Sansar Daily Current Affairs, 16 March 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Salient features of world’s physical geography.
Topic : Ecuador’s Sangay volcano erupts
संदर्भ
हाल ही में, इक्वाडोर के सांगे ज्वालामुखी में 11 मार्च, 2021 को विस्फोट हुआ और इसके आसमान में 8,500 मीटर की ऊंचाई तक राख के बादल फ़ैल गये.
5230 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सांगे ज्वालामुखी, दुनिया भर में सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है. वर्ष 1628 में ऐतिहासिक रूप से इस ज्वालामुखी का विस्फोट हुआ था. उसके बाद, 1728 और 1916 से 1934 के बीच में लगातार विस्फोट हुए थे. इसमें 1934 का विस्फोट अभी भी जारी है.
ज्वालामुखी
ज्वालामुखी भूपटल पर वह प्राकृतिक छेद या दरार है जिससे होकर पृथ्वी के अन्दर का पिघला पदार्थ, गैस या भाप, राख इत्यादि बाहर निकलते हैं. पृथ्वी के अन्दर का पिघला पदार्थ, जो ज्वालामुखी से बाहर निकलता है, भूराल या लावा (Lava) कहलाता है. यह बहुत ही गर्म और लाल रंग का होता है. लावा जमकर ठोस और काला हो जाता है जो बाद में जाकर ज्वालामुखी-चट्टान के नाम से जाना जाता है. लावा में इतनी अधिक गैस होती है
कि वह एक ही बार निकल पाती है. लावा में बुलबुले इन गैसों के निकलने के कारण हो उठते हैं. लावा का बहना बंद हो जाने पर कुछ काल तक भाप निकलते देखा जाता है. पिघली चट्टान को ऊपर लाने में ये गैसें ही सहायक होती हैं मगर यह जरुरी है कि भूपटल पर कहीं कोई कमजोर परत मौजूद हो जिसे तोड़ कर, फाड़कर या छेदकर गैस लावा को ऊपर की ओर रास्ता बनाने में मदद करे. ज्वालामुखी-विस्फोट होने पर भूकंप (<< Click to read about Bhukamp) होना स्वाभाविक है.
ज्वालामुखी-विस्फोट कैसे होता है?
एक भूवेत्ता के शब्दों में “ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उगे हुए फोड़े हैं. ये वहीं फूटते हैं जहाँ की पपड़ी कमजोर होती है, जहाँ इन्हें कोई रास्ता मिल जाता है.” हम पृथ्वी की पपड़ी को भेद कर तो नहीं देख पाते, मगर अनुमान लगाते हैं कि वहाँ की स्थिति क्या हो सकती है. हम अभी तक चार मील की गहराई तक खुदाई कर सके हैं और हम लोगों ने पाया कि गहराई के साथ-साथ तापक्रम बढ़ता जाता है. हमें सबसे गहरी खानों को इसी कारण वातानुकूलित (Air-conditioned) करना पड़ता है. नीचे की ओर बढ़ते हुए तापक्रम को देखकर ही अभी हाल-हाल तक लोगों का विश्वास था कि पृथ्वी का भीतरी भाग ठोस नहीं हो सकता, वहाँ की चट्टानें ठोस रूप में नहीं हैं बल्कि द्रव अवस्था में हैं. मगर भूकंप-लेखक यंत्रों की सहायता से भूकंप की लहरों का अध्ययन कर वैज्ञानिक इस परिणाम पर पहुँचे हैं कि 1800 मील की गहराई तक पृथ्वी की पपड़ी द्रव अवस्था में नहीं है. सच बात यह है कि पिघलने के लिए उन चट्टानों के पास जगह भी नहीं है. पृथ्वी अपने अधिक भार से उन्हें वहाँ दबाये रहती है. पिघलने में चट्टानों को फैलना पड़ता है और ऊपर की अपेक्षाकृत ठंडी परतें उन्हें इतने जोर से दबाये रहती हैं कि वे फैल नहीं पातीं, अतः पिघलने की सीमा तक गर्म होकर भी पिघलने में असमर्थ बनी रहती है.
