Sansar Daily Current Affairs, 17 February 2022
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ, भारत की विविधता.
Topic : Caste census
संदर्भ
पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट ने ‘राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा’ के लिए ‘अखिल भारतीय आरक्षित सीटों’ में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27% कोटा को बरकरार रखा और पुनः दोहराते हुए कहा कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण कोई छूट नहीं है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 15(1) के तहत समानता के सिद्धांत का विस्तार है.
भारतीय संदर्भ में इसे एक ‘सकारात्मक विभेद’ के रूप में देखा जाता है.
संबंधित प्रकरण
अंतर्निहित अच्छे इरादों के बावजूद, ‘सकारात्मक विभेद’ (Positive Discrimination) एक विवादास्पद विषय रहा है. कई लोग आरक्षण जैसी सकारात्मक कार्रवाइयों का विरोध करते हैं; उनका मानना है कि इस तरह के प्रावधान केवल जाति भेद को कायम रखते हैं और वे “जातिविहीन समाज” की मांग करते हैं.
- लेकिन, जैसा कि न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, “जातिविहीनता” एक विशेषाधिकार है, जिसे केवल उच्च जाति ही वहन कर सकती है क्योंकि उनके ‘जातिगत विशेषाधिकार’ का सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पूंजी में रूपांतरण हो चुका है.
- दूसरी ओर, ‘ऐतिहासिक क्षति’ को चिह्नित करने वाले आरक्षण जैसे उपायों के लाभों का दावा करने हेतु निचली जातियों से संबंधित व्यक्तियों को अपनी जातिगत पहचान बनाए रखनी चाहिए.
जातिगत जनगणना को लेकर समस्याएँ
- जातिगत जनगणना को लेकर यह समस्या रहती है कि इसके आँकड़े प्रदर्शित करने के पश्चात् कुछ समुदाय अपने लिए अधिक या अलग कोटा की माँग रख सकते हैं जिससे अन्य वर्गों में नाराजगी हो सकती है.
- राजनीतिक दल मतदाताओं की जातिगत पहचान को प्रोत्साहन देंगे, जिससे जाति व्यवस्था को महत्त्व मिलेगा तथा समाज के अलग-अलग वर्गों में खाई और भी गहरी हो सकती है.
लाभ
- इससे जनसंख्या में विभिन्न जातियों के अनुपात एवं जनसंख्या के अनुसार उनके सामाजिक, आर्थिक स्तर एवं सरकारी नौकरियों में उनके अनुपात के विषय में पता चलता है.
- ये आँकड़े ऐसे वर्गों के लिए लक्षित योजनाएँ चलाने, नीतियाँ बनाने में सहायक सिद्ध होंगे.
सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) 2011 के बारे में
वर्ष 1931 के बाद देश में पहली बार वर्ष 2011 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने विभिन्न समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में आंकड़े प्राप्त करने के लिए “सामाजिक- आर्थिक और जातिगत जनगणना” (Socio-Economic and Caste Census – SECC) करवाई थी. हालांकि, सरकार द्वारा मात्र ग्रामीण और शहरी परिवारों में लोगों की आर्थिक स्थिति का विवरण जारी किया गया था. जाति से सम्बंधित आँकड़े अभी तक निर्गत नहीं किए गए हैं.
‘जनगणना’ और ‘सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना’ में अंतर
- जनगणना, भारत की आबादी की तस्वीर प्रदान करती है, जबकि सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना’ (SECC) राज्य द्वारा सहायता प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की पहचान करने का एक उपकरण होती है.
- ‘जनगणना’, ‘जनगणना अधिनियम’ 1948 (Census Act of 1948) के अंतर्गत आती है और इसके सभी आकड़ों को गोपनीय माना जाता है, जबकि SECC के तहत दी गई सभी व्यक्तिगत जानकारी, सरकारी विभागों द्वारा परिवारों को लाभ प्रदान करने और/या रोकने हेतु उपयोग करने के लिए उपलब्ध रहती है.
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ.
Topic : Bomb Cyclone
संदर्भ
अमेरिका के पूर्वी तट पर, 30 जनवरी की मध्य रात्रि को बम चक्रवात (Bomb Cyclone) ने दस्तक दी. न्यूयॉर्क, बॉस्टन शहरों में भीषण बरफीले तूफान से जन जीवन एवं विद्युत आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. इस क्षेत्र के कई भागों में दो फीट मोटी बर्फ की परत चढ़ गई.
बम चक्रवात के बारे में
- यह एक मध्य अक्षांशीय चक्रवात है, जिसके केंद्र में निम्न दाब होता है.
- इसके केंद्र में दाब में तेजी से गिरावट (24 घंटे में 24 मिलीबार तक) होती जाती है जिससे यह काफी कम समय में प्रचंड हो जाता है तथा बम चक्रवात का रूप धारण कर लेता है.
- दो मौसम विज्ञानियों फ्रेड सेंडर्स एवं जॉन ग्याकुम ने 1980 के दशक में शोधपत्रों में इसे यह नाम दिया था. बम चक्रवात के साथ ख़राब मौसम एवं बर्फीले तूफ़ान से लेकर तेज आंधी और भारी वर्षा तक मौसम से संबंधित कई रूप देखने को मिलते हैं.
