Sansar Daily Current Affairs, 17 May 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : GSI report on Graphite reserves
संदर्भ
हाल ही में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India – GSI) ने भारत में ग्रेफाइट भंडारों के विषय में एक प्रतिवेदन निर्गत किया है. इसके अनुसार भारत के सम्पूर्ण ग्रेफाइट भंडार का 35% अरुणाचल प्रदेश में उपलब्ध है.
पृष्ठभूमि
अरुणाचल प्रदेश के बाद जिन राज्यों में ग्रेफाइट के भंडार अधिक हैं, उनके नाम क्रमशः ये हैं – जम्मू-कश्मीर, झारखंड, तमिलनाडु और ओडिशा.
माहात्म्य
वर्तमान में भारत को अधिकांश ग्रेफाइट दूसरे देशों से मंगाना पड़ता है. भारत के ग्रेफाइट भंडारों का दोहन वैज्ञानिक ढंग से अधिक से अधिक करने पर पर आयात को घटाया जा सकता है. इससे न केवल विदेशी मुद्रा की बचत होगी, अपितु ग्रेफाइट की औद्योगिक क्षेत्रों में माँग को पूरा भी किया जा सकता है.
ग्रेफाइट क्या है?
- ग्रेफाइट क्रिस्टलाइन कार्बन का एक रूप है जो पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाया जाता है. यह एक तात्विक खनिज है जो रूपांतरित और आग्नेय चट्टानों से निकलता है.
- यह अत्यंत ही कोमल होता है और हल्के दबाव से ही टूट जाता है. इसका सापेक्ष गुरुत्व भी बहुत कम होता है.
- यह ऐसा एकमात्र अधात्विक तत्त्व है जो बिजली का अच्छा संचालक भी है.
- इसको छूने से चिपचिपापन का बोध होता है इसलिए इसको सूखे ल्यूब्रीकेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है.
GS Paper 1 Source: Indian Express
Topic : Ishwar Chandra Vidyasagar
संदर्भ
हाल ही में पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के समय कलकत्ता में स्थित ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की एक विशाल प्रतिमा को विखंडित कर दिया गया था.
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के योगदान
- समाज सुधारक ईश्वरचंद विद्यासागर ने विधवा-विवाह को सामाजिक एवं कानूनी मान्यता दिलाये जाने के लिए आजीवन प्रयास किये. उनके प्रयासों का ही प्रतिफल था कि1856 ई. में हिन्दू विधवा-पुनर्विवाह कानून के रूप में देखी जा सकती है. इसकी व्याख्या दो आधारों पर की जा सकती है – एक, सती-प्रथा के उन्मूलन के साथ समाज सुधार के लिए सरकारी विधि-निर्माण माहौल तैयार हुआ, और दूसरा, सती-प्रथा के वास्तविक उन्मूलन के लिए विधवाओं की दशाओं में सुधार होता दिखाई देने लगा.
- बम्बई में एलफिन्सटन कॉलेज के छात्रों ने भी नारी शिक्षा के विकास के लिए कई कदम उठाये. इन्हीं दिनों बेथुन स्कूल की स्थापना हुई, जिसके निरीक्षक ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने लगभग 35 बालिका विद्यालयों की स्थापना की.
- उन्होंने संस्कृत कॉलेज के आचार्य होने के बावजूद अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन दिया क्योंकि वह जानते थे कि यदि देश को नवीन तकनीक सहित प्रगति के मार्ग पर आगे ले जाना है तो अंग्रेजी ज्ञान-विज्ञान के भंडार को अपनाना ही होगा. उन्होंने अपने कॉलेज में संस्कृत शिक्षा के बाद छात्रों के लिए अंग्रेजी शिक्षा को अनिवार्य कर दिया.
- सोमप्रकाश के समाचार के संस्थापक वही थे.
- बंगाल में सामाजिक चेतना लाने में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण है.
- इन्होने गैर-ब्राह्मणों को संस्कृत अध्ययन के लिए प्रोत्साहित किया और ब्राह्मण एकाधिकार को चुनौती दी.
- इन्होंने सामाजिक क्षेत्र में विधवा-विवाह हेतु लम्बा आन्दोलन चलाकर और उसे कानूनी मान्यता दिलवाकर बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया.
- 1855-56 ई. के मध्य 25 विधवाओं का पुनर्विवाह कराकर इन्होंने उस समय की सामाजिक धारा को मोड़ने का काम किया.
