Sansar Daily Current Affairs, 19 July 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.
Topic : Why lightning still kills so many Indians?
संदर्भ
पिछले 24 घंटों में तीन राज्यों राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश में आकाशीय बिजली गिरने से 76 लोगों की मृत्यु हो गई. इस दौरान राजस्थान में 23, उत्तरप्रदेश में 41 एवं मध्यप्रदेश में 12 मौतें दर्ज की गयीं. ज्ञातव्य हो कि भारत में प्रतिवर्ष औसतन 2000-2500 मौतें बिजली गिरने से होती है, जो प्राकृतिक आपदा से होने वाली आकस्मिक मौतों का सबसे बड़ा कारण है, परन्तु इतना सब कुछ होने के बाद भी इस आपदा को लेकर भारत में सबसे कम शोध किया जा रहा है. मात्र इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मैनेजमेंट, पुणे में इस पर पूर्णकालिक शोध किया जाता है.
इस प्रकार की अकस्मात होने वाली मौतों को हम कैसे कम कर सकते हैं?
आकशीय बिजली गिरने की घटनाएँ एक निश्चित अवधि के दौरान और लगभग समान भौगोलिक स्थानों पर समान पैटर्न में होती है.
- क्लाइमेट रेज़िलिएंट ओब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल (Climate Resilient Observing Systems Promotion Council-CROPC) के अनुसार, किसानों, पशु चराने वालों, बच्चों और खुले क्षेत्रों में लोगों की जान बचाने के लिए बिजली गिरने की पूर्व-जानकारी दिया जाना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है.
- बिजली गिरने से होने वाली मौतों को कम करने के लिए, तड़ित सुरक्षा यंत्रों (Lightning Protection Devices) को लगाने जैसे स्थानीय तड़ित सुरक्षा कार्य योजनाओं की आवश्यकता है.
बिजली गिरने का प्रभाव
केंद्र ने वर्ष 2015 में प्राकृतिक आपदा से पीड़ितों के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में 4 लाख रुपये तक की वृद्धि की थी.
- पिछले पांच वर्षों में आकशीय बिजली गिरने से 13,994 मौतें हुईं, जिसके लिए कुल मुआवजा राशि लगभग 359 करोड़ रुपये होगी.
- बिजली गिरने से पशु जीवन को भी अत्याधिक नुकसान हुआ है.
वज्रपात क्या है?
- वज्रपात वस्तुतः वायुमंडल में होने वाला एक अत्यंत तीव्र और भारी विद्युत प्रवाह है जिसमें कुछ धरातल की ओर गमन कर जाता है.
- बिजली का यह प्रवाह 10-12 किलोमीटर लम्बे उन बादलों में होता है जो विशाल आकार के होते हैं और उनमें बहुत अधिक आर्द्रता भरी होती है.
- बिजली वाले बादल धरातल से 1-2 किलोमीटर की दूरी के भीतर होते हैं जबकि उनका शीर्ष भाग 12-13 किलोमीटर दूरी पर रहता है.
- इन बादलों के शीर्ष पर तापमान -35 से लेकर -45 डिग्री सेल्सियस होता है.
- इन बादलों में जैसे-जैसे जलवाष्प ऊपर जाता है, गिरते हुए तापमान के कारण वह संघनित होने लगता है. इस प्रक्रिया में ताप उत्पन्न होता है जो जलकणों को और ऊपर की ओर धकेलने लगता है.
- जब जलवाष्प शून्य डिग्री सेल्सियस तापमान पर पहुँच जाता है तो उसकी बूँदें छोटे-छोटे बर्फीले रवों में बदल जाती हैं. जब वे ऊपर जाती हैं तो उनका आयतन बढ़ते-बढ़ते इतना अधिक हो जाता है कि ये बूँदें पृथ्वी पर गिरने लगती हैं.
- इस प्रक्रिया में एक समय ऐसी दशा हो जाती है कि छोटे-छोटे हिम के बर्फीले रवे ऊपर जा रहे होते हैं और बड़े-बड़े रवे नीचे की ओर आते रहते हैं.
- इस आवाजाही में बड़े और छोटे रवे टकराने लगते हैं जिससे इलेक्ट्रान छूटने लगते हैं. इन इलेक्ट्रानों के कारण रवों का टकराव बढ़ जाता है और पहले से अधिक इलेक्ट्रान उत्पन्न होने लगते हैं.
- अंततः बादल की शीर्ष परत में धनात्मक आवेश आ जाता है जबकि बीच वाली परत में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है.
- बादल की दो परतों के बीच विद्युतीय क्षमता में जो अंतर होता है वह 1 बिलियन से लेकर 10 बिलियन वाल्ट तक की शक्ति रखता है. बहुत थोड़े समय में ही एक लाख से लेकर दस लाख एम्पीयर की विद्युत धारा इन दोनों परतों के बीच प्रवहमान होने लगती हैं.
- इस विद्युत धारा के फलस्वरूप भयंकर ताप उत्पन्न होता है जिसके कारण बादल की दोनों परतों के बीच का वायु-स्तम्भ गरम हो जाता है. इस गर्मी से यह वायु-स्तम्भ लाल रंग हो जाता है. जब यह वायु-स्तम्भ फैलता है तो बादल के अंदर भयंकर गड़गड़ाहट होती है जिसे बिजली कड़कना (thunder) कहते हैं.
