Sansar Daily Current Affairs, 19 December 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Gender gap index 2018
संदर्भ
हाल ही में विश्व आर्थिक मंच ने 2018 का लिंग अंतराल सूचकांक निर्गत किया है.
वैश्विक लिंग अनुपात अंतराल प्रतिवेदन क्या है?
यह प्रतिवेदन 2006 से प्रत्येक वर्ष विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित किया जाता है. वैश्विक लिंग अनुपात सूचकांक इसी प्रतिवेदन का एक भाग है जो इन चार स्तम्भों के माध्यम से लैंगिक समानता का आकलन करता है – आर्थिक अवसर, राजनैतिक सशक्तिकरण, शैक्षणिक उपलब्धि एवं स्वास्थ्य तथा जीवन रक्षा.
विभिन्न देशों का प्रदर्शन
- इस सूचकांक के अनुसार लैंगिक समानता के मामले में आइसलैंड पहले नंबर पर है और उसके पश्चात् नॉर्वे, स्वीडेन, फ़िनलैंड का नंबर आता है.
- अन्य जो देश शीर्ष पर हैं, वे हैं – निकारागुआ, रवांडा, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, आयरलैंड और नामीबिया.
- इस प्रतिवेदन के अनुसार यदि यह गति चलती रहे तो पूरे विश्व में लैंगिक अंतराल को भरने में 108 वर्ष लगेंगे. जहाँ तक कार्य के स्थल में समानता की बात है तो इसमें परिवर्तन की वर्तमान दर से 202 वर्ष लगेंगे.
- जिन देशों का सर्वेक्षण किया गया उनमें जिन देशों में लैंगिक अंतराल की सबसे बड़ी कमी आई है, वे हैं – सीरिया, इराक, पाकिस्तान और यमन.
भारत का प्रदर्शन
- इस सूचकांक में भारत को 108वाँ स्थान मिला है.
- वेतन की समानता के मामले में भारत में प्रगति हुई है और जहाँ तक उच्च विद्यालय के उपरांत की शिक्षा का प्रश्न (तृतीयक शिक्षा) है तो भारत में पहली बार लैंगिक अंतराल पूरी तरह समाप्त हो गया है.
- आर्थिक अवसर और प्रतिभागिता के उपसूचकांक के अनुसार भारत का स्थान 149 देशों में 142वाँ है.
- एक बार फिर भारत स्वास्थ्य एवं जीवनरक्षा के मामले में विश्व के तीसरे सबसे निचले रैंक पर आया है. इसका अभिप्राय यह हुआ कि पिछले दस वर्षों में इस उपसूचकांक के विषय में भारत ने विश्व-भर में सबसे कम प्रगति की है.
- एक ही समान कार्य के लिए एक ही समान वेतन के मामले में भारत ने थोड़ी-सी प्रगति की है और 72वें स्थान पर आया है.
- भारत ने 2018 में पहली बार उच्च विद्यालयोपरान्त शिक्षा संस्थानों में नाम लिखाने के मामले में लैंगिक अंतराल समाप्त कर दिया है तथा प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा में भी यह अंतराल लगातार तीसरे वर्ष समाप्त रहा.
- रोचक बात यह है कि भारत में कृत्रिम बुद्धि (AI) से सम्बंधित कर्मियों की संख्या विश्व में दूसरी बड़ी है, परन्तु इन कर्मियों में मात्र 22% ही महिलाएँ हैं. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यहाँ कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में एक अत्यंत बड़ा लैंगिक अंतराल है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : 7th round of India – South Korea negotiations held
संदर्भ
11 से 13 दिसम्बर की अवधि में दक्षिणी कोरिया में भारत-दक्षिणी कोरिया व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (South Korea Comprehensive Economic Partnership Agreement – CEPA) के विषय में सातवें चरण का विचार-विमर्श हुआ और यह विचार-विमर्श बहुत सकारात्मक रहा.
पृष्ठभूमि
दक्षिणी कोरिया प्रत्येक वर्ष 15 लाख टन कच्ची चीनी का आयात करता है और भारत के चीनी उत्पादक इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि 2018-19 के गन्ना मौसम के दौरान उस देश को कच्ची चीनी का निर्यात किया जाए.
