Sansar Daily Current Affairs, 17 April 2020
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : What is post-intensive care syndrome?
संदर्भ
ऐसा देखा जाता है कि ICU से निकलने के बाद कई रोगी एक विशेष सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं. ज्ञातव्य है कि आजकल कोविड-19 के कारण बहुत लोगों को ICU में भर्ती करना पड़ा है. इसे पोस्ट-इन्टेसिव केयर सिंड्रोम (Post-Intensive Care Syndrome – PICS) नाम दिया गया है.
पोस्ट-इन्टेसिव केयर सिंड्रोम (Post-Intensive Care Syndrome – PICS) क्या है?
इस सिंड्रोम में ICU से निकलने के बाद रोगी में कुछ शारीरिक, वैचारिक और मानसिक गिरावट देखने को मिलती है.
इसके लक्षण क्या हैं?
- PICS के सर्वाधिक सामान्य लक्षण हैं – दुर्बलता, थकान, चलने-फिरने में कष्ट, मन का चिंता अथवा अवसाद में रहना, यौन अक्षमता, अनिद्रा आदि.
- ये लक्षण स्वास्थ्य लाभ के पश्चात् कुछ महीने अथवा कई वर्ष तक रह जाते हैं.
PICS का कारण क्या है?
- यदि कोई व्यक्ति बहुत दिनों तक कृत्रिम स्वास प्रणाली के सहारे रहता है तो उसे सेप्सिस (sepsis) हो जाता है और साथ ही कई अंग निष्क्रिय हो जाते हैं.
- कृत्रिम स्वास प्रणाली पर रहने वाले 33% रोगियों की मांसपेशियाँ दुर्बल हो जाती हैं. इस परिस्थिति को ICU से उत्पन्न मांसपेशी दुर्बलता (ICUAW) कहा जाता है. ऐसे रोगियों में आधे को सेप्सिस हो जाता है. जो रोगी ICU में कम-से-कम एक सप्ताह रह जाते हैं उनमें से आधे रोगियों को ICUAW हो सकता है.
- ICU से निकलने वाले रोगियों से 30-80% को संज्ञान में कमी और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट देखने को मिलती है. ऐसे रोगी तुरंत सो नहीं पाते हैं.
पोस्ट-इन्टेसिव केयर सिंड्रोम से कैसे बचा जाए?
- पोस्ट-इन्टेसिव केयर सिंड्रोम (PICS) से बचाने के लिए रोगी को नींद की दवा अधिक नहीं दी जानी चाहिए और उन्हें शीघ्र से शीघ्र चलने फिरने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. इसके लिए उनको बढ़-चढ़ करके शारीरिक और व्यावसायिक उपचार देना चाहिए.
- जहाँ तक हो सके दर्दनिवारक की कम-से-कम मात्रा दी जानी चाहिए.
- ठीक हो जाने के बाद रोगी को फेंफड़े और हृदय को मजबूत करने के लिए उपचार दिया जाना चाहिए. साथ ही अवसाद, चिंता आदि मानसिक रोगों का उपचार चलते रहना चाहिए.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Schemes for the vulnerable sections of the society.
Topic : Pradhan Mantri Ujjwala Yojana (PMUY)
संदर्भ
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत इस महीने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों को अब तक 1.51 करोड़ से अधिक एलपीजी सिलेंडर वितरित किए गए हैं.
- पीएमजीकेवाई के तहत, केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए कई राहत उपायों की घोषणा की गई है और इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू अप्रैल से जून 2020 की अवधि में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के 8 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मुफ्त में 3 एलपीजी सिलेंडर (14.2 किलोग्राम) प्रदान किया जाना है.
- योजना के निर्बाध कार्यान्वयन के लिये, तेल विपणन कंपनियां 14.2 किलोग्राम रिफिल या एक 5 किलोग्राम की रिफिल के आरएसपी के बराबर एडवांस हस्तांतरित कर रही हैं. यह पीएमयूवाई ग्राहक के लिंक किए गए बैंक खाते के पैकेज की प्रकृति पर निर्भर करता है.
- ग्राहक इस एडवांस राशि को एलपीजी भराने के लिए प्रयोग कर सकते हैं. तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) प्रतिदिन 50 से 60 लाख सिलेंडर वितरित कर रही हैं, जिसमें पीएमयूवाई लाभार्थियों को मिलने वाले लगभग 18 लाख मुफ्त सिलेंडर सम्मिलित हैं.
