Sansar Daily Current Affairs, 17 August 2020
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Marthoman Jacobite Syrian Cathedral Church
संदर्भ
केरल के एर्नाकुलम जिला प्रशासन ने मारथोमैन जैकोबाइट सीरियन कैथेड्रल चर्च को अपने कब्जे में ले लिया है. कई वर्षों से मलंकारा चर्च के साथ अन्य चर्च को लेकर जेकोबाइट और रूढ़िवादी गुटों के मध्य विवाद चल रहा है.
पृष्ठभूमि
12वीं शताब्दी में बने 800 वर्ष पुराना मार्थोमन जैकबाइट सीरियन कैथेड्रल चर्च को लेकर लंबे समय से जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स ग्रुप के बीच विवाद का विषय बना हुआ है. वर्तमान में इस चर्च का संचालन जैकोबाइट ग्रुप कर रहा था. 3 जुलाई 2017 को सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार यह चर्च ऑर्थोडॉक्स ग्रुप को दिया जाना है एवं केरल सरकार ने यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार की है.
केरल में चर्च परंपरा
केरल में चर्च परंपरा तीन गुट में विभाजित है:-
- भारतीय रूढ़िवादी चर्च जो एक स्वत: स्फूर्त चर्च है, ये अपना मूल भारत में ही मानते हैं.
- जेकोबाइट चर्च जो एंटिओक (सीरिया) के पितामह को अपना मुखिया स्वीकार करता है.
- मार थोमा चर्च जो अब एक स्वयंभू चर्च भी है.
वर्तमान अदालती मामला और पुलिस कार्रवाई रूढ़िवादी परंपरा के दो गुटों, जेकोबाइट और भारतीय रूढ़िवादी चर्चों के बीच लगभग 100 वर्षों के विवाद का परिणाम है.
वर्ष 1912 में पहली बार मलंकारा चर्च जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स नाम के दो गुटों में बंट गया. 1959 में ये दोनों गुट एक हुए लेकिन पुनः 1972-73 में पृथक् हो गए और इन दोनों के बीच कई सारे चर्च के कब्जे को लेकर विवाद चल रहा है.
मार्थोमन चर्च के बारे में
- केरल के एर्नाकुलम जिला के मुल्थंथुरूथी में मार्थोमन जैकबाइट सीरियन कैथेड्रल चर्च की स्थापना 1200 ईस्वी के आस-पास हुयी थी.
- यह केरल के सबसे प्राचीन चर्चों में से है.
- यह चर्च गॉथिक वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है.
- इस चर्च में भारतीय, पश्चिम-एशियाई और यूरोपीय वास्तुकला का मिश्रण इसकी नक्काशी, मूर्तियाँ, प्रतीकात्मक चिह्न और दीवार चित्रकला में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.
गॉथिक वास्तुकला
- गॉथिक वास्तुकला (Gothic architecture) वास्तुकला की एक शैली है जो यूरोप में उत्तर मध्यकाल में प्रचलित थी.
- गॉथिक शैली ‘रोमनेस्क वास्तुकला’ से जन्मी.
- यह शैली फ्रांस में 12वीं शती में जन्मी तथा 16वीं शती तक प्रचलित रही.
- उस काल में इसे ‘फ्रांसीसी कर्म’ (Opus Francigenum) कहा जाता था.
- ‘गॉथिक’ शब्द का प्रयोग पुनर्जागरण के बाद के काल में प्रचलित हुआ..
- गोथिक शैली के बाद पुनरुद्धार वास्तुकला (Renaissance architecture) का जन्म हुआ.
- यूरोप के अनेक गिरिजाघरों एवं अन्य ईसाई धार्मिक भवन इसी शैली में बने हैं.
इंडो-गोथिक शैली की विशेषताएँ
इंडो-गोथिक शैली का जन्म इमारतों, खासतौर से गिरजों से हुआ था जो मध्यकाल में उत्तरी यूरोप में काफ़ी बनाए गए. नव-गॉथिक शैली को इंग्लैंड में उन्नीसवीं सदी के मध्य में दोबारा अपनाया गया. यह वही समय था जब बम्बई में सरकार बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर रही थी. उसके लिए यही शैली चुनी गई.
