Sansar Daily Current Affairs, 18 September 2019
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : 6th schedule of the constitution
संदर्भ
पिछले दिनों राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भारत सरकार के गृह मंत्री तथा जनजातीय कार्य मंत्री को यह अनुशंसा भेजी है कि लद्दाख संघीय क्षेत्र को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में सम्मिलित किया जाए.
लद्दाख में जनजातीय समुदाय
लद्दाख में रहने वाले 97% से अधिक लोग जनजातीय हैं. इन जनजातियों के नाम हैं –
- बाल्टी
- बेड़ा
- बॉट (बोटो)
- ब्रोक्पा (ड्रोक्पा, दरद, शिन)
- चांग्पा
- गर्रा
- मोन
- पुरिग्पा
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची
संविधान की छठी अनुसूची देश के चार पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम – के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से सम्बंधित है.
छठी अनुसूची के मुख्य प्रावधान
- जनजातीय क्षेत्रों में राज्यपाल को स्वायत्त जिलों का गठन और पुनर्गठन करने का अधिकार है. राज्यपाल स्वशासी क्षेत्रों की सीमा घटा या बढ़ा सकता है तथा नाम भी परिवर्तित कर सकता है.
- यदि किसी स्वायत्त जिले में एक से अधिक जनजातियाँ हैं तो राज्यपाल इस जिले को अनेक स्वायत्त क्षेत्रों में बाँट सकता है.
- प्रत्येक स्वायत्त जिले में 30 सदस्यों की एक जिला परिषद् होती है जिसमें 4 जन राज्यपाल नामित करता है और शेष 26 व्यस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं.
- जिला परिषद् के सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष होता है और नामी सदस्य तब तक सदस्य बने रहते हैं जब तक राज्यपाल की इच्छा हो.
- प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र का अपनी एक अलग क्षेत्रीय परिषद् होती है.
- जिला और क्षेत्रीय परिषदें अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र का प्रशासन देखती हैं.
- जिला व क्षेत्रीय परिषदें अपने अधीन क्षेत्रों में जनजातियों के आपसी मामलों के निपटारे के लिये ग्राम परिषद या न्यायालयों का गठन कर सकती हैं. वे अपील सुन सकती हैं. इन मामलों में उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का निर्धारण राज्यपाल द्वारा किया जाता है.
- जिला परिषद अपने जिले में प्राथमिक विद्यालयों, औषधालय, बाजारों, फेरी, मत्स्य क्षेत्रों, सड़कों आदि को स्थापित कर सकती है या निर्माण कर सकती है. जिला परिषद साहूकारों पर नियन्त्रण और गैर-जनजातीय समुदायों के व्यापार पर विनियम बना सकती है, लेकिन ऐसे नियम के लिये राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक है.
- जिला व प्रादेशिक परिषद को भू-राजस्व का आकलन व संग्रहण करने का अधिकार है. वह कुछ विनिर्दिष्ट कर भी लगा सकता है.
- संसद या राज्य विधानमण्डल द्वारा निर्मित नियम को स्वशासी क्षेत्रों में लागू करने के लिये आवश्यक बदलाव किया जा सकता है.
- राज्यपाल, स्वशासी जिलों तथा परिषदों के प्रशासन की जांच और रिपोर्ट देने के लिये आयोग गठित कर सकता है. राज्यपाल, आयोग की सिफारिश पर जिला या परिषदों को विघटित कर सकता है.
125वाँ संशोधन विधेयक
भारत सरकार ने राज्य सभा में 125वाँ संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया है जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भाग के छठी अनुसूची वाले क्षेत्रों में कार्यरत 10 स्वायत्त परिषदों की वित्तीय और कार्यकारी शक्तियां बढ़ाना है. इस संशोधन का प्रभाव असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में रहने वाले एक करोड़ जनजातीय लोगों पर पड़ेगा.
विधेयक के मुख्य तत्त्व
- विधेयक में चुनाव द्वारा गठित ग्रामीण परिषदों का प्रावधान किया गया है जिससे कि प्रजातंत्र निचले से निचले स्तर तक लागू हो सके.
- ग्रामीण परिषदें अब आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय के लिए इन विषयों से सम्बंधित योजनाएँ बना सकती हैं – कृषि, भूमि का उत्क्रमण, भूमि-सुधार का कार्यान्वयन, लघु-सिंचाई, जल प्रबंधन, पशुपालन, ग्रामीण विद्युतीकरण, लघु उद्योग एवं सामाजिक वानिकी.
