Sansar डेली करंट अफेयर्स, 18 November 2020

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 18 November 2020


GS Paper 1 Source : PIB

pib_logo

UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.

Topic : Guru Teg Bahadur

संदर्भ

देशभर में हाल ही में गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस मनाया गया.

गुरु तेग बहादुर

  • सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर का शहादत दिवस आज पूरे देश में मनाया जा रहा है. इसी दिन 1675 में, गुरु तेग बहादुर ने धर्म, मानव मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था.
  • नवें गुरु तेग बहादुर(Guru Teg Bahadurको औरंगजेब की दुष्ट प्रकृति का सामना करना पड़ा.  उसने गुरु तेग बहादुर को बंदी बनाकर उनके सामने प्रस्ताव रखा कि या तो इस्लाम धर्म स्वीकार करो अथवा प्राण देने को तैयार हो जाओ. बाद में उनका सिर दुष्ट औरंगजेब ने काट डाला. उनकी शहादत का समस्त सिख सम्प्रदाय, उनके पुत्र और अगले गुरु गोविन्द सिंह पर गंभीर प्रभाव पड़ा.
  • इस्लामिक युग में सिखों के उत्पीड़न ने खालसा की स्थापना को प्रेरित किया जो अंतरात्मा और धर्म की स्वतंत्रता का पंथ है.
  • अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा (जिसका अर्थ है शुद्धपंथ की स्थापना की जो सैनिक-संतों का विशिष्ट समूह था. खालसा प्रतिबद्धता, समर्पण और सामाजिक चेतना के सर्वोच्च सिख गुणों को उजागर करता है.
  • आदि ग्रंथ (पहला प्रतिपादन) को सिख धर्म के पाँचवें गुरु ‘गुरु अर्जुन देव’ द्वारा संकलित किया गया था.
    इस आदि ग्रंथ में सिख धर्म के दसवें गुरु ‘गुरु गोविंद सिंह’ ने अपना कोई भजन नहीं जोड़ा. हालाँकि उन्होंने नौवें सिख गुरु ‘गुरु तेग बहादुर’ के सभी 115 भजनों को जोड़ा और उनके उत्तराधिकारी के रूप में पाठ की पुष्टि की.
  • ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ की रचना मुख्य रूप से 6 सिख गुरुओं (गुरु नानक, गुरु अंगद, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जुन देव एवं गुरु तेग बहादुर) द्वारा की गई थी. पढ़ें : (गुरु नानक की जीवनी)

विस्तार से पढ़ें > Sikh Dharm in Hindi


GS Paper 1 Source : Indian Express

indian_express

UPSC Syllabus :  Salient features of world’s physical geography.

Topic : Tristan da Cunha Island

संदर्भ

हाल ही में दक्षिण अटलांटिक महासागर में स्थित ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप की सरकार ने इस क्षेत्र में पाए जाने वाले रॉकहॉपर पेंगुइन, पीले-नाक वाले अल्बाट्रोस और अन्य वन्यजीव के संरक्षण हेतु लगभग यूनाइटेड किंगडम से तीन गुना बड़े क्षेत्र को मरीन प्रोटेक्टेड एरिया बनाने का निर्णय किया है.

पृष्ठभूमि

ब्रिटेन 2030 तक 30% विश्व महासागर को संरक्षित क्षेत्र के तहत लाने के मार्ग पर अग्रसर है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ट्रिस्टन दा कुन्हा के समुद्री क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है. ब्रिटिश विदेशी क्षेत्र में मरीन संरक्षण को बढ़ावा देने वाले “ब्लू बेल्ट कार्यक्रम” के तहत यू.के. इस संरक्षण क्षेत्र को 27 मिलियन पाउंड ($ 35.5 मिलियन) अनुदान प्रदान कर रहा है.

