Sansar डेली करंट अफेयर्स, 18 May 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 18 May 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.

Topic : National Legal Services Authority (NALSA)

संदर्भ

राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) के अंतरिम प्रतिवेदन के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 9,977 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया.

 प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य

  • कोरोना वायरस के कारणलागू लॉकडाउन के दौरान जेल में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए पिछले डेढ महीने में 42,259 विचाराधीन कैदियों को देश भर की जेलों से रिहा किया गया है.
  • विदित हो कि क्षमता से अधिक भरे जेलों में कोरोना वायरस फैलने का खतरा अधिक था, जिसके मद्देनजर कैदियों को रिहा करने को निर्णय लिया गया.
  • इस दौरान उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 9,977 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया. इसके बाद राजस्थान से 5,460,तमिलनाडु से 4,547, पंजाब से 3,698, महाराष्ट्र से 3,400, मध्य प्रदेश से 2,833, दिल्ली से 2,177, हरियाणा से 1,843, पश्चिम बंगाल से 1,715 और छत्तीसगढ़ से 1,643 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया.
  • प्रतिवेदन के अनुसार उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समितियों के सुझावों के बाद इन विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया है.
  • शीर्ष अदालत ने 23 मार्च को सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को उच्चाधिकार प्राप्त समितियों का गठन करने का निर्देश दिया था, जो कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा करने का निर्णय ले. प्रतिवेदन के अनुसार इस दौरान 16,391 कैदियों को पैरोल आदि पर रिहा किया गया.

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण क्या है?

  • NALSA का पूरा नाम National Legal Services Authority अर्थात् राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण है.
  • इस प्राधिकरण को 1987 में समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सेवा उपलब्ध कराने के लिए गठित किया गया था.
  • भारत का मुख्य न्यायाधीश इसका मुख्य संरक्षक होता है है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है.
  • संविधान के अनुच्छेद 39A अवसर की समानता के आधार पर न्याय को प्रोत्साहन देने के लिये समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहयोग प्रदान करने का प्रावधान करता है.
  • अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 22 (1), विधि के समक्ष समानता सुनिश्चित करने हेतु राज्य को बाध्य करता है.
  • विदित हो कि “न्याय दीप” NALSA का आधिकारिक समाचारपत्र है.

नालसा के कार्य

  • नालसा का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को निःशुल्क और उचित विधिक सेवायें प्रदान करना है.
  • नालसा भारत भर में कानूनी सहायता कार्यक्रम और योजनाएँ लागू करने हेतु राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण पर दिशा-निर्देश निर्गत करता है.
  • मुख्य रूप से राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरण, ज़िला कानूनी सहायता प्राधिकरण, तालुक कानूनी सहायता समितियों आदि को निम्नलिखित कार्य नियमित आधार पर करते रहने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है –
  1. सुपात्र लोगों को मुफ्त कानूनी सहयो प्रदान करना.
  2. विवादों को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से निपटाने के लिये लोक अदालतों का संचालन करना.

GS Paper 2 Source : Down to Earth

down to earth

UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : International Health Regulations

संदर्भ

भारत तथा यूरोपीय संघ के 27 सदस्यों के सहित 58 देशों ने एक संकल्प का प्रारूप रखा है जिसमें कोविड-19 महामारी के प्रति विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रिया की जाँच माँग की गई है. यह संकल्प WHO द्वारा आहूत होने वाली 74वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में विचार के लिए रखा जाएगा.

इस संकल्प में WHO से क्या माँग की गई है?

  • इस संकल्प में कोरोना संकट की “निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक” जांच की मांग की गई है.
  • इसके अलावा डब्ल्यूएचओ के कार्यों की जांच और कोविड-19 महामारी से जुड़ी उसकी समयसीमा की भी जांच की मांग की गई है.
  • 2005 की अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमावली (International Health Regulations, or IHR, 2005) के तंत्र की प्रभाविता की भी जाँच की माँग ह उई है.

अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमावली (IHR) क्या है?

  • यह नियमावली WHO के सभी सदस्य देशों सहित 196 देशों के बीच एक समझौते पर आधारित है.
  • इसमें वैश्विक सुरक्षा के लिए सभी देशों से मिल-जुलकर काम करने का आह्वान किया गया है.
  • IHR के माध्यम से देशों ने इस पर सहमति जताई है कि वे सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी घटनाओं का पता लगाने, उनका मूल्यांकन करने और उन्हें प्रतिवेदित करने की क्षमता बढ़ाएंगे.
  • क्षमता निर्माण में WHO की भूमिका समन्वयन की होती है. IHR के कुछ नियम बन्दरगाहों, हवाई अड्डों आदि स्थलों पर ऐसे विशेष उपायों से सम्बंधित हैं जिनका उद्देश्य पड़ोसी देशों में स्वास्थ्य से सम्बंधित जोखिम के प्रसार को सीमित करना तथा अवांछित यात्रा और व्यापार प्रतिबंध को रोकना है.

