Sansar Daily Current Affairs, 18 April 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Western Disturbance
संदर्भ
हाल ही में पश्चिमी विक्षोभ (western disturbance) के कारण देश के कई भागों में भारी वर्षा हुई.
पश्चिमी विक्षोभ क्या है?
पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यरेखा-क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली वह बाह्य- उष्ण कटिबंधीय आंधी है जो जाड़ों में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भागों में अकस्मात् बरसात ले आती है. यह बरसात मानसून की बरसात से भिन्न होती है.
बाह्य-उष्ण कटिबंधीय आंधियाँ (Extratropical storms) विश्व में सब जगह होती हैं. इनमें आर्द्रता सामान्यतः ऊपरी वायुमंडल तक पहुँच जाती है जबकि उष्ण कटिबंधीय आँधियों में आर्द्रता निचले वायुमंडल में बनी रहती है. भारतीय महाद्वीप में जब ऐसी आंधी हिमालय तक जा पहुंचती है तो आर्द्रता कभी-कभी बरसात के रूप में बदल जाती है.
पश्चिमी विक्षोभ का निर्माण
पश्चिमी विक्षोभ एक बाह्य उष्ण कटिबंधीय चक्रवात के रूप में भूमध्यसागर में जन्म लेता है. युक्रेन और आस-पास के क्षेत्र में एक उच्च दाब का क्षेत्र बन जाता है जिसके चलते ध्रुवीय क्षेत्रों से ठंडी हवा तुलनात्मक रूप से स्फ्जोल गर्म और उच्च आर्द्रतायुक्त हवा वाले क्षेत्र की ओर दौड़ पड़ती है.
फलस्वरूप ऊपरी वायुमंडल में चक्रवात उत्पन्न (cyclogenesis) करने के लिए एक उपयुक्त स्थिति बन जाती है जिस कारण पूर्व की दिशा की ओर बढ़ता हुआ एक दाब का निर्माण होता है. यह दाब धीरे-धीरे मध्य-पूर्व से बढ़ता हुआ और ईरान, अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान होता हुआ भारतीय महाद्वीप में प्रवेश कर जाता है.
प्रभाव
- पश्चिमी विक्षोभ भारतीय उपमहाद्वीप के निचले क्षेत्रों में हल्की से भारी वर्षा और पहाड़ी क्षेत्रों में भारी हिमपात लाने में सहायक होता है.
- जब पश्चिमी विक्षोभ आता है तो आकाश में बादल छा जाते हैं और रात का तापमान बढ़ जाता है और असमय वर्षा होती है. इस वर्षा का खेती के लिए, विशेषकर रबी फसलों के लिए, बड़ा महत्त्व है. इससे गेहूँ को लाभ होता है जो भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण फसल है और जिसका भारत की खाद्य सुरक्षा में बड़ा योगदान है.
- यदि पश्चिमी विक्षोभ से अधिक वर्षा हो गयी तो फसल नष्ट हो सकती है तथा साथ ही भूस्खलन, हिमस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएँ घट सकती हैं. गंगा-यमुना के मैदानों में इससे कभी-कभी ठंडी हवाएं चलनी लगती हैं और घाना कुहासा छा जाता है.
- जब पश्चिमी विक्षोभ मानसून आने के पहले पश्चिमोत्तर भारत की ओर आता है तो कुछ समय के लिए मानसून अपने समय से पहले ही आया हुआ प्रतीत होने लगता है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Exercise ‘SEA VIGIL’
संदर्भ
हाल ही में भारतीय नौसेना ने SEA VIGIL नामक अपना पहला राष्ट्र-स्तरीय तटरक्षा अभ्यास सम्पन्न किया.
- इस अभ्यास में केंद्र और देश के सभी 13 तटवर्ती राज्यों/संघीय क्षेत्रों के समुद्र से जुड़े हितधारकों की भागीदारी के साथ तटरक्षा तन्त्र को एक ही साथ सक्रिय किया गया.
- इस अभ्यास से मिले फीडबैक और उसपर किये गये विचार-विमर्श को राष्ट्रीय समुद्री एवं तटीय सुरक्षा सुदृढ़ीकरण समिति की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : WHO releases guidelines on how countries can use digital health technology
संदर्भ
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में डिजिटल स्वास्थ्य तकनीक के प्रयोग के विषय में अपने नए सुझाव दिए हैं. इनमें उन विधियों के बारे में बताया गया है जिनके माध्यम से डिजिटल स्वास्थ्य तकनीक मोबाइल फोनों, टेबलेटों और कंप्यूटरों के जरिये उपलब्ध कराया जा सकता है जिससे कि लोगों के स्वास्थ्य और उससे जुड़ी आवश्यक सेवाओं में सुधार हो सके.
