Sansar Daily Current Affairs, 17 March 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.
Topic : Bill to define Delhi L-G’s Powers Moved In Lok Sabha
संदर्भ
हाल ही में केंद्र सरकार, नई दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन के संबंध में एक महत्त्वपूर्ण विधेयक लेकर आई है. यह विधेयक वर्ष 1991 में लाये गये 69वें संविधान संशोधन अधिनियम में संशोधन के लिए लाया गया है.
मुख्य तथ्य
- नया विधेयक वर्ष 1991 के कानून के सेक्शन 21, 24, 33 और 44 में संशोधन प्रस्तावित करता है.
- इस विधेयक के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सरकार का तात्पर्य ‘उपराज्यपाल’ होगा.
- यह विधेयक नई दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विषयों पर भी उप-राज्यपाल को विवेकाधीन शक्तियाँ देना प्रस्तावित करता है.
- नये विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि नई दिल्ली सरकार के किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले उप-राज्यपाल की सलाह पर विचार किया जाये.
- सरकार द्वारा अथवा किसी भी मंत्री द्वारा लिए गए निर्णयों के आधार पर सरकार द्वारा किसी कार्यकारी कार्यवाही करने से पहले ‘उपराज्यपाल’ की अनुमति लेनी आवश्यक होगी.
- विधेयक में, दैनिक प्रशासन से संबंधित मामलों के संदर्भ में विधानसभा अथवा इसकी किसी समिति को नियम बनाने अथवा प्रशासनिक निर्णयों के संबंध में पूछताछ करने हेतु प्रतिबंधित किया गया है.
नई दिल्ली के बारे में
- वर्ष 1991 में 69वें संविधान संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 239AA के तहत नई दिल्ली को विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा प्रदान किया गया था.
- वर्तमान अधिनियम के तहत नई दिल्ली विधानसभा को लोक व्यवस्था, पुलिस एवं भूमि के अलावा सभी विषयों पर कानून बनाने की शक्ति दी गई है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.
Topic : GILGIT-BALTISTAN
संदर्भ
गिलगित-बाल्टिस्तान की विधानसभा ने पाकिस्तान सरकार से प्रांतीय दर्जे की माँग करने वाले संकल्प को अंगीकृत कर लिया है. अनुमोदित संकल्प में प्रांतीय दर्जे की माँग के साथ-साथ संसद और अन्य संवैधानिक निकायों में प्रतिनिधित्व की माँग भी सम्मिलित है.
वर्ष 2018 में पाकिस्तान सरकार ने एक गिलगित-बल्तिस्तान आदेश पारित किया था, जिसका उद्देश्य गिलगित-बल्तिस्तान को अपने पांचवें प्रांत के रूप में शामिल करना और इसे पाकिस्तान के शेष संघीय ढांचे के साथ एकीकृत करना था.
गिलगित-बल्तिस्तान का इतिहास
साल 1947 तक भारत-विभाजन के समय गिलगित-बल्तिस्तान का क्षेत्र जम्मू और कश्मीर की तरह ना तो भारत का हिस्सा था और न ही पाकिस्तान का. दरअसल 1935 में जम्मू कश्मीर के महाराजा ने गिलगित का इलाका अंग्रेजों को 60 साल के लिए लीज पर दे दिया था. अंग्रेज़ इस इलाके का उपयोग अपनी सामरिक रणनीति के तहत करते थे और यहाँ की ऊँची पहाड़ियों पर सैनिकों को रखकर आस-पास के इलाके पर नजर रखते थे. अंग्रेजों की गिलगित-स्काउट्स नाम की एक सैनिक-टुकड़ी यहाँ तैनात रहती थी.