COVID-19 से सम्बंधित WHO की प्रतिक्रिया को लेकर आलोचना

  • आरोप है कि WHO ने यह बताने में देर कर दी कि COVID-19 मनुष्य से मनुष्य तक संक्रमित होता है.
  • WHO ने इस संदर्भ में वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के साथ-साथ वैश्विक महामारी के विषय में घोषणा करने में भी देर कर दी थी.
  • फ़रवरी महीने तक WHO इस बात के विरुद्ध था कि चीन जाने पर अन्य देश प्रतिबंध लगाएँ.
  • WHO की इन चूकों के कारण उसकी आलोचना न केवल अमेरिका ने ही की, अपितु कई अन्य देशों ने विरोध प्रकट किया और WHO की प्रतिक्रिया को चीन-केन्द्रित बताया.

आगे की राह

पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया कोरोना वायरस फैलने को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाला पहला देश बना था. हालांकि चीन और अमेरिका इस प्रस्ताव में शामिल नहीं है. यूरोपीय संघ समर्थित इस मसौदे को जापान, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, ब्राजील और कनाडा का समर्थन हासिल है. आशा है कि इस प्रस्ताव पर सभा में व्यापक चर्चा होगी.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effects of policies of other nations.

Topic : India opposes rejoining RCEP over China concerns

संदर्भ

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership –RCEP) में भारत को शामिल करने के लिए चर्चा में भारत को 15 मई तक एक नया प्रस्ताव देना था, परन्तु यह तिथि पार हो गई और भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी अर्थात् भारत अभी भी RCEP में शामिल नहीं होना चाहता था.

RCEP से सम्बंधित कुछ तथ्य

  • RCEP आसियान के दस सदस्य देशों (ब्रुनेई, म्यांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम) तथा आसियान से सम्बद्ध अन्य छ: देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड) के लिए प्रस्तावित है.
  • RCEP के लिए वार्ताएँ कम्बोडिया में नवम्बर 2012 में आयोजित आसियान के शिखर सम्मलेन में औपचारिक रूप आरम्भ की गई थीं.
  • RCEP का लक्ष्य हैअधिकांश शुल्कों और गैर-शुल्क अड़चनों को समाप्त कर वस्तु-व्यापार को बढ़ावा देना. अनुमान है कि ऐसा करने से क्षेत्र के उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर गुणवत्ता युक्त उत्पादनों के अधिक विकल्प प्राप्त हो सकेंगे. इसका एक उद्देश्य निवेश से सम्बंधित मानदंडों को उदार बनाना तथा सेवा व्यापार की बाधाओं को दूर करना भी है.
  • हस्ताक्षरित हो जाने पर RCEP विश्व का सबसे बड़ा निःशुल्क व्यापार हो जायेगा. विदित हो कि इस सम्बद्ध 16 देशों की GDP $50 trillion की है और इन देशों में साढ़े तीन अरब लोग निवास करते हैं.
  • भारत की GDP-PPP $9.5 trillion की है और जनसंख्या एक अरब तीस लाख है. दूसरी ओर चीन की GDP-PPP $23.2 trillion की है और जनसंख्या एक अरब 40 लाख है.

RCEP को लेकर भारत की चिंताएँ

यद्यपि RCEP पर सहमति देने के लिए भारत पर बहुत दबाव पड़ता रहा था, परन्तु अभी तक भारत इससे बच रहा है. इसके कारण निम्नलिखित हैं –

