Sansar Daily Current Affairs, 17 October 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.
Topic : Global Hunger Index
संदर्भ
2019 वैश्विक भूख सूचकांक प्रकाशित हो गया है. विदित हो कि यह सूचकांक प्रतिवर्ष Welthungerhilfe और Concern Worldwide नामक संस्थाओं द्वारा प्रकाशित किया जाता है. इस सूचकांक में विभिन्न देशों में भूख की स्थिति का तीन आयामों से पता लगाया जाता है – कम कैलोरी लेना, बाल कुपोषण तथा बाल मृत्यु दर.
इस सूचकांक में रैंकिंग अधिकतम 100 पॉइंट की होती है जिसमें शून्य का अर्थ सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग और 100 का अर्थ सबसे बुरी रैंकिंग होता है.
यदि किसी देश को 10 से कम पॉइंट मिलते हैं तो उसका तात्पर्य होगा कि वहाँ भूख की उपस्थिति कम है. इसी प्रकार 20 से 34.9 पॉइंट का अभिप्राय है कि भूख की उपस्थिति गंभीर है. पुनः 35 से 49.9 का अर्थ होता है कि स्थिति खतरनाक हो गई है तथा 50 से ऊपर पॉइंट होने पर उस देश में भूख की स्थिति अत्यंत खतरनाक मानी जायेगी.
अपने आकलन में यह सूचकांक (GHI) चार संकेतकों पर विचार करता है जो हैं –
- कुपोषण : जनसंख्या का कितना भाग कम कैलोरी लेने के कारण कुपोषित है.
- बाल वृद्धि में कमी : पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में उन बच्चों का अनुपात क्या है जो विकट कुपोषण के कारण वांछित भार और ऊँचाई प्राप्त नहीं कर पाते हैं.
- कुंठित शारीरिक बाल विकास : पाँच वर्ष से नीचे के बच्चों में उन बच्चों का क्या अनुपात है जो पुराने कुपोषण के कारण उम्र के हिसाब से कम ऊँचाई प्राप्त कर पाते हैं.
- बाल मृत्यु दर : पाँच वर्ष के अन्दर के बच्चों में बाल मृत्यु की दर.
मुख्य निष्कर्ष
वैश्विक परिदृश्य
- सूचकांक में सम्मिलित 117 देशों में शीर्ष स्थान पर मध्य अफ्रीकी गणतंत्र है.
- जलवायु परिवर्तन के चलते विश्व में लोगों को भोजन देना कठिन होता जा रहा है.
- भूख को घटाने में एक ओर जहाँ प्रगति हो रही है, वहीं कई क्षेत्रों में भूख की स्थिति विकट बनी हुई है.
- 2010 की तुलना में 2019 में अधिक भूख से त्रस्त देशों की संख्या बढ़ गई है. अब यह पक्का हो गया है कि लगभग 45 देश 2030 तक भूख के लक्ष्य को पाने में असमर्थ रहेंगे.
- 117 देशों में से 43 में भूख का स्तर “गंभीर” है.
- वैश्विक भूख सूचकांक में समस्या से निपटने के लिए कुछ सुझाव भी दिए गये हैं, जैसे- सर्वाधिक संकटग्रस्त समूहों पर विशेष ध्यान देना, आपदाओं के समय बेहतर उपाय करना, असमानताओं को दूर करना और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए कार्रवाई करना.
दक्षिण-एशियाई परिदृश्य
- भारत को 30.3 पॉइंट मिले अर्थात् इसकी रैंकिंग 102वीं रही. यहाँ तक की उत्तर कोरिया, नाइजर, कैमरून जैसे देशों ने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया.
- भारत के पड़ोसी देशों में भी स्थिति अच्छी रही – श्रीलंका (66), नेपाल (73), पाकिस्तान (94) और बांग्लादेश (88).
- बच्चों में शारीरिक वृद्धि में कमी की दर में भी भारत सर्वोच्च रहा. इस मामले में भारत में 9 वर्षों में 4.3% की वृद्धि देखी गई.
- 6 से 23 महीने के भारतीय बच्चों में 90% को न्यूनतम आवश्यक भोजन नहीं मिलता है.
- जहाँ तक 5 वर्ष से कम के बच्चों में शारीरिक कुंठा की बात है, भारत में तनिक सुधार हुआ है, किन्तु यह अभी भी अधिक है. 2010 में यह दर 42% थी जो 2019 में घटकर 37.9% हो गई है.