विभाजन के समय डोगरा राजाओं ने अंग्रेजों के साथ अपनी लीज डीड को रद्द करके इस क्षेत्र में अपना अधिकार कायम कर लिया. लेकिन गिलगित-स्काउट्स के कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने कश्मीर के राजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह कर दिया और 1 नवम्बर, 1947 को गिलगित-बल्तिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया. इससे कुछ ही दिन पहले 26 अक्टूबर, 1947 को हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर रियासत के भारत में विलय की मंजूरी दे दी थी. गिलगित-बल्तिस्तान की आजादी की घोषणा करने के 21 दिन बाद ही पाकिस्तान ने इस इलाके पर कब्जा जमा लिया जिसके बाद से 2 अप्रैल, 1949 तक गिलगित-बल्तिस्तान पाकिस्तान के कश्मीर के कब्जे वाला हिस्सा माना जाता रहा. लेकिन 28 अप्रैल, 1949 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सरकार के साथ एक समझौता हुआ जिसके तहत गिलगित के मामले को सीधे पकिस्तान की केंद्र सरकार के अधीनस्थ कर दिया गया. इस करार को कराँची समझौते के नाम से जाना जाता है.
मुख्य तथ्य
- पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर को दो प्रशासनिक हिस्सों में बाँट रखा है – i) गिलगित-बल्तिस्तान और ii) PoK
- पाकिस्तान ने 1947 के बाद बनी संघर्ष-विराम रेखा (जिसे अब नियंत्रण रेखा कहा जाता है) के उत्तर-पश्चिमी इलाके को उत्तरी भाग और दक्षिणी इलाके को PoK के रूप में बाँट दिया.
- उत्तरी भाग में ही गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र है.
- पाकिस्तान गिलगित-बल्तिस्तान को एक अलग भौगोलिक इकाई मानता है.
- पाकिस्तान का ताजा कदम स्थानीय लोगों के हित में नहीं बल्कि चीन के साथ उसके रिश्तों की वजह से उठाया गया है.
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) इस विवादित क्षेत्र से गुजरता है. यह चीन की One Belt One Road परियोजना का हिस्सा है.
- इसके आलावे चीन ने इस इलाके में खनिज और पनबिजली संसाधनों के दोहन के लिए भी भारी निवेश किया है.
- लेकिन गिलगित-बल्तिस्तान पर पाकिस्तान का कब्ज़ा कहीं से भी जायज नहीं है.
गिलगित-बल्तिस्तान
- गिलगित-बल्तिस्तान सात जिलों में बँटा है.
- दो जिले बल्तिस्तान डिवीज़न में और पाँच जिले गिलगित डिवीज़न में हैं.
- इस क्षेत्र की अपनी विधानसभा है.
- पाक-अधिकृत कश्मीर सुन्नी-बहुल है जबकि गिलगित-बल्तिस्तान शिया-बहुल इलाका है.
- इसकी आबादी करीब 20 लाख है.
- इसका क्षेत्रफल करीब 73 हजार वर्ग किमी. है.
- इसका ज्यादातर इलाका पहाड़ी है.
- यहीं दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी K2 है.
- इस इलाके की सीमाएँ भारत, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान से मिलती हैं. इसके उत्तर में चीन और अफगानिस्तान, पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और पूरब में भारत है.
- पाकिस्तान यह दावा करता है कि वह गिलगित-बल्तिस्तान के नागरिकों के साथ देश के अन्य नागरिकों के जैसा ही व्यवहार करता है. लेकिन स्थानीय लोग पाकिस्तान सरकार पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं.
- इस वजह से इस इलाके में कई बार आन्दोलन भी हुए. स्थानीय जनता CPEC को पाकिस्तान सरकार की चाल बताती है. लोगों का कहना है कि उनके मानवाधिकार और संसाधन खतरे में है.
भारत का क्या कहना है?
भारत का कहना है कि यह इलाका जम्मू-कश्मीर राज्य का अभिन्न हिस्सा है. भारत जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से को एक अलग पाकिस्तानी प्रांत बनाये जाने का विरोध कर रहा है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान गिलगित-बल्तिस्तान समेत कश्मीर के उन इलाके से भी हटे जहाँ उसने अवैध कब्ज़ा कर रखा है. उधर पाकिस्तान इस इलाके पर अपना कानूनी दावा मजबूत करने की साजिशें रच रहा है. भारत इस इलाके में चीन की गतिविधियों का भी विरोध करता रहा है.
