Sansar Daily Current Affairs, 18 July 2020
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Art and Culture.
Topic : Rare Buddha statue found & mindlessly destroyed in Pakistan
संदर्भ
- पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में एक खेत में पाइपलाइन की खोदाई के दौरान गौतम बुद्ध की एक दुर्लभ आदमक़द प्रतिमा मिली.
- मर्दान जिले के तख्तबई तहसील में एक खेत में खुदाई के दौरान मिली इस प्रतिमा को एक स्थानीय मौलवी के आदेश पर नष्ट कर दिया गया है.
- गौरतलब कि खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत का यह तख्तबाई इलाका श्रीलंका, कोरिया और जापान के बौद्ध लोगों के लिए पर्यटन स्थल है क्योंकि यह क्षेत्र उपमहाद्वीप के इतिहास में गांधार सभ्यता की शुरुआती शहरी बसावटों में से एक है.
- खैबर-पख्तूनख्वा का प्राचीन नाम गांधार है और इस क्षेत्र के लिए बौद्ध अनुयायियों के मन में अपार श्रद्धा है. यहाँ प्राचीन काल में बनी गांधार शैली में बुद्ध की कई प्रतिमाएं खुदाई में प्राप्त हुई हैं.
गांधार मूर्तिकला शैली
विदेशी राजा भारतीय कला के उत्साही संरक्षक बन गये और उन्होंने इसके प्रचार-प्रसार में वही उत्साह दिखाया जो नए-नए धर्म परिवर्तन करने वालों में होता है. कुषाण साम्राज्य में विभिन्न पद्धतियों (schools) एवं देशों में प्रशिक्षित राज-मिस्त्रियों और एनी दस्तकारों को एक साथ इकठ्ठा किया गया. भारतीय शिल्पकार यूनानियों और रोम वालों के संपर्क में, विशेषकर भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर गांधार में आये. फलस्वरूप ई.पू. प्रथम शताब्दी में (विशेषकर गांधार में) कला की एक नई शैली का विकास हुआ जिसे गांधार कला या शैली कहते हैं.
गांधार शैली को ग्रीक-बौद्ध शैली भी कहा जाता है. इसका सबसे अधिक विकास कुषाण काल में हुआ. इस काल की विषयवस्तु बौद्ध परम्परा से ली गई थी किन्तु निर्माण का ढंग यूनानी-रोमन था. उदाहरणार्थ बुद्ध के बाल यूनानी रोमन शैली में बनाए गये थे. इस शैली की अनेक मूर्तियाँ काले स्लेटी पत्थर से निर्मित की गई हैं.
गांधार शैली की बौद्ध मूर्तियों में बुद्ध का मुख यूनानी देवता अपोलो से मिलता-जुलता है. मूर्तियों का परिवेश रोमन “टोगा” जैसा है. सन ई. की तीसरी शती में गांधार कला के उदाहरण हद्दा और जौलियन में मिले हैं. ये कला की दृष्टि से बहुत उत्कृष्ट हैं. यही कला हद्दा से बामियान और वहां से चीनी तुर्किस्तान और चीन पहुंची.
गांधार कला मथुरा में भी फैली यद्यपि वह मुख्यतः देशी (या शुद्ध भारतीय) कला का केंद्र था. मथुरा में बुद्ध की सुन्दर मूर्तियाँ बनाई गयीं परन्तु वह कनिष्क के सिरविहीन सीधी खड़ी मूर्ति के लिए भी विख्यात है. उसका नाम उसके निचले भाग पर खड़ा हुआ है.
इस कला का प्रयोग कर बुद्ध तथा बोधिसत्त्वों, बुद्ध की धर्मचक्र मुद्रा, अभय मुद्रा, ध्यान मुद्रा और वरद मुद्रा आदि से सम्बंधित अनेक मूर्तियाँ बनाई गईं.