संबन्धित जानकारी

  • ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप परिषद द्वारा लिया गया यह महत्वाकांक्षी निर्णय स्थानीय नेतृत्व का एक शानदार उदाहरण है.
  • इस निर्णय के अनुसार ट्रिस्टन दा कुन्हा समेत इस द्वीपसमूह के तीन अन्य प्रमुख द्वीपों के चारों ओर 627,247 वर्ग किलोमीटर महासागर में मछली पकड़ने और अन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा.
  • यह मरीन प्रोटेक्टेड एरिया अटलांटिक महासागर में सबसे बड़ा और दुनिया में चौथा सबसे बड़ा “नो-टेक ज़ोन” होगा. इससे यहाँ की मछलियों और उनपर निर्भर करोड़ों पक्षियों की रक्षा की जा सकेगी. आपको बता दे नो-टेक ज़ोन से तात्पर्य ऐसे क्षेत्र से है जहां से किसी भी प्रकार के प्रकृतिक संसाधन का दोहन नहीं किया जा सकता.
  • दक्षिण अफ्रीका और अर्जेंटीना से लगभग समान दूरी पर स्थित इस क्षेत्र मे कई लुप्तप्राय प्रजातियाँ पायी जाती है जिसमे उत्तरी रॉकहॉपर पेंगुइन समेत व्हेल और डॉल्फ़िन की 11 प्रजातियां शामिल है. इसके अलावा यहाँ अंटार्कटिका के बाहर पाये जाने वाले दुनिया के अधिकांश फर युक्त सील पाये जाते हैं.

ब्लू बेल्ट कार्यक्रम

यह कार्यक्रम देश के क्षेत्रों की सुरक्षा करता है. इसका उद्देश्य उनके समुद्री पर्यावरण के सतत प्रबंधन को प्राप्त करना है. इसे 2017 में लॉन्च किया गया था. इसमें ब्रिटिश अंटार्कटिक क्षेत्र और ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र भी शामिल हैं. हालांकि, अंटार्कटिक संधि के अनुसार, क्षेत्र पर दावों को निलंबित कर दिया गया है. विदित हो कि ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र मालदीव से 500 मील की दूरी पर ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र स्थित है. इसमें पांच कोरल एटोल हैं.

अंटार्कटिक संधि

अंटार्कटिक में मानवीय गतिविधियों को अंटार्कटिक संधि द्वारा विनियमित किया जाता है जिसे 1960 में हस्ताक्षरित किया गया था. लगभग 54 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए. यह संधि अंटार्कटिका को एक वैज्ञानिक संरक्षण के रूप में स्थापित करती है और महाद्वीप में सैन्य गतिविधि पर प्रतिबंध लगाती है.

ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप

दक्षिण अटलांटिक महासागर में स्थित ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीपसमूह, ग्रह पर सबसे दूरस्थ निवास स्थान है. इसका निकटतम “पड़ोसी” द्वीपसमूह से 2430 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सेंट हेलेना का द्वीप है, जिसे निर्वासन के स्थान और नेपोलियन बोनापार्ट के जीवन के अंतिम वर्षों के रूप में जाना जाता है. ट्रिस्टन दा कुन्हा में कई द्वीप शामिल हैं – ट्रिस्टन ही, सबसे बड़ा और एकमात्र आबाद द्वीप, नाइटिंगेल द्वीप और दुर्गम द्वीप, गफ और कई छोटे द्वीप हैं.

इतिहासकारों के अनुसार, द्वीपसमूह के द्वीपों को पुर्तगाली नाविक ट्रिस्टाओ दा कुन्हा द्वारा खोजा गया था, हालांकि, वह गंभीर मौसम की स्थिति के कारण कभी भी आश्रय नहीं जा पाए थे. इसके बावजूद, उन्होंने अपने स्वयं के नाम से द्वीप का नाम रखा – ट्रिस्टन दा कुन्हा. द्वीप का पहला बसेरा अमेरिकी जोनाथन लैम्बर्ट था, जो जनवरी 1811 में उतरा था. उसने खुद को द्वीप का शासक बताया और इसका नाम बदलकर “आराम का द्वीप” रख दिया. जब केप ऑफ गुड होप के अंग्रेजी गवर्नर को पता चला कि द्वीप पहले से ही उपनिवेश हो चुका है, तो उन्होंने लैम्बर्ट को इंग्लैंड के एक रक्षक की पेशकश की. लैंबर्ट ने सहमति व्यक्त की और ट्रिस्टन पर ब्रिटिश झंडा उठाया. हालांकि, दो साल बाद, लैम्बर्ट की एक शिपव्रेक में मृत्यु हो गई, और द्वीप को उसके पूर्व नाम से खराब कर दिया गया.

