Sansar Daily Current Affairs, 18 December 2020
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Post-independence consolidation and reorganization within the country.
Topic : Victory Day 2020
संदर्भ
वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों के विजय, जिसे ‘बांग्लादेश मुक्ति संग्राम’ के नाम से भी जाना जाता है, की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 16 दिसंबर को भारत में विजय दिवस मनाया जाता है.
भारत-पाकिस्तान युद्ध का प्रारम्भ 3 दिसंबर, 1971 को हुई और यह 16 दिसंबर, 1971 को समाप्त हुआ था. यह सबसे कम समय (13 दिनों) तक चलने वाली लड़ाईयों में से एक थी, परन्तु इसमें होने वाले आत्मसमर्पण को विश्व इतिहास के प्रमुख आत्मसमर्पणों में से एक माना जाता है.
बांग्लादेश के निर्माण में भारत की भूमिका
13 दिवसीय भारत-पाक युद्ध की शुरुआत पूर्वी पाकिस्तान में इस्लामाबाद सरकार के खिलाफ विद्रोह छिड़ने के साथ हुई थी.
- मार्च 1971 से पाकिस्तानी बलों द्वारा बंगाली आबादी के नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर क्रूर कार्रवाईयां की जा रही थीं, जिसका बंगाली राष्ट्रवादियों द्वारा मुकाबला किया जा रहा था.
- तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बांग्लादेश के निर्माण हेतु महीनों से समर्थन दिया जा रहा था, हालांकि, भारतीय सेना ने 3 दिसंबर को औपचारिक रूप से पाकिस्तान के साथ पूर्ण युद्ध छेड़ दिया.
- जल्द ही, युद्ध समाप्त करने के विदेशी दबाव और नुकसान में होने वाली वृद्धि के कारण इस्लामाबाद को हार मानने पर विवश हो गया, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई.
मुख्य परिणाम
- पाकिस्तानी सेना का एकतरफा और बिना शर्त आत्मसमर्पण और बाद में पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश में विलय.
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहला युद्ध था जिसमें भारत द्वारा निर्णायक रूप से जीत दर्ज की गयी थी.
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एक अन्य विक्ट्री डे
- हर साल 9 मई को रूस विजय दिवस मनाता है और द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को याद करता है.
- विजय दिवस द्वितीय विश्व युद्ध के अंत और 1945 में मित्र देशों की जीत का प्रतीक है.
- जर्मनी के चांसलर और नाजी पार्टी के प्रमुख एडोल्फ हिटलर ने 30 अप्रैल को खुद को गोली मार ली थी. इसके बाद सात मई को जर्मन सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था. जिसे अगले दिन औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया, जो नौ मई से प्रभाव में आया.
- हालांकि अधिकांश यूरोपीय देशों में इसे 8 मई को मनाया जाता है.
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Role of women and women’s organization, population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.
Topic : The Landless women: Only 12.9% Indian women hold agricultural land
संदर्भ
हाल ही में सेंटर फॉर लैंड गवर्नेंस (Centre for Land Governance) द्वारा निर्गत सूचकांक में दर्शाया गया है कि मात्र 12.97% भारतीय महिलाओं को ही कृषि भूमि से संबंधित स्वामित्व अधिकार प्राप्त हैं. विदित हो कि सेंटर फॉर लैंड गवर्नेंस एक निजी कंसल्टेंसी फर्म है. इस सूचकांक में प्रतिशत अंकों में महिलाओं के भू-स्वामित्व अधिकार के संदर्भ में राज्यों को रैंकिंग प्रदान की जाती है.
सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष
- महिलाओं को भू-स्वामित्व अधिकार प्रदान करने के संदर्भ में लक्षद्वीप और मेघालय राज्यों का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा है; जबकि पंजाब एवं पश्चिम बंगाल का प्रदर्शन सर्वाधिक निम्नस्तरीय रहा है.
- दक्षिणी राज्यों में 15.4% और उत्तर पूर्व में 14.1% महिलाओं को भू-स्वामित्व प्राप्त हैं. इतने कम आंकड़ों के बावजूद, इन राज्यों ने उत्तरी राज्यों (9.8%) और पूर्वी राज्यों (9.2%) से बेहतर प्रदर्शन किया है.
कृषि में महिलाएँ
- कृषि श्रम शक्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 32% है, जबकि कृषि उत्पादन में इनकी हिस्सेदारी 55-66% रही है.