- संशोधन के अनुसार वित्त आयोग इन ग्रामीण परिषदों के लिए वित्तीय आवंटन की अनुशंसा करेगा.
- ग्रामीण एवं शहरी परिषदों में कम-से-कम एक-तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित किये जाएँगे.
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential.
Topic : Atal Ranking of Institutions on Innovation Achievements (ARIIA)
संदर्भ
हाल ही में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने (MHRD) ने “Atal Ranking of Institutions on Innovation Achievements (ARIIA) 2020” रैंकिंग प्रणाली का अनावरण किया है जिसमें भारत के शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों को इस आधार पर रैंकिंग दी जायेगी कि वहाँ नवाचार का कितना काम हो रहा है.
ARIIA क्या है?
- ARIIA रैंकिंग के लिए जो मुख्य संकेतक चुने गये हैं वे वही हैं जिनका उपयोग इस प्रकार के रैंकिंग के लिए विश्व में अन्यत्र किया जाता है.
- ARIIA का मुख्य बल संख्या पर न होकर नवाचारों की गुणवत्ता पर होगा और यह देखा जाएगा कि किसी नवाचार का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कितना प्रभाव पड़ा है.
ARIIA द्वारा अपनाए गये पाँच मुख्य पैमाने
[table id=41 /]ARRIA की आवश्यकता
- भारत वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में उभरे इसके लिए आवश्यक है कि हमारे देश के युवा, विशेषकर उच्चतर शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले युवा एक सतत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँ.
- इसके लिए यह अपेक्षित है कि सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों में एक ऐसी व्यापक और काम करने वाली व्यवस्था हो जिसमें अनुसंधान को आविष्कार में बदलने की क्षमता हो.
- नए पारिस्थितिकी तंत्र में युवा विद्यार्थी नए-नए विचारों एवं प्रक्रियाओं से अवगत होंगे तथा नवाचार की ओर अग्रसर होंगे.
- सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों में नवाचार को महत्त्व मिले यह सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने ARRIA (Atal Ranking of Institutions on Innovation Achievements) लाने की घोषणा की है.
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance, e-applications, models, successes, limitations and potential; citizens charters, transparency & accountability and institutional and other measures.
Topic : Government e-Marketplace (GeM)
संदर्भ
गवर्नमेंट ई-मार्किटप्लेस (GeM) और पंजाब सरकार ने पिछले दिनों एक परियोजना प्रबंधन इकाई की स्थापना के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं.
GeM क्या है?
- सरकारी ई-बाजार (GeM) एक ऑनलाइन बाजार है जिसके माध्यम से सरकार के विभिन्न मंत्रालय एवं एजेंसियाँ वस्तुओं और सेवाओं का क्रय करती हैं.
- यह बाजार केन्द्र सरकार के विभागों, राज्य सरकार के विभागों, लोक उपक्रम प्रतिष्ठानों और सम्बद्ध निकायों के लिए है.
- यह एक सर्वसमावेशी अभियान है जिसमें सभी प्रकार के विक्रेताओं और सेवा-प्रदाताओं को सशक्त किया जाएगा, जैसे – MSMEs, स्टार्ट-अप, स्वदेशी निर्माता, महिला उद्यमी, स्वयं सहायता समूह (SHGs).
- इस बाजार का उद्देश्य सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार दूर करना तथा उसमें पारदर्शिता, सक्षमता और गति लाना है.
- सरकारी ई-बाजार एक 100% सरकारी कम्पनी है जिसकी स्थापना केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन हुई है.
GeM से फायदे
- विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा के चलते उत्पाद की कीमतों में कमी (15-20% ↓)
- अवैध रूप से सरकारी खरीददारी पर रोक लगेगी.
- इस अभियान का एक उद्देश्य नकद रहित, सम्पर्क रहित और कागज़ रहित लेन-देन को बढ़ावा देना है जिससे कि डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को पाया जा सके.
GEM पोर्टल में आने वाली दिक्कतें
- GeM के माध्यम से खरीददारी कर रहे लोगों की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि GeM किसी भी तरह की खरीद-बिक्री की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेता.
- इस पोर्टल पर उपलब्ध सामान की कीमत और उपलब्धता पर इसे चलाने वाले विभाग DGS&D का कोई नियंत्रण नहीं होता.
- उत्पादों की रेट एक समान नहीं है और हमेशा उतार-चढ़ाव होता रहता है जिससे एक ही विभाग एक ही सामान के अलग-अलग समय पर अलग-अलग दाम चुकाता है.