  • ASEANआयात शुल्कों को समाप्त करना चाह रहा है जो भारत के लिए लाभप्रद नहीं होगा क्योंकि इसका एक सीधा अर्थ होगा की चीनी माल बिना शुल्क के भारत में आने लगेंगे. यहाँ के उद्योग को डर है कि ऐसा करने से घरेलू बाजार में गिरावट आएगी क्योंकि चीनी माल अधिक सस्ते पड़ेंगे.
  • भारत का यह भी जोर रहा है कि RCEP समझौते में सेवाओं, जैसे – पेशेवरों को आने-जाने के लिए दी जाने वाली कामकाजी VISA, को भी उचित स्थान दिया जाए. अभी तक सेवाओं से सम्बंधित प्रस्ताव निराशाजनक ही रहे हैं क्योंकि ऐसी स्थिति में कोई भी सदस्य देश सार्थक योगदान करने के लिए तैयार नहीं होगा.
  • भारत में चालू खाता घाटा (current account deficit – CAD) GDP के बहुत नीचे स्तर तक पहुँच गया है. इस स्थिति में यदि RCEP का समझौता अपने वर्तमान स्वरूप में रह जाता है तो इसका अर्थ यह होगा कि भारत को अपने राजस्व के अच्छे-खासे भाग से हाथ धोना पड़ेगा.
  • वर्तमान RCEP चीनी माल की भारत में पहुँच बढ़ा देगा जिस कारण देश के निर्माण प्रक्षेत्र को आघात पहुंचेगा. स्मरणीय है कि 2017-18 में चीन के साथ व्यवसाय में भारत को 63 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा झेलना पड़ा था.
  • आसियान के साथ भी भारत की यही दशा है अर्थात् हम जितना निर्यात करते हैं, उससे अधिक आयात करते हैं. ऐसा इसलिए होता है कि भारत की अर्थव्यवस्था सेवा प्रधान है.
  • RCEP से सम्बद्ध देश कई उत्पादों पर सीमा पार शुल्क घटाने की माँग करते हैं और भारतीय बाजार में ज्यादा पहुँच बनाना चाहते हैं जिसके लिए भारत तैयार नहीं है.
  • भारत अन्य जगहों पर भी मोर्चा हारता हुआ दिख रहा है. ये हैं – सिंगापुर का वित्तीय एवं तकनीकी हब, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के कृषि और दूध उत्पाद, दक्षिण-पूर्व एशिया देशों के प्लांटेशन और चीन और अमेरिका के साथ दवा-व्यापार.
  • विश्व व्यापार संगठन में भारत डिजिटल व्यापार पर चर्चा नहीं होने देता. पर उसका पक्ष कमजोर है क्योंकि ई-कॉमर्स चर्चा का एक अंग है.
  • यदि निवेशों का आना-जाना मुक्त कर दिया जाया तो इसका लाभ बहुत कम भारतीय उठा पायेंगे और दूसरी ओर अमेरिका, सिंगापुर, जापान और चीन के निवेशकों को बहुत लाभ पहुँच सकता है.
  • भारत को चिंता है कि RCEP ऐसे समझौतों का रास्ता खोल सकता है जिनसे TRIPS समझौते के संदर्भ में भारत को हानि पहुँच सकती है. इसका फल यह होगा कि कृषि बीज और दवा निर्माण के मामले में विश्व के बड़े-बड़े प्रतिष्ठान बाजी मार जाएँगे.
  • इस समझौते में 2014 को टैरिफ घटाने के लिए आधार वर्ष रखा जा रहा है जो भारत के हितों के प्रतिकूल प्रतीत होता है.
  • RCEP समझौता भारत के Make in India पहल के लिए हानिकारक समझा जा रहा है.

इसमें चीन की इतनी रूचि क्यों हैं?

चीन वस्तु-निर्यात के मामले में विश्व का अग्रणी देश है. इस बात का लाभ उठाते हुए वह चुपचाप अधिकांश व्यापारिक वस्तुओं पर से शुल्क हटाने की चेष्टा में लगा रहता है और इसके लिए कई देशों पर दबाव बनाता रहता है. उसका बस चले तो व्यापार की 92% वस्तुओं पर से शुल्क समाप्त ही हो जाए. इसलिए चीन RCEP वार्ता-प्रक्रिया में तेजी लाने से और शीघ्र से शीघ्र समझौते को साकार रूप देने में लगा हुआ है.

RCEP के माध्यम से मुक्त एशिया-प्रशांत व्यापार क्षेत्र (Free Trade Area of the Asia-Pacific – FTAAP) स्थापित करने का लक्ष्य है जिसमें 21 देश होंगे. इन देशों में एशिया-प्रशांत देशों के अतिरिक्त अमेरिका और चीन भी हैं, किन्तु भारत नहीं है.

ज्ञातव्य है कि FTAAP की एक अन्य योजना Trans Pacific Partnership से अमेरिका हट गया है. इससे चीन के लिए अपनी पहल को आगे बढ़ाने का रास्ता प्रशस्त हो गया है.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : International Telecommunications Union (ITU)

संदर्भ

प्रत्येक वर्ष की भाँति 17 मई को विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस 2020 मनाया गया. इस वर्ष की थीम थी – सम्पर्क 2030 : सतत विकास लक्ष्यों के लिए सूचना संचार प्रौद्योगिकी (ICT)/ “Connect 2030: ICTs for the Sustainable Development Goals (SDGs).”