- स्वच्छ भारत अभियान के बावजूद भारत में खुले में शौच करने की प्रथा चल ही रही है. इससे लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा तो होता ही है, बच्चों की वृद्धि और पोषक तत्त्वों को आत्मसात करने की क्षमता पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है.
GS Paper 1 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.
Topic : What is a randomised controlled trial?
संदर्भ
गरीबी को दूर करने के लिए सरकारें जो नीतियाँ बनाती हैं और उपाय लागू करती हैं, वे कारगर हैं या नहीं इसकी जाँच करने के लिए कुछ अर्थशास्त्री रैंडम ढंग से नियंत्रित पड़ताल करने के पक्ष में हैं. इस बार 2019 का अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार ऐसे ही तीन अर्थशास्त्रियों को मिला है. इनके नाम हैं – अभिजित् बनर्जी, एस्थर डफ्लो और माइकल क्रेमर.
रैंडम नियंत्रित पड़ताल क्या होता है?
रैंडम नियंत्रित पड़ताल उस प्रयोग को कहते हैं जिसमें किसी हस्तक्षेप विशेष अथवा वेरियेबल के परिणाम के प्रतिफल पर होने वाले प्रभाव का आकलन किया जाता है.
रैंडम नियंत्रित पड़ताल इतना लोकप्रिय क्यों?
- विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों को एक से अधिक कारक मिल-जुलकर प्रभावित करते हैं. रैंडम नियंत्रित पड़ताल में अर्थशास्त्री अथवा कोई भी अनुसंधानकर्ता यह पता लगाता है कि व्यक्ति विशेष पर किसी कारक विशेष का क्या प्रभाव पड़ा.
- उदाहरण के लिए, यदि यह पता लगाना है कि अधिक शिक्षक नियुक्त करने पर किसी बच्चे की शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ सकता है तो अनुसंधानकर्ता सबसे पहले अन्य कारकों, जैसे – बुद्धि, पोषण, जलवायु, आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति आदि से होने वाले प्रभावों को नियंत्रित करेगा और मात्र यह देखेगा कि अधिक शिक्षक लगाने से क्या लाभ हुआ.
- इस प्रकार की पड़ताल में नमूने बिना किसी पूर्व विचार अथवा क्रम से लिए जाते हैं, अतः रैंडम पड़ताल की संज्ञा दी गई है.
माहात्म्य
विकास से जुड़े कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि रैंडम नियंत्रित पड़ताल से सरकार अत्यंत ही वैज्ञानिक रीति से उन सर्वाधिक सशक्त नीतियों और उपायों का पता लगा सकती है जो गरीबी को तेजी से समाप्त कर सकते हैं.
GS Paper 2 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Kurds
संदर्भ
25 मिलियन से 35 मिलियन की अनुमानित जनसंख्या वाले कुर्द विश्व के ऐसे सबसे बड़े नस्ली समूह हैं जिनका अपना कोई देश नहीं है. केवल ईराक में इन्हें एक क्षेत्रीय प्रशासन सौंपा गया है जिसे इराकी कुर्दिस्तान कहते हैं.
- ये जहाँ रहते हैं वे क्षेत्र हैं – दक्षिण और पूवी तुर्की, उत्तरी ईराक, पूर्वोत्तर सीरिया, पश्चिमोत्तर ईरान और दक्षिण आर्मेनिया. इन सभी स्थानों में ये अल्पसंख्यक हैं. इसके अतिरिक्त कुछ कुर्द जॉर्जिया, कजाकिस्तान, लेबनान और पूर्वी ईरान में भी रहते हैं.
- आज अधिकांश कुर्द सुन्नी मुसलमान हैं. परन्तु इनमें से कुछ सूफी और अन्य रहस्मय सम्प्रदायों के सदस्य हैं.
- कुर्दों को निर्भीक योद्धा माना जाता है. शताब्दियों से ये कई सेनाओं में भर्ती होते रहे हैं.
- अयूब वंश (Ayyubid dynasty) के संस्थापक सलादीन ने मिश्र में फातिम वंश को उखाड़ फेका था और 12वीं और 13वीं शताब्दियों में मध्य पूर्व एक बड़े भूभाग पर शासन किया था. वह एक कुर्द ही था.
चर्चा में क्यों?
पिछले दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने उत्तरी सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को हटने का आदेश दिया. इस आदेश का लाभ उठाकर तुर्की सिरिया में घुस गया और कुर्दों संहार करने लगा. ज्ञातव्य है कि अब तक अमेरिका कुर्दों को सीरिया में होने वाले संघर्ष में सहायता दे रहा था. तुर्की को कुर्दों से शुरू से शिकायतें रही हैं. तुर्की कुर्दिस सेनाओं को अपनी सुरक्षा पर खतरा मानता है.