19 वीं सदी की शुरुआत में, द्वीपसमूह महान रणनीतिक महत्व का था और 1816 में इसे ग्रेट ब्रिटेन ने कब्जा कर लिया था, जिसने नेपोलियन की रक्षा के लिए द्वीप पर एक सैन्य चौकी लगाई थी, जिसे सेंट हेलेना पर कैद किया गया था. 1821 में नेपोलियन की मृत्यु हो गई और गैरीसन को केप ऑफ गुड होप में स्थानांतरित कर दिया गया.

आज, ट्रिस्टन दा कुन्हा एक ब्रिटिश विदेशी उपनिवेश है, जो अब तक स्वतंत्रता की मांग नहीं करता था, लेकिन सभी क्योंकि द्वीप के निवासी ग्रेट ब्रिटेन के साथ अपने ऐतिहासिक संबंध को महत्व देते हैं. 


GS Paper 2 Source : The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Important international institutions and groupings.

Topic : India to host G20 summit in 2023

संदर्भ

 2020 के G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी हाल ही में सऊदी अरब ने की थी. इसके बाद के G20 शिखर सम्मेलन 2021 में इटली में, 2022 में इंडोनेशिया, 2023 में भारत और 2024 में ब्राजील में आयोजित किये जायेंगे.

पिछला जी20 शिखर सम्मेलन मार्च 2020 में आयोजित किया गया था. इस शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने में मदद करने के लिए चर्चा की थी.

G20 क्या है?

  • G 20 1999 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जिसमें 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सरकारें और केन्द्रीय बैंक गवर्नर प्रतिभागिता करते हैं.
  • G 20 की अर्थव्यवस्थाएँ सकल विश्व उत्पादन (Gross World Product – GWP) में 85% तथा वैश्विक व्यापार में 80% योगदान करती है.
  • G20 शिखर बैठक का औपचारिक नाम है – वित्तीय बाजारों एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था विषयक शिकार सम्मलेन.
  • G 20 सम्मेलन में विश्व के द्वारा सामना की जा रही समस्याओं पर विचार किया जाता है जिसमें इन सरकारों के प्रमुख शामिल होते हैं. साथ ही उन देशों के वित्त और विदेश मंत्री भी अलग से बैठक करते हैं.
  • G 20 के पास अपना कोई स्थायी कर्मचारी-वृन्द (permanent staff) नहीं होता और इसकी अध्यक्षता प्रतिवर्ष विभिन्न देशों के प्रमुख बदल-बदल कर करते हैं.
  • जिस देश को अध्यक्षता मिलती है वह देश अगले शिखर बैठक के साथ-साथ अन्य छोटी-छोटी बैठकों को आयोजित करने का उत्तरदाई होता है.
  • वे चाहें तो उन देशों को भी उन देशों को भी बैठक में अतिथि के रूप में आमंत्रित कर सकते हैं, जो G20 के सदस्य नहीं हैं.
  • पहला G 20 सम्मेलन बर्लिन में दिसम्बर 1999 को हुआ था जिसके आतिथेय जर्मनी और कनाडा के वित्त मंत्री थे.
  • G-20 के अन्दर ये देश आते हैं –अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका.
  • इसमें यूरोपीय संघ की ओर से यूरोपीय आयोग तथा यूरोपीय केन्द्रीय बैंक प्रतिनिधित्व करते हैं.

G-20 व्युत्पत्ति

1999 में सात देशों के समूह G-7 के वित्त मंत्रियों तथा केन्द्रीय बैंक गवर्नरों की एक बैठक हुई थी. उस बैठक में अनुभव किया गया था कि विश्व की वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के लिए एक बड़ा मंच होना चाहिए जिसमें विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों के मंत्रियों का प्रतिनिधित्व हो. इस प्रकार G-20 का निर्माण हुआ.

इसकी प्रासंगिकता क्या है?