इसके लिए यह तय हुआ है कि दोनों देश 11 टैरिफ लाइनों पर चुंगी घटा दें जिससे कि दोनों देशों का व्यापार बढ़ सके. इसके लिए इन देशों को अपने वर्तमान मुक्त व्यापार समझौते (free-trade agreement या CEPA) को अधुनातन (update) करना होगा.
CECA और CEPA में क्या अंतर है?
CECA का पूरा नाम है – Comprehensive Economic Cooperation Agreement.
CEPA का पूरा नाम है – Comprehensive Economic Partnership Agreement.
इन दोनों में सबसे प्रमुख तकनीकी अंतर यह है कि एक ओर जहाँ CECA मात्र विभिन्न चरणों में नकारात्मक सूची तथा टैरिफ दर कोटा की वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी वस्तुओं पर चरणबद्ध ढंग से चुंगी घटाने अथवा हटाने से सम्बन्धित है, तो दूसरी ओर CEPA में इनके अतरिक्त सेवाओं के व्यापार, निवेश तथा आर्थिक भागीदारी जैसे अन्य विषय भी आते हैं.
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि CEPA का क्षेत्र CESA से बड़ा है. इसलिए देखा जाता है कि किसी देश से पहले CESA पर हस्ताक्षर होते हैं और उसके बाद ही CEPA के लिए विचार-विमर्श किया जाता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Transgender Rights Bill
संदर्भ
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समान अधिकार देने और कानून के अन्दर उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए लोक सभा ने ध्वनि मत (voice vote) से ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार सुरक्षा) विधेयक, 2016 को पारित कर दिया है.
पृष्ठभूमि
यह विधेयक स्थायी समिति को विचारार्थ भेजा गया था. फिर समिति ने विधेयक में 27 संशोधनों के सुझाव दिए जिन्हें सरकार ने स्वीकृत कर लिया था.
नई परिभाषा
जो संशोधन स्वीकार किये गये, उनमें से एक संशोधन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पुरानी परिभाषा को लेकर था जिसमें उन्हें न तो पूर्णतः स्त्री और न ही पूर्णतः पुरुष बताया गया था. इस परिभाषा को संवेदनहीन कह कर इसकी आलोचना की गई थी.
नई परिभाषा के अनुसार, ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह व्यक्ति है जिसका वर्तमान लिंग जन्म के समय उसके लिंग से भिन्न है और इसमें ये व्यक्ति आते हैं – ट्रांस पुरुष अथवा ट्रांस स्त्री, अंतर-यौन विविधताओं वाले व्यक्ति, विचित्र लिंग वाले व्यक्ति तथा सामाजिक-सांस्कृतिक पहचानों वाले कुछ व्यक्ति जैसे – किन्नर, हिजड़ा, अरावानी और जोगटा.
विधेयक के मुख्य तथ्य
- इस विधेयक का उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्ति के विरुद्ध विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे भेदभाव को समाप्त करना है. जिन क्षेत्रों में इनसे भेदभाव होता है, वे हैं – शिक्षा, आजीविका और स्वास्थ्य-देखभाल.
- विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों को इनके लिए कल्याणकारी योजनाएँ चलाने का निर्देश देता है.
- विधेयक में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को ट्रांसजेंडर में रूप में मान्यता उस पहचान प्रमाण-पत्र के आधार पर दी जाएगी जो जिला छटनी समिति के माध्यम से निर्गत होगा. इस प्रमाण-पत्र को ट्रांसजेंडर की पहचान का साक्ष्य माना जाएगा और विधेयक के अंदर विहित अधिकार उसे दिए जाएँगे.
आलोचना
कई सिविल सोसाइटी समूहों ने मुखर होकर इस विधेयक का विरोध किया है. उनकी आलोचनाएँ नीचे दी गई हैं –
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति को यह अधिकार होना चाहिए था कि वह अपनी पहचान स्वयं दे सके, न कि किसी जिला छटनी समिति के माध्यम से.
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण देने के मामले में भी विधेयक मौन है.
- विधेयक में संगठित भीक्षाटन के लिए दंड का प्रावधान किया गया है, परन्तु इसके बदले कोई आर्थिक विकल्प नहीं दिया गया है.
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के बलात्कार अथवा यौनाचार के लिए विधेयक में किसी दंड का प्रावधान नहीं है क्योंकि भारतीय दंड संहिता में बलात्कार की परिभाषा में ट्रांसजेंडर को शामिल नहीं किया गया है.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
Topic : Graphene
संदर्भ
नागपुर में स्थित विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने एक नई तकनीक विकसित की है जिससे बेकार हो गई शुष्क सेल बैटरियों से उच्च कोटि का ग्रेफीन उत्पन्न किया जा सकता है.