चिंता का विषय
अमेरिका के पीछे हटने और तुर्की के आगे बढ़ने का यह परिणाम हो सकता है कि इस स्थिति का लाभ इस्लामिक स्टेट उठा सकता है क्योंकि कुर्दी सेनाओं का मुख्य संघर्ष इस्लामिक स्टेट के विरुद्ध चल रहा था. इस प्रकार सीरियाई संघर्ष एक नया रूप ले सकता है. अपनी जान बचाने के लिए अब कुर्दों ने रूस और ईरान द्वारा समर्थित सीरिया राज के साथ एक समझौता करने का निर्णय लिया है. विदित हो कि रूस और ईरान इस क्षेत्र में अमेरिका के दो बड़े प्रतिद्वंद्वी देशी हैं.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.
Topic : IMF’s World Economic Outlook (WEO)
संदर्भ
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पिछले दिनों 2019 का वैश्विक आर्थिक परिदृश्य (World Economic Outlook – WEO) प्रकाशित किया है.
WEO में भारत से सम्बंधित मंतव्य
- चीन के साथ संयुक्त रूप से भारत विश्व की सबसे तेज प्रगति करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है.
- भारत की वृद्धि दर वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 1% कम हो जायेगी. अनुमान है कि यह दर अब 6.1% होगी. WEO के द्वारा साथ ही यह अनुमान लगाया गया है कि 2020 के वित्तीय वर्ष में वृद्धि दर बढ़कर 7% हो जायेगी.
वैश्विक परिदृश्य
- WEO के अनुसार विश्व की अर्थव्यवस्था में इस वर्ष मात्र 3% और अगले वर्ष 3.4% की वृद्धि होगी.
- चीन की आर्थिक वृद्धि अगले वर्ष कम होकर 5.8% हो जायेगी.
- यूरो क्षेत्र में वृद्धि की दर इस वर्ष 1.2% और अगले वर्ष 1.4% रहेगी. इनमें भी जर्मनी की अर्थव्यस्था इस वर्ष मात्र 0.5% बढ़ेगी.
- अमेरिका की वृद्धि दर इस वर्ष 2.1% और अगले वर्ष 2.4% होगी.
- WEO के अनुसार, पूरे विश्व में मंदी चल रही है जिसके कारण हैं – बढ़ते हुए व्यापारिक प्रतिबन्ध, व्यापार और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ, निम्न उत्पादकता वृद्धि, विकसित देशों में वृद्धों की बढ़ती जनसंख्या आदि.
भारत की वृद्धि दर में कमी का अनुमान क्यों?
- भारतीय अर्थव्यस्था में वृद्धि की दर इसलिए कम रहेगी क्योंकि यहाँ मोटरवाहन प्रक्षेत्र और रियल स्टेट में माँग घटी है. साथ ही, गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है.
- नैगमिक और पर्यावरण विषयक विनियमों के बारे में अनिश्चितता के कारण माँग घटी है.
- कुल मिलाकर भारत की वृद्धि दर इसलिए कम रहेगी क्योंकि यहाँ घरेलू माँग अपेक्षा से कम दिख रही है.
Prelims Vishesh
LOTUS-HR project :-
- पिछले दिनों लोटस-HR कार्यक्रम के दूसरे चरण का नई दिल्ली में अनावरण हुआ.
- LOTUS-HR का पूरा नाम है – Local Treatment of Urban Sewage streams for Healthy Reuse अर्थात् शहर की नालियों के पानी का स्थानीय उपचार करके उसका दुबारा स्वास्थ्यकारी उपयोग.
- यह कार्यक्रम जैव प्रौद्योगिकी विभाग (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय) तथा नीदरलैंड आर्गेनाईजेशन फॉर साइंटिफिक रिसर्च के सहयोग से जुलाई, 2017 से चलाया जा रहा है.
World Standards Day :-
- 1970 से आरम्भ होने वाला विश्व मानक दिवस प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी पूरे विश्व में 14 अक्टूबर को मनाया गया.
- इसका ध्येय वैश्विक अर्थव्यस्था में मानकीकरण के महत्त्व को उजागर करना है.
- इस दिवस को मनाने वाली मुख्य संस्थाएँ हैं – अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रो तकनीकी आयोग (IEC), अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU).
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