बढ़ते हुए वैश्वीकरण और कई अन्य विषयों के उभरने के साथ-साथ हाल में हुई G20 बैठकों में अब न केवल मैक्रो इकॉनमी और व्यापार पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है, अपितु ऐसे कई वैश्विक विषयों पर भी विचार होता है जिनका विश्व की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जैसे – विकास, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, आतंकवाद की रोकथाम, प्रव्रजन एवं शरणार्थी समस्या.

G-20 के कार्यों को दो भागों में बाँटा जा सकता है –

  • वित्तीय भाग (Finance Track)– वित्तीय भाग के अन्दर G 20 देश समूहों के वित्तीय मंत्री, केंद्रीय बैंक गवर्नर तथा उनके प्रतिनिधि शामिल होते हैं. यह बैठकें वर्ष भर में कई बार होती हैं.
  • शेरपा भाग (Sherpa Track)– शेरपा भाग में G-20 के सम्बंधित मंत्रियों के अतिरिक्त एक शेरपा अथवा दूत भी सम्मिलित होता है. शेरपा का काम है G20 की प्रगति के अनुसार अपने मंत्री और देश प्रमुख अथवा सरकार को कार्योन्मुख करना.

G-20 का विश्व पर प्रभाव

  • G-20 में शामिल देश विश्व के उन सभी महादेशों से आते हैं जहाँ मनुष्य रहते हैं.
  • विश्व के आर्थिक उत्पादन का 85% इन्हीं देशों में होता है.
  • इन देशों में विश्व की जनसंख्या का 2/3 भाग रहता है.
  • यूरोपीय संघ तथा 19 अन्य देशों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 75% हिस्सा है.
  • G 20 कि बैठक में नीति निर्माण के लिए मुख्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी बुलाया जाता है. साथ ही अध्यक्ष के विवेकानुसार कुछ G-20 के बाहर के देश भी आमंत्रित किये जाते हैं.
  • इसके अतिरिक्त सिविल सोसाइटी के अलग-अलग क्षेत्रों के समूहों को नीति-निर्धारण की प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाता है.

निष्कर्ष

G-20 एक महत्त्वपूर्ण मंच है जिसमें ज्वलंत विषयों पर चर्चा की जा सकती है. मात्र एक अथवा दो सदस्यों पर अधिक ध्यान देकर इसके मूल उद्देश्य को खंडित करना उचित नहीं होगा. विदित हो कि इस बैठक का उद्देश्य सतत विकास वित्तीय स्थायित्व को बढ़ावा देना है.  आज विश्व में कई ऐसी चुनौतियाँ उभर रही हैं जिनपर अधिक से अधिक ध्यान देना होगा और सरकारों को इनके विषय में अपना पक्ष रखना होगा. ये चुनौतियाँ हैं – जलवायु परिवर्तन और इसका दुष्प्रभाव, 5-G नेटवर्क के आ जाने से गति और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के बीच संतुलन निर्माण और तकनीक से संचालित आतंकवाद.


GS Paper 3 Source : The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Indigenization of technology.

Topic : Quick Reaction Surface-to-Air Missile (QRSAM) System

संदर्भ

भारत (India) ने चार दिन के भीतर दूसरी बार क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) प्रणाली का सफल परीक्षण किया जिसने हवाई लक्ष्य पर सटीक निशाना साधकर इसे नष्ट कर दिया. यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) से किया गया.

विदित हो कि पहली क्यूआरएसएएम प्रणाली का परीक्षण 13 नवंबर को किया गया था. इस मिसाइल से सीमा पर युद्ध या किसी सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त भारतीय सेना को आसमानी कवर देने में प्रभावी सफलता मिलेगी.

QRSAM

  • हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट से दूर चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से QRSAM का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था.
  • QRSAM एक छोटी दूरी वाली सतह से हवा में मार करने की क्षमता से युक्त मिसाइल प्रणाली है. इसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है. यह शत्रु के हवाई हमलों से सेना की बख्तरबंद संरचनाओं को एक सुरक्षा कवच प्रदान करती है. इसकी मारक क्षमता 25 से 30 किमी है.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

October, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Download

 

Read them too :
[related_posts_by_tax]