प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना
- पीएमयूवाई की शुरूआत एक मई 2016 को की गयी. इसके तहत मार्च 2019 तक गरीब परिवार की पांच करोड़ महिलाओं को नि:शुल्क गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य था. बाद में लक्ष्य को बढ़ाकर 2021 तक 8 करोड़ कर दिया गया और अब सभी घर को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है.
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) का शुभारम्भ डॉ. बी.आर.अम्बेडकर की जयंती परतेलंगाना राज्य में किया गया.
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लक्ष्य गरीब परिवारों तक एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) कनेक्शन पहुँचाना है.
- इस योजना के अंतर्गत सामाजिक-आर्थिक-जाति-जनगणना (SECC) के माध्यम से पहचान किये गए गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवारों की वयस्क महिला सदस्य को केंद्र सरकार द्वारा प्रति कनेक्शन 1600 रुपये की वित्तीय सहायता के साथ जमा-मुक्त एलपीजी कनेक्शन दिया जाता है.
- यह योजना पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालयद्वारा लागू की जा रही है.
PMUY के फायदे
- शुद्ध ईंधन के प्रयोग से महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार
- अशुद्ध जीवाश्म ईंधन के प्रयोग न करने से वातावरण में कम प्रदूषण
- खाने पर धुएं के असर से मृत्यु में कमी
- छोटे बच्चों में स्वास्थ्य समस्या से छुटकारा.
प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना में पाई गई खामियाँ
- सिलिंडरों की खपत कम है और उनकी आपूर्ति में अच्छी-खासी देरी होती है.
- इस योजना के अंतर्गत 31 मार्च, 2018 तक जिन उपभोक्ताओं ने योजना का लाभ उठाया है उनकी संख्या 1.93 करोड़ है. परन्तु एक वर्ष में उन्हें औसत रूप से 3.66 रिफिल ही मिले हैं.
- 31 दिसम्बर, 2018 की तिथि को 3.18 करोड़ लाभार्थी इस योजना का लाभ उठा रहे थे, पर उन्हें वार्षिक रूप से मात्र 3.21 रिफिल ही मिले.
- इस योजना के अंतर्गत कुछ ऐसे लोगों को भी लाभ निर्गत कर दिया गया है जो लाभार्थी नहीं थे. सरकारी तेल विपणन कंपनियों के सॉफ्टवेर में त्रुटि के चलते ऐसा हुआ है. ये वास्तविक लाभार्थियों की सही पहचान नहीं कर पाते हैं.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.
Topic : International Monetary and Finance Committee (IMFC)
संदर्भ
हाल ही में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय समिति (International Monetary and Financial Committee – IMFC) और विश्व बैंक-अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की विकास समिति (Development Committee) की बैठक में भाग लिया.
- इस बैठक में IMF के प्रबंध निदेशक के वैश्विक नीत एजेंडा – “Exceptional Times : Exceptional Action” – के ऊपर चर्चा हुई.
- IMFC के सदस्यों ने COVID-19 से लड़ाई के लिए सदस्य देशों द्वारा की गई कार्रवाइयों और उपायों के विषय में नवीनतम जानकारी उपस्थित की गई है. इसमें IMF के द्वारा वैश्विक तरलता की समस्या तथा सदस्यों की वित्तीय आवश्यकताओं के समाधान के लिए दिए गये पैकेज का भी उल्लेख हुआ.
IMFC क्या है?
- IMFC का full-form है – International Monetary and Finance Committee
- यह समिति अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय प्रणाली की देखरेख और प्रबंधन के विषय में IMF बोर्ड ऑफ गवर्नर को सलाह देता है और रिपोर्ट प्रस्तुत करती है.
- इसकी बैठक साल में दो बार होती है.
- यह समिति वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले समस्याओं पर चर्चा करती है और IMF को तदनुसार सलाह देती है.
- इसमें कोई भी निर्णय मतदान के द्वारा नहीं होता अपितु सर्वसम्मति से किया जाता है.
- IMFC में 24 सदस्य होते हैं जो IMF 187 गवर्नरों में से लिए जाते हैं.
- समिति के ये सदस्य सम्बंधित देशों के केंद्रीय बैंक के गवर्नर, मंत्री या समकक्ष श्रेणी के व्यक्ति होते हैं.