- 1855 ई. में इन्होंने 984 लोगों की हस्ताक्षरित याचिका कंपनी सरकार को विधवा-पुनर्विवाह अधिनियम बनाने हेतु दी. इसके फलस्वरूप लॉर्ड डलहौजी की कार्यकारिणी के सदस्यों ने अंततः 26 जुलाई, 1856 ई. को विधवा-पुनर्विवाह अधिनियम पारित कर दिया.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : National e-Vidhan Application (NeVA) Project
संदर्भ
केरल विधानसभा कार्यालय ने घोषणा की है कि वह अपनी ई-विधान नामक परियोजना के अंतर्गत विधानसभा के सभी अभिलेखों और कार्यवाहियों का डिजिटीकरण करेगा. इस परियोजना के पूरा होने पर विधानसभा की सभी कार्यवाहियाँ, जैसे – विधायक द्वारा दी गई सूचना, प्रश्नोत्तर एवं अन्य सभी पत्राचार एवं कारोबार कागज़रहित हो जाएँगे.
ई-विधान परियोजना
- e-Vidhan एक मिशन मोड वाली परियोजना है जिसका कार्य विधान सभाओं के कारोबार को डिजिटाइज करना और उसे कागज़-रहित बनाना है.
- यह ऐप डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अन्दर आता है.
- इस ऐप का प्रयोग विधानसभाओं के अतिरिक्त सरकारी विभाग भी कर सकते हैं.
- इस मिशन को देश के सभी राज्यों और संघीय क्षेत्रों के विधानमंडलों में लागू किया जाएगा.
- भारत सरकार का संसदीय मामलों का मंत्रालय (MoPA) इसका नोडल मंत्रालय होगा.
- ई-विधान के लिए धनराशि संसदीय मामलों का मंत्रालय ही देगा.
- इसके लिए तकनीकी सहयोग भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीक मंत्रालय द्वारा मुहैया किया जाएगा.
- यह कार्यक्रम एक केन्द्रीय सम्पोषित योजना है जिसके लिए निधि का बंटवारा क्रमशः केंद्र और राज्यों के बीच निम्न प्रकार से होगा –
- सामान्य राज्यों में : 60:40
- पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में : 90:10
- संघीय क्षेत्रों के लिए : 100%
माहात्म्य
NeVA एक डिजिटल app है जो डिजिटल मंच पर विधान सभाओं में दिन-प्रतिदिन होने वाले कार्यों के सम्बन्ध में विधानसभा सदस्यों को सूचना मुहैया कराती है. इसमें प्रत्येक विधानसभा सदस्य के लिए एक सुरक्षित पेज होता है जिसके माध्यम से वह प्रश्न अथवा अन्य सूचनाएँ प्रतिवेदित कर सकता है. यह app कार्य-प्रवाह पर आधारित है और यह क्लाउड (मेघराज) पर संरक्षित होता है. इसके कारण विधान सभा के अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने तथा सदस्यों को अपना कर्तव्य सक्षमता से सम्पादित करने में सहायता मिलती है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Global Drug Survey (GDS)
संदर्भ
हाल ही में वैश्विक औषधि सर्वेक्षण (Global Drug Survey – GDS) ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया है.
GDS क्या है?
- यह एक ऑनलाइन सर्वेक्षण है जिसमें लोगों को एक विस्तृत प्रश्नावली देकर उनसे पूछा जाता है कि औषधियों के उपयोग का चलन कैसा है. साथ ही यह पूछा जाता है कि नियमित रूप से औषधि लेने वालों अथवा नए-नए औषधि लेने वालों को औषधि लेने से क्या हानि हुई. इस सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं का नाम गुप्त रखा जाता है.
- यह सर्वेक्षण यह पता लगाने के लिए नहीं बनाया गया है कि किसी विशेष जनसंख्या में औषधियों का कितना प्रचलन है. वास्तव में यह सर्वेक्षण उन लोगों के लिए है जो सामान्यतः छुपे रहते हैं और जिन तक पहुँचना कथिन होता है. इस सर्वेक्षण में ऐसे ही लोगों के व्यवहार और स्वास्थ्य सम्बन्धी परिणामों पर प्रकाश डाला जाता है.
- सर्वेक्षण से निकले डाटा और इसकी विशेषज्ञता के आधार पर ऐसे डिजिटल स्वास्थ्य ऐप बनाए जाते हैं जो औषधियों और शराब से प्रभावित लोगों का पता लगाने के साथ-साथ उनके लिए आवश्यक छोटे-मोटे उपाय का सुझाव देते हैं.
- इस सर्वेक्षण से स्वास्थ्य और कानूनी पेशेवरों को औषधि विषयक एक विशाल शैक्षणिक सूचना भंडार उपलब्ध हो जाता है और साथ ही इससे मनोरंजन उद्योग और जनसामान्य को भी लाभ पहुँचता है.