यह शैली अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान यूरोप से भारत आई. इसे विक्टोरियन शैली भी कहा जाता है. इंडो-गोथिक शैली हिन्दुस्तानी, फारसी और गोथिक शैलियों का अद्भुत मिश्रण है. इसकी विशेषताएँ नीचे दे दी जा रही हैं –
- इस शैली के अंतर्गत बनाई गई अवसंरचना आकार में विशाल होती थीं और इनका क्रियान्वयन भी वृहद् स्तर पर होता था.
- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला से यदि इसकी तुलना की की जाए तो इंडो-गोथिक शैली की दीवारें अतीव पतली होती हैं.
- इस शैली में मेहराबें नुकीले आकार आकार की होती थी.
- इस शैली में बनाई गये मकानों में बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ देखी जा सकती हैं.
- चर्च को क्रूस ग्राउंड योजना के आधार पर निर्मित किया जाता था.
- यह ब्रिटेन के उन्नत संरचनात्मक इंजीनियरिंग मानक का पालन करने वाली शैली है.
- सर्वप्रथम इसी शैली में भवन निर्माण में स्टील, लोहा और कंक्रीट-गारे का प्रयोग प्रारम्भ हुआ.
- 1833 ई. में बना मुंबई का टाउन हॉल तथा 1860 के दशक में मुंबई में निर्मित अनेक इमारतें नवशास्त्रीय शैली के उदाहरण हैं जिनमें बड़े-बड़े स्तंभों के पीछे रेखागणितीय संरचनाओं को बनाया गया.
- नवगोथिक शैली में मुंबई का सचिवालय, विश्वविद्यालय, उच्च न्यायलय जैसी कई इमारतें बनीं, जो तत्कालीन वणिक वर्ग को पसंद आईं. इस शैली का सबसे अच्छा उदाहरण मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल है, जो कभी ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे कंपनी का स्टेशन और मुख्यालय था.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
गोथिक स्थापत्य कला से आप क्या समझते हैं? इंडो-गोथिक शैली की विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिये.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Related to Health.
Topic : Launch of Tribal Health & Nutrition Portal – ‘Swasthya’ and Opening of National Overseas Portal & National Tribal Fellowship Portal
संदर्भ
हाल ही में जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा कई पहलों की घोषणा की गयी है, जिनमें जनजातीय स्वास्थ्य एवं पोषण पोर्टल ‘स्वास्थ्य’ और राष्ट्रीय प्रवासी पोर्टल और राष्ट्रीय जनजातीय फैलोशिप पोर्टल सम्मिलित हैं.
‘स्वास्थ्य’ पोर्टल क्या है?
- इस पोर्टल को जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आनावृत किया गया है.
- यह ऑनलाइन पोर्टल वन-स्टॉप सॉल्यूशन के रूप में कार्य करेगा जो जनजातियों के स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित सभी जानकारी प्रस्तुत करेगा.
- पोर्टल का प्रबंधन जनजातीय कार्य मंत्रालय के उस उत्कृष्टता केंद्र के द्वारा किया जाएगा जो स्वास्थ्य एवं पोषण के विषय में ज्ञान प्रबंधन से जुड़ा हुआ है.
राष्ट्रीय फैलोशिप और प्रवासी छात्रवृत्ति पोर्टल
- राष्ट्रीय फैलोशिप और प्रवासी छात्रवृत्ति पोर्टल अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए बेहतर पारदर्शिता और आसान जानकारी उपलब्ध कराएगा.
- यह डैशबोर्ड अनुसूचित जनजातियों को सशक्त बनाने की दिशा में काम करने के लिए डिजिटल इंडिया का एक हिस्सा है जो सिस्टम में दक्षता और पारदर्शिता लाएगा.
मेरी राय – मेंस के लिए
जनजातियाँ ऐसे क्षेत्रों में निवास करती हैं जहाँ तक बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच बनाना टेढ़ी खीर है. इसलिए ये जनजातियाँ अनेक समस्याओं को झेल रही हैं.
- यदि सामाजिक समस्याओं की बात की जाए तो ये जनजातियाँ आज भी सामाजिक संपर्क स्थापित करने में अपने-आप को सहज अनुभव नहीं कर पाती हैं. इस कारण ये सामाजिक-सांस्कृतिक अलगाव, भूमि अलगाव, अस्पृश्यता की भावना का अनुभव करती हैं. इसी के साथ इनमें शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी सुविधाओं से वंचन की स्थिति भी मिलती है.
