Sansar Daily Current Affairs, 17 January 2022
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय.
Topic : Pakistan launches first-ever National Security Policy
संदर्भ
पाकिस्तान ने पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (NSP) 2022-2026 जारी की. इस नीति का उद्देश्य उभरते वैश्विक रुझानों में पाकिस्तान को सह-स्थापित करना है. साथ ही, पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा के विजन एवं हितों को स्पष्ट करना है.
यह नीति आर्थिक सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा का मुख्य घटक बनाती है. इसके अनुसार एक मजबूत अर्थव्यवस्था अतिरिक्त संसाधनों का निर्माण करेगी. इन संसाधनों को सैन्य एवं मानवीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए आगे वितरित किया जाएगा.
पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (NSP)
- अगस्त, 2019 में जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने का भारत का निर्णय अवैध एवं एक तरफा था. इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और दमन हेतु भारतीय सुरक्षा बल जिम्मेदार थे.
- एक स्थायी सीमा विवाद समाधान हेतु विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है. ये विवाद मुख्य रूप से नियंत्रण रेखा और वर्किंग बाउंडरी पर सुरक्षा संबंधी खतरे उत्पन्न कर रहे हैं. इन सीमाओं पर भारत संघर्ष विराम समझौतों का उल्लंघन कर रहा है. इससे नागरिकों का जीवन खतरे में आ गया है तथा क्षेत्रीय स्थिरता भी प्रभावित हो रही है.
- यह भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने पर लक्षित है. (भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंध वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद बाधित हो गए थे)
भारत का पक्ष
- कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. कश्मीर में रहने वाले लोगों का कल्याण भारत की अखंडता में ही निहित है.
- भारत ने यह भी कहा है कि उचित समय आने पर जम्मू एवं कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से दे दिया जाएगा. भारत नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम से संबंधित सभी समझौतों का पालन कर रहा है. भारत “सीमाओं पर परस्पर लाभकारी और स्थायी शांति की प्राप्ति के हित में” इन समझौतों पर सहमत हुआ है.
- भारत पाकिस्तान सहित सभी देशों के साथ व्यापारिक ही नहीं बल्कि सामान्य संबंधों की भी इच्छा रखता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय.
Topic : For how long can an MLA be suspended?
संदर्भ
हाल ही में, महाराष्ट्र के 12 बीजेपी विधायकों ने विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित किए जाने के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.
- सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है है, विधायकों को पूरे एक वर्ष के लिए निलंबित किया जाना प्रथम दृष्टया असंवैधानिक है, और “निष्कासन से भी बदतर” है.
- इन विधायकों को ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ (OBCs) से संबंधित आंकड़ों के खुलासे को लेकर विधानसभा में दुर्व्यवहार करने पर निलंबित कर दिया गया था.
निलंबित विधायकों का तर्क?
जुलाई 2021 में, महाराष्ट्र के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब द्वारा इन 12 भाजपा विधायकों को निलंबित करने संबंधी एक प्रस्ताव पेश किया गया था. निलंबित विधायकों का तर्क है, कि विधानसभा सदस्यों का निलंबन सदन के नियमों के तहत ‘पीठासीन अधिकारी’ ही कर सकता है.
- इनके द्वारा याचिका में कहा गया है कि यह निलंबन “बेहद मनमाना और असंगत” है.
- निलंबन के खिलाफ चुनौती मुख्यतः ‘प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को नकारने’ और ‘निर्धारित प्रक्रिया के उल्लंघन’ के आधार पर दी गयी है.
- इन 12 विधायकों का कहना है, कि इनके लिए अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया और इनका निलंबन, संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ‘विधि के समक्ष समानता’ के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है.
विधायकों के निलंबन के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?
महाराष्ट्र विधान सभा नियमावली के नियम 53 के तहत, विधान सभा सदस्यों को निलंबित करने की शक्ति का प्रयोग केवल विधानसभा अध्यक्ष द्वारा ही किया जा सकता है, और अध्यक्ष के इस निर्णय को मतदान के लिए नहीं रखा जा सकता है.
