Sansar Daily Current Affairs, 17 June 2019
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Kimberley Process
संदर्भ
मुंबई में भारत द्वारा किम्बरले प्रक्रिया (KP) की अंतर-सत्रीय बैठक आयोजित हो रही है. विदित हो कि 1 जनवरी, 2018 से भारत ही किम्बरले प्रक्रिया अभिप्रमाणन योजना (Kimberley Process Certification Scheme – KPCS) का मुखिया है. इसके अतिरिक्त भारत इस योजना का संस्थापक सदस्य भी है.
किम्बरले प्रक्रिया क्या है?
किम्बरले प्रक्रिया उस अंतर्राष्ट्रीय अभिप्रमाणन योजना को कहते हैं जो बिना तराशे हीरों के व्यापार को नियंत्रित करती है. इसका उद्देश्य विप्लव के लिए हीरों (विप्लव हीरे) की आवाजाही को रोकना तथा बिना तराशे हीरों के वैध व्यापार की रक्षा करना है.
KPCS उन नियमों को बनाता है जिनसे बिना तराशे हीरों का व्यापार चलता है. सच पूछा जाए तो किम्बरले प्रक्रिया कोई अंतर्राष्ट्रीय संगठन नहीं है क्योंकि इसके पास न ही कोई स्थायी कार्यालय हैं अथवा न ही स्थायी कर्मचारी हैं. यह संगठन प्रतिभागियों के द्वारा दिए गये अनुदान तथा उद्योग जगत एवं सिविल सोसाइटी के पर्यवेक्षकों के सहयोग से चलता है. देखा जाए तो KP कानूनी दृष्टि से एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसका कार्यान्वयन इसके प्रतिभागी देशों की राष्ट्रीय विधायिकाओं के द्वारा होता है.
विप्लव हीरे क्या होते हैं?
“विप्लव हीरे” (conflict diamonds) बिना तराशे उन हीरों को कहा जाता है जिसका उपयोग विप्लवी आन्दोलनकारी अथवा उनके सहयोगी वैध सरकारों को क्षति पहुँचाने के लिए धनराशि जुटाने में करते हैं. विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (UNSC) के कई संकल्पों में विप्लव हीरों का वर्णन हुआ है.
किम्बरले प्रक्रिया का स्वरूप
किम्बरले प्रक्रिया उन सभी देशों के लिए खुली हुई है जो इसकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इच्छुक और समर्थ हैं. KP में यूरोपीय संघ समेत 82 देशों के 55 प्रतिभागी होते हैं. पूरे विश्व में जितना बिना तराशा हीरा होता है उसमें से लगभग 99.8% उन्हीं देशों में होते हैं जहाँ से KP के सदस्य आते हैं.
इसके अतिरिक्त, KP में एक विश्व हीरा परिषद् भी होती है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय हीरा उद्योग जगत तथा पार्टनरशिप-अफ्रीका कनाडा जैसे सिविल सोसाइटी संगठनों का भी प्रतिनिधित्व होता है.
KPCS के अन्दर बिना तराशे हीरों का व्यापार कैसे होता है?
इस योजना के अनुसार यदि बिना तराशे हुए हीरे निर्यात अथवा आयात के समय पानी के जहाज किसी अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार करते हैं तो यह अनिवार्य होगा कि जिस कंटेनर में ये हीरे रखे जाएँ वे ऐसे हों कि उनके साथ छेड़-छाड़ न हो सके. साथ ही ऐसे हर जहाज के पास किम्बरले प्रक्रिया प्रमाण पत्र होना आवश्यक है. ऐसे जहाज उसी देश को भेजे जाएँगे जो KPCS का सदस्य है. बिना अभिप्रमाणन के कोई भी जहाज दूसरे प्रतिभागी देश में हीरों को लेकर प्रवेश नहीं कर सकता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Global Peace Index 2019
संदर्भ
अर्थशास्त्र एवं शान्ति संस्थान (Institute for Economics and Peace – IEP) नामक ऑस्ट्रेलिया के एक थिंक टैंक संस्था ने प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी वैश्विक शान्ति सूचकांक निर्गत कर दिया है. विदित हो कि इस सूचकांक की स्थापना ऑस्ट्रेलिया के एक तकनीक उद्यमी एवं मानवतावादी स्टीव किलेलिया द्वारा की गई थी.