- GeM के जरिये खरीददारी करते वक़्त कई अलग-अलग ID देनी पड़ती है. इसे लेकर अधिकृत अधिकारी एतराज जताते हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : 24th World Energy Congress kicks off in Abu Dhabi
संदर्भ
विश्व ऊर्जा कांग्रेस (World Energy Congress) का 24वाँ सम्मलेन इस बार अबू ढाबी में होने जा रहा है. इसकी थीम है – “समृद्धि के लिए ऊर्जा/Energy for Prosperity”.
विश्व ऊर्जा कांग्रेस क्या है?
- यह विश्व ऊर्जा परिषद् का एक मूर्धन्य वैश्विक आयोजन है.
- इसमें प्रतिभागिता करने वाले ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख अग्रणी व्यक्ति संसार नई ऊर्जा के भविष्य, नवाचार के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों और नई रणनीतियों पर चर्चा करते हैं और संभावनाओं का पता लगाते हैं.
- यह आयोजन प्रत्येक तीसरे वर्ष होता है.
- विश्व ऊर्जा कांग्रेस विश्व का सबसे लम्बा चलने वाला और सर्वाधिक प्रभावशाली ऊर्जा विषयक सम्मेलन है.
विश्व ऊर्जा परिषद् (World Energy Council) क्या है?
- यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त ऊर्जा से सम्बंधित एक वैश्विक निकाय है जिसकी स्थापना 1923 में हुई थी.
- इसमें ऊर्जा से सम्बंधित समस्त क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व होता है. 90 देश के 3,000 से अधिक संगठन इस परिषद् के सदस्य होते हैं. ये संगठन विभिन्न सरकारों, निजी और सरकारी निगमों, शैक्षणिक जगत, गैर-सरकारी संगठनों और ऊर्जा से जुड़े हितधारकों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
- भूमिका : इस उच्च-स्तरीय सम्मेलन में वैश्विक, प्रक्षेत्रीय और राष्ट्रीय ऊर्जा से सम्बन्धित रणनीतियों की जानकारी दी जाती है. यह कांग्रेस प्रामाणिक अध्ययनों को प्रकाशित करता है तथा अपने विशाल सदस्य-संजाल के माध्यम से विश्व में ऊर्जा नीति से सम्बंधित संवाद को सुगमता प्रदान करता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.
Topic : Framework for the Assessment of Benefits of Action/Cost of Inaction for Drought Preparedness Report
संदर्भ
UNCCD (United Nations Convention to Combat Desertification) के पक्षकार देशों की 14वीं बैठक में पिछले दिनों सूखे के लिए तैयारी से सम्बंधित कार्रवाई के लाभ तथा निष्क्रियता की लागत के मूल्यांकन से सम्बंधित एक दस सूत्री ढाँचे के विषय में प्रतिवेदन निर्गत हुआ.
दस सूत्री ढाँचा
- राष्ट्रीय सूखा प्रबंधन नीति आयोग का गठन.
- जोखिम पर आधारित राष्ट्रीय सूखा प्रबंधन नीति के लक्ष्यों और उद्देश्यों का निर्धारण.
- हितधारकों की प्रतिभागिता सुनिश्चित करते हुए जल का उपयोग करने वाले प्रधान प्रक्षेत्रों के मध्य टकराव को सुलझाना.
- उपलब्ध आँकड़ों और वित्तीय संसाधनों की संग्रह सूची बनाना तथा उन समूहों की पहचान करना जो मोटे तौर पर जोखिम में हैं.
- राष्ट्रीय सूखा प्रबंधन नीति तथा सूखे के लिए तैयार रहने से सम्बंधित योजनाओं के मुख्य तत्त्वों की तैयारी करना.
- कहाँ-कहाँ शोध की आवश्यकता है इसका पता लगाना और संस्थागत कमियों को दूर करना.
- सूखा प्रबंधन के वैज्ञानिक एवं नीतिगत पहलुओं को एकात्म करना.
- नीति और सन्नद्धता (policy and preparedness) योजनाओं का प्रचार-प्रसार करना और इनके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना.
- सभी आयु के लोगों एवं हितधारक समूहों के लिए शिक्षा कार्यक्रम तैयार करना.
- समय-समय पर नीति और सम्बंधित योजनाओं का मूल्यांकन करके उन्हें संशोधित करना.