गांधार तथा मथुरा शैली में अंतर
गांधार तथा मथुरा शैली में एक प्रमुख अंतर है. गांधार शैली के अंतर्गत मूर्तियों में शरीर की आकृति को पूरी तरह यथार्थ रूप में दिखाने का प्रयत्न किया गया है जबकि मथुरा शैली में शरीर को यथार्थ दिखलाने का प्रयत्न नहीं किया गया है अपितु मुखाकृति में आध्यात्मिक सुख और शान्ति व्यक्त की गई है. दूसरे शब्दों में गांधार कला यथार्थवादी है और मथुरा की आदर्शवादी.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Consumer Protection Act, 2019
संदर्भ
20 जुलाई 2020 से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम –2019, सम्पूर्ण देश में प्रभावी हो गया है. इसने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम -1986 को विस्थापित किया है.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के मुख्य तथ्य
- अधिनियम में उपभोक्ता की परिभाषा देते हुए कहा गया है कि उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो मूल्य देकर कोई वस्तु अथवा सेवा खरीदता है. तात्पर्य यह है कि यदि कोई व्यक्ति फिर से बेचने के लिए अथवा वाणिज्यिक उद्देश्य से कोई वस्तु अथवा सेवा हस्तगत करता है तो वह व्यक्ति उपभोक्ता नहीं कहलायेगा.
- अधिनियम में सब प्रकार के लेन-देन को शामिल किया गया है, जैसे – ऑफलाइन, ऑनलाइन, टेली शौपिंग, बहु-स्तरीय विपणन अथवा प्रत्यक्ष विक्रय.
- अधिनियम में उपभोक्ताओं के कुछ मुख्य अधिकार बताये गये हैं : i) जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक वस्तुओं एवं सेवाओं के विपणन से संरक्षण पाना ii) वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, कार्य क्षमता, शुद्धता, मानक तथा मूल्य से सम्बंधित सूचना पाना iii) प्रतिस्पर्धात्मक दामों पर कई प्रकार की वस्तुओं अथवा सेवाओं तक पहुँचना iv) अन्यायपूर्ण अथवा बंधनकारी व्यापार प्रचलनों का समाधान माँगना.
- अधिनियम के अनुसार केंद्र सरकार एक केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) गठित करेगी जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना, सुरक्षित करना और लागू करना होगा. यह प्राधिकरण उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अन्यायपूर्ण व्यापारिक प्रचलनों तथा भ्रामक विज्ञापनों से सम्बंधित विषयों के लिए नियामक निकाय होगा. इस प्राधिकरण में एक अन्वेषण शाखा भी होगी जिसका प्रमुख एक महानिदेशक होगा जो इन उल्लंघनों के विषय में जाँच अथवा विवेचना कर सकेगा.
- असत्य अथवा भ्रामक विज्ञापन के लिए CCPA निर्माता अथवा प्रचारकर्ता को 10 लाख रु. तक का आर्थिक दंड एवं दो वर्षों के कारावास का दंड लगा सकता है. यदि कोई निर्माता अथवा प्रचारकर्ता ऐसा अपराध दुबारा करता है तो उसपर 50 लाख रु. तक का आर्थिक दंड एवं पाँच वर्षों के कारावास का दंड लगाया जा सकता है.
CCPA के कार्य
- उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में जाँच एवं विवेचना करना तथा समुचित मंच पर मुकदमा दायर करना.
- हानिकारक वस्तुओं या सेवाओं को वापस करने और चुकाए गये मूल्य को लौटाने के विषय में आदेश निर्गत करना एवं अधिनियम में परिभाषित अन्यायपूर्ण व्यापरिक प्रथाओं को बंद करना.
- झूठा अथवा भ्रामक विज्ञापन बंद करने अथवा उसमें सुधार करने के लिए सम्बंधित व्यापारी/निर्माता/प्रचारकर्ता/विज्ञापनकर्ता/प्रकाशक को निर्देश निर्गत करना.
- दंड लगाना, एवं
- उपभोक्ताओं को असुरक्षित वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रति सतर्क करने के लिए सूचनाएँ निर्गत करना.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : National Disaster and Management.
Topic : Kaziranga National Park
संदर्भ
असम में आई बाढ़ का विस्तार अब काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान तक पहुँच गया है.
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
- यह लगभग 430 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत हुआ, भारत के असम राज्य में स्थित है.
- यह एक श्रृंगी गैंडे हेतु विश्व प्रसिद्ध है.
- सर्दियों में साइबेरियन प्रवासी पक्षी यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं.
- इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है.
- इसे भारत सरकार द्वारा 2006 में बाघ अभ्यारण्य घोषित किया गया था
राष्ट्रीय उद्यान
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम – 1972 राज्य सरकार को राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने की शक्ति देता है
- पर्याप्त पारिस्थितिकी , जिओमोर्फिकल तथा प्राकृतिक महत्व वाले क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया जाता है.
- केंद्र सरकार भी कतिपय परिस्थितियों में राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर सकती है.
