Sansar Daily Current Affairs, 17 February 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.
Topic : Rohingya Refugees
संदर्भ
हाल ही में, मानवाधिकार समूहों द्वारा किए जा रहे विरोध के बावजूद, बांग्लादेश प्राधिकारियों द्वारा म्यांमार से पलायन करने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों के चौथे समूह को बंगाल की खाड़ी में स्थित भासन चार द्वीप (Bhashan Char island) पर रवाना कर दिया गया है.
पृष्ठभूमि
भासन चार, बंगाल की खाड़ी में स्थित एक विवादित बाढ़-प्रवण द्वीप है, जिसे म्यांमार से पलायन करने वाले 1 मिलियन रोहिंग्या शरणार्थियों में से 1 लाख शरणार्थियों को बसाने के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है.
मानवाधिकार समूहों ने बांग्लादेश इस कदम की आलोचना की है और इनका कहना है कि, रोहिंग्या शरणार्थियों को उनकी इच्छा के खिलाफ भासन चार द्वीप पर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. जबकि, सरकार का कहना है कि शरणार्थि द्वीप पर स्वेच्छा से जा रहे हैं.
रोहिंग्या कौन हैं?
- रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाला एक समुदाय है जिसमें अधिकांश मुसलमान हैं.
- उस देश में रोहिंग्याओं को पूर्ण नागरिकता प्राप्त नहीं है और उन्हें निवासी विदेशी अथवा सह-नागरिक के रूप में वर्गीकृत किया गया.
- नस्ल की दृष्टि से ये म्यांमार में रहने वाले चीनी तिब्बती लोगों से अलग हैं और थोड़ा बहुत भारत के और बांग्लादेश के भारतीय आर्य जनों से मिलते-जुलते हैं.
- इनकी भाषा और संस्कृति सभी देशों से बिल्कुल अलग है.
- म्यांमार में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या बसते हैं पर म्यांमार उन्हें अपना नागरिक मानने को तैयार नहीं है. न ही इस प्रजाति को कोई सरकारी ID या चुनाव में भाग लेने का अधिकार दिया गया है.
रोहिंग्या संकट का इतिहास
अधिकांश रोहिंग्या मुसलमान हैं लेकिन कुछ रोहिंग्या अन्य धर्मों का भी अनुसरण करते हैं. 2017 में रोहिंग्या समुदाय के लोगों के विरुद्ध म्यांमार में हिंसा हुई थी. इस हिंसा के बाद लाखों रोहिंग्या म्यांमार को छोड़ कर कहीं और चले गए. अब भी कई रोहिंग्या म्यांमार में ही रखाइन के राहत शिविरों में दिन काट रहे हैं.
रोहिंग्या समुदाय को सदियों पहले अराकान (म्यांमार) के मुग़ल शासकों ने यहाँ बसाया था, साल 1785 में, बर्मा के बौद्ध लोगों ने देश के दक्षिणी हिस्से अराकान पर कब्ज़ा कर लिया था. उन्होंने हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को खदेड़ कर बाहर भगाने की कोशिश की. इसी के बाद से बौद्ध धर्म के लोगों और इन मुसलमानों के बीच हिंसा और कत्लेआम का दौर शुरू हुआ जो अब तक जारी है.
क्या रोहिंग्या मुसलमान भारत के लिए खतरनाक हैं?
एक रिपोर्ट के अनुसार रोहिंग्या बड़ी संख्या में जम्मू के बाहरी भागों में और जम्मू के साम्बा और कठुआ इलाकों में बस गए हैं. ये इलाके हमारे अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अधिक दूर नहीं है जो भारत की सुरक्षा के लिए एक खतरा है.