भारतीय परिदृश्य
भारत के भूभाग का 42% सूखे से पीड़ित रहता है और इसके अतिरिक्त 6% भूभाग ऐसा है जिसे असाधारण रूप से सूखी भूमि की संज्ञा दी जाती है. देश की 40% जनसंख्या सूखे की मार झेलती है.
चुनौतियाँ
- देश में राजनैतिक अर्थव्यवस्था की दशाएँ कुछ ऐसी हैं कि सरकारें जोखिम प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाने से परहेज करती हैं.
- यह दृष्टिकोण नहीं अपनाने के अन्य कारण हैं – सम्पूर्ण दृष्टिकोण का अभाव, आर्थिक सहायता से सम्बंधित राजनैतिक अर्थव्यवस्था आदि.
प्रतिवेदन से भारत का क्या सीख सकता है?
- बार-बार होने वाले सूखे से तभी लड़ा जा सकता है जब इन सूखों के दुष्प्रभाव का ठीक-ठीक मूल्यांकन हो. सूखों से होने वाली क्षति का सम्यक अनुमान लगाना आवश्यक है.
- हम जितना अधिक और अच्छा आर्थिक विश्लेषण करेंगे, उतना तेजी से हम संकट प्रबंधन से आगे निकलकर जोखिम प्रबंधन तक पहुँचेंगे.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.
Topic : Basel Ban Amendment
संदर्भ
कचरा डालने पर वैश्विक प्रतिबंध लगाने से सम्बंधित 1995 का बेसल प्रतिबंध संशोधन अब एक अंतर्राष्ट्रीय कानून बन गया है क्योंकि क्रोएशिया ने इसे सितम्बर 6, 2019 को स्वीकार कर लिया. ऐसा करने वाला क्रोएशिया 97वाँ देश है.
आगे क्या होगा?
यह संशोधन बेसल संधि में एक नए अनुच्छेद के रूप में समाविष्ट हो जाएगा और यह आगामी 90 दिनों के बाद अर्थात् दिसम्बर 5 को 97 देशों में लागू हो जाएगा.
बेसल प्रतिबंध संशोधन का उद्देश्य
इस संशोधन का उद्देश्य हानिकारक कचरों से मानव के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों को रोकना है.
इस उद्देश्य को पाने के लिए यह संशोधन जिन हानिकारक कचरों के निर्यात को प्रतिबंधित करता है, वे हैं – इलेक्ट्रॉनिक कचरे, पुराने पड़ गये पानी के जहाज आदि जिनको OECD के 29 समृद्धतम देश गैर-OECD देशों को निर्यात करते हैं.
बेसल संधि क्या है?
- इस संधि को 22 मार्च 1989 को हस्ताक्षर के लिए रखा गया था.
- इस पर कुल मिलाकर 187 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं.
- यह संधि 5 मई, 1992 से लागू है.
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य खतरनाक कचरे को एक देश से दूसरे देश ले जाने की गतिविधियों को घटाना है. इसमें इसपर विशेष बल दिया गया है कि विकसित देशों से अल्प-विकसित देशों तक ये खतरनाक कचरे नहीं पहुँचे.
- जिन कचरों को यह संधि रोकती है उनमें रेडियोधर्मी कचरे को शामिल नहीं किया गया है.
- संधि का उद्देश्य उत्पादित कचरे की मात्रा और विषाक्तता को कम से कम करना है जिससे कि उनका प्रबंधन पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित हो.
- बेसल संधि खतरनाक कचरे के सुचारू प्रबंधन के लिए अल्पविकसित देशों को सहायता देने का प्रावधान भी करती है.
Prelims Vishesh
Curriculum for Life Skills (Jeevan Kaushal) :–
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने जीवन कौशल से सम्बंधित एक पाठ्यक्रम तैयार किया है जिसका उद्देश्य वर्तमान में उद्योग जगत के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल एवं अभिरूचि के सम्बन्ध में जानकारी देना और उन्हें सुदृढ़ करना है.
MPATGM missile :-
- रक्षा एवं अनुसन्धान विकास संगठन (DRDO) ने पिछले दिनों एक ऐसे टैंक-निरोधक दिशा-निर्दिष्ट मिसाइल का निर्माण किया है जो मनुष्य द्वारा कहीं भी ले जाया जा सकता है.
- इसमें इन्फ्रा-रेड इमेजिंग सीकर के साथ-साथ उन्नत एवियोनिक भी लगे हैं.
- विदित हो कि इसके पहले भी DRDO कुछ मिसाइल बना चुका है, जैसे – DRDO टैंक-निरोधक मिसाइल, अमोघ मिसाइल और नाग मिसाइल.
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