Sansar Daily Current Affairs, 17 November 2020
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Functions and responsibilities of the Union and the States, issues and challenges pertaining to the federal structure, devolution of powers and finances up to local levels and challenges Government strives to have a workforce which reflects gender balance and women candidates are encouraged to apply. Therein.
Topic : PESA Act
संदर्भ
छत्तीसगढ़ पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (PESA ACT) के नियमों के निर्धारण पर चर्चा करने के लिए कांकेर जिले की पंचायतों के आदिवासी नेताओं और अन्य प्रतिनिधियों के साथ पहली बैठक की.
- उल्लेखनीय है कि कांकेर जिले में गोथन नामक स्थान पर छत्तीसगढ़ के पांच जिलों के 16 आदिवासी ब्लॉकों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए एवं इन्होने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 में अपेक्षित बदलाव हेतु सुझाव भी दिए. इन प्रतिनिधियों के सुझावों में ग्राम सभा के सशक्तिकरण जैसे प्रमुख मुद्दे सहित, खाद्य सुरक्षा, जल निकायों पर अधिकार इत्यादि विषय शामिल थे.
पृष्ठभूमि
- छत्तीसगढ़ सरकार ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996, जिसे पेसा अधिनियम भी कहा जाता है, के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियमों को लागू करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है.
- जब से पेसा अधिनियम पारित किया गया है केवल छह राज्यों – आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात ने इसके लिए नियम बनाए हैं.
- जबकि छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश और झारखंड ने अभी तक इस अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए ऐसा नहीं किया है.
बैठक में जनजातीय प्रतिनिधियों की प्रमुख मांग
जनजातीय प्रतिनिधियों के द्वारा पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 में निम्न बदलाव की माँग की गयी है-
- ग्राम सभाओं के शक्ति में विस्तार करते हुए अधिक प्रतिनिधित्व
- आदिवासी इलाकों में खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना
- ग्राम क्षेत्र में स्थित जल निकायों पर अधिकार
- इन क्षेत्रों में रहने वाले सभी जनजातियों का प्रतिनिधित्व देकर दीर्घकालिक सामाजिक विवाद समाधान करना चाहे उनकी संख्या कितनी भी हो
- आदिवासी क्षेत्रों में राजस्व और उनके क्षेत्र में रेत खनन को सरकार के नियंत्रित करने के निर्णय को वापस लिया जाए
- आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासियों से वापस पाने की शक्ति ग्राम सभा को दी जानी चाहिए
पेसा अधिनियम
- इस अधिनियम की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें जनजातीय समाजों की ग्राम सभाओं को अत्यधिक ताकत दी गई है.
- प्रत्येक गाँव में एक ग्राम सभा होगी जिसमें वे सभी व्यक्ति शामिल होंगे जिनका नाम ग्राम स्तर पर पंचायत के लिये तैयार की गई मतदाता सूची में शामिल है.
- प्रत्येक ग्राम सभा सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं को स्वीकृति देगी, इसके पहले कि वे ग्राम स्तरीय पंचायत द्वारा कार्यान्वयन के लिए हाथ में लिये जायें.
- इस अधिनियम द्वारा संविधान के भाग 9 के पंचायतों से जुड़े प्रावधानों को ज़रूरी संशोधनों के साथ अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने का लक्ष्य है.
- गरीबी उन्मूलन और अन्य कार्यक्रमों के लिये लाभार्थियों को चिन्हित करने तथा चयन के लिये भी ग्राम सभा ही उत्तरदायी होगी. पंचायतों को ग्राम सभा में इसआशय का प्रमाणपत्र लेना होगा कि उन्होंने इन कार्यक्रमों व योजनाओं के संबंध में धन का उचित उपयोग किया है.
- संविधान के भाग 9 के अंतर्गत जिन समुदायों के संबंध में आरक्षण के प्रावधान हैं उन्हें अनुसूचित क्षेत्रों में प्रत्येक पंचायत में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा. साथ ही यह शर्त भी है कि अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण कुल स्थानों के 50% से कम नहीं होगा तथा पंचायतों के सभी स्तरों पर अध्यक्षों के पद अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित रहेंगे.
- मध्यवर्ती तथा ज़िला स्तर की पंचायतों में राज्य सरकार उन अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधियों को भी मनोनीत कर सकेगी जिनका उन पंचायतों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, किंतु ऐसे मनोनीत प्रतिनिधियों की संख्या चुने जाने वाले कुल प्रतिनिधियों की संख्या के 10% से अधिक नहीं होनी चाहिये .