GS Paper 2 Source : Business Standard
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : SIPRI Report
संदर्भ
स्वीडिश थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने हाल ही मे अपने प्रतिवेदन में कहा है कि वर्ष 2016-20 की अवधि में भारत के हथियारों के आयात में 2011-15 की अवधि की तुलना में 33% की कमी आई है. आयात में इस कमी के बाद भी भारत, सऊदी अरब के बाद विश्व में दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का आयातक बना हुआ है.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- रूस, भारत को हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है.
- हालाँकि भारत के हथियार आयात में रूस की भागीदारी 70% से घटकर 49% पर आ गई है.
- 2016-20 की अवधि में अमरीका भारत के लिए चौथा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक था, जबकि इससे पहले यह दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक था.
- 2016-20 की अवधि में फ्रांस और इजरायल क्रमश: दूसरे और तीसरे सबसे बड़े हथियार निर्यातक थे.
- फ्रांस से आयात में 709% की वृद्धि हुई है जबकि इजरायल से हथियार आयात में 82% की बढ़ोतरी हुई है.
- SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, पाकिस्तान से भारत के तनाव को देखते हुए आने वाले वर्षो में भारत के हथियार आयात में वृद्धि होगी.
- प्रतिवेदन के अनुसार इसी अवधि में पाकिस्तान के आयात में 23% की कमी आई है, पाकिस्तान इसके 74% हथियार चीन से आयात करता है.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि अगस्त 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 101 वस्तुओं की सूची की घोषणा की थी, जिन्हें रक्षा मंत्रालय आयात करना बंद कर देगा. इसका अर्थ है कि सशस्त्र बल- सेना, नौसेना और वायु सेना, इन सभी 101 वस्तुओं की खरीद केवल घरेलू निर्माताओं से करेंगे. इन 101 वस्तुओं में से 69 वस्तुओं का आयात दिसंबर 2020 से, 11 वस्तुओं का दिसंबर 2021 से जबकि शेष 21 वस्तुओं का आयात दिसंबर 2022 से रोक दिया जायेगा.
SIPRI
- SIPRI का गठन स्टॉकहोम (स्वीडन की राजधानी) में 1966 में हुई थी.
- इसका एक कार्यालय बीजिंग, चीन में भी है और पूरी दुनिया में इसे एक सम्मानित थिंक-टैंक के रूप में जाना जाता है.
- यह एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो युद्ध, हथियार, शस्त्र-नियंत्रण और निरस्त्रीकरण से सम्बंधित अनुसंधान को समर्पित है.
- यह संस्थान नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया और रूचि रखने वाले लोगों को आँकड़े, विश्लेषण और सुझाव देता है.
मेरी राय – मेंस के लिए
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 की अन्य पूँजीगत खरीद प्रक्रिया (OCPP) के तहत पूँजीगत क्रय (100 करोड़ रुपये तक) के अंतर्गत सशस्त्र बलों में उप प्रमुख से निचले स्तर के अधिकारियों की वित्तीय शक्तियों में बढ़ोतरी को स्वीकृति प्रदान की है. ऐसा पहली बार है जब सशस्त्र बलों में वित्तीय शक्तियों को उप-प्रमुख स्तर से नीचे के अधिकारियों को प्रत्यायोजित किया गया है. यह कदम एक दृढ़ रक्षा औद्योगिक तंत्र के लिए सरकार के “आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया” की दृष्टि के अनुरूप है.
भारत के पास चीन के मुकाबले परमाणु हथियार जरूर कम है लेकिन भारतीय हथियारों की मारक क्षमता अचूक है. भले ही चीन और पाकिस्तान के पास भारत के मुकाबले परमाणु हथियार अधिक हों लेकिन नई दिल्ली अपने आणविक हथियार की क्षमता को लेकर आश्वस्त है. भारतीय रक्षा सूत्रों के अनुसार, परमाणु हथियारों की गिनती से कुछ नहीं होता है. भारत लगातार अपने परमाणु हथियारों को उन्नत बना रहा है. भारत अपने हथियारों को प्रभावकारी, निश्चित और सेंकडों में हमला की मारक क्षमता से लगातार अपडेट कर रहा है.