प्रीलिम्स बूस्टर
असम में पाँच राष्ट्रीय पार्क हैं –
- काजीरंगा
- मनसा
- नमेरी
- ओरांग राष्ट्रीय उद्यान
- डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Disaster and disaster management.
Topic : National Disaster Response Fund (NDRF)
संदर्भ
केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के प्रयोजन से आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुसार, किसी व्यक्ति अथवा संस्था से राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (National Disaster Response Fund – NDRF) में अंशदान/अनुदान प्राप्त करने की प्रक्रिया निर्धारित की है. जिसके अनुसार, किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि में अंशदान/अनुदान दिया जा सकता हैं.
NDRF क्या है?
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुभाग 46 में प्रावधान किया गया NDRF केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित एक ऐसा कोष है जिससे आपदा होने पर राहत एवं पुनर्वास के कार्य के लिए धनराशि खर्च की जाती है.
- पहले इस कोष का नाम राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक कोष (NCCF) हुआ करता था. ज्ञातव्य है कि राज्यों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष अलग से उपलब्ध होता है. पैसा कम पड़ जाने पर NDRF उन्हें अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराता है.
NDRF को पैसा कहाँ से आता है?
- NDRF के लिए धन की व्यवस्था बजट में कुछ वस्तुओं पर लगने वाले उत्पाद एवं सीमा शुल्क पर सेस लगाकर की जाती है.
- वर्तमान में एक राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (National Calamity Contingency Duty – NCCD) भी लगाया जा रहा है जिसका पैसा NDRF को जाता है.
- इसके अतिरिक्त आपदा प्रबंधन अधिनियम में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था NDRF को वित्तीय योगदान कर सकता है.
- NDRF के लेखा की जाँच भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) करता है.
राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) क्या है?
- SDRF हर राज्य में गठित हुआ है. इसका गठन 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के अनुसार हुआ है. ज्ञातव्य है कि इसके गठन के लिए 13वें वित्त आयोग ने अनुशंसा की थी.
- इस कोष से राहत कार्य के लिए व्यय से सम्बंधित सभी मामलों में अंतिम निर्णय एक राज्य कार्यकारिणी समिति करती है जिसके प्रमुख मुख्य सचिव होते हैं.
- SDRF के अन्दर आने वाली आपदाएँ हैं – च्रकवात, सूखा, भूकम्प, आगजनी, बाढ़, सुनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, टिड्डी आक्रमण, बर्फीली और ठंडी हवाएँ.
- भारत सरकार SDRF कोष में 75% और 90% योगदान करती है. 75% योगदान सामान्य राज्यों को दिया जाता है और 90% उन राज्यों के लिए जिनको विशेष श्रेणी का दर्जा मिला हुआ है.
- इसके वित्तीय वितरण से संबंधित नोडल एजेंसी वित्त आयोग है, जिसकी सिफारिश से राहत कोष की धनराशि आवंटित की जाती है.
- जब किसी आपदा को “गंभीर प्रकृति की आपदा” के रूप में घोषित किया जाता है जैसा की केरल के मामले में किया गया, तो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (National Disaster Response Fund – NDRF) कोष से अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाती है, अन्यथा SDRF कोष का उपयोग किया जाता है.
सरकार आपदाओं को कैसे वर्गीकृत करती है?
- 10वें वित्त आयोग (1995-2000) ने एक प्रस्ताव की जाँच के आधार पर पाया गया कि एक आपदा की “दुर्लभ गंभीरता को राष्ट्रीय आपदा” तब कहा जाता है, जब यह राज्य की एक-तिहाई आबादी को प्रभावित करती है.
- पैनल ने “दुर्लभ गंभीरता की आपदा” को परिभाषित नहीं किया था, किंतु यह कहा कि दुर्लभ गंभीरता की आपदा को केस-टू-केस आधार पर अन्य बातों के साथ-साथ आपदा की तीव्रता और परिमाण को भी ध्यान में रखना होगा.
- इसमें समस्या से निपटने के लिये राज्य की क्षमता, सहायता और राहत प्रदान करने की योजनाओं के भीतर विकल्प और लचीलेपन की उपलब्धता शामिल है.
- गौरतलब है कि उत्तराखंड और चक्रवात हुदहुद फ्लैश बाढ़ को बाद में “गंभीर प्रकृति” की आपदाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया.
आपदा घोषणा के लाभ
- जब एक आपदा “दुर्लभ गंभीरता”/”गंभीर प्रकृति” के रूप में घोषित की जाती है, तो राज्य सरकार को समर्थन राष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किया जाता है.