भारत से सम्बंधित मुख्य निष्कर्ष
- शराब के सेवन को घटाने के लिए सहायता माँगने के मामले में भारतीय अन्य देशों के निवासियों की तुलना में सबसे अधिक सक्रिय हैं.
- भारतीयों द्वारा जिन नशीले पदार्थों का सबसे अधिक सेवन किया जाता है, वे हैं – शराब, तम्बाकू और गाँजा.
- सर्वेक्षण में भारतीय लोगों ने बताया कि पिछले 12 महीनों में वे औसतन 41 बार “पिए हुए” थे. इस मामले में भारतीय इंग्लैंड, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से पीछे थे.
- 6% भारतीय महिलाओं ने बताया कि पिछले 12 महीनों में उनको आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता पड़ी थी. विदित हो कि इसके लिए वैश्विक औसत 13% है.
भारत में औषधि संकट
विश्व में सबसे अधिक अफीम पश्चिम में स्थित गोल्डन क्रेसेंट (Golden Crescent) अर्थात् सुनहरे अर्धचन्द्र के क्षेत्र में एवं पूर्व में सुनहले त्रिकोण (Golden Triangle) के क्षेत्र में होती है. भारत इन दोनों क्षेत्रों के बीच में अवस्थित है. इसलिए यहाँ औषधि तस्करी और औषधि दुरूपयोग का गंभीर खतरा रहता है.
अनुमान यह है कि देश में 40 लाख लोग नशीली दवाओं के आदि हैं. ये लोग अधिकतर गाँजा, हशिश, अफीम और हेरोइन लेते हैं. इसके अलावा कुछ एलोपेथिक दवाएँ भी नशे के लिए ली जाती है, जैसे – buprenorphine, कोडीन से बने कफ सिरप और proxivon जैसे दर्द निवारक.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Chang’e-4
संदर्भ
जनवरी 2019 में चीन ने चाँद के उस भाग में एक अन्तरिक्षयान उतारा था जो पृथ्वी से दिखाई नहीं पड़ता है. इस अंतिरक्षयान का नाम Chang’e-4 है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अन्तरिक्षयान द्वारा भेजे गये चित्र आदि से पता चल सकता है कि चाँद का निर्माण किस प्रकार हुआ.
मुख्य तथ्य
- चीन का अन्तरिक्षयान Chang’e-4 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एटिकन बेसिन (Aitken Basin) में स्थित Von Karmen Crater उतरा है.
- वहाँ अन्तरिक्षयान ने ओलिविन और कम कैल्शियम वाले पायरोक्सिन जैसे पदार्थों का पता लगाया हो जो चाँद की सतह पर विरले ही मिलते हैं. अतः शोधकर्ताओं का अनुमान है कि ये पदार्थ चंद्रमा के ऊपरी मेंटल से तब निकल कर बाहर आये होंगे जब इससे कोई धूमकेतु टकराया होगा.
चाँद की उत्पत्ति के विषय में सिद्धांत
सबसे प्रचलित सिद्धांत यह है कि चाँद का जन्म उस समय हुआ जब कोई बहुत बड़ा पुराना ग्रह नई-नई बनी धरती से टकरा गया था. इस टकराव के कारण पृथ्वी से हजारों टुकड़े उड़कर इसके परिक्रमा पथ तक जा पहुँचे. चन्द्रमा भी इन्हीं टुकड़ों में से एक था.
जब चाँद नया-नया बना तो उस समय वह मैग्मा के एक सागर से ढका हुआ था. बाद में जैसे-जैसे यह ठंडा पड़ा तो यह सागर जम गया. इस क्रम में जो अधिक घने पदार्थ थे, वे उस सागर की gahगहराइयों में रह गये और कम घने पदार्थ बहकर सतह पर आ गये. इसका अर्थ यह हुआ कि चंद्रमा के मेंटल और ऊपरी सतह की भूरासायनिक बनावटें एक-दूसरे से भिन्न हो गईं.
मिशन के बारे में
चीन ने Chang’e-4 नामक एक खोजी अंतरिक्षयान प्रक्षेपित किया है जो चाँद के पिछले अँधेरे भाग की खोज करेगा. चाँद के छिपे हुए पार्श्व पर उतरने वाला यह विश्व का पहला खोजी यान होगा. ज्ञातव्य है कि इस अन्तरिक्ष यान का नाम चीन के चन्द्रदेवी के नाम पर रखा गया है. चीन की चन्द्र-अभियान शृंखला की यह चौथी कड़ी है.