भारत अग्नि मिसाइलों को लगातार अपडेट कर रहा है. जमीनी शक्ति दृढ करने के लिए भारत तीव्रता से कार्य कर रहा है. 700 किलोमीटर तक मार करने वाले अग्नि-1 से लेकर 5,000 किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-V मिसाइल तैयार है. यही नहीं, हवा में भारत पड़ोसी देशों को मात देने की रणनीति बना चुका है. लड़ाकू विमान मिराज-2000 और जगुआर को परमाणु बम गिराने की क्षमता से लैस किया जा चुका है. परमाणु हथियारों से लैस भारत की पहली सबमरीन INS अरिहंत 2018 में भी भारतीय नौसेना में सम्मिलित हो चुका है. 3,500 किलोमीटर तक मार करने वाली K-4 सबमरीन बलिस्टिक मिसाइल का दो बार परीक्षण इस साल जनवरी में किया जा चुका है और जल्द ही इसका उत्पादन शुरू हो सकता है. जल्द ही K-4 मिसाइल 750 किलोमीटर तक मार करने वाली K-15 मिसाइल की स्थान ले लेगा.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation and biodiversity related issues.
Topic : Medicinal Plants
संदर्भ
देश में औषधीय पादपों (medicinal plants) की कृषि को प्रोत्साहित किया जाएगा.
मुख्य बिंदु
- भारत में औषधीय पादप हिमालय से लेकर समुद्री तथा मरुस्थलीय एवं वर्षा वन पारिस्थितिकी-तंत्र में पाए जाते हैं.
- भारत में 7000 से अधिक पादपों की प्रजातियों को औषधीय पादपों के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
- औषधीय पादपों के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 17% है.
- भारत अधिकांशतः कच्ची जड़ी-बूटियों के रूप में औषधीय पादपों का व्यापार करता है.
औषधीय पादपों की कृषि की आवश्यकता क्यों है?
- आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध तथा होम्योपैथी (आयुष) उद्योग के कच्चे माल की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए.
- फसल विविधीकरण और निर्यात में वृद्धि के लिए.
- भारी धातुओं और अन्य विषाक्त अशुद्धियों से मुक्त मानकीकृत उत्पादों की वैश्विक व्यापार संबंधी आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए.
- चूंकि लगभग 95% आयुष उत्पाद पादप आधारित होते हैं, इसलिए कच्चे माल की वनों की बजाय कृषि से पूर्ती करने की आवश्यकता है. ज्ञातव्य है कि इससे वनों की अत्यल्प क्षति होगी.
अभी तक क्या-क्या किये गये हैं?
- राष्ट्रीय आयुष (AYUSH) मिशन योजना का औषधीय पादप घटक, राज्यों के चयनित जिलों में चिह्नित संकुलों/क्षेत्रों में अधिमानित औषधीय पादपों की बाजार संचालित कृषि का समर्थन करता है.
- राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (आयुष मंत्रालय) औषधीय पादपों के संरक्षण, विकास और सतत प्रबंधन पर एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना भी लागू कर रहा है.
- हर्बल कृषि को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत 4000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया गया है.
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (National Medicinal Plants Board – NMPB)
- NMPB की स्थापना वर्ष 2000 में औषधीय पादपों के क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए की गई थी तथा वर्तमान में यह बोर्ड आयुष मंत्रालय में स्थित है.
- NMPB का मुख्य उद्देश्य हितधारकों अर्थात् किसानों, व्यापारियों और विनिर्माताओं (उनमें से प्रत्येक को लाभान्वित करते चुए) के बीच दृढ समन्वय विकसित करके औषधीय पादपों के क्षेत्र का विकास करना है.
