Sansar डेली करंट अफेयर्स, 17 May 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 17 May 2021


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : Article 164 (3) of Indian Constitution

संदर्भ

केरल में नई सरकार के ऑनलाइन शपथ ग्रहण की माँग जोर पकड़ती जा रही है और इसके साथ ही न्यायविदों ने कहा है कि ऑनलाइन माध्यम से सत्ता ग्रहण करने में सरकार के लिए कानूनी रूप से कोई बाधा नहीं है.

इस सबंध में संवैधानिक प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 164 (3) के अनुसार, “किसी मंत्री द्वारा अपना पद ग्रहण करने से पहले, राज्यपाल तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्रारूपों के अनुसार, उसको पद की और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा.“

ऑनलाइन माध्यम के जरिये शपथ ग्रहण आयोजन पर कोई प्रतिबंध नहीं है क्योंकि संविधान में भौतिक माध्यम से शपथ लेने पर कोई बल नहीं दिया गया है.

आवश्यकता

  1. भारतीय चिकित्सा संघ (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) सहित कई संगठनों ने कोविड-19 के खतरनाक प्रसार के मद्देनजर शपथ ग्रहण हेतु ऑनलाइन माध्यम का समर्थन किया है.
  2. इसके अतिरिक्त, संविधान के निर्माताओं ने ‘ऑनलाइन’ विश्व के आगमन की कल्पना नहीं की थी और इसलिए संविधान में, मंत्रियों के पद ग्रहण करने के तरीके के विषय में कोई उल्लेख नहीं किया गया था.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.

Topic : PM-CARE

संदर्भ

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में, वैक्सीन तथा ऑक्सीजन जनरेटर की तत्काल क्रय करने तथा पूरे देश के 738 जिला चिकित्सालयों में ऑक्सीजन संयत्रों की स्थापना करने हेतु पीएम-केयर्स फंड (PM-CARES fund) का उपयोग करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

याचिका में कहा गया है, कि सरकार को अपना पीएम-केयर्स पर्स खोलकर आम लोगों को चिकित्सा देखभाल और ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में मदद करनी चाहिए.

आवश्यकता

बुनियादी जीवन रक्षक सहायता के रूप में चिकित्सीय ऑक्सीजन की सख्त जरूरत वाले मरीजों के लिए, पूरे देश के हर जिले में स्थित सरकारी अस्पताल, आम लोगों के लिए बिना किसी कीमत के आसानी से उपलब्ध हैं.

पीएम केयर्स फंड क्या है?

  • पीएम केअर्स फंड 28 मार्च, 2020 को किसी भी तरह की आपातकालीन या संकट की स्थिति जैसे कोविड-19 महामारी से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ बनाया गया था.
  • प्रधानमंत्री, पीएम केअर्स फंड के पदेन अध्यक्ष और रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री, भारत सरकार निधि के पदेन न्यासी होते हैं.

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UPSC Syllabus : Employment related issues.

Topic : Why has Indian manufacturing been losing jobs since 2016?

प्रायः, “जीवन” और “आजीविका” शब्द एक साथ उल्लेख किए जाते हैं. परंतु, वर्तमान में फ़ैली हुई इस कोविड महामारी ने इन दोनों शब्दों के बीच एक अंतर पैदा कर दिया है: जीवन को बचाने के उद्देश्य से किए जाने वाले उपाय, आजीविका के लिए ख़राब सिद्ध हो रहे हैं.

वर्तमान परिदृश्य

दूसरी कोविड लहर आने से पहले, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की कामगार भारत की स्थिति’ (State of Working India– SWI) रिपोर्ट 2021 में आजीविकाओं पर पड़ने वाले प्रभाव का खुलासा किया गया है.

प्रमुख बिंदु

रोज़गार पर प्रभाव

  • अप्रैल-मई 2020 में लागू लॉकडाउन के दौरान करीब 100 मिलियन लोगों की नौकरियाँ छूट गईं.
  • वैसे इनमें से अधिकांश श्रमिकों को जून 2020 तक रोज़गार मिल गया था, लेकिन अभी भी करीब 15 मिलियन लोग काम से वंचित थे.

