Sansar डेली करंट अफेयर्स, 17 September 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 17 September 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Market Intervention Price Scheme

संदर्भ

बाजार हस्तक्षेप मूल्य योजना (Market Intervention Price Scheme) के अंतर्गत भारत सरकार इस मौसम में 12 लाख मेट्रिक टन सेब खरीदने की योजना बना रही है.

Market-Intervention-Price-Scheme

बाजार हस्तक्षेप मूल्य योजना क्या है?

  • यह एक मूल्य समर्थन तंत्र है जिसका कार्यान्वयन केंद्र सरकार राज्य सरकारों के अनुरोध पर करती है.
  • जब बाजार में किसी नष्ट हो जाने वाली सामग्री एवं बागबानी की सामग्री का मूल्य गिर जाता है तो सरकार उस सामग्री का क्रय किया करती है.
  • इस योजना का कार्यान्वयन तब होता है जब पिछले सामान्य वर्ष में वस्तु का जो दाम चल रहा था उसमें कम से कम 10% का ह्रास हुआ हो अथवा उस वस्तु का कम से कम 10% उत्पादन बढ़ गया हो.
  • जिस मौसम में किसी अनाज या फल बड़े पैमाने पर पैदा होते हैं तो उनके दाम तेजी से गिरने लगते हैं और किसान हड़बड़ा कर उनको कम दामों पर बेचने लगता है. किसान को इस स्थिति से उबारना ही इस योजना का ध्येय है.
  • इस योजना का कार्यान्वयन कृषि एवं सहकारिता विभाग करता है.

वित्तपोषण

  • MIPS योजना के अंतर्गत राज्यों को धनराशि आवंटित नहीं की जाती.
  • इसके विपरीत राज्यों से प्राप्त विशेष प्रस्तावों के आधार पर घाटे का केंद्र सरकार का अंश राज्य सरकारों को निर्गत किया जाता है. इसके लिए योजना के अंतर्गत दिशा-निर्देश निर्धारित हैं.

जिन सामग्रियों के लिए MIPS का प्रावधान है, वे हैं – सेब, कीनू/माल्टा, लहसुन, नारंगी, गलगल, अंगूर, कुकुरमुत्ता, लौंग, काली मिर्च, अनानास, अदरक, लाल मिर्च, धनिया आदि.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : ASEAN-India Trade in Goods Agreement (AITIGA)

संदर्भ

द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते (bilateral free trade agreement – FTA) को उपयोगकर्ता के लिए अधिक अनुकूल और सरल तथा व्यापार के लिए सुगम बनाने हेतु आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (ASEAN-India trade in goods agreement – AITIGA) की समीक्षा शुरू करने के विषय में भारत और आसियान के दस देश सहमत हो गये हैं.

AITIGA क्या है?

  • यह भारत तथा आसियान के दस सदस्य देशों के बीच का एक मुक्त व्यापार समझौता है.
  • यह जनवरी, 2010 से लागू है.
  • इस समझौते के अंतर्गत भारत और आसियान में दोनों क्षेत्रों के बीच होने वाले व्यापार की अधिकतम सामग्रियों पर शुल्क को चरणबद्ध रीति से मिटाने के लिए सहमति बनी है.  
  • आसियान के प्रारम्भिक आँकड़ों से पता चलता है कि 2017-18 में आसियान और भारत के बीच व्यापार 8% बढ़ गया है. 2017 में 73.6 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था जबकि 2018 में 80.8 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ.

समीक्षा आवश्यक क्यों?

  • जब से AITIGA पर हस्ताक्षर हुए तब से भारत और आसियान के बीच के व्यापार में आसियान का पलड़ा भारी होता जा रहा है.
  • नीति आयोग द्वारा कराए गये एक अध्ययन के अनुसार 2011 (5 बिलियन डॉलर) की तुलना में 2017 (10 बिलियन डॉलर) में आसियान के साथ भारत का व्यापार घाटा दुगुना हो गया.
  • इस बढ़ते व्यापार घाटे का एक कारण यह है कि भारत के निर्यातक मुक्त व्यापार समझौते का उपयोग कम करते हैं क्योंकि उन्हें इसके लिए कार्रवाई करने में बहुत अड़चनों का सामना करना पड़ता है.
  • आशा की जाती है कि इस समझौते की समीक्षा हुई तो अधिक सरल और उपभोक्ता के लिए अनुकूल नियम बनेंगे तथा भारत के निर्यातक इसका लाभ अधिक से अधिक उठाने लगेंगे.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices; Public Distribution System objectives, functioning, limitations, revamping; issues of buffer stocks and food security; Technology missions; economics of animal-rearing.