- इसका लक्ष्य किसानों और जनजातियों की आय और आजीविका को बढ़ाना है.
- यह कटाई के उपरांत प्रबंधन के माध्यम से उद्योग / विनिर्माताओं के साथ प्रतिगामी संयोजन (backward integration) की सुविधा प्रदान करेगा.
हाल ही में राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (National Medicinal Plants Board-NMPB) ने औषधीय पौधों (Medicinal Plants) के लिए सहायता संघ (Consortia) का प्रारम्भ किया है.
औषधीय पौधों के लिए सहायता संघ के बारे में
- आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने औषधीय पौधों की आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain ) तथा मूल्य श्रृंखला (Value Chain) के लिएहितधारकों के बीच संपर्क बनाने की आवश्यकता जताई है. इसके लिए एनएमपीबी ने एक सहायता संघ (Consortia) की शुरुआत की है.
- एनएमपीबी सहायता संघ या कंसोर्टिया (NMPB Consortia) द्वारा औषधीय पौधों से जुड़ें कई पहलुओं को संबोधित किया जाता है जिसमें गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री, अनुसंधान और विकास, खेती, औषधीय पौधों के व्यापार / बाजार इत्यादि शामिल है.
- इसके माध्यम से किसानों और निर्माताओं के बीच उत्कृष्ट संबंध स्थापित करने के लिए ‘बीज से गोदाम’ (Seed to Shelf) दृष्टिकोण की शुरुआत की जा रही है,जिसके अंतर्गत गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री (Quality Planting Materials -QPM), बेहतर कृषि पद्धतियां (Good Agriculture Practices -GAP’s), फ़सल कटाई के बाद की उन्नत कार्य-प्रणालियाँ (Good Post Harvest Practices -GPHP’s) से संबंधित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
- एनएमपीबी सहायता संघ (NMPB Consortia) के पहले चरण में औषधीय पौधों की प्रस्तावित प्रजातियां इस प्रकार से हैं –अश्वगंधा (विथानिया सोम्निफेरा), पिप्पली (पाइपर लौंगम), आंवला (फिलांथस एंब्लिका), गुग्गुलु (कमिफोरा वाइटी) और शतावरी (एसपैरागस रेसमोसस).
Prelims Vishesh
FDI limit in insurance sector raised to 74% :-
- मंत्रिमंडल ने बीमा अधिनियम, 1938 (Insurance Act, 1938) में संशोधन करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है. इससे बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49% से 74% तक बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है.
- ज्ञातव्य है बजट 2021-22 में रक्षोपायों के साथ विदेशी स्वामित्व और नियंत्रण की अनुमति सहित निवेश की सीमा में वृद्धि का प्रस्ताव किया गया था.
- प्रस्तावित नई संरचना के तहत बोर्ड में शामिल अधिकांश निदेशक और प्रबंधन से संबंधित महत्वपूर्ण व्यक्ति भारतीय ही होंगे.
- निवेश सीमा में वृद्धि का महत्त्व:- इससे बीमा क्षेत्र में पूंजी की उपलब्धता और प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा. इसके अतिरिक्त, बीमा कंपनियों को वहनीय कीमतों पर उत्पादों की व्यापक श्रेणी प्रस्तुत करने की अनुमति देने से बीमा पैठ में वृद्धि होगी।
AsterX :-
- यह अंतरिक्ष में फ्रांस का प्रथम सैन्य अभ्यास है.
- इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार के हमले से उसके उपग्रहों और अन्य रक्षा उपकरणों की सुरक्षा करने की क्षमता का मूल्यांकन करना है.
- फ्रांस ने इस एस्टर-एक्स अभ्यास का नाम अपने प्रथम उपग्रह एस्टर-एक्स के नाम पर रखा है, जिसे वर्ष 1965 में कक्षा में स्थापित किया गया था.
- नवगठित अमेरिकी अंतरिक्ष बल और जर्मन अंतरिक्ष एजेंसियां भी इस फ्रांसीसी अभ्यास में भाग ले रही हैं.
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