Sansar Daily Current Affairs, 17 April 2021
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Issues related to women.
Topic : Orunudoi scheme
संदर्भ
दिसंबर 2020 में असम सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई, ओरुनुदोई योजना राज्य की सबसे लोकप्रिय योजनाओं में से एक है.
इस योजना के बारे में
- इस योजना के अंतर्गत, असम के गरीब परिवारों की महिला सदस्यों को 830 रुपये की मासिक सहायता दी जाती है.
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) योजना होने के कारण सहयता राशि सीधे ही परिवार की महिला प्रमुख के खाते में प्रेषित कर दी जाती है, क्योंकि वे ही परिवार की प्रमुख देखभाल करने वाली होती हैं.
- यह योजना ‘गरीब और जरूरतमंद परिवारों’ को अपना पैसा इच्छानुसार व्यय करने का विकल्प प्रदान करती है.
पात्रता
- इस योजना का लाभ उठाने के लिए मात्र असम की स्थायी निवासी महिलाओं द्वारा आवेदन किया जा सकता है, तथा आवेदक के समूचे परिवार की आय 2 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए.
- योजना के अंतर्गत, विकलांग सदस्यों, तलाकशुदा / विधवा / पृथक / अविवाहित महिलाओं वाले परिवारों को विशेष रूप से प्राथमिकता दी जाती है. इसके अंतर्गत, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) की सुरक्षा से वंचित तथा बिना राशन कार्ड वाले गरीब परिवारों को भी प्राथमिकता दी जाती है.
- बिना महिला सदस्य वाले परिवारों, सांसदों, विधायकों (पूर्व और वर्तमान), पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों और शहरी स्थानीय निकायों के सदस्यों, सरकारी अधिकारियों और सहकारी समितियों के कर्मचारियों को योजना से बाहर रखा गया है.
- चार पहिया वाहन, मशीनीकृत नावें, ट्रैक्टर या रेफ्रीजरेटर, एसी और वाशिंग मशीन, या 15 बीघा से अधिक कृषि भूमि रखने वाले परिवार इस योजना का लाभ उठाने हेतु पात्र नहीं हैं.
eKuber सिस्टम क्या है? :- यह भारतीय रिजर्व बैंक का कोर बैंकिंग सोल्यूशन है. कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस बैंकों को एक ही स्थान से 24/7 ग्राहक केंद्रित सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाते हैं. सरल शब्दों में, RBI का कोर बैंकिंग सॉल्यूशन एप्लिकेशन ई-कुबेर है. जब किसी योजना के लिए ई-कुबेर प्रणाली के माध्यम से धन हस्तांतरित किया जाता है, तो यह स्वीकृत होते ही सीधे लाभार्थी तक पहुंच जाता है. GS Paper 2 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure. संदर्भ हाल ही में, मनोनीत सांसद स्वपन दासगुप्ता ने अपना कार्यकाल पूरा होने के एक साल पहले ही राज्यसभा से त्यागपत्र दे दिया है. संबंधित प्रकरण भाजपा द्वारा स्वप्न दासगुप्ता को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तारकेश्वर निर्वाचन क्षेत्र के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में उतारा गया है, इस पर विपक्ष ने इनको दल-बदल क़ानून के अंतर्गत राज्यसभा से निरर्हक घोषित किये जाने का मुद्दा उठाया है. Read more about it: 52 amendment in Hindi सदस्य निम्नलिखित कुछ परिस्थितियों में निर्योग्यता के जोखिम के बिना दल परिवर्तन कर सकते हैं. अध्यक्ष के पद की प्रकृति: चूँकि अध्यक्ष के पद का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है, इसलिए अध्यक्ष पुन: निर्वाचित होने के लिए अपने राजनीतिक दल पर निर्भर रहता है. अतः यह स्थिति अध्यक्ष को स्वविवेक के बजाए सदन की कार्यवाही को राजनीतिक दल की इच्छा से संचालित करने का मार्ग प्रशस्त करती है. पद से संबंधित अंतर्निहित विरोधाभास: उल्लेखनीय है कि जब अध्यक्ष किसी विशेष राजनीतिक दल से या तो नाममात्र (डी ज्यूर) या वास्तविक (डी फैक्टो) रूप से संबंधित होता है तो उस स्थिति में एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के तौर पर उसे (अध्यक्ष) निर्योग्यता संबंधी याचिकाएं सौपना युक्तिसंगत और तार्किक प्रतीत नहीं होता है. दल-परिवर्तन विरोधी कानून के तहत निर्योग्यता के संबंध में अध्यक्ष द्वारा किए जाने वाले निर्णय से संबंधित विलंब पर अंकुश लगाने हेतु: अध्यक्ष के समक्ष लंबित निर्योग्यता संबंधी मामलों के निर्णय में विलंब के कारण, प्राय: ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां सदस्यों को अपने दलों से निर्योग्य घोषित किए जाने पर भी वे सदन के सदस्य बने रहते हैं. GS Paper 2 Source : PIB UPSC Syllabus : River disputes;Issues and challenges pertaining to the federal structure. संदर्भ हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुल्लापेरियार मामले में तमिलनाडु को चेतावनी जारी की गई है. केरल सरकार द्वारा तमिलनाडु पर वर्ष 1939 के पुराने ‘बाँध-दरवाजा परिचालन कार्यक्रम’ (गेट ऑपरेशन शेड्यूल) को शुरू करने का आरोप लगाया गया है. केरल ने पेरियार बाघ अभयारण्य के निकट स्थित बांध में जल