मगर लावा तो पृथ्वी के अन्दर से निकली हुई पिघली चट्टानें हैं. यह कहाँ से और कैसे ऊपर आ जाता है? संभव है, कहीं-कहीं किन्हीं कारणों से पृथ्वी की पपड़ी का दबाव कम हो गया हो. हो सकता है, पपड़ी खिंचकर ऊपर उठ गई हो, इसलिए कि पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी हो रही है, सिकुड़ रही है और पपड़ी में झुर्रियाँ पड़ रही हैं. ऐसा होने से दबाव कम होगा और कुछ नीचे (50-60 मील नीचे) की चट्टानों को फैलकर द्रव बन्ने की जगह मिल जाएगी. यह भी संभव है कि पपड़ी के स्थान-विशेष की चट्टानें विशेष रूप से गर्म हो उठी हों. कुछ सालों पहले हमने चट्टानों में रेडियो-सक्रिय तत्त्वों का पता लगाया है. ये तत्त्व टूटकर दूसरे पदार्थों में बदल जाते हैं. इस परिवर्तन के चलते ताप उत्पन्न होता है. लगातार तेजी से निकलते इस ताप से स्थान-विशेष की चट्टानें बहुत गर्म होकर पिघल जा सकती हैं और ऊपर की ठोस पपड़ी को फाड़कर निकल जा सकती हैं.
ज्वालामुखी के प्रकार
सामान्य प्रकार से ज्वालामुखी का वर्गीकरण इस प्रकार किया जाता है –
- सक्रिय या जाग्रत (Active)
- सुषुप्त या निद्रित (Dormant)
- मृत (Extinct)
और भी विस्तार से पढ़ें > ज्वालामुखी
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Art and culture.
Topic : The Buddhas of Bamiyan make a virtual comeback
संदर्भ
हाल ही में, बामियान बुद्ध की मूर्तियों को “ए नाइट विद बुद्ध” नामक एक आयोजन में 3D प्रोजेक्शन के रूप में पुनः जीवंत किया गया.
मुख्य तथ्य
- ज्ञातव्य है कि वर्ष 2001 में, तालिबान ने अफगानिस्तान की बामियान घाटी में बुद्ध की दो स्मारक मूर्तियों को विस्फोट से नष्ट कर दिया था.
- बामियान बुद्ध मूर्तियों का निर्माण 5वीं शताब्दी ईस्वी में हुआ था और एक समय ये विश्व में सबसे अधिक अवधि तक अस्तित्व में रहीं बुद्ध की सबसे लंबी खड़ी मुद्रा में मूर्तियाँ थी.
- उन्हें स्थानीय रूप से सलसल (Salsal) जिसका अर्थ है “समूचे ब्रह्मांड में उद्दीप्त प्रकाश” (light shines through the universe) और शमामा (Shamama) जिसका अर्थ है “रानी माता” (Queen Mother) के रूप में जाना जाता था.
- ये मूर्तियाँ, मध्य एशियाई क्षेत्र में बौद्ध कला की गांधार कला का प्रतिनिधित्व करती थीं.
- रोमन वस्त्र विन्यास में लिपटी और दो भिन्न-भिन्न मुद्राओं के साथ, बामियान बुद्ध गुप्त, सासानी और यूनानी (हेलेनिस्टिक) कलात्मक शैलियों के संगम का उत्कृष्ट उदाहरण थीं.
- हेलेनिस्टिक काल प्राचीन यूनान में एक युग को संदर्भित करता है, जो 323 ईसा पूर्व से 31 ईस्वी तक था.
- सासानी, प्राचीन ईरानी राजवंश को संदर्भित करता है, जिसने 224-651 ईस्वी के दौरान शासन किया था.
- बामियान घाटी अफगानिस्तान की मध्य उच्चमूमि में हिंदूकुश पर्वतों में बामियान नदी के समीप स्थित है.
- यूनेस्को ने वर्ष 2003 में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में बामियान घाटी के अवशेषों को शामिल किया था.
ये भी पढ़ें > गांधार कला
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus :Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Right to Information
संदर्भ
हाल ही में राजस्थान राज्य सूचना आयोग द्वारा सूचना का अधिकार (Right to Information – RTI) अधिनियम के तहत सूचना देने में लापरवाही दिखाने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए आवेदकों को जानकारी नहीं दिए जाने पर आयोग ने इन पर जुर्माना लगाया गया है. इन अधिकारियों द्वारा आयोग के नोटिस का जवाब भी नहीं दिया गया था.
