Sansar Daily Current Affairs, 18 November 2019
GS Paper 1 Source: PIB
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Lala Lajpat Rai
संदर्भ
पंजाब केसरी नाम से प्रसिद्ध उग्र भारतीय राष्ट्रवादी नेता लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि नवम्बर 17 को मनाई गई.
लाला लाजपत राय से सम्बंधित मुख्य तथ्य
लाला लाजपत राय का जन्म 1865 ई. में पंजाब में हुआ था. उनके पिता स्कूल-इंस्पेक्टर थे. लाला लाजपत बचपन से ही प्रखर बुद्धि के थे. उन्हें प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति से बहुत लगाव था. इसी लगाव के चलते ही उन्होंने प्राचीन विद्या, धर्म और संस्कृति का गहन रूप से अध्ययन किया. वे भी विदेशी शासन के विरोधी थे. उनका राजनीतिक दर्शन दयानंद सरस्वती के दर्शन से प्रभावित था. अपनी शिक्षा ख़त्म कर के वे सक्रिय रूप से राजनीति में संग्लन हो गए.
इतिहास में से लाला लाजपत का स्थान
1888 ई. में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. वे कांग्रेसी के नरमपंथी नेताओं और कांग्रेस की भिक्षा की नीति से काफी असंतुष्ट थे. तिलक के सामान वे भी उग्र राष्ट्रवादिता के हिमायती थी. जल्द ही तिलक और बिपिनचंद्र पाल के साथ उन्होंने अपना उग्रवादी गुट बना लिया जिसे लाल-बाल-पाल (<<Click to read in detail) के नाम से जाना गया. इन लोगोंने कांफ्रेस की शांतिपूर्ण नीतियों का विरोधरंभ किया. फलतः, कांग्रेस के अन्दर नरमपंथियों का प्रभाव कम होने लगा और उग्रवादियों का प्रभाव बढ़ने लगा. बनारस कांग्रेस अधिवेशन (1905 ई.) में उग्रवादियों ने कांग्रेस पंडाल में भी अलग बैठक की. लाजपत राय ने भी इसमें भाग लिया. उन्होंने कहा कि अगर “भारत स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहता है तो उसको भिक्षावृत्ति का परित्याग कर स्वयं अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा.”
इनके विषय में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें > लाला लाजपत राय
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Comparison of the Indian constitutional scheme with that of other countries
Topic : President of Sri Lanka- Election process
संदर्भ
पिछले दिनों श्रीलंका में राष्ट्रपति का चुनाव सम्पन्न हुआ. इस बार राष्ट्रपति के रूप में भूतपूर्व युद्धकालीन रक्षा प्रमुख गोताबाया राजपक्ष का चुनाव हुआ.
श्रीलंका की शासकीय बनावट
श्रीलंका की सरकार एक अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली (semi-presidential system) पर चलती है जिसमें राष्ट्रपति के पास व्यापक कार्यकारी अधिकार होते हैं, किन्तु उसके प्रशासन का कार्य उसी के द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री एवं प्रधानमंत्री के द्वारा गठित मंत्रिमंडल की भागीदारी के साथ चलता है.
राष्ट्रपति की चुनाव की पद्धति
राष्ट्रपति का प्रत्यक्ष चुनाव होता है. चुनाव में मतदाता तीन प्रत्याशियों को रैंकिंग देता है. चुनाव कार्य मात्र दो चक्रों तक चलता है. यदि किसी प्रत्याशी को पहले चक्र में बहुमत नहीं मिलता है तो विजेता घोषित करने के लिए दूसरी और तीसरी प्राथमिकता वाले प्रत्याशियों की गणना करके अंतिम निर्णय लिया जाता है.
राष्ट्रपति पद के लिए पात्रता
- उसे श्रीलंका का नागरिक होना चाहिए.
- उसका नामांकन किसी मान्यता प्राप्त राजीतिक दल अथवा विधायिका के चुने गये सदस्य की ओर से होना चाहिए.
- जो व्यक्ति दो बार राष्ट्रपति चुना गया हो तो वह तीसरी बार इस पद के लिए खड़ा नहीं हो सकता है.
कार्यकाल
श्रीलंका में राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष के लिए होता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Citizenship (Amendment) Bill
संदर्भ
केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का एक नया प्रारूप प्रस्तुत करने जा रही है.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक का वर्तमान स्वरूप
- नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 के द्वारा अवैध आव्रजकों (migrants) की परिभाषा को सरकार बदलना चाह रही है.