स्तर की उचित निगरानी संबंधी कमी के बारे में भी आशंका व्यक्त की है. ‘रुल कर्व’ (rule curve), किसी बांध के जलाशय में उतार-चढ़ाव के स्तर को तय करता है. बाँध के गेट खोलने का कार्यक्रम ‘रुल कर्व’ पर आधारित होता है. यह किसी बांध के ‘मुख्य सुरक्षा’ तंत्र का भाग होता है. वर्ष 1979 में पेरियार बांध में भूकम्प के कारण हुई क्षति के बारे में केरल प्रेस में रिपोर्ट आयी. केन्द्रीय जल आयोग द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने मार्च, 2001 की अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया कि कार्यान्वित उपायों की मजबूत करने के साथ बांध की सुरक्षा को खतरे में डाले बिना जल स्तर को 136 फीट से 142 फीट तक बढ़ाया जा सकता है. उच्चतम न्यायालय ने दिनांक 27.2.2006 के अपने आदेश में तमिलनाडु सरकार को मुल्ला पेरियार बांध में जल स्तर को बढ़ाकर 136 फीट से 142 फीट करने और शेष सुदुढ़ीकरण उपायों को करने की अनुमति प्रदान की. परन्तु केरल सरकार ने 18 मार्च, 2006 केरल सिंचाई और जल संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 पारित किया जिसके अंतर्गत मुल्ला पेरियार बांध के जल स्तर को 136 फीट से अधिक ऊँचा करने पर प्रतिबंध लगाया गया था. तमिलनाडु सरकार इसके विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय गई. सर्वोच्च न्यायालय ने बांध की जाँच के लिए एक समिति गठित की. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में समिति ने यह निष्कर्ष दिया कि यह बाँध जल विज्ञान दृष्टिकोण से सुरक्षित है. परन्तु समय-समय पर कई याचिकाओं के लगते रहने के कारण यह मामला अभी भी न्याय निर्णयाधीन है. संक्षेप में कहा जाये तो तमिलनाडु राज्य की मुख्य चिंता यह है कि वह मुल्लापेरियार बांध के जलाशय स्तर को 142 फीट तक नहीं बढ़ा सकता है. दूसरी ओर, केरल राज्य इस बांध की सुरक्षा के बारे में चिंतित है. GS Paper 2 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure. संदर्भ पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर कोविड-19 के कारण ख़राब होती स्थिति पर ध्यान देने तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों को राजनीतिक रैलियों, विरोध सभाओं, धार्मिक समागमों अथवा त्यौहार मनाने के लिए 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाने हेतु “उपयुक्त निर्देश” निर्गत करने का आग्रह किया है. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय को अपने विस्तृत क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 142 के तहत) का प्रयोग करते हुए स्वतः संज्ञान से उपयुक्त दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा है. यह आधिकारिक रूप से स्वीकार किया जा चुका है और चिकित्सकीय रूप से इसकी पुष्टि भी हो चुकी है कि कोरोना मामलों की संख्या में जानलेवा वृद्धि के पीछे जो कारण हैं, वे राजनीतिक रैलियाँ, धार्मिक समागम तथा त्यौहारों पर होने वाले कार्यक्रमों, जैसे आयोजन हैं. अनुच्छेद 142 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय को पक्षकारों के मध्य ‘पूर्ण न्याय’ करने की अद्वितीय शक्ति प्रदान की गई है, अर्थात्, जब कभी स्थापित नियमों एवं कानूनों के अंतर्गत कोई समाधान नहीं निकल पाता है, तो ऐसे में न्यायालय, मामले से संबंधित तथ्यों के मुताबिक़ विवाद पर ‘अंतिम निणर्य’ सुना सकती है. अनुच्छेद 142 (1) में कहा गया है कि “उच्चतम न्यायालय अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते हुए ऐसी डिक्री अथवा ऐसा आदेश कर सकेगा जो उसके समक्ष लंबित किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो, और इस प्रकार पारित डिक्री या किया गया आदेश, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र, संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की गई रीति से, और जब तक इस निमित्त कोई उपबंध किए नहीं किया जाता है, तब तक राष्ट्रपति के आदेश द्वारा विहित रीति से प्रवर्तनीय होगा”. Indian expedition to Antarctica returns to Cape Town :- ROPAX Jetty Project :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi February, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Download इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : Applicability of Anti-defection law for nominated MPs
‘मनोनीत अथवा नामित सदस्य’ कौन होते हैं?
दल-परिवर्तन विरोधी कानून के बारे में
इस अधिनियम के तहत अपवाद
अध्यक्ष की भूमिका में परिवर्तन की आवश्यकता क्यों है?
मेरी राय – मेंस के लिए
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : MULLAPERIYAR DAM
न्यायालय का निर्देश
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विवाद की पृष्ठभूमि
Topic : Supreme Jurisdiction of Supreme Court
आवश्यकता
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