सुझाव दिया गया है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए स्वास्थ्य सेवा देने वाले कर्मियों को दिशानिर्देश के लिए निर्णय-समर्थन साधन उपलब्ध कराना चाहिए. साथ ही व्यक्तियों और स्वास्थ्य कर्मियों को इस योग्य बनाना चाहिए कि वे अलग-अलग जगहों पर अपनी बात भली-भाँति कर सकें और स्वास्थ्य से सम्बंधित विषयों पर परामर्श दे सकें.
मुख्य तथ्य
- आजकल सूचनाएँ अधिक से अधिक उपलब्ध हो जाती हैं. स्वास्थ्य सेवाओं को चाहिए कि वे इन सूचनाओं के परिप्रेक्ष्य में अपनी प्रतिक्रिया देती रहें. लोगों को यह भी आश्वस्त करना होगा कि उनका अपना डाटा सुरक्षित है और स्वास्थ्यकर्मियों ने उनसे स्वास्थ्य से जुड़ी जो संवेदनशील जानकारी (जैसे – यौन एवं प्रजनन के विषय) प्राप्त की है उससे उन्हें कोई खतरा नहीं होगा.
- WHO ने सुझाव दिया है कि प्रशिक्षण के लिए एक सहयोगी वातावरण होना चाहिए तथा साथ ही लोगों की निजता की रक्षा के लिए नीतियाँ बननी चाहिएँ. इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य प्रशासन और समन्वय पर भी बल देना चाहिए.
- नीति निर्माताओं और कार्यान्वयन करने वालों को यह प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए कि वे समय-समय पर स्वास्थ्य सेवा की स्थिति की समीक्षा करें और आवश्यक हो तो उनमें नई परिस्थितियों के अनुसार बदलाव लाएँ.
- टेलीमेडिसिन एक ऐसी सुविधा है जिसके उपयोग से दूरस्थ स्थलों में रहने वाले लोगों को मोबाइल फोन, वेब पोर्टल अथवा डिजिटल उपकरणों के द्वारा स्वास्थ्य सेवा मिल सकती है. आमने-सामने बैठकर किये गये उपचार का यह एक मूल्यवान पूरक उपचार कहला सकता है. परन्तु इससे आमने-सामने बैठकर किये गये उपचार की आवश्यकता पूर्णतः समाप्त नहीं हो जाती. यह भी आवश्यक है कि चिकित्सकीय परामर्श कोई योग्य स्वास्थ्यकर्मी ही दे सकता है और इससे व्यक्ति की निजता का हनन नहीं होता है.
- लोगों को बताया जाना चाहिए कि डिजिटल स्वास्थ्य सेवा से उन्हें कोई खतरा नहीं है.
डिजिटल स्वास्थ्य तकनीक का महत्त्व
डिजिटल स्वास्थ्य तकनीक पूरे विश्व-भर में लगातार पहले से अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है. यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है क्योंकि आज संसार की दो तिहाई जनसंख्या के पास स्मार्ट फ़ोन है. इस तकनीक से दूरस्थता और उपलब्धता की समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं, परन्तु स्वास्थ्य सेवा जुड़ी चुनौतियाँ यथावत् रहती हैं, जैसे – अकुशल प्रबंधन, अपर्याप्त प्रबंधन, अवसंरचना की कमी तथा उपकरणों एवं आपूर्ति का अभाव.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Indian Forest Act amendment
संदर्भ
हाल ही में भारतीय वन अधिनियम, 1927 में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर विवाद चल रहा है. सरकार का कहना है कि ये संशोधन वन संपदा के हित में किये जा रहे हैं, जबकि कुछ लोगों का मन्तव्य है कि इन संशोधनों के चलते वन समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन होगा.