- मूल नागरिकता अधिनियम संसद् द्वारा 1955 में पारित हुआ था.
- प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये हुए उन आव्रजकों को ही अवैध आव्रजक माना जाएगा जो हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी अथवा ईसाई नहीं हैं.
- इसके पीछे अवधारणा यह है कि जो व्यक्ति अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक अत्याचार का शिकार होकर भारत आते हैं, उन्हें सरकार नागरिकता देना चाहती है. परन्तु इन देशों से यदि कोई मुसलमान भागकर आता है तो उसे वैध आव्रजक नहीं माना जायेगा.
- मूल अधिनियम के अनुसार वही आव्रजक भारत की स्थाई नागरिकता प्राप्त कर सकता है जो यहाँ लगातार 11 वर्ष से रहा हो.
- संशोधन में इस अवधि को घटाकर 6 वर्ष कर दिया गया है.
नागरिकता अधिनियम 1995 क्या है?
- भारतीय संविधान की धारा 9 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपने मन से किसी दूसरे देश की नागरिकता ले लेता है तो वह भारतीय नागरिक नहीं रह जाता है.
- जनवरी 26, 1950 से लेकर दिसम्बर 10, 1992 की अवधि में विदेश में जन्मा हुआ व्यक्ति भारत का नागरिक तभी हो सकता है यदि उसका पिता उसके जन्म के समय भारत का नागरिक रहा हो.
- जो व्यक्ति दिसम्बर 3, 2004 के बाद विदेश में जन्मा हो, उसे भारत का नागरिक तभी माना जाएगा यदि जन्म के एक वर्ष के अंदर उसके जन्म का पंजीकरण किसी भारतीय वाणिज्य दूतावास (consulate) में कर लिया गया हो.
- नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुभाग 8 के अनुसार यदि कोई वयस्क व्यक्ति घोषणा करके भारतीय नागरिकता त्याग देता है तो वह भारत का नागरिक नहीं रह जाता है.
- मूल अधिनियम के अनुसार, अवैध आव्रजक वह व्यक्ति है जोबिना मान्य पासपोर्ट के भारत में प्रवेश करता है और वीजा की अवधि के समाप्त हो जाने पर भी इस देश में रह जाता है. इसके अतिरिक्त वह व्यक्ति भी अवैध आव्रजक माना जाता है जिसने आव्रजन प्रक्रिया के लिए नकली कागजात जमा किये हों.
- नागरिकता अधिनियम के अनुसार भारत की नागरिकता इन पाँच विधियों से प्राप्त की जा सकती है –
- जन्म
- वंशानुगत क्रम
- पंजीकरण
- प्राकृतिक रूप से नागरिकता
- यदि कोई व्यक्ति जिस देश में रहता है वह देश भारत में मिल जाता है तो.
पूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 पर व्यक्त की गई चिंताएँ
- यह विधेयक असमियों को रास नहीं आ रहा था क्योंकि यह 1985 के असम समझौते के अनुकूल नहीं है क्योंकि समझौते में साफ़ कहा गया था कि मार्च 25, 1971 के बाद बांग्लादेश से राज्य में आने वाले लोगों को वापस भेज दिया जाएगा.
- मिज़ोरम को डर है कि प्रस्तावित अधिनियम का लाभ उठाकर वहाँ बौद्ध समुदाय चकमा और हिन्दू समुदाय हाजोंग के लोग भर जाएँगे.
- मेघालय और नागालैंड को बंगालियों के आव्रजन से परेशानी है.
- अरुणाचल प्रदेश के कुछ समूहों को डर है कि नए नियमों का लाभ चकमा और तिब्बती समुदाय उठा लेंगे.
- मणिपुर चाहता है कि वह अपनी इनर लाइन परमिट सिस्टम के द्वारा बाहरी लोगों को राज्य में आने से रोक दे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Regulation on cooperative banks soon
संदर्भ
संसद के शीतकालीन सत्र में भारत सरकार कुछ कानूनों में संशोधन करते हुए सहकारी संस्थाओं द्वारा चलाई जाने वाली बैंकिंग गतिविधियों को बैंकिंग नियमन अधिनियम के दायरे में लाना चाह रही है.
सरकार की भी यह योजना है कि बैंकों में जमा राशि की बीमा को एक लाख रूपये से अधिक कर दिया जाए.
सहकारी बैंक क्या होते हैं?