Topic : Fall Armyworm (FAW)

संदर्भ

भारत में सबसे अधिक मकई पैदा करने वाले राज्यों में बिहार का स्थान तीसरा है. पिछले दिनों वहाँ मकई की फसल पर फाल आर्मीवर्म (FAW)  नामक कीड़े का जबरदस्त प्रकोप हुआ.

fall armywarm

FAW क्या है?

FAW फसलों में लगने वाला एक प्रकार का कीड़ा है जो उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के उष्णकटिबंधीय एवं उपोषणकटिबंधीय क्षेत्रों का मूल निवासी है. पहले पहल इसका पता 2016 में अफ्रीकी महादेश में चला था. तब से यह कीड़ा अन्य देशों में फ़ैल चुका है, जैसे – चीन, थाईलैंड, मलेशिया और श्रीलंका में.

भारत में इसका पता पहली बार पिछले वर्ष चला जब इसका प्रकोप कर्नाटक की फसलों में देखा गया. मात्र छह महीने के भीतर-भीतर यह कीड़ा देश के आधे भाग में फ़ैल गया. अभी तक इसके प्रकोप की सूचना जिन राज्यों में चली है, वे हैं – मिजोरम, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल.

जीवन चक्र

इस कीड़े की आयु मात्र 45 दिन की होती है और इतने ही दिनों के अन्दर मादा FAW कीड़ा पत्तों के ऊपर 1,500 से लेकर 2,000 अंडे दे देती है. कैटरपीलर की अवस्था में यह कीड़ा पत्तों, टहनियों और फूलों को खाने लगता है.

यह कितना खतरनाक है?

इसे कीड़े की विशेषता यह है कि यह सब प्रकार के भोजन को ग्रहण कर सकता है. कहने का तात्पर्य यह है कि इससे कोई भी पौधा सुरक्षित नहीं है. बताया जाता है कि यह 80 प्रकार के फसलों को नष्ट कर सकता है. मकई हो चाहे गन्ना इससे कोई बच नहीं सकता. साथ ही यह प्रत्येक रात्रि में 100 किलोमीटर तक उड़ सकता है. इस कारण इसका फैलाव भी आश्चर्यजनक होता है. इसीलिए आधा भारत छह महीने के अन्दर इसकी चपेट में आ गया.

फसलों के उत्पादन पर प्रभाव

अभी तक यह कीड़ा भारत में मकई, ज्वार और गन्नों में ही लगा है जिनमें सबसे अधिक असर मकई पर हुआ है. इन कीड़ों के चलते मकई उत्पादन में 5 लाख टन की कमी आई है जिस कारण सरकार को बाहर से मकई का आयात करना पड़ा. विदित हो कि चावल और गेहूँ के बाद मकई देश का सबसे बड़ा अनाज है. अतः इसे FAW कीड़े से समय रहते बचाना आवश्यक हो गया है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : Sardar Sarovar Dam

संदर्भ

गुजरात में स्थित सरदार सरोवर बांध के जल्ला क्षेत्र (backwaters) में रहने वाले मध्य प्रदेश के अनेक किसानों का विस्थापन हो चुका है और आगे भी विस्थापन होने की संभावना बनी रहती है. मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें सहायता देने का वादा किया है, परन्तु किसान फिर भी आश्वस्त नहीं हैं.

2017 में इस बांध की ऊँचाई बढ़ाकर 138.68 मीटर कर दी गई थी. इस वर्ष सितम्बर 9 तक इसके जल का स्तर 136.04 मीटर तक पहुँच गया है. भारी वर्षा के कारण अक्टूबर 15 तक इस बांध का सम्पूर्ण जलाशय भर सकता है.

Sardar-Sarovar-Dam

बढ़ते जल स्तर के खतरे

  1. मध्य प्रदेश के बरवानी और धार जिलों में बांध के डुब्बा क्षेत्र (submergence area) में जल का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है.
  2. नर्मदा बचाओ आन्दोलन समूह का कहना है कि जब सरदार सरोवर बांध का जलाशय पूरी तरह भर जाएगा तो मध्य प्रदेश के 192 गाँवों में रहने वाले 40,000 परिवार बेघर हो जाएँगे.
  3. इस समस्या के मूल में सरदार सरोवर बांध के लिए बनाई गई परियोजना की कुछ त्रुटियाँ हैं. विश्व बैंक के अनुसार, परियोजना आरम्भ करने के पहले विस्थापन और पुनर्वास तथा पर्यावरण पर इसके पड़ने वाले प्रभाव का नहीं के बराबर मूल्यांकन किया गया था.