- पुरुषों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास में वृद्धि के कारण, कृषि क्षेत्र में महिला संलग्नता में बढ़ोत्तरी हुई है. इस क्षेत्र में वे कृषक, उद्यमी और श्रमिक जैसी विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निष्पादन कर रही हैं.
महिलाओं के स्वामित्व अधिकारों की बढ़ोतरी से होने वाले लाभ
- यह महिलाओं में सुरक्षा व आत्मविश्वास की भावनाओं को बढ़ावा देगा. इसके अतिरिक्त, यह महिलाओं में अपना पक्ष/मत रखने की शक्ति और सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ाता है.
- इससे महिलाओं की जीवन-स्थिति में सुधार होगा, पोषण और खाद्य संप्रभुता सुनिश्चित होगी तथा बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा को प्राप्त किया जा सकेगा.
- ज्ञातव्य है कि जब महिलाओं को उनके द्वारा कृष्ट भूमि पर कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं होता है तो वे संसाधन, उत्पादन प्रक्रिया और आय पर नियंत्रण से वंचित हो जाती हैं. इसके अतिरिक्त, यह उन्हें कृषि से संबंधित योजनाओं हेतु ऋण, बीमा, सिंचाई संबंधी लाभ और अन्य अधिकारों से भी वंचित करता है.
GS Paper 2 Source : Business Standard
UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.
Topic : National Lok Adalat
संदर्भ
वर्ष 2020 में आभासी और प्रत्यक्ष रूप (Virtual And Physical Mode) में आयोजित की राष्ट्रीय लोक अदालत (National Lok Adalat) के माध्यम से 10 लाख से अधिक मामले निपटाए गए हैं.
प्रमुख बिन्दु
- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) के तत्वावधान में वर्ष 2020 की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का 12 दिसम्बर, 2020 को वर्चुअल और प्रत्यक्ष रूप में आयोजन किया गया. कोविड-19 महामारी को देखते हुए दिनभर चलने वाली इस लोक अदालत के आयोजन के दौरान सभी एसएलएसए(State Legal Services Authority- SLSAs) और डीएलएसए (District Legal Services Authority- DLSAs) ने आवश्यक सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से अनुपालन किया गया.
- राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित करने के लिए 31 एसएलएसए द्वारा कुल मिलाकर 8152 खंडपीठों का गठन किया गया था. इस लोक अदालत में 10,42,816 मामलों का सफलतापूर्वक निपटान किया गया. निपटान किए गए मामलों में कुल 5,60,310 मामले प्री-लिटिगेशन (pre-litigation) चरण के थे और 4,82,506 मामले ऐसे थे जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित थे.
- एनएएलएसए पोर्टल (NALSA portal) पर राज्यों द्वारा उपलब्ध किए गए विवरण के अनुसार कुल निपटान राशि लगभग 3227.99 करोड़ रुपये थी.
- उपरोक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में श्रम विवाद, धन वसूली, भूमि अधिग्रहण, वैवाहिक विवाद (तलाक को छोड़कर), वेतन, भत्तों और सेवानिवृत्ति आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई.
लोक अदालत क्या हैं?
लोक अदालतें ऐसे मंच या फोरम हैं जहाँ न्यायालय में लंबित या मुकदमे के रूप में दाखिल नहीं किये गए मामलों का सौहार्द्रपूर्ण तरीके से निपटारा किया जाता है. यह सामान्य न्यायालयों से अलग होता है, क्योंकि यहाँ विवादित पक्षों के बीच परस्पर समझौते के माध्यम से विवादों का समाधान किया जाता है.
लोक अदालत की स्थापना का विचार सर्वप्रथम भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी.एन.भगवती द्वारा दिया गया था. सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन 1982 में गुजरात में किया गया था. 2002 से लोक अदालतों को स्थायी बना दिया गया.
लोक अदालतों में सभी दीवानी मामले, वैवाहिक विवाद, नागरिक मामले, भूमि विवाद, मज़दूर विवाद, संपत्ति बँटवारे संबंधी विवाद, बीमा और बिजली संबंधी आदि विवादों का निपटारा किया जाता है. विधि के तहत ऐसे अपराध जिनमें राजीनामा नहीं हो सकता तथा ऐसे मामले जहाँ संपत्ति का मूल्य एक करोड़ रुपए से अधिक है, का निपटारा लोक अदालतों में नहीं हो सकता.
