Sansar डेली करंट अफेयर्स, 18 October 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 18 October 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : Van Dhan Internship Programme

संदर्भ

पिछले दिनों TRIFED के  वन धन प्रशिक्षु कायक्रम का अनावरण किया गया.

वन धन प्रशिक्षु कायक्रम से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • इस कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीनस्थ संस्था TRIFED करती है.
  • इसमें देश के कुछ प्रसिद्ध ग्रामीण प्रबंधन संस्थानों/प्रबंधन संस्थानों/सामाजिक कार्य संस्थानों/सामाजिक सेवाओं से 18 प्रशिक्षु लिए गये हैं.
  • ये प्रशिक्षु जनजातीय समुदायों को आत्मनिर्भर और उद्यमी बनाने में सहायता करेंगे. साथ ही ये आजीविका सृजन, गैर-इमारती वन उत्पादों को अधिक मूल्यवान बनाने के साथ-साथ उनके लिए विपणन और ऋण की व्यवस्था जैसी TRIFED की गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सहायता करेंगे.
  • ये प्रशिक्षु संस्थागत विकास के लिए उपायों और तकनीकों का विकास करेंगे. इसके लिए वे लघु वन उपजों के न्यायपूर्ण मूल्य निर्धारण के तंत्र को भी विकसित करेंगे.

लघु वन उपज का महत्त्व

  • लघु वन उपज (Minor Forest Produce : MFP) वन क्षेत्र में निवास करने वाली जनजातियों के लिए आजीविका का प्रमुख स्रोत है.
  • वन में निवास करने वाले लगभग 100 मिलियन लोग भोजन, आश्रय, औषधि एवं नकदी आय के लिए MFP पर निर्भर करते हैं.
  • जनजातीय लोग अपनी वार्षिक आय का लगभग 20-40% MFP एवं सम्बद्ध गतिविधियों द्वारा प्राप्त करते हैं तथा इसका महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण से भी सुदृढ़ संबंध है क्योंकि अधिकांश MFP का संग्रहण, उपयोग और बिक्री महिलाओं द्वारा ही की जाती है.
  • MFP क्षेत्र में देश में वार्षिक रूप से लगभग 10 मिलियन कार्य दिवस के सृजन की क्षमता है.
  • अनुसूचित जनजाति एवं परम्परागत निवासी (वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम), 2006, लघु वन उपज (MFP) को पादपों से उत्पन्न होने वाले सभी गैर-लकड़ी वन उत्पादों के रूप में परिभाषित करता है. इसके अंतर्गत बाँस, ब्रशवुड, स्टम्प, केन, ट्यूसर, कोकून, शहद, मोम, लाख, तेंदु/केंडू पत्तियाँ, औषधीय पौधे, जड़ी-बूटी, जड़ें, कंद इत्यादि सम्मिलित हैं.
  • सरकार ने पहले भी आदिवासी जनसंख्या की आय की सुरक्षा हेतु “लघु वन उपज (MFP) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)“नामक योजना आरम्भ की थी.”

FSSAI क्या है ?

  1. FSSAI का full form है – Food Safety and Standards Authority of India.
  2. इसकी स्थापना खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत की गई है.
  3. 2006 के पहले खाद्य सुरक्षा से सम्बंधित कई अधिनियम एवं आदेश थे जो विभिन्न मंत्रालयों द्वारा निर्गत किये गये थे. इन सभी को समेकित कर 2006 में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 पारित किया गया था.
  4. इस अधिनियम के तहत स्वस्थ भोजन के लिए निर्माण, भंडारण, वितरण, विक्रय-निर्यात आदि सभी स्तरों पर खाद्य-पदार्थ के लिए विज्ञान पर आधारित मानक निर्धारित किये गये हैं.
  5. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार FSSAI का प्रशासनिक मंत्रालय है.
  6. इसका अध्यक्ष भारत सरकार के सचिव-स्तर का होता है.
  7. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Development processes and the development industry the role of NGOs, SHGs, various groups and associations, donors, charities, institutional and other stakeholders.

Topic : Food Safety Mitra (FSM) scheme

संदर्भ

पिछले दिनों “सही खाओ भारत (Eat Right India Movement)” आन्दोलन को सुदृढ़ करने और उसका स्तर ऊँचा करने के खाद्य सुरक्षा मित्र (Food Safety Mitra – FSM) योजना का अनावरण हुआ.

खाद्य सुरक्षा मित्र (FSM) योजना क्या है?

इस योजना के द्वारा छोटे और मँझोले खाद्य व्यवसायियों को खाद्य सुरक्षा कानूनों का अनुपालन करने में सहायता पहुँचाई जायेगी और उनके लिए लाइसेंस, पंजीकरण, हाइजिन रेटिंग और प्रशिक्षण की सुविधा प्राप्त करने में मदद पहुँचाई जायेगी.