वैश्विक शान्ति सूचकांक क्या है?
- यह सूचकांक विश्व की जनसंख्या के 7% अंश आच्छादित करता है तथा इसके संकलन के लिए अत्यंत मान्य स्रोतों से 23 गुणात्मक एवं संख्यात्मक संकेतों का प्रयोग करता है.
- यह सूचकांक निम्नलिखित तीन थीमों के आधार पर देशों को उनके यहाँ की शान्ति की अवस्था के आधार पर रैंक देता है.
- सामाजिक सुरक्षा एवं निरापदता (safety) का स्तर
- वहाँ चल रहे घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष का परिमाण
- सैन्यीकरण की मात्रा
2019 के प्रतिवेदन की विशेषता
इस वर्ष के प्रतिवेदन में जलवायु परिवर्तन से शान्ति पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव से सम्बंधित नए शोध को सम्मिलित किया गया है.
भारत का प्रदर्शन
- इस वर्ष सूचकांक में भारत 5 स्थान खिसककर 141वें स्थान पर आ गया है.
- जहाँ तक दक्षिण एशिया के अन्य देशों की बात है, 15वें स्थान के साथ भूटान सबसे ऊपर है. उसके बाद श्रीलंका (72वाँ), नेपाल (76वाँ) और बांग्लादेश (101वाँ) के नाम आते हैं. पड़ोसी देश पाकिस्तान को इस सूचकांक में 153वाँ स्थान दिया गया है.
- रिपोर्ट के अनुसार जिन देशों में भाँति-भाँति के जलवायवीय खतरे सबसे अधिक हैं, उनमें जिन 9 देशों का नाम आता है, वे हैं – भारत, फिलीपींस, जापान, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन, इंडोनेशिया, वियेतनाम और पाकिस्तान.
- सर्वाधिक समग्र प्राकृतिक आपदा के मामले में भारत को सातवाँ स्थान दिया गया है. जिन पाँच देशों में सेना पर सबसे अधिक खर्च किया जाता है, वे देश हैं – भारत, अमेरिका, चीन, सऊदी अरब और रूस.
- प्रतिवेदन में दक्षिण एशिया में चल रहे संघर्ष से सम्बंधित प्रत्येक संकेतक की दृष्टि से इस क्षेत्र को वैश्विक औसत की तुलना में “कम शांत (less peaceful)” दिखलाया गया है.
- वस्तुतः पिछले वर्ष जिन छह क्षेत्रों में शान्ति की स्थिति बिगड़ी उनमें चार देश दक्षिण एशिया की ही हैं. केवल आंतरिक संघर्ष से होने वाली मृत्यु की संख्या में कमी आई है क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत में ऐसी मौतें इस बार कम हुईं.
- आंतरिक संघर्ष के मामले में भारत और पाकिस्तान दोनों को 5-5 अंक मिले जोकि चिंताजनक है.
- जलवायवीय खतरों के विषय में चीन, बांग्लादेश और भारत को सूचकांक के आधे उत्तरवर्ती भाग में रखा गया है क्योंकि इन देशों में स्थित जलवायवीय खतरों वाले क्षेत्रों में 393 मिलियन लोग निवास करते हैं.
अन्य देशों का प्रदर्शन
- 2008 से लगातार इस वर्ष भी आइसलैंड को सबसे शांत देश माना गया है.
- जो देश सूचकांक में शीर्ष पर हैं उनमें आइसलैंड के बाद क्रमशः न्यूज़ीलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल और डेनमार्क के नाम आते हैं.
- आज के दिन अफगानिस्तान विश्व का सबसे कम देश है. पहले यह स्थान सीरिया का था जो अब दूसरे स्थान पर खिसक गया है. शेष वैसे अन्य पाँच देश जहाँ सबसे अधिक अशांति है, वे हैं – दक्षिणी सुडान, यमन और इराक.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Asia Media Summit 2019
संदर्भ
एशियाई मीडिया शिखर सम्मेलन, 2019 कम्बोडिया के सियम रीप प्रांत में आयोजित हुआ. यह सम्मेलन की 16वीं कड़ी थी. इसमें मीडिया और प्रसारण उद्योग से सम्बंधित अनेक विषयों पर विचार-विमर्श किया गया.
एशियाई मीडिया शिखर सम्मेलन (AMS) क्या है?
