Sansar Daily Current Affairs, 18 June 2018
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : NITI Aayog Governing Council
- हाल ही में प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की प्रशासी परिषद् (governing council) की चौथी बैठक की अध्यक्षता की.
- 2015 में भारत सरकार ने योजना आयोग को भंग कर उसकी जगह पर नीति आयोग (National Institution for Transforming India) का गठन किया.
- नीति आयोग के गठन का उद्देश्य था कि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित किया जाए.
- नीति आयोग सभी प्रकार की नीतियों के विषय में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को रणनीतिक एवं तकनीकी सलाह देता है.
- यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अर्थ-नीति से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण विषयों पर अपनी राय देता है.
- यह देश के अन्दर और दूसरे देशों में प्रचलित उत्तम तौर-तरीकों की जानकारी उपलब्ध कराता है.
- नीति आयोग नए आर्थिक विचारों से सरकार को अवगत कराता है.
- इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हुआ करते हैं.
- इसकी प्रशासी परिषद् में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र प्रशाषित क्षेत्रों के उप-राज्यपाल होते हैं.
- में सम्बंधित विषयों के विशेषज्ञ, ज्ञाता, पेशेवर प्रधानमन्त्री द्वारा आमंत्रित किये जाते हैं.
- विशिष्ट कार्यकाल निर्धारित करते हुए विशेष मामलों और एक से अधिक राज्यों से सम्बंधित आवश्यक मुद्दों पर विचार करने के लिए क्षेत्रीय प्राशासी परिषदें (Regional Councils) भी गठित की जाती हैं.
- क्षेत्रीय परिषद् को प्रधानमन्त्री आहूत करते हैं.
- क्षेत्रीय परिषद् नीति आयोग के अध्यक्ष अथवा उनके द्वारा नामित व्यक्ति (nominee) होते हैं.
- नीति आयोग के मुख्यालय में निम्नलिखित व्यक्ति कार्यरत होते हैं –
- उपाध्यक्ष : प्रधानमन्त्री द्वारा नामित
- सदस्य: पूर्णकालिक
- अंश-कालिक सदस्य: अधिकतम दो (शीर्षस्थ विश्वविद्यालय संस्थानों आदि से चयनित). ये सभी पदेन सदस्य होंगे और इनकी नियुक्ति चक्रीय पद्धति (rotational basis) से होगी.
- पदेन सदस्य: प्रधानमन्त्री द्वारा नामित केन्द्रीय मंत्रिमंडल के अधिकतम 4 मंत्री.
- मुख्य प्रशासी अधिकारी: निश्चित कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री द्वारा नामित भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी.
- सचिवालय : जैसा आवश्यक समझा जाए
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Assumption Island
- सेशेल्स के राष्ट्रपति Danny Faure ने भारत के साथ Assumption Island के विकास से सम्बंधित हुए समझौते को रद्द कर दिया है.
- ऐसा उस देश में योजना के राजनैतिक विरोध के कारण हुआ है.
- ज्ञातव्य है कि प्रधानमन्त्री ने 2015 में हिन्द महासागर के तटवर्ती देशों (Indian Ocean Rim – IOR) के देशों की यात्रा से समय “SAGAR” (Security and Growth for All in the Region) नामक कार्यक्रम की घोषणा की थी.
- सेशेल्स का यह निर्णय IOR क्षेत्र में भारत के लिए दूसरा झटका है.
- विदित हो कि इसके पहले इस क्षेत्र के देश मालदीव ने भी भारत को यह कहकर झटका दिया कि वह सामुद्रिक गश्ती के लिए भारत द्वारा दिए गये दो हेलीकॉप्टरों को वापस कर रहा है.
- Assumption Island के विकास के लिए दोनों सरकारों के बीच वार्ता 2003 में शुरू की गई पर उसे औपचारिक रूप 2015 में दिया गया.
- इस विषय में हुए समझौते के अनुसार भारत को 20 वर्षों तक इस द्वीप पर जाने के लिए अनुमति मिलनी थी और साथ ही वह इस अवधि में वह उस द्वीप पर कुछ सैनिक भी रख सकता.
- समझौते के अनुसार Assumption द्वीप का प्रबंधन भारत और सेशेल्स मिल कर करने वाले थे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : SAARC Development Fund
- सार्क के आठों देशों में 80 इकाइयों को धन मुहैया करने के उद्देश्य से थिम्पू (भूटान) – स्थित SAARC Development Fund ने एक कार्यक्रम आरम्भ किया है जिसका नाम सामाजिक उद्यम विकास कार्यक्रम (Social Enterprise Development Programme -SEDP) है
- सामाजिक उद्यम विकास कार्यक्रम के तहत सार्क देशों में प्रतिवर्ष 80 सामजिक उद्यमों को निधि मुहैया कराये जाने का प्रस्ताव है.
- SAARC विकास निधि की स्थापना अप्रैल 2020 में हुई थी.
- इस निधि के लिए 3 windows बनाए गए थे – सामाजिक, आर्थिक और आधारभूत संरचना के windows.
- इसकी अधिशासी परिषद् में सार्क देशों के वित्त मंत्री होते हैं.
- इस निधि का उद्देश्य है –
- सार्क क्षेत्र के लोगों का कल्याण करना
- उनके जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी करना
- सार्क क्षेत्र में आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति एवं दरिद्रता निवारण के कार्यक्रमों को गति प्रदान करना.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Nuclear Suppliers Group (NSG)
- हाल ही में Latvia देश के Jurmala नगर में आणविक आपूर्ति समूह (NSG) की 28वीं सार्वजनिक बैठक संपन्न हुई.
- ऐसा पहली बार हुआ है कि NSG की अध्यक्षता किसी बाल्टिक राज्य ने की हो.
- इसमें भारत के NSG में प्रवेश को लेकर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं हुआ.
- आणविक आपूर्ति समूह (Nuclear Suppliers Group) एक बहुराष्ट्रीय निकाय है जिसका मुख्य उद्देश्य आणविक प्रसार को रोकना है.
- विदित हो कि इसकी स्थापना 1974 में भारत द्वारा आणविक विस्फोट करने पर की गई थी.
- आज की तिथि में इस समूह में 48 सदस्य हैं.
- भारत 2008 से इस समूह का सदस्य बनने के लिए प्रयासरत है. पर हर बार उसके आवेदन को इस आधार पर रद्द कर दिया जाता है कि उसने आणविक अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए.
- ज्ञातव्य है कि इस समूह की सदस्यता के लिए आणविक अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है.
- परन्तु भारत को एक विशेष छूट दे दी गई है कि वह आणविक निर्यातक देशों से व्यापार कर सकता है.
- भारत इस आधार पर NSG का सदस्य बनने का दावा करता है कि उसका आणविक कार्यक्रम शुद्ध रूप से शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए है.
- No First Use Policy के बारे में हमारा Sansar Editorial वाला यह आर्टिकल जरुर पढ़ें >> No First Use Policy
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