अता उल्लाह जो Arkan Rohingya Salvation Army का सरगना है, उसका जन्म कराँची, पाकिस्तान में हुआ था. इसकी परवरिश मक्का में हुई. ऐसा कहा जाता है कि रोहिंग्या मुसलमान पाकिस्तान के आतंकवाद संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं और लगातार उनसे संपर्क में रहते हैं. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन द्वारा रोहिंग्या, जो बांग्लादेश के शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं, को आंतकवादी बनाया जा रहा है और पूरे देश की अशांति फैलाने के लिए इनका इस्तेमाल भी किया जा रहा है. सऊदी अरबिया का वहाबी ग्रुप इन्हें आंतकवाद की ट्रेनिंग दे रहा है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Geospatial data policy liberalised
संदर्भ
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा देश की भू-स्थानिक डेटा उपयोग एवं मानचित्रण नीति में व्यापक परिवर्तन की घोषणा की गई है.
पृष्ठभूमि
‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण और देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित करने के सपने को साकार करने के लिए भू-स्थानिक डेटा एवं मानचित्रों से संबंधित नियमों को लचीला बनाने की आवश्यकता लंबे समय से अनुभव की जा रही थी. भारतीय कंपनियों को इस दिशा में लाइसेंस से लेकर पूर्व-अनुमोदन और अनुमतियों की जटिल प्रणाली से गुजरना होता है. ये विनियामक प्रतिबंध स्टार्टअप कंपनियों के लिए अनावश्यक कठिनाईयाँ पैदा करने के साथ दशकों से मानचित्र प्रौद्योगिकी में भारतीय नवाचार में बाधा पैदा करते रहे हैं.
नए दिशानिर्देशों के अंतर्गत
- भू-स्थानिक आंकड़ा (डेटा) क्षेत्र को नियंत्रण-मुक्त किया जाएगा और सर्वेक्षण, मानचित्रण तथा इस क्षेत्र पर आधारित अनुप्रयोगों के निर्माण हेतु पूर्व अनुमोदन जैसे पहलुओं को समाप्त किया जाएगा.
- भारतीय संस्थाओं के लिए इस क्षेत्र को पूरी तरह से नियंत्रण मुक्त किया जायेगा तथा मानचित्रण सहित, भू-स्थानिक आंकड़ों और भू-स्थानिक डेटा सेवाओं को हासिल करने और इनका उत्पादन करने हेतु किसी पूर्व अनुमोदन, सुरक्षा मंजूरी और लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी.
माहात्म्य
- क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना और सार्वजनिक एवं निजी संस्थाओं को एक समान परिस्थितियाँ प्रदान करना.
- वैश्विक मानचित्रण परिवेश में प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारतीय कंपनियों को सक्षम करना.
- झातव्य है कि भारत वर्तमान में मानचित्रण प्रौद्योगिकियों और सेवाओं के लिए विदेशी संसाधनों पर बहुत अधिक निर्मर करता है, इसलिए यह आत्मनिर्भर भारत जैसी नीतियों को सहायता प्रदान करेगा.
- आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए बेहतर तैयारी सुनिश्चित होगी.
- संसाधनों का बेहतर नियोजन और प्रबंधन होगा.
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी (GEOSPATIAL TECHNOLOGY)
- यह अध्ययन का एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS), रिमोट सेंसिंग (RS) और ग्लोबल सिस्टम (GPS) शामिल हैं.
- यह हमें पृथ्वी से संबंधित डेटा को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, जिसका उपयोग विश्लेषण, प्रतिरूपण, अनुकरण और प्रत्योक्षकरण (visualization) के लिए करते हैं.
- यह हमें प्रकृति में अधिकांशत: सीमित संसाधनों के महत्व और प्राथमिकता के आधार पर सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है.