- यह एक वार्षिक सम्मेलन है जो क्वालालम्पुर के एशिया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान के तत्त्वावधान में आयोजित होता है.
- कार्यकलाप : इस सम्मेलन में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रसारण से जुड़ी हुई चुनौतियों के प्रतिकार के लिए क्षेत्रीय एवं द्विपक्षीय संवाद तथा सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है.
- प्रतिभागी : इस सम्मलेन में जो संगठन प्रतिभागिता करते हैं, वे हैं – एशियाई क्षेत्र में सूचना एवं प्रसारण के लिए जिम्मेदार मंत्रालय, अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे यूनेस्को, एफएओ (FAO), विभिन्न नियामक; राष्ट्रीय / सार्वजनिक दोनों प्रकार की रेडियो और टेलीविजन प्रसारण कंपनियां, निजी प्रसारणकर्ता; टेलीविज़न चैनल एवं नेटवर्क, संचार से सम्बंधित शैक्षणिक संस्थाएँ; मीडिया शोध संस्थाएँ; सामुदायिक रेडियो समूह; प्रेस और मीडिया एवं प्रसारण उपकरण निर्माता.
AIBD क्या है?
- AIBD की स्थापना 1977 में UNESCO के तत्त्वाधान में हुई थी.
- यह संगठन एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन (regional inter-governmental organisation) है जो एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र एवं आर्थिक-सामाजिक आयोग (UN-ESCAPE) के देशों को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विकास में सहायता करता है.
- AIBD का सचिवालयकुआलालम्पुर, मलेशिया में है.
इसके सदस्य कौन हैं?
- इस संगठन के सदस्य दो प्रकार के होते हैं – मताधिकार युक्त एवं मताधिकार विहीन.
- इस संगठन के मताधिकार युक्त सदस्य वे देश हैं जो एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में अवस्थित हैं.
- वर्तमान में इस संस्था से 26 देश (full members) जुड़े हुए हैं. इसके अतिरिक्त 67 सम्बद्ध सदस्य (affiliate members) हैं. (Source: Official Website)
- ये 26 Full membersहैं – अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई, चीन, कंबोडिया, फिजी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, ईरान, कोरिया गणराज्य, लाओस, मलेशिया, मालदीव, माइक्रोनेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस, समोआ, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम.
- 48 अन्य देशों के प्रतिनिधि, यूरोप, अफ्रीका, अरब देशों एवं उत्तरी अमेरिका के भी 50 सहयोगी इससे जुड़े हुए हैं.
- मतदाधिकारविहीन सदस्य ये हैं – अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), और संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO), एशिया-प्रशांत प्रसारण संघ (ABU)
AIBD के कार्य
यह अंतरसरकारी संगठन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विकास के क्षेत्र में UN-ESCAP देशों को अपनी सेवा प्रदान करता है. विदित हो कि UN-ESCAP का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र – एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के लिए आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (United Nations Economic and Social Commission For Asia And The Pacific) है. इस संगठन का कार्य एशिया प्रशांत क्षेत्र में नीतिगत एवं संसाधनगत विकास के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सामंजस्यपूर्ण एवं स्पंदनशील परिवेश का निर्माण करना है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Spitzer Telescope
संदर्भ
नासा की SPITZER नामक अन्तरिक्षीय दूरबीन जनवरी 30, 2020 को कार्यनिवृत्त हो जायेगी अर्थात् 16 वर्षों तक इन्फ्रारेड प्रकाश में ब्रह्मांड की खोज करने वाली यह दूरबीन सदा के लिए बंद हो जायगी. विदित हो कि यह दूरबीन मात्र पाँच वर्षों के लिए स्थापित की गई थी. इसका अभिप्राय यह हुआ कि यह अपनी आयु से 11 वर्ष अधिक चली.
पृष्ठभूमि
SPITZER दूरबीन NASA के वृहद् वेधशाला कार्यक्रम “Great Observatory” प्रोग्राम की सबसे बाद में बनी दूरबीन है. अगस्त 25, 2003 में यह सौर परिक्रमा पथ में प्रक्षेपित की गई थी. इस दूरबीन का उद्देश्य ब्रह्मांड के अन्य सूर्यों के आस-पास के और सौरमंडल के निकटस्थ अन्य ग्रहों की खोज करना था.