Food Safety Mitra Scheme का महत्त्व

इस योजना से न केवल खाद्य सुरक्षा प्रबल होगी, अपितु इससे युवाओं, विशेषकरखाद्य एवं पोषण से जुड़े युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.

FSM योजना कैसे काम करेगी?

इस योजना के लिए खाद्य सुरक्षा मित्रों का चयन किया जाएगा. इन्हें FSSAI द्वारा प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र दिया जाएगा. इनके आधार पर वे खाद्य व्यवसायियों को अपनी सेवा देंगे और बदले में भुगतान पायेंगे.

सही खाओ आन्दोलन क्या है?

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने “सही खाओ आन्दोलन/The Eat Right Movement” अभियान का आरम्भ किया है जिससे कि खाद्य उद्योग भोज्य पदार्थों पर लेबल लगाने से सम्बंधित (food labeling regulation) नियमों का पालन कड़ाई से किया जा सके.
  • इसका आरम्भ FSSAI ने किया है.
  • इस अभियान का उद्देश्य लोगों द्वारा नमक, चीनी एवं तेल की खपत को अगले तीन वर्षों में 30% घटाना है.
  • इस अभियान के दो प्रमुख नारे हैं – “स्वस्थ खाओ” और “सुरक्षित खाओ”.
  • अभियान से आशा की जा रही है कि लोग अपने स्वास्थ्य पर अधिक-से-अधिक ध्यान देंगे और सही भोजन करते हुए दीर्घायु को प्राप्त करेंगे.

Eat Right India Movement के मुख्य अवयव

  • इस आन्दोलन के लिए FSSAI ने तीन मुख्य लक्ष्य निर्धारित किये हैं – सुरक्षित खाओ, स्वास्थ्यकर खाओ और ऐसा भोजन खाओ जो सतत उपलब्ध हो.
  • उपयोग में लाये हुए खाद्य तेल को फिर से उपयोग में लाने से होने वाली हानियों से लोगों को बचाने के लिए ने FSSAI ने खाद्य तेल में कुल ध्रुवीय यौगिकों (Total Polar Compounds – TPC) की अधिकतम सीमा 25% कर दी है.

TPC क्या है?

  • कई देशों में तेल की गुणवत्ता को मापने के लिए Total Polar Compounds – TPC का उपयोग किया जाता है. ज्ञातव्य है कि बार-बार तेल को गरम किये जाने से TPC का स्तर बढ़ जाता है. कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि भोजन के बिना तेल को गर्म करने के दौरान TPC का स्तर कम होता है जबकि यदि भोजन के साथ तेल को गर्म या फ्राई किया जाए तो TPC का स्तर बढ़ जाता है.
  • विदित हो कि यदि दैनिक प्रयोग में लाये जाने वाले तेल में TPC का स्तर ऊँचा हो तो इससे उच्च रक्तचाप, धमनी से सम्बंधित रोग, अल्जाइमर रोग और जिगर की बीमारी जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं.

सही खाओ आन्दोलन का महत्त्व

आज देश में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, विटामिन एवं खनिज तत्त्वों की व्यापक कमी और भोजन-जनित रोगों के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसी दशा में आवश्यक है कि इन रोगों से बचाव के लिए निवारक उपाय लागू हों. सही खाओ भारत आन्दोलन इस दिशा में एक बड़ा कदम है क्योंकि इससे समाज में व्यवहारगत परिवर्तन संभव है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : State of the World’s Children report

संदर्भ

UNICEF ने 2019 का विश्व बाल दशा प्रतिवेदन (State of the World’s Children Report) प्रकाशित कर दिया है जिसमें बाल स्वास्थ्य के बारे में विभिन्न देशों को रैंकिंग दी गई है.

यह रैंकिंग मूलतः इस आधार पर है कि पाँच वर्ष से कम बच्चों में मृत्यु की दर कहाँ अधिक है अथवा कम है.

इस प्रतिवेदन में बच्चों के कुपोषण, मोटापा, रक्ताल्पता और अन्य रोगों को ध्यान में रखा गया है.

प्रतिवेदन के मुख्य निष्कर्ष

वैश्विक परिदृश्य

  1. विश्व में पाँच वर्ष के कम आयु के 200 मिलियन बच्चों में से तीन में एक बच्चा या तो कुपोषित है अथवा मोटा है.
  2. कुपोषित और मोटा होने के कारण इन बच्चों में मस्तिष्क का कम विकास और ज्ञानार्जन के कमजोर होने का खतरा है. साथ ही इनमें प्रतिरोध क्षमता कम होती है और फलतः संक्रामक रोग अधिक होते हैं. कई बार तो यह सब उनके लिए प्राणघातक सिद्ध होता है.