माहात्म्य
- IMFC अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष गवर्नर बोर्ड को अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय प्रणाली के प्रबंधन और पर्यवेक्षण के विषय में सलाह देती है और उसे अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है. इस प्रतिवेदन में उन घटनाओं का भी उल्लेख होता है जिससे वित्तीय प्रणाली को खतरा हो सकता है.
- IMFC कार्यकारी बोर्ड के द्वारा समझौता-पत्र में सुधार के सम्बन्ध में दिए गये प्रस्तावों पर विचार करती है और ऐसे किसी भी विषय पर सलाह देती है जिसके लिए गवर्नर बोर्ड उसे निर्दिष्ट करता है.
- IMFC के पास निर्णय करने की औपचारिक शक्ति नहीं है. परन्तु व्यवहार में यह IMF के कार्य और नीतियों को रणनीतिक दिशा देने का एक प्रमुख साधन बन चुकी है.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Software Technology Parks of India (STPI)
संदर्भ
कोविड-19 (कोरोना वायरस) के प्रकोप और उसके बाद लॉकडाउन से उत्पंन्नक चुनौतियों को ध्या न में रखते हुए, सरकार ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लेते हुए भारत के सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्कों (STPI) से संचालित छोटी IT इकाइयों को किराए के भुगतान से राहत प्रदान की है. इनमें से अधिकतर इकाइयाँ या तो MSME हैं या स्टार्ट-अप हैं.
भारत के सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (STPI) क्या है?
- भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्कया ‘सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया’ (एस.टी.पी.आई.) सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन सोसाइटी है जिसकी स्थापना भारत से सॉफ्टवेयर के निर्यात को प्रोत्साहित करने, बढ़ावा देने और वृद्धि करने के उद्देश्य से 1991 में की गई थी.
- सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया परामर्शी, प्रशिक्षण और कार्यान्वयन सेवाएं प्रदान करने के लिए आंतरिक इंजीनियरी संसाधन रखता है. इन सेवाओं में नेटवर्क डिजाइन, प्रणाली एकीकरण, विविध क्षेत्रों में अप्रयुक्त नेटवर्क और सुविधाओं के संस्थापन, प्रचालन और उनका अनुरक्षण शामिल है.
- प्रक्रिया का विकासगुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के आधार पर है. एस.टी.पी.आई. के केन्द्र भी आईएसओ 9001 प्रमाणन का अनुपालन करते हैं.
इतिहास
सूचना प्रौद्योगिकी की क्षमता विकास के उत्प्रेरक के रूप में पहचान करते हुए और सामरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में ‘सॉफ्टवेयर निर्यात, सॉफ्टवेयर विकास और प्रशिक्षण’ पर ध्यान केन्द्रित करते हुए भारत सरकार द्वारा 1986 में अपनाई गई नीति के फलस्वरूप समर्पित सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्कों की स्थापना करने का विचार उत्पन्न हुआ था. सरकार द्वारा सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास में आने वाली बाधाओं के कारणों की भी पहचान करने के परिणामस्वरूप ‘सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क’ (एसटीपी) योजना तैयार की गई जिससे देश से सॉफ्टवेयर के निर्यात को प्रोत्साहित किया जा सके और उसमें वृद्धि की जा सके.
इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित जेसे महत्वपूर्ण पहलुओं के आधार पर एक उपयुक्त फ्रेमवर्क डिजाइन किया गया:
- कार्यविधियों का सरलीकरण/युक्तियुक्तकरण;
- उद्योग को एक स्थान पर सम्पर्क सुविधाएं मुहैया करना/एक स्थान पर (सिंगल विंडो) स्वीकृति देना;
- कार्यान्वयन को पूरा करने की बहुत ही कम अवधि के साथ निर्यात प्रचालनों के लिए आधारभूत सुविधाएं मुहैया करना;
- लागत प्रभावी तरीके से परिकलन संसाधनों और डाटा संचार सेवाओं जैसी उत्कृष्ट अवसंरचनात्मक सुविधाओं का आदान-प्रदान करना.
फ्रेमवर्क इस विधि से तैयार किया गया था जिसका उद्देश्य सॉफ्टवेयर उद्योग, विशेष रूप से छोटे और मंझोले उद्यमियों को सुविधाएं देना था जिससे विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा करते हुए देश के आर्थिक विकास की गति को तेज किया जा सके. हाई स्पीड द्वारा कम्युनिकेशन (एचएसडीसी) लिंक सहित ढांचागत सुविधाएं मुहैया करके सॉफ्टवेयर उद्योग के संवर्द्धन और विकास के लिए तथा सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ाने के लिए एसटीपी स्कीम को क्रियान्वित करने के लिए सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (एस.टी.पी.आई.) की स्थापना की गई थी.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Biotechnology related issues.