मुख्य उपलब्धियाँ
- स्पिज़र द्वारा की गई खोजें सौर मंडल के अतिरिक्त अन्य तारों के आस-पास के ग्रहों से सम्बंधित रहीं. नासा के अन्य बड़ी-बड़ी वेधशालाओं से सहयोग कर SPITZER ने वैज्ञानिकों को कई ब्रह्मांडीय घटनाओं से सम्बंधित अधिक पूर्ण परिदृश्य उपलब्ध कराया है.
- पिछले 15 वर्षों में SPITZER ने खोज में 106,000 घंटे बिठाये.
- इसने ब्रह्मांड के कुछ सबसे पुरानी आकाशगंगाओं का पता लगाया और शनि ग्रह के चारों ओर एक नई मुद्रा (ring) की जानकारी दी.
- साथ ही इसने नवजात तारों और कृष्ण विवरों का अध्ययन करने के लिए उनके चारों ओर फैले धूल के आम्बंडर के आर-पार ताक-झाँक की.
- सौर मंडल के बाहर इसने कई ग्रहों का पता लगाया जिनमें पृथ्वी के आकार के ऐसे सात ग्रह भी थे जो TRAPpist-1 नामक तारे के चारों ओर परिक्रमा करते हैं.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : NASA’s OSIRIS-Rex
संदर्भ
अमेरिका की अन्तरिक्ष एजेंसी NASA ने घोषणा की है कि क्षुद्र ग्रह का टोह लेने वाले इसके अन्तरिक्षयान OSIRIS-Rex ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है क्योंकि यह एक मात्र ऐसा मानव-निर्मित अन्तरिक्षयान है जिसने किसी ग्रह के चारों ओर सबसे नजदीक जाकर परिक्रमा की है. ऐसा इसलिए हुआ कि इस अन्तरिक्षयान ने बेनु नामक क्षुद्रग्रह की सतह से मात्र 680 मीटर ऊपर से सात सप्ताह तक परिक्रमा की.
OSIRIS-REx के विभिन्न कार्यक्रम
- फरवरी-मध्य में बेनु की परिक्रमा करना तथा अपने पाँच वैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम से उसका साफ़-साफ़ नक्शा तैयार करना जिससे वैज्ञानिकों को पता लग सके कि नमूना कहाँ से लेना ठीक होगा.
- यह 2023 तक पृथ्वी पर लौट जाएगा.
OSIRIS-REx अभियान क्या है?
- OSIRIS-REx का full form है – Origins, Spectral Interpretation, Resource Identification, Security-Regolith Explorer.
- यह NASA केNew Frontiers programका तीसरा अभियान है.
- इसके पहले इस कार्यक्रम के तहत प्लूटो और वृहस्पति की ओर क्रमशः New Horizons और Juno नामक अन्तरिक्षयान छोड़े गये थे.
अभियान के वैज्ञानिक लक्ष्य
- यह अन्तरिक्ष यान Bennu की कक्षा में तीन वर्ष रहेगा और उस क्षुद्रग्रह की थाह लेने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग करेगा.
- OSIRIS-REx Bennu उल्कापिंड का नक्शा तैयार करेगा और वह जगह चुनेगा जहाँ से वह नमूने जमा करेगा.
- यह अन्तरिक्ष यान उस उल्कापिंड की सतह पर फैले regolith नामक मिट्टी जैसे पदार्थ का नमूना लेगा.
- रेगोलिथ का नमूना लेने के लिए यह अन्तरिक्षयान मात्र 5 सेकंड के लिए उल्कापिंड की सतह पर आएगा और नाइट्रोजन गैस का विस्फोट करके regolith में हलचल पैदा करेगा जिससे कि वह उसको चूसकर अपने अन्दर संगृहीत कर सके.
- इसके लिए अन्तरिक्षयान में इतना nitrogen जमा कर दिया गया है जिससे तीन बार विस्फोट किया जा सके.
- NASA को आशा है कि वह 60 से लेकर 2000 ग्राम रेगोलिथ धरती पर लाया सकेगा.
Bennu ही क्यों?