लाभ
- न्यायिक सेवा अधिकारियों द्वारा आयोजित लोक अदालतें (राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय) वैकल्पिक विवाद समाधान का तरीका है, जिसमें मुकदमाबाजी से पहले के और अदालतों में लंबित मामलों को मैत्रीपूर्ण आधार पर सुलझाया जाता है. इसमें मुकदमे का खर्च नहीं होता. यह नि:शुल्क है. मुकदमे से संबंधित पक्षों को तेजी से एक राय पर लाया जाता है.
- इससे दोनों पक्ष कठिन न्यायिक प्रणाली के बोझ से छुटकारा मिलता है. इस प्रणाली में समय की खपत होती है. यह जटिल और खर्चीली है. लोक अदालतें न्यायालय के बकाये मामलों के बोझ को कम करती है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Science and Technology.
Topic : 3-D Printing
संदर्भ
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 3-D मुद्रण नीति की योजना बना रहा है. यह नीति 3-D मुद्रण और योज्य (additive) विनिर्माण के डिजाइन, विकास एवं उपयोग के लिए अनुकूल परिवेश विकसित करने में सहायता करेगी.
वैश्विक स्तर पर 3D मुद्रण और योज्य विनिर्माण का बाजार वर्ष 2024 तक 34.8 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है.
यह नीति एक औद्योगिक पैमाने पर 3-D मुद्रण को बढ़ावा देगी और घरेलू कंपनियों को “तकनीकी और आर्थिक बाघाओं का निवारण करने” में मदद करेगी. इससे ये कंपनियां अमेरिका और चीन जैसे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों के लिए सहायक व अनुषंगी सुविधाओं का निर्माण कर सकेंगी.
त्रि-आयामी मुद्रण
- 3-D मुद्रण या योज्य विनिर्माण में वस्तुओं के आद्यरूप व क्रियाशील प्रतिरूपों के सृजन हेतु कप्यूटर सहायक डिजाइनिंग का प्रयोग किया जाता है.
- इस प्रक्रिया में प्लास्टिक, रेजिन, थर्मोप्लास्टिक, धातु, फाइबर व मृत्तिका जैसे पदार्थों की क्रमिक परतों का निर्माण किया जाता है.
- सॉफ्टवेयर की सहायता से मुद्रित किया जाने वाला प्रतिरूप सर्वप्रथम कंप्यूटर द्वारा विकसित किया जाता है. इसके उपरांत यह 3-D प्रिंटर को निर्देश देता है.
- 3-D मुद्रण सब्ट्रैक्टिव (पारंपरिक) विनिर्माण के विपरीत है, जिसमें एक मिलिंग मशीन से धातु या प्लास्टिक के टुकड़े को काटा, खोखला किया जाता है.
- ऐसे उत्पादों के लिए अनुप्रयोग क्षेत्र: चिकित्सा और संबद्ध क्षेत्र ऑटो और सहायक ऑटो व मोटर स्पेयर पार्ट्स व्यवसाय, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स आदि.
मेरी राय – मेंस के लिए
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सदैव ही समाज के लिये विकास का अंग रहे हैं, जो आमतौर पर सभ्यता से संबद्ध है. इसके माध्यम से बौद्धिक एवं वैज्ञानिक उन्नयन को संस्कृति के रूप में व्यक्त किया जाता है. भारत ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रयोग से विभिन क्षेत्रों में जैसे: शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, व्यापार, संचार आदि में उल्लेखनीय प्रगति की है, इन्हें निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता हैः
शिक्षा के क्षेत्र में
प्राचीन काल में शिक्षा के साधन सीमित थे तथा शिक्षा परंपरागत तरीकों से प्रदान की जाती थी, लेकिन वर्तमान संदर्भ में दूरदर्शन, कंप्यूटर, इंटरनेट तथा उपग्रह प्रणाली के आविष्कार हो जाने से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है. इंटरनेट जैसे माध्यम के विकसित हो जाने से हम घर बैठे किसी भी क्षेत्र में, जैसे- वैज्ञानिक अनुसंधान तथा शैक्षणिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. कप्यूटर तथा कैलकुलेटर जैसे उपकरण विकसित हो जाने से हम गणित के कठिन प्रश्नों को सीमित समय में हल कर सकते हैं.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में
स्वास्थ्य के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से प्रयोग होने लगा है. इसके माध्यम से औषधियों एवं टीके की खोज की जाने लगी, जिससे हमें अनेक खतरनाक रोगों (स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, चेचक) से छुटकारा मिल रहा है. वर्तमान में शरीर की स्कैनिंग, माइक्रो सर्जरी, टेलीमेडिसिन तथा ऑनलाइन तरीके से देश-विदेश से चिकित्सा परामर्श जैसी सुविधाएँ मिली हैं. जीव विज्ञान कौ एक महत्त्वपूर्ण खोज ज्यूमन जीनोम परियोजना के कारण अनेक आनुवंशिक रोगों के इलाज की संभावनाएँ बढ़ गई हैं.