आय पर प्रभाव

  • चार सदस्यों के औसत परिवार वाले घरों हेतु, जनवरी 2020 में प्रति व्यक्ति मासिक आय (5,989 रुपये) की तुलना में अक्तूबर 2020 में प्रति व्यक्ति मासिक आय (4,979 रुपये) में गिरावट दर्ज की गई.
  • महामारी के दौरान श्रमिकों की मासिक आय में औसतन 17% तक की गिरावट दर्ज की गई, जिसमें स्वरोज़गार और अनौपचारिक वेतनभोगी श्रमिकों को कमाई का सबसे अधिक क्षति हुई.

अनौपचारिकता

  • लॉकडाउन के पश्चात्, करीब 50% वेतनभोगी श्रमिकों ने अनौपचारिक कार्यों या तो स्व-नियोजित (30%), आकस्मिक वेतन (10%) या अनौपचारिक वेतनभोगी (9%) काओं की ओर रुख किया .

आर्थिक प्रभाव की प्रतिगामी प्रकृति

  • अप्रैल और मई 2020 के महीनों में सबसे गरीब 20% परिवारों ने किसी भी प्रकार की आय का उपार्जन नहीं किया.
  • दूसरी तरफ, देश के शीर्ष 10% परिवारों को लॉकडाउन के दौरान सबसे कम क्षति उठानी पड़ी और संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान उन्हें फरवरी माह की आय का करीब 20% का ही नुकसान हुआ.

महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव

  • लॉकडाउन के दौरान और बाद के महीनों में, 61% कामकाजी पुरुष कार्यरत रहे हैं, जबकि 7% लोगों ने रोज़गार से हाथ धो लिया और काम पर वापस नहीं आए.
  • परन्तु महिलाओं के संदर्भ में,  मात्र 19% महिलाएँ ही कार्यरत रहीं और 47% को लॉकडाउन के दौरान स्थायी नौकरी का नुकसान उठाना पड़ा और 2020 के अंत तक भी उनको रोज़गार नहीं मिला या वे काम पर वापस नहीं आ सकीं.

गरीबी दर में बढ़ोतरी

  • नौकरी खोने और आय में कमी के कारण गरीबी में  सर्वाधिक वृद्धि हुई. परिवारों को अपने खाद्य उपभोग में कमी करके, संपत्ति बेचकर और मित्रों, रिश्तेदारों तथा साहूकारों से अनौपचारिक ऋण लेकर आय की क्षति का सामना करना पड़ा.
  • महामारी के दौरान राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन सीमा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या (अनूप सतपथी समिति द्वारा अनुशंसित 375 रुपए प्रति दिन) में 230 मिलियन की वृद्धि हुई है. गरीबी दर ग्रामीण क्षेत्रों में 15% अंक और शहरी क्षेत्रों में लगभग 20% अंकों तक बढ़ी है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

जैसा कि भारत ने कोविड-19 की दूसरी लहर का सामना किया है और हालिया वर्षों में यह संभवतः मानव जीवन की सबसे चुनौतीपूर्ण स्थिति है, ऐसे में पहले से ही संकटग्रस्त आबादी की सहायता करने के लिये तत्काल नीतिगत उपायों को अपनाने की आवश्यकता है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के तहत अतिरिक्त सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की पात्रता को वर्ष के अंत तक बढ़ाया जाना चाहिये. मौज़ूदा डिजिटल अवसंरचना का प्रयोग करते हुए विभिन्न संवेदनशील परिवारों को तीन माह के लिये 5,000 रुपए के नकद हस्तांतरण की सुविधा दी जा सकती है. इसमें जन धन खातों का उपयोग किया जा सकता है, किंतु यह सुविधा केवल जन धन खातों तक ही सीमित नहीं होनी चाहिये. मनरेगा (महात्मा राष्ट्रीय गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम) ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसके आवंटन को विस्तारित करने की आवश्यकता है. महामारी से सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों में एक शहरी रोज़गार कार्यक्रम को पायलट-प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा सकता है, जो संभवतः महिला श्रमिकों पर केंद्रित हो. ज़मीनी स्तर पर वायरस से मुकाबला कर रहीं 2.5 मिलियन आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्त्ताओं के लिये 30,000 रुपए का एक कोविड-19 कठिनाई भत्ता (छह माह के लिये 5,000 रुपए प्रति माह) घोषित किया जाना चाहिये.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Inflation.