- आज के आधुनिक युग में भी जनजातीय समुदायों का एक वृहद् वर्ग अनपढ़ है जिससे ये आम बोलचाल की भाषा को समझने में भी असमर्थ हैं. सरकार ने इनके लिए कौन-कौन सी योजनाओं का अनावरण किया है, इसकी जानकारी तक इनको नहीं मिल पाती है जो इनके सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण है.
- इनके आर्थिक रूप से पिछड़ेपन की बात की जाए तो इसमें प्रमुख समस्या गरीबी तथा ऋणग्रस्तता है. आज भी जनजातियों के समुदाय का एक वर्ग ऐसा है जो दूसरों के घरों में काम कर अपना जीवनयापन कर रहा है. माँ-बाप आर्थिक तंगी के कारण अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा नहीं पाते हैं तथा पैसे के लिये उन्हें बड़े-बड़े व्यवसायियों या दलालों को बेच देते हैं. इसलिए बच्चे या तो समाज के घृणित से घृणित कार्य को अपनाने के लिए विवश हो जाते हैं अन्यथा उन्हें मानव तस्करी का सामना करना पड़ता है.
- आये दिन हम जनजातीय लड़कियों की वेश्यावृत्ति जैसे घिनौने दलदल में धकेले जाने की खबरें सुनते रहते हैं. दरअसल जनजातियों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण उनका आर्थिक रूप से पिछड़ापन ही है जो उन्हें उनकी बाकी सुविधाओं से वंचित करता है.
- धार्मिक अलगाव भी जनजातियों की समस्याओं का एक बहुत बड़ा पहलू है. इन जनजातियों के अपने अलग देवी-देवता होते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है समाज में अन्य वर्गों द्वारा इनके प्रति छुआछूत का व्यवहार. अगर हम थोड़ा पीछे जायें तो पाते हैं कि इन जनजातियों को अछूत तथा अनार्य मानकर समाज से बेदखल कर दिया जाता था; सार्वजनिक मंदिरों में प्रवेश तथा पवित्र स्थानों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया जाता था. आज भी इनकी स्थिति ले-देकर यही है.
यही सब पहलू हैं जिसके कारण जनजातियाँ आज भी बाह्य दुनिया से अपना संपर्क स्थापित नहीं कर पा रही हैं.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
सामाजिक संपर्क स्थापित करने में असहज अनुभव करने वाले भारतीय जनजातीय वर्ग शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं. इसके लिए सरकार द्वारा क्या-क्या कदम उठाये जा सकते हैं?
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Infrastructure: Energy, Ports, Roads, Airports, Railways etc.
Topic : PM Modi to inaugurate First World Solar Technology Summit
संदर्भ
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance – ISA) के महानिदेशक ने आईएसए द्वारा 08 सितंबर, 2020 को एक आभासी मंच (virtual platform) पर आयोजित किए जा रहे पहले विश्व सौर प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन (First World Solar Technology Summit) का विवरण साझा किया.
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance – ISA) के महानिदेशक ने भावी विश्व सौर बैंक के गठन की योजना पर भी प्रकाश डाला.
- विश्व सौर प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन आईएसए द्वारा ISA सोलर एनर्जी (I JOSE) पर ISA जर्नल को भी शुरू करेगा, जो दुनिया भर के लेखकों को सौर ऊर्जा पर अपने लेख प्रकाशित करने में एक मंच प्रदान करेगा. इस पत्रिका के लेखों की वैश्विक विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा की जाएगी और यह ISA के NFPs (नेशनल फ़ोकल पॉइंट्स) और STAR (सोलर टेक्नोलॉजी एंड एप्लीकेशन रिसोर्स सेंटर) केंद्रों के विशाल नेटवर्क के माध्यम से सदस्य देशों तक पहुँचेगा.
प्रथम विश्व सौर प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन के बारे में
- 08 सितंबर, 2020 को आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में आईएसए का उद्देश्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ अगली पीढ़ी की तकनीक को सामने लाना है जो सौर ऊर्जा के अधिक कुशलता से उपयोग की दिशा में प्रयासों को गति देगी.