अनुसंधानकर्ताओं ने मात्र एक ग्रेफाइट छड़ से 88% ग्रेफीन निकालने में सफलता पाई है. आशा की जाती है कि यह उत्पादन बढ़ा करके भविष्य में औद्योगिक स्तर तक ले जाया सकेगा.
खोज का माहात्म्य
ग्रेफीन ग्रेफाइट से बनाया जाता है, इसलिए इसका उत्पादन महँगा होता है. इसके अतिरिक्त इसका पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव होता है. ग्रेफीन की उत्पादन की जिस तकनीक की खोज हुई है उससे लागत तो घटेगी ही साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा.
ग्रेफीन क्या होता है?
अपनी ताकत, विद्युत संचालकता और लचीलेपन के कारण वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में ग्रेफीन को एक चमत्कारी पदार्थ कहा जाता है. 2004 में खोजे गये इस पदार्थ को लिथियम-आयन बैटरियों का एक विकल्प माना जाता रहा है. वस्तुतः यह कार्बन का एक रूप है जिससे अधिक छोटी और अधिक पतली परन्तु अधिक क्षमता वाली बैटरियाँ बनाई जा सकती हैं.
ग्रेफीन एक अणु जितना मोटा कार्बन पदार्थ है. इसकी पतली बनावट और उच्च संचालकता के कारण इसका प्रयोग सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर जैव-चिकित्सकीय उपकरणों में होता है. इन्हीं गुणों के कारण इससे अधिक महीन तार के कनेक्शन तैयार होते हैं जिसके फलस्वरूप कंप्यूटरों, सोलर पैनलों, बैटरियों, सेंसरों और अन्य उपकरणों में इसके व्यापक लाभ होते हैं.
ग्रेफीन का प्रयोग कहाँ होता है?
- ग्रेफीन का प्रयोग व्यापक रूप से सौर बैटरी, प्रकाश छोड़ने वाले डायोड, स्पर्श पैनल और स्मार्ट विंडो में होता है. ग्रेफीन सुपर कैपेसिटर ऊर्जा के भंडारण के ऐसे उपकरण हैं जिनमें पारम्परिक इलेक्ट्रोलिटिक बैटरियों की तुलना में तेजी से चार्जिंग होता है और इनकी आयु भी ज्यादा लम्बी होती है.
- ग्रेफीन जल को छानने और साफ़ करने, नवीकरणीय ऊर्जा, सेंसर, रोगी के अनुसार स्वास्थ्य देखभाल और औषधि आदि कई वस्तुओं के लिए प्रयोग में आता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Indian Forest Act 1927
संदर्भ
भारत में वन प्रशासन के मेरुदंड स्वरूप भारतीय वन अधिनियम, 1927 में व्यापक सुधार के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्रक्रिया चालू कर दी है. इस संदर्भ में ज्ञातव्य है कि MB शाह रिपोर्ट (2010) और TSR सुब्रमनियन रिपोर्ट (2015) में इस अधिनियम में संशोधन करने की चर्चा की गई थी.
प्रत्याशित परिणाम
- उपर्युक्त प्रक्रिया में अधिनियम के सभी अनुभागों की जाँच होगी. उसमें जो पुराने पड़ गये प्रावधान हैं उनको निकाल दिया जाएगा और आजकल के हिसाब से जो उचित प्रावधान होने चाहिएँ उनको इसमें लाया जाएगा.
- वर्तमान में वन अथवा इसके प्रशासन से सम्बंधित किसी भारतीय कानून में वन की परिभाषा नहीं मिलती है. इसलिए वन, प्रदूषण, पर्यावरणिक सेवाएँ इत्यादि शब्दों को भी संशोधन में परिभाषित किया जाएगा.
- यदि वन की कानूनी परिभाषा निर्धारित हो जाती है तो वनों के संरक्षण के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारम्परिक वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम, 2006 को लागू करने में बड़ी सहायता मिलेगी.
- संशोधन के द्वारा इनमें परिवर्तन होने की सम्भावना है – भारतीय वन अधिनियम में वर्णित दंड और जुर्माने, कार्बन पृथकीकरण से सम्बंधित प्रावधान, पर्यावरण से सम्बंधित सेवाएँ आदि.