भारतीय परिदृश्य

  1. भारत में हर दूसरा बच्चा किसी न किसी प्रकार के कुपोषण से ग्रस्त है.
  2. भारत के 35% बच्चों का विकास कुपोषण के कारण अवरुद्ध है. इनमें से 17% शारीरिक विकास की दृष्टि से कुंठित, 33% अल्पभार वाले और 2% अधिक भार वाले हैं.
  3. दक्षिण-एशियाई देशों में सबसे अधिक (54%) बुरी स्थिति भारतीय बच्चों की है.
  4. भारत में पाँच वर्ष से कम के बच्चों में 2018 में 8 लाख बच्चे मृत्यु को प्राप्त हुए थे. यह आँकड़ा सबसे अधिक है.
  5. भारत के 20 राज्यों में पाँच वर्ष से कम पाँच बच्चों में से एक बच्चा विटामिन A की कमी से जूझ रहा है.
  6. देश की हर दूसरी स्त्री को रक्ताल्पता है.
  7. 40.5% बच्चों में रक्ताल्पता है.
  8. दस बच्चों में से एक बच्चा मधुमेह-पूर्व की अवस्था में है.
  9. भारत में पोषण रहित भोजन के मुख्य कारण निर्धनता, नगरीकरण और जलवायु परिवर्तन हैं.

प्रतिवेदन में वर्णित भारत सरकार के सुधारात्मक प्रयास

  • प्रतिवेदन में कहा गया है कि राष्ट्रीय पोषण अभियान भारत भर में कुपोषण को दूर करने में एक मुख्य भूमिका निभा रहा है.
  • प्रतिवेदन यह स्वीकार करता है कि भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा रक्ताल्पता मुक्त भारत कार्यक्रम विश्व-भर के देशों के द्वारा चलाये जा रहे कुपोषण विरोधी कार्यक्रमों में एक सर्वोत्तम कार्यक्रम है.
  • रक्ताल्पता दूर करने के लिए रक्ताल्पता मुक्त भारत कार्यक्रम के अन्दर 6x6x6 की रणनीति अपनाई जा रही है जो सराहनीय है. इस रणनीति के अन्दर छह लाभार्थी समूहों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए छह प्रकार के हस्तक्षेप किये जाते हैं और छह प्रकार के संस्थागत तंत्रों का प्रयोग होता है.

GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.

Topic : Microbial fuel cells

संदर्भ

पिछले दिनों लन्दन के एक चिड़ियाघर में जीवाणु ईंधन सेल (माइक्रोबियल फ्यूल सेल) का अधिष्ठापन हुआ.

इन सेलों का प्रयोग कर एक पौधे ने अपनी सेल्फी ली जो वनस्पति जगत की पहली सेल्फी है.

जीवाणु ईंधन सेल क्या होता है?

जीवाणु ईंधन सूक्ष्म जीवों के द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के कारण उत्पन्न होता है.

यह कैसे काम करता है?

  • यह सर्वविदित है कि सूरज के प्रकाश में पौधे पानी और कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग (प्रकाश संश्लेषण) करके शर्करा और ऑक्सीजन पैदा करते हैं.
  • कालांतर में यह शर्करा पत्तों से निकलकर पौधे के तने और जड़ तक फ़ैल जाती हैं.
  • अंत में कुछ शर्करा जड़ों के द्वारा अपशिष्ट के रूप में छोड़ दिए जाते हैं.
  • मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्म जीव इस शर्करा को और भी खंडित कर देते हैं जिससे ऊर्जा निकलती है.
  • इस ऊर्जा को एनोड (ऋण) और केथोड (धन) का प्रयोग कर पकड़ लिया जाता है और फिर उससे एक सुपर कपैसिटर को आवेशित किया जाता है.
  • जब सुपर कपैसिटर पूरी तरह आवेशित हो जाता है तो उससे ऊर्जा निकलती है और एक फोटो खिंच जाती है.

माहात्म्य

सौर पैनलों के लिए धूप का होना आवश्यक होता है. परन्तु जीवाणु ऊर्जा के लिए ऐसा नहीं क्योंकि पौधे छाया में भी जीवित रहते हैं और अधिक से अधिक धूप सोखने के लिए वे अपने-आप को प्राकृतिक रूप से आदर्श स्थिति में फैलाने में समर्थ होते हैं.


GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Infrastructure: Energy, Ports, Roads, Airports, Railways etc.