OSIRIS-REx मिशन के लिए Bennu को 5 लाख ज्ञात क्षुद्रग्रहों में से चुना गया था जिसके मुख्य कारण ये हैं –
- पृथ्वी से निकटता
- Bennu की कक्षा पृथ्वी की कक्षा के समानहै. ज्ञातव्य है कि पृथ्वी से अपेक्षाकृत निकट 7,000 क्षुद्रग्रहों में से 200 ही ऐसे क्षुद्रग्रह पृथ्वी के समान हैं और उनमें Bennu एक है.
- छोटे-छोटे क्षुद्र का व्यास 200 meter से कम का है जिसके कारण ये बड़े क्षुद्र ग्रहों की तुलना में अधिक तेजी से घूमते हैं. परिणामतः इसका regolith पदार्थ अन्तरिक्ष में बिखर सकता है. किन्तु दूसरी ओर Bennu का व्यास 500 meter का है, इसलिए यह इतना धीरे घूमता है कि इसकी रेगोलिथ उसके भूमि-तल पर टिका रह जाता है.
- Bennu की बनावट: – Bennu एक प्राथमिक क्षुद्रग्रह है अर्थात् 4 बिलियन वर्ष पहले सौरमंडल के बनने के समय से इसमें कोई ख़ास परिवर्तन नहीं आया है. इसमें कार्बन भी बहुत है जिसका अभिप्राय यह हुआ है कि इसमें ऐसे जैव-अणु (organic molecules) भी हो सकते हैं.
- Bennu के बारे में एक और रोचक तथ्य यह है कि यह पृथ्वी के लिए खतरनाक है. प्रत्येक छठे वर्ष Bennu की कक्षा उसको पृथ्वी के 2 लाख मील के अन्दर ले आती है. इसका अर्थ यह हुआ है कि 22वीं शताब्दी के अंतिम भाग में बहुत करके यह हो सकता है कि यह क्षुद्र ग्रह पृथ्वी से टकरा जाए.
Prelims Vishesh
Sahitya Akademi Announces winners of bal sahitya puraskar, yuva puraskar :-
- इस वर्ष के लिए साहित्य अकादमी ने बाल साहित्य पुरस्कार के 22 और युवा पुरस्कार के 23 विजेताओं की सूची निर्गत कर दी है.
- बाल साहित्य पुरस्कार उन पुस्तकों के लिए जाता है जो पुरस्कार वर्ष के तुरंत पहले की 5 वर्षों की अवधि में पहली बार छपी हों.
- युवा पुरस्कार उन लेखकों को दिए जाते हैं जिन्होंने पुरस्कार के वर्ष की पहली जनवरी को 35 वर्ष या उससे कम आयु के होते हैं.
Akshaya Patra :–
- अक्षय पात्र नामक लाभ रहित संगठन को पिछले दिनों BBC ने वैश्विक चैंपियन पुरस्कार से सम्मानित किया है.
- अक्षय पात्र फाउंडेशन अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसाइटी (ISKCON) द्वारा संचालित बंगलुरु में स्थित एक लाभ-रहित एनजीओ है जो सरकारी स्कूलों में चलने वाली मिड-डे मील योजना में सरकार के साथ काम करता है. अक्षय पात्र का भोजन वृन्दावन के एक आधुनिकतम रसोई में तैयार होता है.
- यह विश्व का सबसे बड़ा मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने वाला लाभ-रहित संगठन है.
- इसकी स्थापना वर्ष 2000 में हुई थी. यह फाउंडेशन 12 राज्यों के 14702 स्कूलों में 10 लाख 60 हजार बच्चों को खाना उपलब्ध कराता है.
Juneteenth :–
- जूनटिंथ हर वर्ष अमेरिका में मनाया जाने वाला वह समारोह है जो दासता के अंत के स्मरण में आयोजित होता है.
- यह पहली बार 1865 में जून 19 को मनाया गया था, इसलिए इसका नाम Juneteenth रखा गया है.
RADARSAT Constellation Mission (RCM) :–
- कैलिफ़ोर्निया के वैन्डनबर्ग वायु सेना अड्डे से SpaceX Falcon 9 रॉकेट के द्वारा पिछले दिनों कनाडा के उपग्रह राडार सैट कांस्टिलेशन मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया.
- इस मिशन में तीन उपग्रह एक बार छोड़े गये जो कनाडा के व्यापक भूभाग और समुद्री तटों के साथ-साथ आर्कटिक क्षेत्र की भी छवियाँ दिन में चार बार भेजेंगे.
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