- इसके अतिरिक्त केंद्र एनडीआरएफ की सहायता भी प्रदान कर सकता है.
- आपदा राहत निधि (सीआरएफ) को स्थापित किया जा सकता है, यह कोष केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के साझा योगदान पर आधारित होता है.
- इसके अलावा सीआरएफ में संसाधन अपर्याप्त होने की अवस्था में राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक निधि (एनसीसीएफ) से अतिरिक्त सहायता पर भी विचार किया जाता है, जो केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित होती है.
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल
- यह एक विशेषज्ञ दल है, जिसका गठन वर्ष 2006 में किया गया था.
- इसके गठन का उद्देश्य प्राकृतिक और मानवकृत आपदा या खतरे की स्थिति का सामना करने के लिये विशेष प्रयास करना है.
राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति क्या है?
- भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा आने पर राहत उपायों और कार्रवाइयों के समन्वयन और क्रियान्वयन के लिए एक अस्थाई समिति गठित की है जिसे राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति का नाम दिया गया है.
- इस समिति के अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होंगे.
- इस समिति में और कौन-कौन होंगे इसके लिए कृषि सचिव आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध करायेंगे और निर्देश प्राप्त करेंगे.
Prelims Vishesh
Places in News- Azad Pattan hydel power project :-
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) योजना के अंतर्गत पाकिस्तान और चीन ने कुछ विद्युत् परियोजनाओं को पूरा करने के लिए समझौता किया है. इनमें से एक 700MW की परियोजना आजाद पत्तन पनबिजली परियोजना है जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के सुधौती जिले में झेलम नदी पर होगी.
- इस समझौते के अन्दर ये विद्युत् परियोजनाएँ भी होंगी – मुज़फ्फरबाद की 1100MW की कोहाला परियोजना, पाक-अधिकृत कश्मीर और रावलपिंडी जिले की सीमा पर स्थित कारोत पनबिजली स्टेशन.
- गिलगित-बल्तिस्तान में भी दो पनबिजली परियोजनाओं का प्रस्ताव है.
Places in News- Mont Blanc mountain range :-
- सर्वविदित है कि 1966 में जनवरी 24 को एयर इंडिया का यात्री विमान यूरोप के मोंट ब्लांक पर्वतश्रेणी से टकराकर ध्वस्त हो गया था और इस दुर्घटना में 177 लोग मारे गये थे जिनमें भारत के आणविक कार्यक्रम के संस्थापक होमी भाभा भी थे.
- अभी पिछले दिनों माउंट ब्लांक में एक हिमानी के पिघलने से कुछ वस्तुएँ निकलकर समाने आयीं उनमें भारत के कुछ समाचार पत्र भी थे. इन समाचार पत्रों में एक शीर्षक था – “भारत में पहली महिला प्रधानमंत्री”.
- विदित हो कि माउंट एल्ब्रुस के बाद यूरोप का दूसरा उच्चतम पहाड़ मोंट ब्लांक ही है.
- यह आल्प्स श्रेणी का सबसे ऊँचा पहाड़ है. इसे यूरोप की छत भी कहा जाता है.
India’s first trans-shipment hub – Vallarpadam Terminal of Cochin Port,Kerala :-
- भारत में पहली बार एक ऐसा बन्दरगाह बनने वाला है जहाँ सामान के कन्टेनर रखे जायेंगे और फिर समय-समय पर उनके गंतव्य तक भेजने के लिए उन्हें अन्य जहाजों पर लादा जाएगा. ऐसे बंदरगाह को ट्रांस शिपमेंट बंदरगाह कहते हैं.
- यह बंदरगाह कोचीन बंदरगाह के वल्लारपदम टर्मिनल पर बनेगा.
What is milk tea alliance? :-
- थाईलैंड, हांगकांग और ताइवान के नेटवर्क पर लोकतंत्र के प्रति एकजुटता दिखाने वाला एक ऑनलाइन आन्दोलन चल रहा है. इस आन्दोलन को दूध-चाय गठबंधन का नाम दिया गया है.
- यह गठबंधन चीनियों की तरफ से सोशल मीडिया में अधिक से अधिक किये जा रहे ट्रोलों की प्रतिक्रिया में गठित हुआ है.
- इसका दूध-चाय इसलिए पड़ा कि चीन में चाय में दूध नहीं डाली जाती है जबकि थाईलैंड, हांगकांग और ताइवान जैसे देशों में चाय बनाते समय दूध का प्रयोग होता है.
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