सहकारी बैंक वे वित्तीय इकाइयाँ हैं जिनकी स्थापना सहकारिता के आधार पर होती है और जिनका स्वामित्व उनके सदस्यों के पास होता है. तात्पर्य यह कि किसी सहकारी बैंक के ग्राहक ही इसके स्वामी भी होते हैं.
इन बैंकों में नियमित बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के कई प्रकार के काम भी होते हैं.
भारत में सहकारी बैंकों की बनावट
- भारत में सहकारी बैंक दो प्रकार के होते हैं – शहरी और ग्रामीण.
- ग्रामीण सहकारी बैंकों की भी दो श्रेणियाँ होती हैं – अल्पावधि और दीर्घावधि.
- इनमें अल्पावधि सहकारी बैंकों को कई उपश्रेणियों में बाँटा जा सकता है, जैसे – राज्य सहकारिता बैंक, जिला केन्द्रीय सहकारिता बैंक, प्राथमिक कृषि साख सोसाइटियाँ. जहाँ तक दीर्घावधि सहकारी बैंकों की बात है, ये या तो राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक कहलाते हैं अथवा प्राथमिक सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक कहलाते हैं.
- शहरी सहकारिता बैंक दो प्रकार के होते हैं – अनुसूचित अथवा गैर-अनुसूचित. इन दोनों के भी दो प्रकार के होते हैं – बहु-राज्यीय और एक राज्यीय.
सहकारी बैंकों का पर्यवेक्षण कौन करता है?
सहकारिता बैंकों का पंजीकरण राज्य सहकारिता सोसाइटी अधिनियम (States Cooperative Societies Act) के तहत होता है. दो अधिनियमों के अधीन ये बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के नियमन के दायरे में आ जाते हैं. ये अधिनियम हैं – बैंकिंग नियमन अधिनयम, 1949 और बैंकिंग कानून (सहकारिता सोसाइटी) अधिनियम, 1955.
इसके अतिरिक्त 1966 में इन बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक की निगरानी में डाल दिया गया था जिसके पश्चात् इनके नियमन में दुहराव की समस्या आन खड़ी हुई.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.
Topic : Essar Steel verdict
संदर्भ
अपने एक अत्यंत उल्लेखनीय निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने दावों के बँटवारे में उन प्रतिष्ठानों के देनदारों से गठित देनदार समिति (Committee of Creditors) की सर्वोच्चता की पुष्टि की है.
पृष्ठभूमि
गत जुलाई महीने में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने कर्ज में फंसी कंपनी एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिए आर्सेलर मित्तल की 42 हजार करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी दे दी थी. इस प्रकार NCLAT ने दिवालिया कम्पनी के परिसमापन से सम्बंधित दावों के लिए वित्तीय और संचालन से सम्बंधित देनदारों को समान दर्जा प्रदान किया था. ज्ञातव्य है कि एस्सार स्टील के ऊपर 54,547 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है.
NCLAT के इस आदेश से वित्तीय देनदार अप्रसन्न हुए और सर्वोच्च न्यायालय में इस आदेश के विरुद्ध अपील की. उन्होंने दावा किया कि परिसमापन से जो भी राशि आएगी उसपर पहला अधिकार देनदारों का ही होना चाहिए.
आदेश का निहितार्थ
एस्सार स्टील के ऋणशोधन का मामला इस प्रकार के सबसे पुराने मामलों में से एक है. स्मरणीय है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने NCLAT को पहली 12 गंदे प्रतिष्ठानों की सूची भेजी थी उसमें यह मामला भी शामिल था.
सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान आदेश के बाद इस मामले को तार्किक परिणति तक ले जाना सरल हो जाएगा क्योंकि निधि के वितरण में देनदारों को प्राथमिकता मिले या नहीं, यही प्रश्न अब तक सुलझ नहीं पाया था. अब क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि देनदार समिति को ही प्राथमिकता मिलेगी तो एस्सार स्टील जैसे अन्य मामलों के निष्पादन में सहायता मिलेगी.
Prelims Vishesh
Indian Oil develops winter grade diesel for Ladakh :–
- लद्दाख में अत्यंत जाड़ा पड़ने के कारण ईंधन में द्रवशीलता में कमी आने की समस्या होती है.
- इस समस्या से निबटने के लिए भारतीय तेल निगम ने शीतकाल में काम आने वाले डीजल का निर्माण किया है.
- ज्ञातव्य है कि यह नया ईंधन -33 डिग्री सेल्सियस पर भी द्रव की अवस्था में बना रहता है.
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