ गंभीरता को राष्ट्रीय आपदा” तब कहा जाता है, जब यह राज्य की एक-तिहाई आबादी को प्रभावित करती है.
- पैनल ने “दुर्लभ गंभीरता की आपदा” को परिभाषित नहीं किया था, किंतु यह कहा कि दुर्लभ गंभीरता की आपदा को केस-टू-केस आधार पर अन्य बातों के साथ-साथ आपदा की तीव्रता और परिमाण को भी ध्यान में रखना होगा.
- इसमें समस्या से निपटने के लिये राज्य की क्षमता, सहायता और राहत प्रदान करने की योजनाओं के भीतर विकल्प और लचीलेपन की उपलब्धता शामिल है.
- गौरतलब है कि उत्तराखंड और चक्रवात हुदहुद फ्लैश बाढ़ को बाद में “गंभीर प्रकृति” की आपदाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया.
आपदा घोषणा के लाभ
- जब एक आपदा “दुर्लभ गंभीरता”/”गंभीर प्रकृति” के रूप में घोषित की जाती है, तो राज्य सरकार को समर्थन राष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किया जाता है.
- इसके अतिरिक्त केंद्र एनडीआरएफ की सहायता भी प्रदान कर सकता है.
- आपदा राहत निधि (सीआरएफ) को स्थापित किया जा सकता है, यह कोष केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के साझा योगदान पर आधारित होता है.
- इसके अलावा सीआरएफ में संसाधन अपर्याप्त होने की अवस्था में राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक निधि (एनसीसीएफ) से अतिरिक्त सहायता पर भी विचार किया जाता है, जो केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित होती है.
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल
- यह एक विशेषज्ञ दल है, जिसका गठन वर्ष 2006 में किया गया था.
- इसके गठन का उद्देश्य प्राकृतिक और मानवकृत आपदा या खतरे की स्थिति का सामना करने के लिये विशेष प्रयास करना है.
राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति क्या है?
- भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा आने पर राहत उपायों और कार्रवाइयों के समन्वयन और क्रियान्वयन के लिए एक अस्थाई समिति गठित की है जिसे राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति का नाम दिया गया है.
- इस समिति के अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होंगे.
- इस समिति में और कौन-कौन होंगे इसके लिए कृषि सचिव आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध करायेंगे और निर्देश प्राप्त करेंगे.
राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) क्या है?
- SDRF हर राज्य में गठित हुआ है. इसका गठन 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के अनुसार हुआ है. ज्ञातव्य है कि इसके गठन के लिए 13वें वित्त आयोग ने अनुशंसा की थी.
- इस कोष से राहत कार्य के लिए व्यय से सम्बंधित सभी मामलों में अंतिम निर्णय एक राज्य कार्यकारिणी समिति करती है जिसके प्रमुख मुख्य सचिव होते हैं.
- SDRF के अन्दर आने वाली आपदाएँ हैं – च्रकवात, सूखा, भूकम्प, आगजनी, बाढ़, सुनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, टिड्डी आक्रमण, बर्फीली और ठंडी हवाएँ.
- भारत सरकार SDRF कोष में 75% और 90% योगदान करती है. 75% योगदान सामान्य राज्यों को दिया जाता है और 90% उन राज्यों के लिए जिनको विशेष श्रेणी का दर्जा मिला हुआ है.
- इसके वित्तीय वितरण से संबंधित नोडल एजेंसी वित्त आयोग है, जिसकी सिफारिश से राहत कोष की धनराशि आवंटित की जाती है.
- जब किसी आपदा को “गंभीर प्रकृति की आपदा” के रूप में घोषित किया जाता है जैसा की केरल के मामले में किया गया, तो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (National Disaster Response Fund – NDRF) कोष से अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाती है, अन्यथा SDRF कोष का उपयोग किया जाता है.
Prelims Vishesh
What is Google subsidiary Verily? :-
गूगल की सहायक कंपनी वेरिली (Verily) अमेरिकी सरकार को कोविड-19 महामारी से निपटने में मदद करेगी!
- वेरिली (Verily) गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट की सहायक कंपनी है जो जीवन विज्ञान एवं स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करती है.
- वेरिली (Verily) कंपनी का अनावरण वर्ष 2015 में किया गया था जिसका लक्ष्य ‘विश्व भर के लोगों के स्वास्थ्य डेटा को प्रयोग में लाना था जिससे कि लोग स्वस्थ जीवन का आनंद लें सकें’.
- अतः वेरिली द्वारा व्यवस्थित एवं सक्रिय स्वास्थ्य डेटा को एकत्र करने हेतु टूल एवं डिवाइस विस्कित किया गया है जो बीमारी की रोकथाम के लिए एवं उसे प्रबंधित करने में सक्षम बनाता है.
- वेरिली द्वारा वर्ष 2017 में बेसलाइन परियोजना की शुरुआत की गई थी जिसका लक्ष्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अनुसंधान तथा रोगी की देखभाल के मध्य की खाई को पाटना है.
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