Topic : One Nation One FASTag

संदर्भ

पिछले दिनों एक राष्ट्र एक FAStag योजना का अनावरण हुआ. ज्ञातव्य है कि सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि दिसम्बर 1 से सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाली गाड़ियों के लिए FAStag अनिवार्य होंगे.

एक राष्ट्र एक FAStag योजना के मुख्य तथ्य

  • जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है कि यह योजना दिसम्बर 1, 2019 से लागू होगी.
  • देश-भर के राष्ट्रीय और राजमार्गों पर रेडियो बारंबारता पहचान (Radio Frequency Identification – RFID) टैग से युक्त नई गाड़ियाँ एक्टिवेशन करके फ़ास्ट टैग प्राप्त कर सकती हैं.
  • इस योजना का उद्देश्य टोल संग्रह को डिजिटल ढंग से समेकित करना और पूरे भारत में गाड़ियों की निष्कंटक आवाजाही को सुनिश्चित करना है.
  • इस योजना के अंतर्गत भुगतान का संग्रह भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India – NPCI) करता है और इस भुगतान की पद्धति राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (National Electronic Toll Collection – NETC) कार्यक्रम के अनुरूप होती है.

FASTags क्या है?

यह टोल भुगतान करने के लिए बनाया गया एक उपकरण है. यह रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान (Radio Frequency Identification ) तकनीक का उपयोग करता है और इससे टोल पर प्रीपेड बैलेंस उपयोग करके सीधे भुगतान किया जा सकता है.

यह उपकरण कार के आगे वाले शीशे से लगा हुआ होता है जिससे वाहन को टोल पर रुकना आवश्यक नहीं रह जाता है. इस टैग की वैधता पाँच वर्ष तक के लिए होती है और इसे समय-समय पर रिचार्ज करना होता है.

इसके क्या लाभ हैं?

  • डिजिटल भुगतान होने के चलते इसमें नकद की आवश्यकता नहीं पड़ती.
  • टोल पर समय बर्बाद नहीं होता.
  • टोल पर रुकने से ईंधन खर्च होता है और प्रदूषण भी होता है. इस तकनीक से इन सब से बचा जा सकता है.
  • इससे सरकार को ये जानकारी हो जाती है किसी टोल से कितने और किस प्रकार के मोटर यान गुजरे. इससे सरकार को पता लगेगा कि बजट में सड़क चौड़ाई और अन्य बुनियादी ढाँचे के लिए कितने खर्च का प्रावधान किया जाए.

Prelims Vishesh

2019 Booker prize :-

  • 2019 का मैन बुकर पुरस्कार दो व्यक्तियों को संयुक्त रूप से दिया जा रहा है.
  • इनमें पहली साहित्यकार Margaret Atwood जिन्हें The Testaments के लिए सम्मानित किया गया.
  • यह सम्मान पाने वाली दूसरी साहित्यकार Girl, Woman, Other नामक कृति की लेखिका Bernardine Evaristo हैं.
  • विदित हो कि 1969 से चले आ रहे मैन बुकर पुरस्कार प्रतिवर्ष अंग्रेजी के उस सर्वोत्तम उपन्यास के लिए दिया जाता है जो यूनाइटेड किंगडम अथवा आयरलैंड में छपा हो.
  • इस पुरस्कार की राशि 50,000 पौंड है.

The National Blindness & Visual Impairment Survey India 2015-2019 :-

  • भारत में अन्धता की स्थिति के विषय में एक अध्ययन सामने आया है जिससे पता चलता है कि यहाँ सबसे अधिक (11.6%) अंधे जन 80 वर्ष की आयु या उससे अधिक के हैं.
  • प्रतिवेदनानुसार 66.2% अन्धता मोतियाबिंद के कारण है.
  • अन्धता के अन्य मुख्य कारण कोर्निया का पारभासी होना, मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सा से उत्पन्न समस्या होना आदि हैं.

World Food Day :-

  • विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को मनाया जाता है.
  • 2019 विश्व खाद्य दिवस की थीम है – “Our Actions Are Our Future. Healthy Diets for A #ZeroHunger World”. अर्थात् “आज जो हम करेंगे वही हमारा भविष्य होगा. शून्य भूख वाले एक विश्व के लिए स्वास्थ्यपूर्ण भोजन.”
  • इसका उद्देश्य गरीबी और भूख जैसी समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.
  • इस दिवस को मनाने का निर्णय नवम्बर, 1979 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा लिया गया था. तब से विश्व खाद्य दिवस पूरे संसार में मनाया जाता है और इसमें खाद्य सुरक्षा से जुड़े अनेक संगठन प्रतिभागिता करते हैं.

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