- अनुसूचित क्षेत्रों में लघु जल निकायों की योजना बनाने तथा उसका प्रबंधन करने का कार्य उपयुक्त स्तर की पंचायतों को सौंपा जाएगा.
- अनुसूचित क्षेत्रों में गौण खनिजों के लिये लाइसेंस या खनन पट्टा देने के लिये ग्राम सभा पंचायत के उचित स्तर की सिफारिशों को अनिवार्य बनाया जाएगा.
- अनुसूचित क्षेत्रों में बोली (Auction) द्वारा गौण खनिजों के दोहन की प्रक्रिया में रियायत देने के लिये ग्राम सभा या पंचायत की पूर्व सिफारिश लेना अनिवार्य होगा.
- राज्य विधानमंडल प्रयास करेंगे कि अनुसूचित क्षेत्रों में ज़िला स्तर पर पंचायतों के लिये वैसा ही प्रशासनिक ढाँचा बनाया जाए जैसा कि संविधान की छठी अनुसूची में वर्णित जनजातीय क्षेत्रों पर लागू होता है.
- अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों को स्वशासन की संस्थाओं के तौर पर कार्य करने के लायक बनाने के लिये अपेक्षित शक्तियाँ और अधिकार देते हुए राज्यों के विधानमंडल यह सुनिश्चित करेंगे कि ग्रामसभा और पंचायतों को निश्चित रूप से शक्तियाँ प्रदान की गई हों.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Related to Health.
Topic : Chapre Virus
संदर्भ
हाल ही में, वैज्ञानिकों द्वारा एक और घातक वायरस की खोज की गयी है, जिसे बोलीविया में चापरे वायरस (Chapre Virus) के रूप में जा रहा है.
चापरे वायरस
यह, इबोला वायरस रोग (Ebola virus disease– EVD) फ़ैलाने के लिए जिम्मेदार एरेनावायरस (Arenavirus) परिवार का वायरस है, जिसके कारण चापरे रक्तस्रावी बुखार (Chapare hemorrhagic fever– CHHF) फैलता है.
बोलीविया में चैपरे एक प्रांत है जहां इस वायरस की उत्पत्ति हुई. इस कारण इसका नाम चैपरे वायरस पड़ा है. चैपरे वायरस एरीनावायरस फैमिली के कारण होने वाली बीमारी ही पैदा करता है. इसी तरह की बीमारी इबोला वायरस के कारण भी होती है.
लक्षण
इसका संक्रमण होने पर इबोला जैसा रक्तस्रावी बुखार (Hemorrhagic Fevers) और साथ में पेट दर्द, उल्टी, मसूड़ों से खून निकलने, त्वचा पर छाले आने और आंखों के अंदर दर्द, आदि लक्षण दिखाई देते हैं. वायरल रक्तस्रावी बुखार एक गंभीर और जानलेवा बीमारी होती है जिससे शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते है और यह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है.
प्रसरण
चापरे वायरस जैसे एरेनावायरस, आमतौर पर चूहों द्वारा फैलते है. यह वायरस, संक्रमित कृंतक जीवों के सीधे संपर्क, इनके मल या मूत्र के संपर्क में आने से, अथवा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से प्रसरित होता है.
चापरे रक्तस्रावी बुखार (CHHF) का उपचार
- चूंकि अभी इस बीमारी का इलाज करने के लिए कोई विशिष्ट दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए रोगियों को आमतौर पर इन्ट्रावेनस तरल पदार्थ (Intravenous Fluids) जैसे सहायक उपचार व देखभाल प्रदान की जाती है.
- इसके उपचार में, रोगी के लिए, हाइड्रैशन (Hydration) को नियमित रखना, तरल पदार्थो को दिया जाना, बेहोश करने की प्रक्रिया, दर्द-निवारक, रक्त-आधान (Transfusions) आदि उपाय शामिल किये जाते हैं.
- 2019 में चापरे वायरस का पहला संकेत मानव शरीर के फ्ल्यूड्स के एक कलेक्शन में पाया गया था. सैंपल को इकट्ठा करने वाले डॉक्टरों का मानना था कि रोगी डेंगू के संपर्क में आए होंगे. CDC रिसर्चर मारिया मोराल्स ने कहा कि ‘दक्षिण अमेरिका में डेंगू बहुत प्रचलित है. हेमैरजिक फीवर के लक्षण वाला डेंगू से पहले कुछ और नहीं सोच सकता. यह दोनों बहुत समान हैं.
चापरे वायरस द्वारा उत्पन्न संकट
वैज्ञानिकों के अनुसार, कोरोनावायरस की तुलना में चापरे वायरस की पहचान करना अधिक कठिन है, क्योंकि यह श्वसन मार्ग से नहीं फैलता है. चापरे वायरस केवल तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है.