प्रारूप के मुख्य तत्त्व
- संशोधन प्रारूप में वन अधिकारियों को बड़ी शक्तियाँ दी जा रही हैं. वे तलाशी का वारंट निकाल सकते हैं और अपने कार्यक्षेत्र के अन्दर पड़ने वाली भूमि में प्रवेश कर जाँच कर सकते हैं और वन से सम्बंधित अपराधों को रोकने के लिए हथियार का प्रयोग कर सकते हैं. संशोधन वन अधिकारियों को हथियार के प्रयोग करने पर उन्हें क्षमा देने का वादा करता है. ये अधिकारी रेंजर स्तर के नीचे के अधिकारी नहीं होंगे.
- प्रस्तावित संशोधन में वन विकास के लिए सेस (cess) का प्रस्ताव है जो जंगल से बाहर ले जाए जाने वाले खनन उत्पादों और पानी के आकलित मूल्य का 10% तक होगा. यह राशि एक विशेष कोष में जमा की जायेगी और इसका उपयोग मात्र फिर से जंगल लगाने, जंगल की सुरक्षा करने और अन्य प्रासंगिक उद्देश्यों जैसे वृक्ष रोपण, वन विकास एवं संरक्षण पर खर्च की जायेगी.
- प्रारूप में “समुदाय” को इस प्रकार परिभाषित किया गया है – सरकारी प्रलेखों के आधार पर लक्षित व्यक्तियों का वह समूह जो किसी विशेष स्थान में रहता है और जिसका सामान्य सम्पदा संसाधनों पर संयुक्त रूप से अधिकार होता है. इस परिभाषा में नस्ल, धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति का कोई स्थान नहीं है.
- प्रस्तावित संशोधन में वन की परिभाषा इस प्रकार है – किसी भी सरकारी प्रलेख में वन अथवा वनभूमि के रूप में अभिलिखित अथवा अधिसूचित कोई भी सरकारी अथवा निजी अथवा संस्थानगत भूमि तथा समुदाय द्वारा वन एवं मैन्ग्रोव के रूप में प्रबंधित भूमि तथा साथ ही ऐसी कोई भी भूमि जिसे केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार अधिसूचित कर अधिनियम के लिए वन के रूप में घोषित करे.
- भारतीय वन अधिनियम, 1927 की प्रस्तावना में वर्णित था कि अधिनियम मुख्य रूप से उन कानूनों पर केन्द्रित है जो वन उत्पादों के परिवहन और उन पर लगने वाले कर से सम्बंधित हैं. परन्तु प्रस्तावित संशोधन में अधिनियम के लिए मुख्य विचारणीय विषय अब ये हो गये हैं – वन संसाधनों का संरक्षण, संवर्द्धन और सतत प्रबंधन तथा पारिस्थितिकी तन्त्र की सेवाओं की शाश्वत उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरणगत स्थिरता को सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन एवं अंतर्राष्ट्रीय वचनबद्धताओं से सम्बंधित चिंता.
- संशोधन में राज्यों की भूमिका पहले से बड़ी कर दी गई है. अब यदि कोई राज्य यह अनुभव करता है कि वन अधिकार अधिनियम (FRA) के अंतर्गत प्रदत्त किसी अधिकार से संरक्षण के प्रयासों में अड़चन आती है तो वह राज्य ऐसे अधिकार में परिवर्तन कर सकता है और इसके लिए सम्बन्धित व्यक्ति को बदले में धनराशि दे सकता है अथवा भूमि दे सकता है अथवा ऐसा कोई भी कदम उठा सकता है जिससे वन में रहने वाले समुदायों का सामाजिक सन्गठन ज्यों का त्यों बना रहे अथवा ऐसे वन समुदायों को कोई ऐसा नया वन खंड दे सकता है जिसका आकार पर्याप्त हो और जहाँ वनवासी ठीक-ठाक सुविधाओं के साथ रह सकें.
- संशोधन के प्रारूप में वनों की एक नई श्रेणी बनाई गई है – उत्पादन वन. ये वे वन होंगे जहाँ इन वस्तुओं का विशेष रूप से उत्पादन होता है – इमारती लकड़ी, पल्प, पल्प वुड, जलावन, गैर-इमारती वन उत्पाद, औषधीय पौधे अथवा अन्य वन प्रजातियाँ.
भारतीय वन अधिनियम, 1927
- भारतीय वन अधिनियम, 1927 (Indian Forest Act, 1927) मुख्य रूप से ब्रिटिश काल में लागू पहले के कई भारतीय वन अधिनियमों पर आधारित है. इन पुराने अधिनियमों में सबसे प्रसिद्ध था – भारतीय वन अधिनियम, 1878.