विस्थापन से जुड़ी चुनौतियाँ

  1. क्षतिपूर्ति की धनराशि
  2. पानी बढ़ जाने से जहाँ-तहाँ द्वीपों का निर्माण.
  3. भूखंडों और पुनर्वास स्थलों की अपर्याप्त संख्या.
  4. भवन बनाने के लिए भूमि का समतलीकरण
  5. कुछ लोगों द्वारा घर के लिए जमीन की जाली रजिस्ट्री का सहारा लेना.
  6. जलाशय पर मछली मारने वाले समुदाय का अधिकार.
  7. गुजरात में पुनर्वासित विस्थापितों के मामले.
  8. पुनर्वास स्थलों में जिन किसानों की जमीन गई है, उनकी समस्याएँ

सरदार सरोवर बांध से जुड़े मुख्य तथ्य

  1. इस बाहुबली डैम को बनाने में 86.20 लाख cubic meter कंक्रीट का इस्तेमाल हुआ है.
  2. बांध की ऊँचाई 138.68 मीटर है.
  3. बांध की लम्बाई 1,210 मीटर है.
  4. सरदार सरोवर बांध की 4.73 मिलियन क्यूबिक जल भंडारण की क्षमता है.
  5. इस बांध से 6 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा.
  6. शुरुआत में इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 6400 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है.
  7. बांध के 30 दरवाज़े हैं. हर दरवाज़े का वजन 450 टन है और हर दरवाज़े को बंद करने में 1 घंटे का समय लगता है.
  8. सरदार सरोवर बांध के जरिये अब तक 16,000 करोड़ की कमाई हो चुकी है जो इसके structure पर हुए खर्च से करीब दोगुना है.
  9. कंक्रीट के इस्तेमाल के लिहाज़ से यह बांध दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है.
  10. अमेरिका का ग्रैंड कुली बांध (Grand Coulee Dam) दुनिया का सबसे बड़ा बांध है.
  11. भाखड़ा और लखवार के बाद यह बांध भारत का तीसरा ऊंचा बांध है.
  12. पानी छोड़ने की क्षमता के मामले में सरदार सरोवर बांध पूरी दुनिया में तीसरे नंबर पर है.

सरदार सरोवर डैम के फायदे

  • बांध से गुजरात के 15 जिलों की 45 लाख hectare भूमि की सिंचाई होगी जिससे 3137 गावों को फायदा होगा.
  • राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र को इस बांध से फायदा पहुँचेगा.
  • बांध से मिलने वाली बिजली का सबसे अधिक 57% हिस्सा मध्य प्रदेश को मिलेगा.
  • सरदार सरोवर बांध से महाराष्ट्र को 27%, गुजरात को 16% बिजली मिलेगी.
  • राजस्थान को इस बांध से सिर्फ पानी मिलेगा.
  • इस बांध से एक बहुत बड़े क्षेत्र में सिंचाई और पीने के लिए पानी की व्यवस्था होगी.
  • सरदार सरोवर डैम के जरिये गुजरात में 45 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 2.46 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 73 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी.
  • यदि यह बांध नहीं बनता तो नर्मदा का फ़ालतू पानी सीधे समुद्र में चला जाता. अब इस पानी का उपयोग गुजरात के उन गाँवों और शहरों के लिए हो सकता है जहाँ पानी की कमी रहती है.
  • इस परियोजना से आरम्भ से लेकर इसकी समाप्ति तक लगभग दस लाखों लोगों को आजीविका मिलेगी.
  • इस बांध से जुड़े हुए सम्पूर्ण भूभाग के अन्दर 30,000 हेक्टेयर की भूमि ऐसी है जहाँ बाढ़ का खतरा बना रहता है. यह बांध इस क्षेत्र को बाढ़ से बचाएगा.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Single-use plastic ban

संदर्भ

भारत में अक्टूबर 2, 2019 से एकल उपयोग में आने वाली प्लास्टिक सामग्रियों पर प्रतिबंध लग जाएगा.

single use plastic formula

एकल उपयोग वाले प्लास्टिक क्या हैं?

प्लास्टिक की वे सामग्रियाँ जिनका एक बार ही उपयोग होता है उन्हें एकल प्रयोग वाला प्लास्टिक कहा जाता है, जैसे – थैलियाँ, कप, प्लेट, खाने-पीने के बर्तन, सींक और थर्मोकोल उत्पाद. वस्तुतः ऐसी सामग्रियों की अभी तक कोई निश्चित परिभाषा नहीं की गई है जिस कारण उन पर लगाया हुआ प्रतिबंध इतना सफल नहीं हो पाता है.

अलग-अलग सरकारों में इसके लिए अलग-अलग परिभाषा प्रचलित है. तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने प्लास्टिक की बोतलों, टैट्रा पैकों, सींकों, चाय के कपों, बर्तनों आदि पर रोक लगाई गई है. परन्तु बिहार ने मात्र पोलीथिन थैलियों को ही प्रतिबंधित किया है.

प्रतिबंध आवश्यक क्यों?