- इस बीमारी से, संक्रमित लोगों के निकट संपर्क में आने वाले परिवार के सदस्यों तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के संक्रमित होने के सर्वाधिक जोखिम रहता है.
- इसके लिए आमतौर पर सबसे अधिकउष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैलने वाली बीमारी माना जाता है. यह विशेष रूप से दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में, जहां प्रायः छोटे कान वाले पिग्मी राइस चूहे पाए जाते हैं, इस बीमारी के फैलने का सबसे बड़ा खतरा है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Right to Property
संदर्भ
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि “केंद्र और राज्य सरकारें अनिश्चितकाल तक नागरिकों की संपत्तियों को जब्त करके अपने कब्जे में नहीं रख सकती हैं.”
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और एस रवींद्र भट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को बेंगलुरु के बायपन्नहल्ली स्थित चार एकड़ जमीन को तीन महीने के अंदर उसके कानूनी मालिक बीएम कृष्णमूर्ति के किसी वारिस को लौटाने का आदेश देते हुए यह फैसला सुनाया है.
पृष्ठभूमि
- केंद्र सरकार ने बेंगलुरु के बायपन्नहल्ली स्थित चार एकड़ जमीन को 1963 में हासिल किया था. यह जमीन करीब 57 वर्षों से केंद्र सरकार के कब्जे में थी.
- केंद्र सरकार द्वारा इस भूमि पर कब्जें के विरुद्ध वीके रविचंद्रा और अन्य की ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर याचिका के जरिये केंद्र के जमीन को खाली छोड़ने की इजाजत मांगी गई थी.
- गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के निर्णयों में भी यह कहा है कि “भारतीय संविधान के अंतर्गत भले ही संपत्ति का अधिकार (Right to Property) अब मौलिक अधिकार नहीं रहा है, किन्तु इसके बावजूद भी राज्य (state) उचित प्रक्रिया और विधि के अधिकार का पालन करके ही किसी व्यक्ति को उसकी निजी संपत्ति से वंचित कर सकता है.”
क्या कहा उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में?
- सुप्रीम कोर्ट की इस खंडपीठ ने अपने एक फैसले में कहा है कि ऐसी कोई भी घटना या ऐसा करने की अनुमति देना किसी भी तरह से किसी गैरकानूनी कृत्य से कम नहीं है.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैसे तो संपत्ति का अधिकार संविधान में मौलिक अधिकार नहीं बताया गया है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों को अनिश्चितकाल तक नागरिकों की संपत्ति को अपने कब्जे में रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रवींद्र भट ने अपने निर्णय में कहा कि “संपत्ति का अधिकार एक बेशकीमती अधिकार है जिसमें आर्थिक स्वतंत्रता की गारंटी हासिल होती है.”
संपत्ति का अधिकार
संविधान के अनुच्छेद 31 के मूलरूप में संपत्ति के अधिकार को एक मौलिक अधिकार बताया गया था. परन्तु 1978 में इसके लिए 44वाँ संवैधानिक संशोधन हुआ और संपत्ति का अधिकार एक मौलिक अधिकार नहीं रह गया. फिर भी संविधान का अनुच्छेद 300A अपेक्षा करता है कि सरकार किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति अपने हाथ में लेने के पहले समुचित प्रक्रिया और कानूनी शक्ति का अनुपालन करे. संपत्ति का अधिकार अब न केवल एक संवैधानिक अथवा वैधानिक अधिकार समझा जाता है.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Infrastructure: Energy, Ports, Roads, Airports, Railways etc.
Topic : MNRE proposes scheme for development of wind-solar hybrid parks
संदर्भ
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने पवन /पवन-सौर हाइब्रिड पार्कों के विकास के लिए योजना प्रस्तावित की है. पवन और सौर ऊर्जा (Wind and solar energy) ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों के विकल्प के रूप में उभर रही हैं. एक अनुमान के अनुसार देश की सौर ऊर्जा क्षमता 749 गीगावॉट है और पवन ऊर्जा क्षमता 695 गीगावॉट है.
मुख्य बिंदु
- सौर संसाधन के विपरीत, पवन ऊर्जा संसाधन मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और तमिलनाडु में केंद्रित हैं.
- यह पार्क पवन/पवन-सौर हाइब्रिड ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए एक केंद्रित क्षेत्र होगा. इसके अतिरिक्त, यह स्थल में रिक्तीकरण की सुविधा सहित उचित अवसंरचना के लिए एक क्षेत्र प्रदान करेगा, जहाँ परियोजनाओं से संबंधित जोखिम को न्यूनतम किया जा सकेगा.
