Sansar Daily Current Affairs, 18 February 2022
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना.
Topic : Fundamental Duties
संदर्भ
व्यापक और अच्छी तरह से परिभाषित कानूनों के माध्यम से ‘भारतीय संविधान’ के तहत ‘मूल कर्तव्यों’ (Fundamental Duties) को लागू किए जाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.
शीर्ष अदालत ने इस विषय में केंद्र सरकार और राज्यों से उनकी प्रतिक्रिया माँगी है.
आवश्यकता
सरकार को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए विवश करने के लिए सड़क और रेल मार्गों को अवरुद्ध करके, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में प्रदर्शनकारियों द्वारा विरोध-प्रदर्शन की एक नई अवैध प्रवृत्ति अपनाए के कारण देश में ‘मूल कर्तव्यों’ को लागू करने की आवश्यकता सामने दिखाई देती है.
- नागरिकों को यह याद दिलाना भी आवश्यक है, कि ‘मूल कर्तव्य’ भी संविधान के अंतर्गत ‘मूल अधिकारों’ की तरह ही महत्त्वपूर्ण होते हैं.
- रंगनाथ मिश्रा मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: इस मामले में फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी, कि मूल कर्तव्यों को न केवल कानूनी प्रतिबंधों से बल्कि सामाजिक प्रतिबंधों द्वारा भी लागू किया जाना चाहिए. आखिरकार, अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे से सह-संबंधित होते है.
इस मांग के पीछे तर्क
- याचिका में ‘कर्तव्य’ के महत्त्व पर भगवद् गीता का उल्लेख किया गया है. भगवान कृष्ण अर्जुन का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों / चरणों में कर्तव्यों के महत्त्व पर शिक्षा प्रदान करते हैं.
- याचिका में तत्कालीन सोवियत संविधान का भी उल्लेख किया गया है, जिसमे अधिकारों और कर्तव्यों को एक ही पायदान पर रखा गया था.
- मूल कर्तव्य “राष्ट्र के प्रति सामाजिक जिम्मेदारी की गंभीर भावना” पैदा करते हैं. इसलिए, इन्हें लागू किया जाना चाहिए.
प्रभाव
- मूल कर्तव्यों का प्रवर्तन, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करेगा और उसे अक्षुण्ण बनाए रखेगा.
- मूल कर्तव्य, नागरिकों को देश की रक्षा करने और आवश्यकता पड़ने पर इस प्रकार की राष्ट्रीय सेवा प्रदान करने हेतु तैयार करते हैं.
- मूल कर्तव्य, एक महाशक्ति के रूप में चीन के उदय के बाद भारत की एकता को बनाए रखने हेतु राष्ट्रवाद की भावना का प्रसार करने और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं.
‘मूल कर्तव्य’ (Fundamental Duties)
- स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर वर्ष 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा मौलिक कर्त्तव्यों को संविधान में शामिल किया गया.
- इसके तहत संविधान में एक नए भाग IV को जोड़ा गया. संविधान के इस नए भाग में अनुच्छेद 51 क जोड़ा गया जिसमें 10 मौलिक कर्त्तव्यों को रखा गया था. वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन द्वारा एक और मौलिक कर्त्तव्य को जोड़ा गया-
- संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रीय गान का आदर करें.
- स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखें और उनका पालन करें.
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें तथा उसे अक्षुण्ण रखें.
- देश की रक्षा करें और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें.
- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं.
- हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें.
- प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव आते हैं, रक्षा करें और संवर्द्धन करें त्तथा प्राणीमात्र के लिये दया भाव रखें.
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें.
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें.
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र प्रगति की और निरंतर बढ़ते हुए उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले.
- 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बीच के अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना. यह कर्त्तव्य 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया.
मेरी राय – मेंस के लिए
गैर-प्रवर्तनीय होने के बावजूद भी मौलिक कर्तव्य की अवधारणा भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्रों के लिये महत्त्वपूर्ण है. एक लोकतंत्र को तब तक जीवंत नहीं कहा जाएगा जब तक उसके नागरिक, शासन में सक्रिय भाग लेने और देश के सर्वोत्तम हित के लिये जिम्मेदारियां संभालने हेतु तैयार न हों. अतः संविधान से मौलिक कर्तव्यों की अवधारणा को समाप्त करना बिल्कुल भी भारतीय हित में नहीं है, आवश्यक है कि इसके विभिन्न पहलुओं में सुधार पर चर्चा की जाए और आवश्यक विकल्पों की खोज की जाए.
भारतीय संविधान की विशेषताएँ संविधान के स्रोत GS Paper 2 Source : The Hindu UPSC Syllabus: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय. संदर्भ हाल ही में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना’ (PM CARES for Children scheme) को 28 फरवरी, 2022 तक बढ़ा दिया है. पहले यह योजना 31 दिसम्बर, 2021 तक वैध थी. यह योजना कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और सशक्तीकारण के लिए मई 2021 में शुरू की गई थी. पात्रता इस योजना के प्रमुख बिंदु (नोट: हमने यहां केवल योजना के प्रमुख बिन्दुओं को किया हैं. पूर्ण विवरण के लिए, कृपया देखें) इन उपायों की आवश्यकता GS Paper 2 Source : The Hindu UPSC Syllabus: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान. संदर्भ एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में भारत में मृत्युदंड की सजा पाने वाले कैदियों की संख्या में वर्ष 2016 के बाद से सर्वाधिक वृद्धि हुई. वर्ष 2021 में 488 कैदियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई. मृत्युदंड के पक्ष में तर्क मृत्युदंड से संबंधित प्रमुख निर्णय/प्रावधान हमें यह समझना होगा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसी कोई व्यवस्था निर्मित नहीं की जा सकती जो कि मृत्युदंड से जुड़े सभी नैतिक प्रश्नों का समाधान कर दे. खासकर तौर पर ऐसे देशों में जो गंभीर किस्म के आतंकवाद और हिंसा जैसी समस्याओं से जूझ रहे हों. मौजूदा दौर में यह सहमति बनने लगी है कि यदि मृत्युदंड देना ही हो तो कम-से-कम पीड़ा के साथ दिया जाना चाहिये. इस संदर्भ में कार्बन मोनोऑक्साइड या नाइट्रोजन जैसी गैसों या लेथल इंजेक्शंस के प्रयोग पर विचार किया जा सकता है. अंततः महात्मा गांधी ने कहा है कि ‘नफरत अपराधी से नहीं, अपराध से होनी चाहिये.’ Kuki Tribe :- हाल ही में, केंद्र सरकार ने सभी ‘कुकी उग्रवादी समूहों’ (Kuki militant groups) के साथ शांति वार्ता करने तथा आगामी पांच वर्षों में उनके मुद्दे को सुलझाने का आश्वासन दिया है. एक अलग राज्य की मांग: आज कुकी समुदाय को लगता है, कि अंग्रेजों के सामने कभी न झुकने के बावजूद, उपनिवेशवादियों को उखाड़ फेंकने में उनके योगदान को कभी स्वीकार नहीं किया गया, बल्कि उन्हें भारत की आजादी के बाद भी असुरक्षित छोड़ दिया गया है. Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi January, 2022 Sansar DCA is available Now, Click to Download इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
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