- नियम 53 के अनुसार, “किसी सदस्य द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय का अनुपालन करने से इंकार किए जाने पर, अथवा अध्यक्ष की राय में किसी सदस्य द्वारा पूर्णतयः नियम-विरुद्ध व्यवहार किए जाने पर, अध्यक्ष उस विधायक को तत्काल विधानसभा से बाहर निकल जाने का निर्देश दे सकता है.
- उक्त विधानसभा सदस्य “उस दिन के सत्र की शेष अवधि के दौरान बैठक में भाग नहीं लेगा”.
- यदि किसी सदस्य को एक ही सत्र में दूसरी बार सदन से बाहर निकलने का आदेश दिया जाता है, तो विधानसभा अध्यक्ष, उस सदस्य को “चालू सत्र की शेष अवधि के लिए सदन से अनुपस्थित रहने का निर्देश दे सकता है” इस प्रकार का निर्देश चालू सत्र की अवधि तक ही लागू रहेगा.
राज्य सरकार द्वारा अपने निर्णय के पक्ष में दिए जाने वाले तर्क
- अनुच्छेद 212 के तहत, अदालतों को विधायिका की कार्यवाही की जांच करने का अधिकार नहीं है.
- अनुच्छेद 212 (1) के अनुसार, “राज्य के विधान-मंडल की किसी कार्यवाही की विधिमान्यता को, प्रक्रिया की किसी अभिकथित अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा”.
- अनुच्छेद 194 के तहत, विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाले किसी भी सदस्य को सदन की अंतर्निहित शक्तियों के माध्यम से निलंबित किया जा सकता है.
इस प्रकार, राज्य सरकार ने यह मानने से इंकार किया है, कि “किसी सदस्य को निलंबित करने की शक्ति का प्रयोग केवल विधानसभा के नियम 53 के माध्यम से ही किया जा सकता है”.
निलंबन की अवधि पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त चिंताएं:
- यदि निलंबित विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों का पूरे एक साल तक विधानसभा में ’प्रतिनिधित्व’ नहीं रहेगा, तो संविधान का मूल ढांचा प्रभावित होगा.
- संविधान का अनुच्छेद 190 (4) में कहा गया है, कि “यदि किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य ‘साठ दिनों की अवधि तक’ सदन की अनुमति के बिना, सदन की सभी बैठकों से अनुपस्थित रहता है, तो सदन उसकी सीट को रिक्त घोषित कर सकता है.“
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151 (A) के तहत, “किसी भी रिक्ति को भरने के लिये, रिक्ति होने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर वहाँ एक उप-चुनाव कराया जाएगा”. इसका मतलब है कि इस धारा के तहत निर्दिष्ट अपवादों को छोड़कर, कोई भी निर्वाचन क्षेत्र छह महीने से अधिक समय तक प्रतिनिधि के बिना नहीं रह सकता है.
उच्चतम न्यायालय के अनुसार, अतः एक वर्ष का निलंबन प्रथम दृष्टया असंवैधानिक था, क्योंकि यह छह महीने की सीमा से अधिक है और इस तरह “केवल सदस्य को नहीं बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को दंडित करने के समान है”.
संसद सदस्य के निलंबन के प्रावधान
- लोकसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के अंतर्गत नियम 378 के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष द्वारा सदन में व्यवस्था बनाई रखी जाएगी तथा उसे अपने निर्णयों को प्रवर्तित करने के लिये सभी शक्तियाँ प्राप्त होंगी.
- नियम 373 के अनुसार, यदि लोकसभा अध्यक्ष की राय में किसी सदस्य का व्यवहार अव्यवस्थापूर्ण है तो अध्यक्ष उस सदस्य को लोकसभा से बाहर चले जाने का निर्देश दे सकता है और जिस सदस्य को इस तरह का आदेश दिया जाएगा, वह तुरंत लोकसभा से बाहर चला जाएगा तथा उस दिन की बची हुई बैठक के दौरान वह सदन से बाहर रहेगा.