- यह निवेशकों हेतु भूमि, पारेषण, आवश्यक अवसंरचना और आवश्यक अनुमोदन की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित करेगा.
- राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (National Institute of Wind Energy) की सहायता से संभावित स्थलों की पहचान की गई है. यदि स्थल की स्थिति उपयुक्त पाई जाती है, तो पार्क के विकासकर्ता पवन–सौर हाइब्रिड पार्क विकसित करने पर विचार कर सकते हैं.
अपेक्षित लाभ
यह पवन ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन को गति प्रदान करेगा, क्योंकि इसके लिए खंडित भूमि की आवश्यकता होती है, जो पारेषण लागत और भूमि संबंधी मुद्दों को बढ़ाती है.
यह डिस्कॉम्स (विद्युत वितरण कंपनियों) के गैर-सौर नवीकरणीय खरीद दायित्वों (Renewable Purchase Obligation: RPOs) को प्रतिस्पर्धी दरों पर पूर्ण करने में सहायता करेगा.
विकासकर्त्ताओं की भूमि, पारेषण, स्वीकृति आदि से संबंधित अनिश्चितताओं को कम करने में सहायता प्रदान करेगा.
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के रूप में समुद्रों की सम्भावना
- धरातल के 70% भाग पर समुद्र फैले हुए हैं और इस प्रकार ये विश्व के सबसे बड़े सौर ऊर्जा के संग्राहक हैं.
- समुद्र से दो प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है –तापीय ऊर्जा (सूर्य के ताप से) और यांत्रिक ऊर्जा (ज्वारों और तरंगों से). ये ऊर्जाएँ प्रदूषणकारी नहीं हैं और साथ ही विश्वसनीय एवं बहुत पूर्वानुमेय हैं.
- ज्वार ऊर्जा :ज्वार ऊर्जा को वैकल्पिक ऊर्जा का एक अच्छा साधन माना जाता है. इसमें समुद्र के ज्वार और भाटा का लाभ उठाकर बिजली उत्पन्न की जाती है.
- समुद्री तरंग ऊर्जा :इसमें समुद्र की तरंगों की शक्ति का उपयोग कर बिजली बनाई जाती है. समुद्र की सतह पर पानी का अनुदैर्घ्य संचलन होता है. तरंग ऊर्जा के लिए इसी संचलन का उपयोग किया जाता है.
- समुद्री तापीय ऊर्जा :गहरे समुद्र की तुलना में उसकी बाहरी सतह सूरज की धूप से अधिक गर्म होती है. इस प्रकार दोनों में तापान्तर देखा जाता है. इसी तापान्तर से तापीय ऊर्जा बनती है.
- समुद्री धारा ऊर्जा :इस ऊर्जा को उत्पन्न करने के लिए समुद्र के अन्दर टर्बाइन लगा दिए जाते हैं जो समुद्री धरातल से जुड़े हुए होते हैं.
- ओस्मोटिक ऊर्जा :यह ऊर्जा लवण जल भंडार एवं मृदु जल भंडार के बीच में एक मेम्ब्रेन डालकर जल की गति से उत्पन्न की जाती है.
नवीन खरीद दायित्व क्या है?
- RPO एक ऐसा तंत्र है जिसके द्वारा बाध्य संस्थाएं (obligated entities) (जिसमें डिस्कॉम, खुली पहुँच उपभोक्ता और कैप्टिव ऊर्जा उत्पादक शामिल हैं). विद्युत की कुल खपत के प्रतिशत के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से कुछ प्रतिशत विद्युत खरीदने के लिए बाध्य होती हैं.
- RPO और सौर और गैर-सौर के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
Prelims Vishesh
Microwave weapons :-
- भारतीय सेना ने उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों के विरुद्ध माइक्रोवेव हथियारों का प्रयोग किया था. ‘
- माइक्रोवेव हथियारों को एक प्रकार के प्रत्यक्ष ऊर्जा हथियार माना जाता है, जो किसी लक्ष्य पर सोनिक, लेजर या माइक्रोवेव के रूप में अत्यधिक केंद्रित ऊर्जा को लक्षित करते हैं.
- ये प्रथम बार शीत युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा विकसित किए गए थे.
- इन हथियारों से उत्सर्जित उच्च आवृत्ति युक्त विद्युत चुम्बकीय तरंग या किरण को जब मानव शरीर पर लक्षित किया जाता है, तो मानव ऊतक गर्म होकर जलने लगते हैं तथा तीव्र पीड़ा भी होती है.
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