- इसमें आईएसए के सभी सदस्य देशों के मंत्री और वैश्विक संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
- सौर फोटो वाल्विक क्रांति में सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग महत्त्वपूर्ण स्तंभ रहा है. आईएस को हर घर में बिजली पहुँचाने के अपने सपने को पूरा करने के लिये नवप्रवर्तनशील और सस्ती प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है. विश्व सौर प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन इस दिशा में उठाया गया कदम है.
विश्व सौर बैंक
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के महानिदेशक ने यह भी बताया कि सौर परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये 15 अरब डॉलर की अधिकृत पूंजी के साथ विश्व सौर बैंक गठित करने की योजना है. इसके लिए आईएसए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर रहा है. इस साल अक्टूबर में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की सालाना बैठक में इसका डीपीआर पेश किया जा सकता है.
- केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मुताबिक इस साल जुलाई तक सौर बिजली उत्पादन क्षमता 35,000 मेगावाट से अधिक हो गयी है. इसके अतिरिक्त दुनिया भर में कुल ऊर्जा में नवीकणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने हेतु सौर परियोजनाओं के लिये बड़े पैमाने पर वित्त पोषण की आवश्यकता है.
- विश्व सौर बैंक, उसी रूप से काम करेगा जिस प्रकार विश्व बैंक परियोजनाओं को वित्त पोषण देकर करता है. दुनिया भर में कुल ऊर्जा में नवीकणीय ऊर्जा की भागीदारी बढ़ाने के लिये सौर परियोजनाओं के लिये बड़े पैमाने पर वित्त पोषण की आवश्यकता है.
स्टार (STAR) केंद्र क्या है ?
- स्टार (STAR) अर्थात सौर प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग संसाधन केंद्र परियोजना (Solar Technology Application Resource Centre project) का लक्ष्य सौर ऊर्जा और आधारभूत संरचना परियोजनाओं के संबंध में ज्ञान प्रसार और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्रों का नेटवर्क बनाना है.
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
- ISA (International Solar Alliance) की स्थापना CoP21 पेरिस घोषणा के अनुसार हुई है. 6 दिसम्बर, 2017 को ISA का फ्रेमवर्क समझौता लागू हो गया और इसके साथ ही यह संधि पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन के तौर पर औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया.
- इस संघ का उद्देश्य है सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना जिससे पेट्रोल, डीजल पर निर्भरता कम की जा सके.
- सौर संघ का प्रधान लक्ष्य विश्व-भर में 1,000 GW सौर ऊर्जा का उत्पादन करना और इसके लिए 2030 तक सौर ऊर्जा में 1,000 बिलियन डॉलर के निवेश का प्रबंध करना है.
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय, अंतर-सरकारी संघ है जो आपसी समझौते पर आधारित है.
- अब तक 54 देशों ने इसके फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
- यह 121 ऐसे देशों का संघ है जो सौर प्रकाश की दृष्टि से समृद्ध हैं.
- ये देश पूर्ण या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं.
- इसका मुख्यालय भारत में है और इसका अंतरिम सचिवालय फिलहाल गुरुग्राम में बन रहा है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश व नवोन्मेष के वैश्विक प्रयासों का उल्लेख करते हुए, इस क्षेत्र के विकास से पर्यावरण व अर्थजगत पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण कीजिये.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Renewable Energy.
Topic : Partial Credit Guarantee Scheme (PCGS) 2.0
संदर्भ
सरकार ने ऋण की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ‘आंशिक ऋण गारंटी योजना (पीसीजीएस) 2.0’ की अवधि को अधिक लचीलेपन के साथ बढ़ा दिया है.
आंशिक ऋण गारंटी योजना 2.0
- सरकार द्वारा घोषित ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के एक हिस्से के रूप में आंशिक ऋण गारंटी योजना (पीसीजीएस) 2.0 का शुभारंभ 20 मई 2020 को किया गया था.
- इस योजना का क्रियान्वयन वित्त मंत्रालय द्वारा किया गया जा रहा है.
- ऋण अदायगी में चूक कर रही एनबीएफसी/एचएफसी की परिसंपत्तियों और देनदारियों में अस्थायी असंतुलन को समाप्त करना इसका उद्देश्य है. ऐसे में एनबीएफसी/एचएफसी की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उनकी परिसंपत्तियों की अंधाधुंध बिक्री करने की आवश्यकता नहीं होगी.