मेरी राय – मेंस के लिए
आधुनिक भू-स्थानिक डेटा तकनीकों और मैपिंग सेवाओं पर आधारित नवीन तकनीकों के अनुप्रयोग से व्यापक लाभ विभिन्न क्षेत्रों को मिल सकते हैं. इनमें कृषि से लेकर वित्त, निर्माण, खनन, स्थानीय उद्यम और किसानों से लेकर छोटे कारोबारी तथा बड़े निगमों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियां सम्मिलित हैं. हालाँकि, व्यापक महत्त्व के बाद भी अब तक मानचित्रों के निर्माण से लेकर उनके वितरण तक मैपिंग इंडस्ट्री पर व्यापक प्रतिबंध लगे रहे हैं. नये दिशा-निर्देशों के जरिये सरकार का प्रयास इन प्रतिबंधों और अन्य जटिलताओं को दूर करने का है.
नदियों के जुड़ाव से लेकर औद्योगिक कॉरिडोर के निर्माण, रेलवे लाइन बिछाने, पुलों के निर्माण, और स्मार्ट पावर प्रणाली लगाने जैसी विभिन्न परियोजनाओं में मानचित्र और सटीक भू-स्थानिक डेटा की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है. डिजिटल इंडिया, स्मार्ट शहर, ई-कॉमर्स, ड्रोन तकनीक, लॉजिस्टिक्स और शहरी परिवहन जैसी तकनीकों में भू-स्थानिक डेटा के उपयोग में नयी छलांग लगाने के लिए अधिक परिशुद्धता, गहराई और बेहतर रिजोल्यूशन युक्त मानचित्रण (मैपिंग) को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : India tops the world with 11% of global death in road accidents: World Bank report
संदर्भ
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार कुल सड़क दुर्घटनाओं में 11% वैश्विक मृत्यु के साथ भारत विश्व में शीर्ष पर है.
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- भारत में विश्व के मात्र 1% वाहन हैं, जबकि सड़क दुर्घटनाओं में विश्व में होने वाली कुल मृत्यु में भारत की भागेदारी 11% है.
- संपन्न लोगों की तुलना में निर्धन परिवारों में दुर्घटना से होने वाली मृत्यु की संख्या दोगुनी है.
- अनुशंसाओं में कैशलेस उपचार, बीमा पैठ और क्षतिपूर्ति तंत्र, दुर्घटना के बाद प्रतिक्रिया तंत्र तथा हितधारकों का एकीकरण आदि सम्मिलित हैं.
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में सड़क दुर्घटनाओं की सामाजिक-आर्थिक लागत का अनुमान सकल घरेलू उत्पाद का 0.77% है.
दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में शामिल हैं:–
- बढ़ते शहरीकरण/मोटरीकरण/प्रवासन आदि के कारण सड़क पर अत्यधिक भीड़-भाड़ का होना.
- फुटपाथ पर अतिक्रमण के कारण पद यात्रियों के लिए जोखिम में वृद्धि.
- गुड समैरिटन (good Samaritans) (नेक व्यक्ति, जो दुर्घटना के समय पीड़ित की सहायता करता है) दृष्टिकोण के प्रति उदासीनता.
- निम्नस्तरीय डिज़ाइन गुणवत्ता, खराब दृश्यता आदि जैसी अनुचित सड़क प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना.
सरकार द्वारा उठाये गये कदम
- राजमार्गों पर ब्लैकस्पॉट की पहचान और निवारण : विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank : ADP) द्वारा वित्त पोषित परियोजना. यहाँ ब्लैकस्पॉट का अर्थ है – राजमार्गों पर दुर्घटना प्रवण स्थान.
- मोटर यान (संशोधन) अधिनियम, 2019 (Motor Vehicle (Amendment) Act, 2019) के तहत कठोर दंड, दोषयुक्त वाहनों की वापसी और गुड समैरिटन्स (संकट के समय सहायता करने वाले) की पहचान जैसे प्रावधान किए गए हैं.
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति (National Road Safety Policy): इसे वर्ष 2010 में अनुमोदित किया गया था. यह सुरक्षित सड़क अवसंरचना, वाहन एवं वाहन चालक की सुरक्षा आदि के लिए नीतिगत पहल की रूपरेखा निर्धारित करती है.
- राजमार्गों से खतरनाक बिंदुओं को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित सड़क योजना का संचालन किया जा रहा है.