प्लास्टिक के प्रदूषण और प्लास्टिक के कचरे के प्रबंधन आज चिंता के विषय बने हुए हैं क्योंकि इनका प्रत्यक्ष प्रभाव जलवायु और पर्यावरण पर पड़ता है. विश्व-भर में प्रतिवर्ष लाखों टन प्लास्टिक उत्पादित हो रहे हैं जो जैविक रीति से नाशवान नहीं होते. इसलिए विश्व-भर में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को बंद करने के लिए रणनीतियाँ अपनाई और लागू की जा रही हैं.

प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिए भारत द्वारा किये गये प्रयास

  • अभी तक प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए भारत के 22 राज्यों और संघीय क्षेत्रों ने कमर कस ली है. इसके लिए उन्होंने प्लास्टिक के एकल प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है.
  • हाल ही में पुडुचेरी ने मार्च 1, 2019 से एकल प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है.
  • इन सभी प्रयासों के सकारात्मक परिणाम हुए हैं. उदाहरण के लिए, बेंगलुरु में जहाँ पहले प्रत्येक दिन दो टन प्लास्टिक कचरे जमा होते थे, अब वहाँ 100 किलो से भी कम ऐसे कचरे निकलते हैं.
  • लोगों ने स्वेच्छा इस दिशा में काम किये हैं, जैसे – प्लास्टिक कचरा कम करना, प्लास्टिक की चीजों को फिर से उपयोग में लाना और कचरे को छाँटना आदि.
  • प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिए किये गये भारत के संकल्प को Beat Plastic Pollution नाम से जाना जाता है जिसको विश्व-भर में सराहना मिली है. विदित हो कि विगत वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत ने यह संकल्प लिया था कि वह 2022 तक एकल प्रयोग वाले प्लास्टिक का पूर्ण उन्मूलन कर देगा.

चुनौतियाँ

  • अभी भी भोज्य पदार्थों, प्रसाधनों और दैनंदिन की सामग्रियों तथा साथ-ही ऑनलाइन प्रतिष्ठानों द्वारा भेजी गई सामग्रियों में प्लास्टिक से डिब्बाबंदी का काम चल ही रहा है.
  • यद्यपि प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 में स्पष्ट कहा गया था कि उत्पादक, निर्यातक और ब्रांडों के स्वामी यह सुनिश्चित करें कि पर्यावरण में वे जो प्लास्टिक डालते हैं, उसको वापस ले लेने की व्यवस्था वे अवश्य करें. परन्तु इस दिशा में बहुत कम काम हुआ है.
  • एक ओर जहाँ प्लास्टिक के छोटे-मोटे उत्पादक प्रतिबंध का सामना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इससे बड़ी इकाइयाँ बच कर निकल रही हैं और पहले के समान ही अपना व्यवसाय चला रही हैं.

Prelims Vishesh

Snow leopard :-

  • संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण प्रतिरोध संधि (United Nations Convention to Combat Desertification – UNCCD) के पक्षकारों की 14वीं बैठक में विशेषज्ञों ने यह मन्तव्य दिया है कि यदि हिम तेंदुओं का संरक्षण किया जाए और लोगों की सांस्कृतिक मान्यताओं की रक्षा की जाए तो हिमालय के पारिस्थितिकी तन्त्र में हो रहे भूमि की गुणवत्ता के ह्रास को रोका जा सकता है.
  • ज्ञातव्य है किहिम तेंदुआ IUCN की लाल सूची में संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में दर्ज है.
  • यह प्रजाति CITES की अनुसूची I में सूचीबद्ध है.

What is Cryodrakon Boreas? :-

  • पुरातत्त्ववेताओं ने पिछले दिनों सरीसृपों की एक नई प्रजाति क्रायोड्रेकोन बोरियस (Cryodrakon Boreas) का पता लगाया है.
  • बताया जा रहा है कि यह प्रजाति उड़ने वाले सबसे बड़े पशुओं में एक रही होगी. इसके डैनों का फैलाव 10 मीटर से अधिक था.
  • यह 77 मिलियन वर्ष पहले वर्तमान के पश्चिमी कनाडा में रहा करता था.

India’s second riverine Multi Modal terminal built at Sahibganj in Jharkhand :

  • वाराणसी के पश्चात् राष्ट्रीय जलमार्ग – 1 (गंगा नदी) पर अब झारखंड के साहिबगंज में दूसरा बहुद्देशीय नदी मार्ग टर्मिनल बनाया जा रहा है.
  • यह निर्माण विश्व बैंक संपोषित जलमार्ग विकास परियोजना (JMVP) के अंतर्गत हो रहा है.
  • विदित हो कि प्रयागराज से लेकर हल्दिया तक की गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली को राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 1 घोषित किया गया है.

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