- इस योजना के दायरे में वे प्रतिभूतियाँ आएँगी जिसकी रेटिंग नीची है और यहाँ तक उनकी कोई साख निर्धारित नहीं हुई है. जिसमें ‘AA’ और उससे कम रेटिंग वाले बॉन्डों या कमर्शियल पेपरों (सीपी) को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) द्वारा खरीदे जाने पर पोर्टफोलियो गारंटी प्रदान करना की जाती है.
हाल ही में सरकार द्वारा किया गया संशोधन
सरकार ने अब बॉन्डों/सीपी की खरीद के लिए पीसीजीएस 2.0 को निम्नानुसार संशोधित करने का निर्णय लिया है:
- पोर्टफोलियो को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त 3 महीने का समय दिया गया है. छह माह के अंत में अर्थात् 19.11.2020 तक पोर्टफोलियो को वितरित की गई वास्तविक राशि के आधार पर निश्चित स्वरूप दिया जाएगा जिससे गारंटी को प्रभावी किया जा सके.
- ‘PCGS 2.0’ के तहत 45000 करोड़ रुपए के बॉन्ड/CP खरीदे जाने की परिकल्पना की गई थी जिसके अंतर्गत ‘AA/AA-’ रेटिंग वाले बॉन्डों/CP को कुल पोर्टफोलियो का अधिकतम 25% तक अर्थात् 11250 करोड़ रुपए तक ही खरीदे जाने की अनुमति थी.
आंशिक ऋण गारंटी योजना का महत्त्व
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को इस योजना की पेशकश की जा रही है, जिससे इस योजना के तहत सरकार की गारंटी सहायता से संयोजित परिसंपत्तियों की खरीद संभव होने से दिवाला होने की स्थिति में आ चुकी NBFCs/HFCs की अस्थायी तरलता/नकद प्रवाह में असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी.
- ऐसी स्थिति में NBFCs/HFCs को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये अपनी-अपनी परिसम्पत्तियों की धड़ल्ले से बिक्री करने के लिये विवश नहीं होना पड़ेगा.
- इससे अर्थव्यवस्था की ऋण संबंधी मांग का वित्तपोषण करने के साथ-साथ इस तरह की NBFCs/HFCs के विफल या दिवालिया होने के प्रतिकूल प्रभाव से देश की वित्तीय प्रणाली को संरक्षित करने के लिये संबंधित NBFCs/HFCs को आवश्यक तरलता प्राप्त होगी.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
NBFCs/HFCs की अस्थाई तरलता अथवा नकद प्रवाह में असंतुलन को दूर करने में आंशिक ऋण गारंटी योजना कहाँ तक सहायक सिद्ध होगी?
Prelims Vishesh
Death Valley :-
- अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित एक घाटी “डेथ वैली” में तापमान 130 फैरनहाइट (54.4 डिग्री सेल्सियस) दर्ज हुआ जो कि अभी तक रिकॉर्ड हुआ सबसे अधिक तापमान बताया जा रहा है.
- उत्तरी अमेरिका में डेथ वैली उत्तरी मोजावे रेगिस्तान (Northern Mojave Desert) के पूर्वी कैलिफोर्निया में एक रेगिस्तानी घाटी है.
- यह मध्य पूर्व और सहारा रेगिस्तान की तरह पृथ्वी पर सबसे गर्म स्थानों में से एक है.
- डेथ वैली (मृतक घाटी) को शैतान का गोल्फ कोर्स (Devil’s Golf Course) के नाम से भी जाना जाता है.
- डेथ वैली रिफ्ट घाटी का एक उदाहरण है. रिफ्ट घाटी का विकास तब होता है, जब दो भ्रंश रेखाओं के मध्य का चट्टानी भाग या स्तंभ नीचे की ओर धँस जाता है.
- डेथ वैली (मृतक घाटी) की तली में नमक का एक बड़ा ढेर है. दरअसल, होलोसीन युग में यहाँ 30 फीट गहरा जलाशय था परन्तु कालांतर में इसके सूखने से पानी में घुला नमक इसकी तली में अवशेष के रूप में विद्यमान है.
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