कृषि के क्षेत्र में
कृषि के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के द्वारा विभिन्न फसलों की अधिक उपज देने वाली प्रजातियों का विकास, मृदा एवं जल प्रबंधन, जैव उर्वरकों का अधिकाधिक प्रयोग, फसल सुरक्षा, कीटनाशक रसायनों का प्रयोग आदि में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.
उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में
प्राचान समय से भारत में हस्तशिल्प प्रमुख उद्योग था. उस समय इस उद्योग में किसी भी प्रकार की प्रौद्योगिकी की आवश्यकता नहीं थी. लेकिन जैसे-जैसे देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई बैसे-वैसे औद्योगिक क्षेत्र में वृद्धि होती गई. आज देश में बड़ी-बड़ी मशीनों के प्रयोग से कम-से-कम लागत पर अधिक से अधिक उत्पादन किया जा रहा है. वर्तमान में सड़क परिवहन के विकास से व्यापार के क्षेत्र को बढ़ावा मिल रहा है. आज देश में 50% से अधिक व्यापार कंप्यूटर के द्वारा होने लगा है. इसके अलावा ई-कॉमर्स ने व्यापार के क्षेत्र को नया आयाम प्रदान किया है.
Prelims Vishesh
Green Ammonia :-
- सरकार ने आयात निर्भरता को कम करने के लिए ग्रीन अमोनिया परियोजनाओं की स्थापना हेतु बोलियां (bids) आमंत्रित करने की योजना बनाई है.
- ग्रीन अमोनिया, उस अमोनिया को संदर्भित करता है, जिसे 100% नवीकरणीय और कार्बन-मुक्त प्रक्रिया के माध्यम से उत्पादित किया जाता है.
- यह हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए प्राकृतिक गैस या कोयले की बजाय नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करता है. इसलिए, यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का एक प्रभावी तरीका है.
- अमोनिया एक तीव्र गंध वाली गैस होती है, जिसका व्यापक रूप से कृषि उर्वरकों के निर्माण में उपयोग किया जाता है. इसका भंडारण और परिवहन सरल व लागत प्रभावी होता है.
Hump-backed mahseer :-
- यह ताजे जल की एक बड़ी मछली है और कावेरी नदी बेसिन क्षेत्र में स्थानिक जीव है. इसे “टाइगर ऑफ द वाटर’ के रूप में भी जाना जाता है.
- कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरी पहाड़ी से होता है. यहां से यह तमिलनाडु से प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है.
- मत्स्यन की विनाशकारी विधियाँ, बांधों का निर्माण जिनसे नदी प्रवाह की दर में कमी होती है, जल का अति-दोहन और प्रदूषण.
- IUCN वर्गीकरण: क्रिटिक्ली इन्डैन्जर्ड.
- भारत में अन्य गंभीर रूप से संकटग्रस्त जलीय प्रजातियाँ हैं: गंगा शार्क, पॉन्डिचेरी शार्क, लार्जटूथ सॉफिश इत्यादि.
Project 17A :-
- प्रोजेक्ट 17A कार्यक्रम के तहत, कुल सात जलपोतों (निर्देशित मिसाइल युद्धपोत) को कई अन्य सुधारों के साथ उन्नत स्टील्थ सुविधाओं, उन्नत स्वदेशी हथियार और सेंसर युक्त बनाया जा रहा है.
- हाल ही में, भारतीय नौसेना के दूसरे प्रोजेक्ट 17A युद्धपोत हिमगिरी का भारत के जलपोत निर्माता गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड द्वारा अनावरण किया गया था.
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