पृष्ठभूमि
भारत ने अक्टूबर 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम, RTI लागू किया था और इस प्रकार वह ऐसा करने वाला विश्व का 56वाँ देश बन गया था. समय-समय पर सरकार ने ऐसे कदम उठाये हैं जिन्हें अधिनियम को कमजोर करने वाला कहा जा सकता है. एक बार 2006 में फाइल की टिप्पणियों को इस अधिनियम के दायरे से मुक्त करने का प्रयास हुआ था. 2009 में भी यह प्रयास हुआ था कि मनगढ़ंत RTI प्रश्नों को बंद किया जाए. यह दोनों प्रयास असफल रहे थे. इसी क्रम में 2019 का RTI संशोधन विधेयक लाया गया.
RTI ACT क्या है?
- नागरिकों को सशक्त बनाने, पारदर्शिता को बढ़ावा देने, सरकारी काम में उत्तरदायित्व तय करने, भ्रष्टाचार को रोकने तथा लोकतन्त्र को सही मायने में लोगों का तन्त्र बनाने के मूल उद्देश्य से सूचना अधिकार अधिनियम पारित हुआ था.
- इस अधिनियम के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक किसी लोक अधिकारी से सूचना का अनुरोध कर सकता है और उसके अनुरोध पर तीस दिनों के अन्दर विचार कर पूछने वाले को उत्तर देना अनिवार्य होगा.
- लोक अधिकारी के दायरे में सरकारी निकाय आते हैं.
- इस अधिनियम के अनुसार सभी लोक अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने-अपने कार्यालय से सम्बन्धित दस्तावेजों को कंप्यूटर में डालकर उनका सम्यक रूप से प्रचार-प्रसार करें जिससे नागरिकों को सूचना के लिए कम-से-कम अनुरोध करना पड़े.
उद्देश्य
- सूचना की उपलब्धता को सुचारू बनाना.
- राज्य सूचना आयोग के यहाँ लंबित अपीलों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना.
- सूचना न दिए जाने और रोक दिए जाने के वृतांतों पर नज़र रखना
सूचना अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019
- इस अधिनियम में केंद्र और राज्यों मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की सेवा शर्तों में बदलाव किया गया.
- RTI अधिनियम सूचना आयोगों को चुनाव आयोगों के बराबर का दर्जा दिया गया था. इस दर्जा को समाप्त किया गया.
- विधेयक में प्रस्ताव है कि केंद्र सरकार CIC (Central Information Commissioner) तथा IC (Information Commissioner) का वेतन आदि तय किया करेगी.
- अधिनियम में इन अधिकारियों का कार्यकाल 5 साल निर्धारित था परन्तु विधेयक में यह प्रस्ताव दिया जा रहा है इनके कार्यकाल का निर्धारण केन्द्रीय सरकार के इच्छानुसार होगा.
- मूल अधिनियम में राज्य सरकार को राज्य सूचना आयुक्तों को चुनने का अधिकार था. प्रस्तावित संशोधन में यह प्रावधान है कि राज्य सूचना आयुक्तों का कार्यकाल, दर्जा और वेतन केंद्र तय करेगा.
- इन परिवर्तनों के लिए सरकार ने यह तर्क दिया है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है जबकि केन्द्रीय एवं राज्य सूचना आयोग वैधानिक निकाय हैं जिनकी स्थापना RTI अधिनियम, 2005 के तहत हुई है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : National Population Register – NPR
संदर्भ
केंद्र सरकार देश के निवासियों को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को ऑनलाइन भरने की छूट देने पर विचार कर रही है. उल्लेखनीय है कि अप्रैल माह से NPR तैयार करने की प्रक्रिया आरम्भ होगी, जिसमें सरकारी कर्मचारी घर-घर जाकर सर्वे करेंगे. पहले ही ऑनलाइन जानकारी दे चुके व्यक्ति, अपना एक विशेष रेफरेंस कोड सर्वे कर्मचारी को दे सकेंगे, जिससे सर्वे कर्मचारी उस व्यक्ति की जानकारी को प्रमाणित कर सकेगा. इस प्रक्रिया में कोई बायोमेट्रिक या दस्तावेज नही लिए जायेंगे.
राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी क्या है?
- यह एक पंजी है जिसमें देश के निवासियों से सम्बंधित विवरण होगा.