Topic : Wholesale Price Index – WPI

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI) से संबन्धित आँकड़े निर्गत किए हैं.

मुख्य बिंदु

  • उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने अप्रैल, 2021 (अनंतिम) और फरवरी, 2021 (अंतिम) के लिए थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI) से संबन्धित आंकड़े जारी किए हैं. ज्ञातव्य है कि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है.
  • इन आँकड़ों में सरकार ने बताया है कि अप्रैल, 2020 की तुलना में अप्रैल 2021 के दौरान मुद्रास्फीति की वार्षिक दर 10.49 प्रतिशत (अनंतिम) रही है.
  • अप्रैल 2021 के दौरान मुद्रास्फीति की वार्षिक दर अधिक रही है जो मुख्य रूप से कच्चे पेट्रोलियम, खनिज तेलों जैसे पेट्रोल, डीजल आदि तथा विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में बढ़ोतरी के चलते हुई.

थोक मूल्य सूचकांक

थोक स्तर पर सामानों की कीमतों का आकलन करने के लिए थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI) का प्रयोग किया जाता है. दरअसल थोक मूल्य सूचकांक भारत में व्यापारियों द्वारा थोक(Wholesale) में बेचे गए सामानों की कीमतों में परिवर्तन को मापता है.

WPI के आँकड़े (FIGURES) कब-कब प्रकाशित किये जाते हैं?

  1.  साप्ताहिक—>>> हर गुरुवार को: प्राथमिक वस्तुओं (primary articles) और पेट्रोलियम, डीजल आदि इंधन के दाम जोड़े जाते हैं.
  2. मासिक—>>> महीने के 14वें दिन में सभी उपभोक्तावस्तुओं के दाम  (prices of all consumer goods) जोड़े जाते हैं..
  3. अंतिम रूप से—>>>अंतिम रूप से सभी वस्तुओं के दाम जानने के बाद हर दूसरे महीने (8वाँ सप्ताह) में भी आँकड़े पेश किये जाते हैं.

HEADLINE और CORE WPI (WHOLESALE PRICE INDEX) में अंतर

  1. Headline WPI वह इंडेक्स है जिसमें प्राथमिक वस्तु, निर्मित उत्पाद और इंधन के आँकड़े शामिल रहते हैं.
  2. Core WPI में हमें प्राथमिक वस्तु और इंधन सम्मिलित नहीं होते. इसमें केवल non-food निर्मित उत्पाद को जोड़ा जाता है. Non-food निर्मित उत्पाद का अर्थ हुआ—beverages, tobacco & tobacco products, textiles, wood & wood products, paper & paper products,  leather & leather products, rubber & plastic products,  chemicals & chemical products, non-metallic mineral products , basic metals, alloys & metal products, machinery & machine tools, transport, equipment & parts etc.

Prelims Vishesh

Winchcombe :-

  • यह एक उल्कापिंड (Meteorite) है.
  • फरवरी 2021 में ब्रिटेन के ग्लॉस्टरशायर के ‘विंचकंब’ (Winchcombe) नामक शहर में, विंचकंब उल्कापिंड’ (Winchcombe meteorite) का एक हिस्सा पृथ्वी की सतह पर गिरा था.
  • इसे अगले सप्ताह से, राष्ट्रीय इतिहास संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा.

उल्का (Meteoroid), उल्कापात (Meteor) तथा उल्कापिंड (Meteorite) में अंतर

  1. उल्काआकार में धूमकेतु अथवा क्षुद्रग्रह से पिंड होते हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करते है.
  2. उल्कापातजब कोई उल्का पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय वाष्पित हो जाती है, उस समय होने वाली इस प्रकाशीय घटना को उल्कापात कहा जाता है, जिसे ‘टूटता तारा’ भी कहते है.
  3. उल्कापिंडयह वह उल्का होती है, जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते समय नष्ट होने से बच जाती है तथा पृथ्वी की सतह पर आकर टकराती है.

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