- समेकित सड़क दुर्घटना डेटाबेस (Integrated Road Accident Database – IRAD) : इसका निर्माण भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान – मद्रास ने किया है. इसका संचालन राष्ट्रीय इन्फोर्मेटिक्स केंद्र (NIC) करेगा. इस परियोजना में 258 करोड़ रु. व्यय होंगे जिसके लिए विश्व बैंक भी सहयोग कर रहा है. इस डेटाबेस का प्रायोगिक कार्यान्वयन सबसे पहले उन छह राज्यों में होगा जहाँ सड़क दुर्घटनाओं से सर्वाधिक मृत्यु होती है. ये राज्य हैं – कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश. इस ऐप में पुलिसकर्मी किसी सड़क दुर्घटना से सम्बंधित विवरण के साथ-साथ चित्र और विडियो भी डाल सकता है. ऐसा करने से उस घटना-विशेष के लिए एक अनूठी आई.डी. का सृजन होगा. तत्पश्चात् लोक निर्माण विभाग अथवा स्थानीय निकाय के एक इंजिनियर को उसके मोबाइल पर अलर्ट मिल जाएगा. उसके उपरान्त वह घटना स्थल पर जाएगा, जाँच-पड़ताल करेगा और सड़क की रूपरेखा जैसे अपेक्षित विवरण ऐप पर डाल देगा. इस प्रकार संगृहीत डाटा का विश्लेषण भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान – मद्रास (IIT-M) का एक दल करेगा और यह सुझाव देगा कि सड़क की रूपरेखा को सुधारने के लिए कौन-कौन से कदम उठाये जा सकते हैं. यदि चाहे तो सड़क पर चलने वाला कोई जन भी अपने अलग मोबाइल ऐप पर सम्बंधित दुर्घटना का डाटा डाल सकता है.
- सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु दर में कटौती के लिए ब्रासीलिया घोषणा (Brasilia declaration) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
- 4E’s, अर्थात् शिक्षा (Education), अभियांत्रिकी (Engineering), प्रवर्तन (Enforcement) और आपातकालीन देखभाल (Emergency Care) के आधार पर सड़क सुरक्षा के प्रयासों एवं उपायों को समझना तथा उन्हें लागू करना.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Challenges to internal security through communication networks, role of media and social networking sites in internal security challenges, basics of cyber security; money-laundering and its prevention.
Topic : Toolkit case: role of “pro-Khalistani” PJF under scanner
संदर्भ
कायकर्ता दिशा रवि, एक टूलकिट (toolkit) को संपादित करने और वैश्विक स्तर पर चर्चित जलवायु परिवर्तन-विरोधी एक किशोर प्रचारक ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) के साथ साझा करने के आरोप में दिल्ली पुलिस की हिरासत में हैं.
इसके अतिरिक्त, कुछ अन्य लोगों को भी, नए कृषि कानूनों पर किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शन के संबंध में खालिस्तान समर्थक एक संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीएफजे) के साथ समन्वय करने के लिए आरोपित किया गया है.
टूलकिट क्या है?
- किसी भी आंदोलन या कार्यक्रम को शुरू करने और फिर उसका दायरा बढ़ाने के लिए कुछ एक्शन पॉइंट तैयार किए जाते हैं.
- इन एक्शन पॉइंट को जिस दस्तावेज में दर्ज किया जाता है, उसे ही टूलकिट (Toolkit) कहते हैं. टूलकिट को उन्हीं लोगों के मध्य शेयर किया जाता है, जिनकी मौजूदगी से आंदोलन का असर बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
- टूलकिट किसी आंदोलन की रणनीति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है. परन्तु ऐसा नहीं है कि इसका प्रयोग मात्र रैली या फिर आंदोलन के लिए किया जाता है. आंदोलन के अतिरिक्त सभी राजनीतिक पार्टियाँ, बड़ी-बड़ी कंपनियाँ, शिक्षण संस्थाएं और सामाजिक संगठन भी कई बार इसी तरह टूलकिट का प्रयोग अपने विचार और उत्पाद की मार्केटिंग के लिए करती हैं.