लैंडफॉल क्या है? भारत में चक्रवात GS Paper 2 Source : The Hindu UPSC Syllabus: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश. संदर्भ हाल ही में, चीन ने भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के ‘क्वाड ग्रुप’ को ‘ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका’ (Australia, UK, United States – AUKUS) रक्षा समझौते के समान बताते हुए, दोनों “विशिष्ट गुटों” को बिडेन प्रशासन की “दुर्भावनापूर्ण” इंडो-पैसिफिक रणनीति का हिस्सा कहा है. चीन ने कहा है कि, यह ‘रणनीति’ शीत युद्ध की मानसिकता को पुनर्जीवित करने वाली है और एशिया-प्रशांत में केवल विभाजन और अशांति लाएगी. अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में अधिक मज़बूत भूमिका निभाने के लिये तैयार है. विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिये किसी भी विशाल गठबंधन के अभाव में AUKUS जैसी छोटे समूहों के आगे आने की संभावना है. इस बीच भारत संभवत: एक बड़े सहयोगी के रूप में फ्राँस की ओर देख सकता है, विशेषकर जब फ्राँस को अपने ही सहयोगियों से झटका लगा हो. दोनों के पास अब पारस्परिक रूप से आर्थिक सहयोग करने एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक बेहतर मौका है. ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु पनडुब्बी रखने के खिलाफ अपनी लंबे समय से चली आ रही नीति में बदलाव किया है और ब्रिटेन और अमेरिका भी केवल एक-दूसरे के साथ परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने की अपनी दीर्घकालिक नीति से पीछे हटे हैं. इसका कारण यह है कि चीन से प्रणालीगत चुनौती के बारे में उनका एक सामान्य मूल्यांकन है और इसके लिये त्रिपक्षीय साझेदारी अनिवार्य है. यह एक डिजिटल त्रिपक्षीय व्यवस्था है क्योंकि डिजिटल सहयोग से चीन के विरुद्ध क्षमता में बहुत सुधार और प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होगी. GS Paper 3 Source : The Hindu UPSC Syllabus: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका. संदर्भ हाल ही में, रूस ने यूक्रेन की सीमा से अपनी सेना को हटाए जाने की बात कही है. किंतु, NATO और अमेरिका ने कहा है कि वे अभी रूस द्वारा सेना को हटाने की वास्तविकता के बारे में आश्वस्त नहीं हैं. संबंधित प्रकरण पूर्वी यूक्रेन में जारी संघर्ष के बड़े स्तर पर पहुचने की आशंका बढ़ती जा रही है. पूर्वी यूक्रेन के मुख्य रूप से रूसी भाषी डोनबास क्षेत्र में सरकारी बलों और अलगाववादियों के बीच 2014 से लड़ाई जारी है. वर्ष 2014 में मास्को क्रीमिया प्रायद्वीप पर अपना कब्जा कर लिया गया था. वर्तमान में, रूस ने यूक्रेन की सीमा पार अपनी सेना तैनात कर दी है. रूस, NATO को लेकर चिंतित क्यों है? राजनैतिक :- नाटो प्रजातांत्रिक मान्यताओं को बढ़ावा देता है. यह सुरक्षा और सैन्य मामलों के समाधान के लिए आपसी सहयोग और परामर्श का एक मंच प्रदान करता है. सैन्य :- नाटो विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है. यदि किसी विवाद के निपटारे के लिए कूटनीतिक प्रयास विफल होते हैं तो यह अपनी सैन्य का प्रयोग कर कार्रवाई कर सकता है. नाटो की मूल संधि – वाशिंगटन संधि की धारा 5 के प्रावधान के अनुसार ऐसी स्थिति में नाटो के सभी देश मिलकर सैनिक कार्रवाई करते हैं. Doda Brand Product :- हाल ही में, ‘लैवेंडर’ (Lavender) को एक ‘डोडा ब्रांड उत्पाद’ (Doda Brand Product) के रूप में नामित किया गया है. Minsk Agreements :- हाल ही में, अमेरिकी अधिकारियों ने रूस को यूक्रेन पर आक्रमण नहीं करने की चेतावनी दी है और दोनों देशों से, पूर्वी यूक्रेन में रूसी प्रवक्ताओं द्वारा अलगाववादी युद्ध को समाप्त करने के लिए डिज़ाइन किए गए 2014 और 2015 में मिन्स्क में हस्ताक्षरित समझौतों पर लौटने का आग्रह किया है. पहला मिंस्क समझौता (Minsk I): यूक्रेन और रूसी समर्थित अलगाववादियों ने सितंबर 2014 में बेलारूस की राजधानी मिंस्क में 12-सूत्रीय संघर्ष विराम समझौते पर सहमति व्यक्त की. दूसरा मिंस्क समझौता (Minsk II): Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi January, 2022 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : AUKUS Alliance
AUKUS समझौते क्या है?
मेरी राय – मेंस के लिए
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नाटो क्या है?
नाटो के उद्देश्य
Prelims Vishesh