सर्वविदित है कि पृथ्वी से चाँद का पिछला भाग नहीं दिखता है क्योंकि यह उसी गति से घूमता रहता है जिस गति से चाँद हमारे ग्रह की परिक्रमा करता है. Chang’e-4 चाँद के इस अन्धकारमय पार्श्व पर उतरेगा. अभी तक कोई भी अन्तरिक्षयान इस भाग पर उतरा नहीं है. चाँद के इस भाग को ‘South Pole-Aitken Basin’ कहा जाता है जो अन्तरिक्ष-वैज्ञानिकों के लिए आज भी एक पहेली है. यदि यह अभियान सफल हो जाता है तो चीन इस मामले में अमेरिका एवं रूस को पीछे छोड़ देगा.
कठिनाइयाँ
Chang’e-4 के साथ सबसे बड़ी समस्या यह हो सकती है कि जब वह चाँद की परली ओर उतरेगा तो चीन के वैज्ञानिकों का उससे संचार टूट सकता है. यदि संचार व्यवस्था भंग हो जाती है तो इस समस्या से उबरने के लिए रेडियो टेलिस्कोप जैसे विकल्प का सहारा लेना होगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Poly (Diketoenamine)
संदर्भ
अमेरिका के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा प्लास्टिक बनाया है जो पूरी तरह से रिसायकल हो सकता है और इसको आणविक स्तर पर इसके मूल अवयवों में फिर से विखंडित किया जा सकता है. इस नई प्लास्टिक का नाम Poly (Diketoenamine), or PDK रखा गया है.
मुख्य विशेषताएँ
- साधारण प्लास्टिक की तुलना में PDK प्लास्टिक के मोनोमर फिर से प्राप्त किये जा सकते हैं और इसके यौगिक मिश्रणों को इस पदार्थ से आसानी से अलग किया जा सकता है. इसके लिए इस प्लास्टिक को एक तीखे अम्लीय घोल में मात्र डुबाना होगा.
- इस प्लास्टिक को किसी भी आकार अथवा रंग के नए पदार्थों में बदला जा सकता है. ऐसा करते समय इसकी गुणवत्ता पर कोई असर नहीं होगा.
- अम्ल न केवल PDK के पोलिमरों को मोनोमरों में बदल देता है, अपितु इस प्रक्रिया में मोनोमर जुड़े हुए अन्य पदार्थों से सरलता से अलग हो जाते हैं.
रिसायकल योग्य प्लास्टिक की आवश्यकता क्यों?
प्लास्टिक के अधिकांश उत्पाद पॉलीमर नामक बड़े-बड़े अणुओं के बने होते हैं. इसके अन्दर मोनोमर नामक विभिन्न प्रकार की छोटे कार्बन यौगिक वाली इकाइयाँ होती हैं. निर्मातागण सामान्यतः इसमें रसायन भी डालते हैं जिससे प्लास्टिक अधिक उपयोगी हो जाता है. जब ऐसे प्लास्टिक के पदार्थों को प्रसंस्करण इकाइयों में भेजा जाता है तो वहाँ उनको पीसकर छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल दिया जाता है. उसके बाद प्लास्टिक को पिघलाया जाता है और नए उत्पाद बनाए जाते हैं. इस क्रम में प्लास्टिक के अपने गुणधर्म नष्ट हो जाते हैं.
इसलिए वैज्ञानिक सदा ऐसी प्लास्टिक की खोज करते रहते हैं जो आसानी से विखंडित हो जाए परन्तु उसके मूल गुणधर्म यथावत् बने रहें. PDK प्लास्टिक की खोज ऐसे ही प्रयासों की एक नई कड़ी है.
Prelims Vishesh
Indian Coast Guard ship (ICGS) Vigraha :-
- हाल ही में भारतीय तटरक्षक जहाज “विग्रह” को विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) में सेवा से मुक्त कर दिया गया.
- विदित हो कि यह जहाज अप्रैल 12, 1990 को चालू किया गया था.
Sasakawa Award :–
- संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (United Nations Office for Disaster Risk Reduction – UNDRR) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतिरिक्त प्रधान सचिव प्रमोद कुमार मिश्र को आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में कार्य करने के लिए 2019 का ससाकावा पुरस्कार प्रदान किया है.
- विदित हो कि सासकावा पुरस्कार आपदा प्रबंधन से सम्बंधित संयुक्त राष्ट्र का सबसे अधिक प्रतिष्टित पुरस्कार है जो 30 वर्षों से दिया जा रहा है.
- इस पुरस्कार में सम्बंधित व्यक्ति अथवा संगठन को 50,000 डॉलर दिया जाता है.
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