आपरेशन ब्लू स्टार : आपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 को अमृतसर (पंजाब, भारत) स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था. पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था. खालिस्तानी चरमपंथी भारत से भले ही खदेड़ दिए गए हों, लेकिन उनकी अलगाववादी सोच या विचारधारा कमजोर नहीं पड़ी है. दुनिया के कई देशों में भारत विरोध और खालिस्तान के समर्थन में चुनिंदा समूहों की लामबंदी बदस्तूर जारी है. इस विरोध में वैचारिक अलगाव है, भारतीय एकता और अखंडता को प्रभावित करने के वैश्विक सरोकार भी हैं, वैश्विक आतंकी संगठनों के साझा प्रयास भी हैं, धार्मिक अलगाव को बढ़ावा देने की कोशिशें भी हैं और राजनीतिक स्वीकार्यता बनाए रखने की कुत्सित प्रतिबद्धता भी इसमें साफ झलक रही है. खालिस्तानी चरमपंथी भारत से भले ही खदेड़ दिए गए हों, लेकिन उनकी अलगाववादी सोच या विचारधारा कमजोर नहीं पड़ी है, ऐसा लगता है. दुनिया के कई देशों में भारत विरोध और खालिस्तान के समर्थन में चुनिंदा समूहों की लामबंदी बदस्तूर जारी है. इस विरोध में वैचारिक अलगाव है, भारतीय एकता और अखंडता को प्रभावित करने के वैश्विक सरोकार भी हैं, वैश्विक आतंकी संगठनों के साझा प्रयास भी हैं, धार्मिक अलगाव को बढ़ावा देने की कोशिशें भी हैं और राजनीतिक स्वीकार्यता बनाए रखने की कुत्सित प्रतिबद्धता भी इसमें साफ झलक रही है. पाकिस्तान आतंकवाद फैलाने के लिए अपनी जमीन का बेजा इस्तेमाल करने से कभी परहेज नहीं करता. वह विदेशों में रहने वाले खालिस्तान समर्थकों को भारत विरोध के लिए उकसाने की नीति पर चलता रहा है. भारत में खालिस्तान आंदोलन भले ही अब शांत हो, लेकिन अमेरिका, कनाडा सहित यूरोप के कुछ देशों में इसकी आग अभी बुझी नहीं है और यही भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है. इसके समर्थक उत्तरी अमेरिका, यूरोप, दक्षिण एशिया और ऑस्ट्रेलिया तक विस्तृत हैं. वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद पर हुई चर्चा के बाद यह घोषणा की थी कि वह किसी भी राष्ट्र में आतंक फैलाने के लिए वर्ग विशेष व विशेष व्यक्ति के विरुद्ध राजनीतिक लक्ष्य प्राप्त करने के मकसद से फैलाई जाने वाली हिंसा को आतंकवाद की श्रेणी में रखता है, भले ही उसे राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, जातिगत या अन्य किसी भी आधार पर तार्किक ठहराने की कोशिश क्यों न की जाए. संयुक्त राष्ट्र की इस घोषणा के मुताबिक ही खालिस्तान समर्थकों पर कार्रवाई हो, भारत सरकार को संबंधित देशों पर इसके लिए दबाव बनाना चाहिए. इसके साथ ही खालिस्तान समर्थकों को लेकर वीजा नीति में सख्ती लागू करने की दिशा में भी विदेश मंत्रालय को विचार करने की जरूरत है, तभी हम पृथकतावादी ताकतों को पंजाब से दूर रख पाएंगे. Sandes :- Karlapat Wildlife Sanctuary, Odisha :- Nigeria’s Ngozi Okonjo-Iweala confirmed as WTO chief :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA January, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
सिख फॉर जस्टिस (SFJ)
मेरी राय – मेंस के लिए
Prelims Vishesh