Topic : Chitra GeneLAMP-N
संदर्भ
त्रिवेंद्रम स्थित श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नॉलजी का दावा है कि संस्थान ने कोविड-19 के टेस्ट के लिए किफ़ायती और बिल्कुल सही नतीजा देने वाला किट विकसित किया है. इस टेस्ट किट के लिए फंडिंग डीएसटी द्वारा दी गई है और इसे चित्रा जीनलैंप-एन नाम दिया गया है.
चित्रा जीनलैंप-एन क्या है?
- यह एक डायग्नोस्टिक टेस्ट किट है जो बहुत ही कम खर्च में 2 घंटे के अंदर कोविड 19 की पुष्टि कर सकता है.
- यह सुनिश्चित करेगा कि भले ही वायरल जीन का एक क्षेत्र मौजूदा प्रसार के दौरान बदलाव से गुजरा हो, पर टेस्ट असफल नहीं हो.
- यह विशेष रूप से यह सार्स-कोव-2 जीन के लिए निर्मित किया गया है और यह जीन के दो हिस्सों का पता लगा सकता है. विदित हो कि सैकड़ों अनुसंधानकर्ता कोरोनो वायरस के जीन पर अध्ययन कर रहे हैं जिसे सार्स-कोव-2 कहा जाता है. यह जीन फेफड़े की कोशिका को संक्रमित करता है और इसके लिए उस वायरल प्रोटीन को रोकने की जरूरत है जो कोरोना को बढ़ावा देता है
- भारत में वर्तमान पीसीआर किट से स्क्रीनिंग के लिए ई जीन और पुष्टि के लिए आरडीआरपी जीन का पता लगाया जाता है. ज्ञातव्य है कि चित्रा जीनलैम्प-एन जीन टेस्टिंग में खर्च काफी कम होगा और स्क्रीनिंग टेस्ट के बिना ही एक टेस्ट में पुष्टि हो सकेगी.
- डिटेक्शन का काल 10 मिनट का है और नमूने का नतीजा आने में 2 घंटे से भी कम समय लगेगा. एक मशीन से एक बैच में ही कुल 30 नमूनों की जांच की जा सकती है और इससे एक दिन में बड़ी संख्या में नमूनों की जांच कर सकते हैं.
Prelims Vishesh
World Homoeopathy Day :-
- ज्ञातव्य है कि पूरे विश्व में 10 अप्रैल को होमियोपेथी के आविष्कारक डॉ. क्रिस्चियन फ्रेड्रिक सेम्युअल हेहनीमन की जयंती मनाई जाती है.
- सेम्युअल हेहनीमन जर्मनी के एक डॉक्टर थे जो एक बड़े विद्वान्, भाषाविद् और जाने-माने वैज्ञानिक भी थे. उन्हें होमियोपेथी का पिता, मानव औषधिशास्त्र का पिता, सूक्ष्म औषधि का पिता और रसायनशास्त्र में अनंत तनुकरण अवधारणा का पिता माना जाता है.
- होमियोपेथी चिकित्सा करने वाले औसत डॉक्टर की सफलता की दर में सुधार लाने के लिए यह आवश्यक है कि होमियोपेथी चिकित्साशास्त्र की गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान दिया जाये. यह भी आवश्यक है कि बाजार में उच्च गुण वाले होमियोपेथिक दवाएँ उपलब्ध हों. ऐसी दवाओं के उत्पादन को सुनिश्चित करना भी भारत में होमियोपेथी के विकास हेतु अनिवार्य होगा.
Technology Development Board (TDB) :-
- भारत सरकार ने सितम्बर 1996 में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (प्रौ.वि.बो.) का गठनप्रौद्योगिकी विकास बोर्ड अधिनियम 1995 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में किया.
- इसका उद्देश्य स्वदेसी प्रौद्योगिकी का विकास और वाणिज्यीकरण अथवा आयातित प्रौद्योगिकी के व्यापक घरेलू अनुप्रयोग को बढ़ावा देना है.
- इस बोर्ड में 11 सदस्य होते हैं.
- प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड औद्योगिक निकायों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को इक्विटी या ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करता है.
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