वन और वनभूमि की वर्तमान परिभाषाएँ
- सर्वोच्च न्यायालय के 1996 के एक आदेश के अनुसार शब्दकोष में वन की जो परिभाषा है, वही परिभाषा कानूनी परिभाषा मानी जायेगी. इसके अंतर्गत वे सभी वन आते हैं जिन्हें वैधानिक रूप से मान्यता दी गई है, चाहे वे आरक्षी वन हों, सुरक्षित वन हों अथवा वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के अनुभाग 2(i) के निमित्त कोई वन हों.
- न्यायालय के इसी आदेश के अनुसार अनुभाग 2 में वर्णित वनभूमि में न केवल उसका शब्दकोषीय अर्थ शामिल है अपितु सरकार के अभिलेख में वन के रूप में अंकित कोई भी क्षेत्र इसमें शामिल है चाहे उसका स्वामी कोई भी हो.
भारतीय वन अधिनियम, 1927
- भारतीय वन अधिनियम, 1927 (Indian Forest Act, 1927) मुख्य रूप से ब्रिटिश काल में लागू पहले के कई भारतीय वन अधिनियमों पर आधारित है. इन पुराने अधिनियमों में सबसे प्रसिद्ध था – भारतीय वन अधिनियम, 1878.
- 1878 और 1927 दोनों अधिनियमों में वनाच्छादित क्षेत्र अथवा वह क्षेत्र जहाँ बहुत से वन्य जीव रहते हैं., वहाँ आवाजाही एवं वन-उत्पादों के स्थानान्तरण को नियंत्रित किया गया था. साथ ही इमारती लकड़ी और अन्य वन उत्पादों पर चुंगी लगाए जाने का प्रावधान किया गया था.
- 1927 के अधिनियम में किसी क्षेत्र को आरक्षित वन अथवा सुरक्षित वन अथवा ग्राम वन घोषित करने की प्रक्रिया बताई गई है. 1927 के अधिनियम में यह भी बताया गया है कि वन अपराध क्या है और किसी आरक्षित वन के भीतर कौन-कौन से कार्य वर्जित हैं और अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए कौन-कौन से दंड निर्धारित हैं.
Prelims Vishesh
Navic powered gadgets to TamilNadu fishermen :-
- तमिलनाडु सरकार ने मछुआरों के 80 समूहों को ISRO द्वारा बनाए गये 200 नैविक (NAVIC) से चलने वाले उपग्रह संचार उपकरणों का वितरण किया है.
- इन उपकरणों से मछुआरे जान सकेंगे कि चक्रवात कब आएगा और मौसम कैसा रहेगा.
- इन उपकरणों में ब्लूटूथ लगा हुआ है इससे जब भी कोई चक्रवात आएगा तो उसमें बीप की आवाज़ आएगी.
- NAVIC एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नौकायन उपग्रह प्रणाली है जो भारतीय क्षेत्र और मुख्य भूमि के चारों ओर 1,500 किमी. तक की जानकारी उपलब्ध कराती है.
‘Farout’ Dwarf Planet :-
- हाल ही में एक ऐसे वामन ग्रह का पता चला है जो पृथ्वी की तुलना में सूर्य से 100 गुना अधिक दूरी पर है.
- इस प्रकार यह ऐसा खगोलीय पिंड है जो हमारे सौर मंडल में सबसे दूरी पर स्थित है. यह दूरी 120 खगोलीय इकाई है.
- इसे तात्कालिक रूप से 2018 VG18 का नाम दिया गया है.
- इसके पहले सौर मंडल का सबसे दूरस्थ पिंड Eris को माना जाता था जो 96 खगोलीय इकाई की दूरी पर स्थित है.
Shiksha Setu :-
- हरियाणा सरकार ने एक मोबाइल ऐप का अनावरण किया है जिसे शिक्षा सेतु नाम दिया गया है.
- इस ऐप में हरियाणा के सभी सरकारी कॉलेजों से सम्बंधित सूचनाएँ, जैसे – छात्रों की उपस्थिति, शुल्क, ऑनलाइन नाम-लिखाई, छात्रवृत्ति आदि अंकित हैं.
- इसमें प्रध्यापकों के विवरण भी दिए हुए हैं.
National cancer Institute :-
दिल्ली में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की एक परियोजना के तहत हरियाणा के झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान खोला गया है.
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