पृष्ठभूमि

17 मई 1865 को पहले अंतर्राष्ट्रीय टेलीग्राफ समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union, ITU) की स्थापना हुई थी. इसलिए हर वर्ष 17 मई को विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस मनाया जाता है.

ITU क्या है?

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है जिसका उद्देश्य विश्व-भर में दूरसंचार के संचालन और सेवा का तालमेल करना है. जब इसकी स्थापना 1865 में हुई तो इसका नाम उस समय अंतर्राष्ट्रीय बेतार संघ (International Telegraph Union) था. इस प्रकार यह विश्व का सबसे पुराना अंतर्राष्ट्रीय संगठन है. ITU का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है.

ITU के मुख्य कार्य

  • रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम का आदर्श, न्यायपूर्ण एवं तार्किक उपयोग सुनिश्चित करना.
  • विश्व-भर में संचालित दूरसंचार के लिए मानक तैयार करना.
  • देशों को आंतरिक संचार गतिविधियों को विकसित तथा संधारित करने में सहयोग करना.
  • ITU की अनुसंशाएँ बाध्यकारी नहीं होती हैं, किन्तु अधिकांश देश उनका अनुपालन करते हैं क्योंकि ऐसा करने से अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक संचार का वातावरण प्रभावकारी बना रहता है.

सदस्यता

  • ITU में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश (पलाऊ गणराज्य को छोड़कर) शामिल हैं तथा साथ ही वेटिकन सिटी भी इसका सदस्य है.
  • संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के अतिरिक्त ITU की सदस्यता जिनके लिए खुली हुई है, वे हैं – मालवाहक, उपकरण निर्माता, वित्त प्रदाता निकाय, शोध एवं विकास संगठन तथा अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दूरसंचार से जुड़े हुए निजी संगठन. परन्तु इन सभी निजी क्षेत्र के सदस्यों कोमत का अधिकार नहीं होता है.

ITU के प्रक्षेत्र

ITI के तीन प्रक्षेत्र हैं –

  1. रेडियो संचार (Radiocommunication – ITU-R) – ITU रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के आदर्श, न्यायपूर्ण एवं तर्कपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करता है.
  2. दूरसंचार मानकीकरण (Telecommunication Standardization – ITU-T) – विश्व-भर में संचालित दूरसंचार के मानकीकरण के लिए ITU अनुसंशाएँ तैयार करता है.
  3. दूरसंचार विकास (Telecommunication Development – ITU-D) – ITU विभिन्न देशों को अपने आंतरिक संचार को विकसित एवं संधारित करने में सहायता करता है.

Prelims Vishesh

New GI tags :-

  • पिछले दिनों दो कलाओं को GI टैग दिए गये. इनमें एक है सोहराय खोवर चित्रकला.
  • झारखण्ड के हजारीबाग़ में रहने वाली आदिवासी महिलाओं में इस चित्रकारी का प्रचलन है. इसमें रंगने के लिए विभिन्न रंगों की मिट्टियों का प्रयोग होता है. इस चित्रकारी में ढेर-सारी रेखाएँ, बिन्दु, पशु-पक्षी और पौधे बनाए जाते हैं.
  • दूसरा GI टैग तेलंगाना के तेलिया रुमाल को मिला है. यह रुमाल सूत के करघे से हाथों द्वारा तैयार होता है और इसमें लाल, काले और श्वेत रंगों की भाँति-भाँति की आकृतियाँ होती हैं.

telia_rumal_Sohrai Khovar painting_gi tag

About the Gandhi Peace Prize :-

  • 1995 में स्थापित गांधी शान्ति पुरस्कार के लिए संस्कृति मंत्रालय ने नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि COVID-19 के कारण 30 अप्रैल से बढ़ाकर 15 जून कर दी है.
  • यह वार्षिक सम्मान व्यक्तियों और संस्थाओं को गाँधीवादी पद्धति और अंहिसा के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाने के लिए दिया जाता है.
  • इसमें 1 करोड़ रु. नकद, एक प्रशस्ति पत्र तथा पारम्परिक हथकरघा से निर्मित कोई सुन्दर सामग्री दी जाती है.
  • यह पुरस्कार किसी भी देश के नागरिक को दिया जा सकता है परन्तु इसमें मृत्यु के उपरान्त पुरस्कार नहीं दिया जाता है.
  • पुरस्कार के लिए चयन का काम एक ज्यूरी करती है जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं.

Counselling Helpline ‘Bharosa’ for Central University of Odisha :-

  • भरोसा एक हेल्पलाइन का नाम है जो ओडिशा के केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों को मन्त्रणा देने के लिए बनाई गई है.
  • यह हेल्पलाइन छात्रों को मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक सहायता पहुँचाएगी.

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