- इस पंजी को नागरिकता अधिनियम 1955 तथा नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान कार्य का निर्गमन) नियमावली, 2003 के प्रावधानों के अंतर्गत राष्ट्रीय, राज्य, जिला, अनुमंडल और स्थानीय (गाँव/कस्बा) के स्तर पर तैयार किया जा रहा है.
- भारत के प्रत्येक“सामान्य निवासी” को इस पंजी में दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है.
- यहाँ “सामान्य निवासी” से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जो किसी स्थान विशेष में पिछले छह महीने या उससे अधिक से रहा हो अथवा वह व्यक्ति जो उस क्षेत्र में आगामी छह महीने अथवा अधिक रहना चाहता है.
- राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी में जो डेटाबेस होगा उसके अन्दर जनसांख्यिक विवरणों के साथ-साथ बायोमेट्रिक विवरण भी होंगे.
- अंत में 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को एक निवासी पहचान का रेजिडेंट आइडेंटिटी कार्ड (RIC) दिया जाएगा. यह एक स्मार्ट कार्ड होगा जिसमें लगे चिप में प्रत्येक व्यक्ति के जनसांख्यिक और बायोमेट्रिक विवरण अंकित होंगे. इस कार्ड पर UID नंबर भी छपा होगा.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Pollution and conservation related issues.
Topic : Commission for Air Quality Management: CAQM
संदर्भ
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए केंद्र सरकार द्वारा अक्टूबर 2020 में गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management – CAQM) को अब भंग कर दिया गया है.
CAQM को भंग इसलिए कर दिया गया है क्योंकि इस आयोग को स्थापित करने के लिए जो अध्यादेश पारित किया गया था, वह अब समाप्त हो गया है. अध्यादेश को छह सप्ताह के भीतर संसद में पेश किया जाना था. लेकिन इसे निर्धारित समय के भीतर पेश नहीं किया गया था जिसके कारण अध्यादेश व्यपगत हो गया था. उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष CAQM के गठन के लिए इसकी पूर्ववर्ती संस्था पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (Environment Pollution Control Authority – EPCA) को भंग कर दिया गया था.
CAQM के बारे में
- इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (air quality index) में उल्लिखित समस्याओं का समाधान और पहचान, अनुसंधान व बेहतर समन्वय के लिए राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश के तहत स्थापित किया गया था.
- इसने पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण {Environment Pollution (Prevention and Control) Authority- EPCA} को प्रतिस्थापित किया है.
- 18 सदस्यीय इस आयोग की अध्यक्षता केंद्र द्वारा नियुक्त अध्यक्ष द्वारा की जाती है. इस आयोग का मुख्यालय दिल्ली में स्थापित किया जाएगा.
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण क्या है?
राजधानी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राधिकृत एक संस्था है, जिसका नाम पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (Environment Pollution Control Authority – EPCA) है. यह प्राधिकरण प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के लिए एक क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना (Graded Response Action Plan – GRAP) पर काम करता है.
Prelims Vishesh
Sahitya Academy :-
- साहित्य अकादमी ने हाल ही में वार्षिक फेस्टिवल ऑफ लेटर्स इवेंट के दौरान साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की.
- साहित्य अकादमी ने 20 भाषाओं में अपने वार्षिक साहित्य अकादमी पुरस्कार की घोषणा की.
- इस सूची में कविता की सात पुस्तकें, पांच लघु कथाएँ, चार उपन्यास, दो नाटक और एक संस्मरण और 20 भारतीय भाषाओं में एक महाकाव्य कविता शामिल है.
- नेपाली, मलयालम, उड़िया और राजस्थानी भाषाओं के पुरस्कारों की घोषणा बाद में की जाएगी.
- अरुंधति सुब्रमण्यम ने अंग्रेजी भाषा में “When God is a Traveller” नामक अपने कविता संग्रह के लिए पुरस्कार जीता है.
- हिंदी भाषा में बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली अनामिका को उनके हिंदी कविता संग्रह टोकरी में दिगंत – थेरीगाथा के लिए पुरस्कार दिया गया है.
- पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री वीरप्पा मोइली को कन्नड़ भाषा में “श्री बाहुबली अहिंसा दिग्विजयम” नामक महाकाव्य के लिए नामित किया गया है.
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