- नियम 374 (1), (2) तथा (3) के अनुसार, यदि लोकसभा अध्यक्ष की राय में किसी सदस्य ने अध्यक्ष के प्राधिकारों की उपेक्षा की है या वह जान बूझकर लोकसभा के कार्यों में बाधा डाल रहा है तो लोकसभा अध्यक्ष उस सदस्य का नाम लेकर उसे अवशिष्ट सत्र से निलंबित कर सकता है तथा निलंबित सदस्य तुरंत लोकसभा से बाहर चला जाएगा.
- नियम 374 (क) (1) के अनुसार, नियम 373 और 374 में अंतर्विष्ट किसी प्रावधान के बावजूद यदि कोई सदस्य लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट आकर अथवा सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से लोकसभा की कार्यवाही में बाधा डालकर जान-बूझकर सभा के नियमों का उल्लंघन करते हुए घोर अव्यवस्था उत्पन्न करता है तो लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उसका नाम लिये जाने पर वह लोकसभा की पाँच बैठकों या सत्र की शेष अवधि के लिये (जो भी कम हो) स्वतः निलंबित माना जाएगा.
इसी तरह के नियम, राज्य विधानसभाओं और विधान परिषदों में भी लागू होते हैं, जिनके अनुसार, निलंबन की अधिकतम सीमा शेष सत्र की अवधि से अधिक नहीं हो सकती है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ.
Topic : Voting through postal ballot
संदर्भ
‘भारत निर्वाचन आयोग’ द्वारा पत्रकारों को ‘डाक मतपत्र’ / ‘पोस्टल बैलेट’ (Postal Ballot) सुविधा के माध्यम से वोट डालने की अनुमति प्रदान कर दी है.
अपनाई जाने वाली प्रक्रिया:
डाक मतपत्र द्वारा मतदान करने के इच्छुक ‘अनुपस्थित मतदाता’ (Absentee Voter) को सभी आवश्यक विवरण देते हुए ‘रिटर्निंग ऑफिसर’ (RO) के समक्ष एक आवेदन करना होगा और संबंधित संगठन द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी से इस आवेदन का सत्यापन करवाना होगा.
‘पोस्टल बैलेट सुविधा’ का विकल्प चुनने वाला कोई भी मतदाता, मतदान केंद्र पर वोट नहीं डाल पाएगा.
वर्तमान में, निम्नलिखित मतदाताओं को भी डाक मतपत्र के माध्यम से वोट डालने की अनुमति है:
- सेवा मतदाता (सशस्त्र बल, किसी राज्य का सशस्त्र पुलिस बल और विदेश में तैनात सरकारी कर्मचारी),
- चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाता,
- 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता या विकलांग व्यक्ति (PwD),
- निवारक तौर पर नजरबंद मतदाता.
‘डाकपत्र के माध्यम से मतदान’ क्या होता है?
‘डाकपत्र के माध्यम से मतदान’ अर्थात् ‘पोस्टल वोटिंग’ (Postal Voting) का उपयोग कुछ सीमित मतदाताओं के समूहों द्वारा किया जा सकता है. इस सुविधा के माध्यम से, मतदाता मतपत्र पर अपनी पसंद अंकित कर तथा मतगणना से पहले इसे चुनाव अधिकारी के लिए वापस भेजकर दूर से ही मतदान कर सकता है.
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951:
‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम’ (Representation of the People Act), 1951 के तहत भारत में चुनावों के वास्तविक संचालन हेतु प्रावधान किये गए हैं. यह निम्नलिखित मामलों से संबंधित है:
- संसद एवं राज्य विधानसभाओं के दोनों सदनों के सदस्यों की योग्यता और निर्हरता जैसे विवरण,
- चुनाव कराने के लिए प्रशासनिक मशीनरी,
- राजनीतिक दलों का पंजीकरण,
- चुनाव का संचालन,
- चुनावी विवाद,
- भ्रष्ट आचरण और चुनावी अपराध, और
- उपचुनाव.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय.
Topic : National Start-up Day
संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए स्टार्टअप कारोबारियों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अपों का ये कल्चर देश के दूर-दराज तक पहुंचे, इसके लिए 16 जनवरी को अब नेशनल स्टार्ट अप डे के रूप में मनाने का फैसला किया गया है.
स्टार्ट अप किसे कहते हैं?