- 1878 और 1927 दोनों अधिनियमों में वनाच्छादित क्षेत्र अथवा वह क्षेत्र जहाँ बहुत से वन्य जीव रहते हैं. वहाँ आवाजाही एवं वन-उत्पादों के स्थानान्तरण को नियंत्रित किया गया था. साथ ही इमारती लकड़ी और अन्य वन उत्पादों पर चुंगी लगाए जाने का प्रावधान किया गया था.
- 1927 के अधिनियम में किसी क्षेत्र को आरक्षित वन अथवा सुरक्षित वन अथवा ग्राम वन घोषित करने की प्रक्रिया बताई गई है. 1927 के अधिनियम में यह भी बताया गया है कि वन अपराध क्या है और किसी आरक्षित वन के भीतर कौन-कौन से कार्य वर्जित हैं और अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए कौन-कौन से दंड निर्धारित हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : World heritage day
संदर्भ
प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को पूरे विश्व में विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य समुदायों के बीच धरोहरों के विषय में जागरूकता पैदा करना होता है. इस वर्ष इस समारोह की थीम होगी – “ग्रामीण परिदृश्य”. ज्ञातव्य है कि यह थीम इस वर्ष अक्टूबर में मोरक्को की राजधानी मारकेश में होने वाले ग्रामीण धरोहर से सम्बंधित ICOMOS वैज्ञानिक सिम्फोजियम की थीम से मेल खाती है.
भारत में वैश्विक धरोहर स्थलों की संख्या 37 है जिनमें 29 सांस्कृतिक स्थल हैं, 7 प्राकृतिक स्थल हैं और 1 मिश्रित स्थल है. विदित हो कि धरोहर स्थलों की संख्या के मामले में भारत का विश्व में छठा स्थान है.
विश्व धरोहर स्थल क्या है?
विश्व धरोहर स्थल उस स्थल को कहते हैं जो या तो प्राकृतिक है अथवा मनुष्यकृत है. इसके अतिरिक्त कोई भी ऐसा ढाँचा जिसका अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व है अथवा ऐसी जगह जिसके लिए विशेष सुरक्षा की आवश्यकता है, वह विश्व धरोहर स्थल (world heritage site) कहलाता है.
ऐसे धरोहर स्थलों को संयुक्त राष्ट्र संघ और UNESCO की ओर से औपचारिक मान्यता दी जाती है. UNESCO का विचार है कि विश्व धरोहर स्थल मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण हैं और इनकी सांस्कृतिक एवं भौतिक सार्थकता ही है.
पृष्ठभूमि
1982 में ICOMOS (अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद्) ने 18 अप्रैल को “विश्व धरोहर दिवस” घोषित किया था एवं 1983 में UNESCO की जनरल असेंबली ने इसका अनुमोदन कर दिया था.
ग्रामीण परिदृश्य क्या है?
2017 में ICOMOS की जनरल असेम्बली ने धरोहर के रूप में ग्रामीण परिदृश्य से सम्बंधित सिद्धांतों को अंगीकृत किया था. उस समय ग्रामीण परिदृश्य की परिभाषा इस प्रकार दी गई थी – “भोजन के उत्पादन एवं अन्य अक्षय प्राकृतिक संसाधनों के लिए उपयोग में लाये जाने वाले वैसे धरातलीय और जलीय क्षेत्र जहाँ मानव और प्रकृति का संयोग होता है. इन क्षेत्रों का उपयोग जिन कार्यों के लिए होता है, वे हैं – खेती, पशुपालन, पशुचारण, मत्स्यपालन, एक्वाकल्चर, वानिकी, जंगली भोजन का संग्रहण, आखेट और नमक जैसे संसाधनों का दोहन.”
Prelims Vishesh
‘Raavana-1’ satellite :-
- श्रीलंका ने हाल ही में अपने पहले उपग्रह “रावण – 1” को वर्जिनिया राज्य के पूर्वी तट पर स्थित NASA के अन्तरिक्ष अड्डे से प्रक्षेपित किया है.
- यह उपग्रह 05 किलोग्राम का है और इसकी आयु डेढ़ वर्ष की है.
- यह पृथ्वी की परिक्रमा 6 किमी. प्रति सेकंड की गति से एक दिन में 15 बार करेगा.
- यह श्रीलंका और आस-पास के देशों के छायाचित्र खींचेगा.
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