सरकार की परिभाषा के अनुसार, स्टार्टअप एक इकाई है, जो भारत में पांच साल से अधिक से पंजीकृत नहीं है और जिसका सालाना कारोबार किसी भी वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है. यह एक इकाई है जो प्रौद्योगिकी या बौद्धिक सम्पदा से प्रेरित नये उत्पादों या सेवाओं के नवाचार, विकास, प्रविस्तारण या व्यवसायीकरण की दिशा में काम करती है.
स्टार्ट अप इंडिया के बारे में
- इसकी शुरुआत जनवरी 2016 में केंद्र सरकार द्वारा की गई थी.
- इसका उद्देश्य देश में स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देते हुए अर्थव्यवस्था में अधिक रोज़गार का सृजन करना है.
- योजना के तहत स्टार्टअप को शुरू के तीन साल में कर से छूट प्रदान की गई है.
- इसका उद्देश्य स्टार्टअपों पर नियामक का बोझ कम करना है ताकि वे अपने मुख्य कारोबार पर ध्यान केंद्रित कर सकें और अनुपालन की लागत कम रख सकें.
- सरकार या सार्वजनिक उपक्रमों के द्वारा जारी निविदाओं के मामले में गुणवत्ता मानकों में छूट के बिना स्टार्टअपों को ‘पूर्वानुभव/ टर्नओवर’ के मानदंडों में छूट दी जाएगी.
- बौद्धिक संपदा अधिकार को बढ़ावा देने और जागरूकता लाने एवं नये स्टार्टअपों के सतत विकास और तरक्की को सुनिश्चित करने के लिए, यह योजना पेटेंट दाखिल करने के कार्य को आसान कर देगा.
- यह कार्य योजना स्टार्टअपों के लिए असफलता की स्थिति में संचालन को बंद करेने में आसानी प्रदान करेगा. स्टार्टअपों के लिए एक इंसोल्वेंसी प्रोफेशनल प्रदान किया जाएगा जो छह महीने के समय में लेनदारों के भुगतान के लिए कंपनी की आस्तियों को बेचने का प्रभारी होगा. यह प्रक्रिया सीमित देयता की अवधारणा को स्वीकार करेगी.
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
‘स्टार्टअप सीड फंड’ के बारे में:
- इस फंड का उद्देश्य स्टार्टअपों की अवधारणा, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षणों, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के प्रमाणीकरण को वित्तीय सहायता प्रदान करना है.
- पूरे भारतवर्ष में पात्र इनक्यूबेटरों के माध्यम से पात्र स्टार्टअप्स को बीज का वित्तपोषण प्रदान करने के लिए 945 करोड़ की राशि का विभाजन अगले 4 वर्षों में किया जाएगा.
- इस योजना में 300 इनक्यूबेटर (incubators) के माध्यम से अनुमानित रूप से 3,600 स्टार्टअप्स को सहायता प्रदान करने की संभावना है.
- नोडल विभाग: उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT).
Prelims Vishesh
Vande Bharat Mission- VBM :-
- वंदे भारत मिशन (Vande Bharat Mission- VBM), जिसके तहत कोविड-19 और परिणामी लॉकडाउन के कारण विदेशों में फंसे भारतीयों को, पिछली 7 मई से वापस लाना शुरू किया गया था, किसी भी देश द्वारा शुरू किए गए नागरिकों के सबसे बड़े निर्वातन / निकासी (evacuations) में से एक बन गया है.
- अब तक, एयर इंडिया (AI) समूह द्वारा 18,19,734 यात्रियों को वापस लाने के लिए 11,523 अंतर्गामी (inbound) उड़ाने भरी गई हैं तथा 13,68,457 यात्रियों को देश से बाहर ले जाने के लिए 11,528 अन्य देश को जाने वाली / निर्गामी (outbound) उड़ाने भरी गई हैं.
- वंदे भारत मिशन के तहत, इस बड़ी संख्या में हवाई मार्ग से स्थानांतरण करने वाले राष्ट्रीय वाहक को इसके बजट कैरियर एयर इंडिया एक्सप्रेस द्वारा सहायता प्रदान की गई है.
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