बिजली बादल से पृथ्वी तक कैसे पहुँचती है?
पृथ्वी विद्युत की एक अच्छी संचालक होती है. इसका आवेश न्यूट्रल होता है. परन्तु बादल की बिचली परत की तुलना में पृथ्वी का आवेश धनात्मक हो जाता है. फलतः इस बिजली का लगभग 15-20% अंश धरती की ओर दौड़ जाता है. इसी को वज्रपात (lightning) कहते हैं.
बादल की बिजली अधिकतर पेड़, मीनार या भवन जैसी ऊँची वस्तुओं पर गिरती है. जब यह बिजली धरती से 80 से 100 मीटर ऊपर होती है तो उस समय यह मुड़कर ऊँची वस्तुओं पर जा गिरती है. ऐसा इसलिए होता है कि वायु बिजली की कुचालक होती है और इससे होकर बहने वाले इलेक्ट्रान बेहतर सुचालक की खोज करने लगते हैं और धनात्मक आवेश वाली पृथ्वी तक पहुँचने के लिए छोटा सा छोटा मार्ग अपनाने लगते हैं.
वज्रपात की भविष्यवाणी
- जब वज्रपात में बिजली पृथ्वी की ओर दौड़ती है और किसी पर गिरती है तो उसके 30-40 मिनट पहले उसकी भविष्यवाणी की जा सकती है.
- यह भविष्यवाणी मेघों में चमकती हुई बिजली के अध्ययन और अनुश्रवण के आधार पर संभव है.
- वज्रपात के विषय में समय पर सूचना उपलब्ध हो जाने से अनेकों प्राण बचाए जा सकते हैं.
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https://www.sansarlochan.in/physical-geography-glossary-facts-hindi/
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Human Resource.
Topic : Padma Awards
संदर्भ
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में भारत के नागरिकों से अपील की है कि वे अपनी पसंद के प्रतिभावान व्यक्तियों का नाम पद्म पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट करें.
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2021 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के अतिरिक्त 6 अन्य हस्तियों को पद्म विभूषण दिया गया था. ये हैं:-
- श्री एस.पी. बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत) – कला – आंध्र प्रदेश
- श्री सुदर्शन साहु – कला – ओडिशा
- बेल मानप्पा हेगड़े – चिकित्सा – कर्नाटक
- श्री बी.बी. लाल व अन्य – पुरातत्व – दिल्ली
- श्री नरिंदर सिंह कपनी (मरणोपरांत) – विज्ञान और इंजीनियरिंग – अमेरिका (Father of Fiber Optics)
- मौलाना वहीदुद्दीन खान – आध्यात्मिकता – दिल्ली.
पद्म पुरस्कारों के बारे में
- भारत रत्न के बाद वरीयता क्रम में पद्म पुरस्कारों का स्थान आता है.
- पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिया जाता है: पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री.
- वर्ष 1954 से इन पुरस्कारों की घोषणा गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है.
- सर्वप्रथम वर्ष 1954 में सत्येंद्र नाथ बोस, जाकिर हुसैन, बालासाहेब गंगाधर खेर, नंद लाल बोस को “पद्म विभूषण” पुरस्कार प्रदान किया गया था.
- ये पुरस्कार कला, सार्वजनिक मामलों, सामाजिक कार्य, व्यापार और उद्योग, विज्ञान और इंजीनियरिंग, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेल और नागरिक सेवा सहित विभिन्न विषयों और गतिविधियों के क्षेत्रों में दिया जाते हैं.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : ‘RIGHT TO REPAIR’ MOVEMENT
संदर्भ
पिछले कुछ सालों में विभिन्न देशों द्वारा “राईट-टू-रिपेयर” कानूनों के निर्माण की दिशा में कदम उठाये गए हैं लेकिन स्वभाविक तौर से बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद निर्माता कम्पनियों द्वारा इनका विरोध किया जा रहा है.
राइट-टू-रिपेयर आंदोलन क्या है?
- ‘राइट-टू-रिपेयर’ (Right to Repair) अर्थात् ‘मरम्मत करने का अधिकार’, उपभोक्ताओं को अपने इलेक्ट्रॉनिक्स तथा अन्य उत्पादों की मरम्मत स्वयं करने के लिए सक्षम बनाता है.
- इस आंदोलन का लक्ष्य कंपनियों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स तथा अन्य उत्पादों के स्पेयर पार्टों, उपकरण तथा इनको ठीक करने के लिए उपभोक्ताओं और मरम्मत करने वाली दुकानों को जरूरी जानकारी प्रदान करवाना है, जिससे इन उत्पादों के जीवन-काल में वृद्धि हो सके और इन्हें कचरे में जाने से बचाया जा सके.
- इस आंदोलन की जड़ें 1950 के दशक में कंप्यूटर युग की शुरुआत से जुड़ी हुई हैं.
आंदोलन की शुरुआत के कारण एवं उद्देश्य
इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के निर्माताओं द्वारा ‘एक नियोजित अप्रचलन’ (Planned Obsolescence) की संस्कृति को प्रोत्साहित किया जा रहा है – जिसका अर्थ है कि उपकरणों को विशेष रूप से सीमित समय तक काम करने और इसके पश्चात् इन्हें बदले जाने के लिए डिज़ाइन किया जाता है.
- इससे पर्यावरण पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय होता है.
- इसके अतिरिक्त, उपभोक्ताओं को अक्सर उत्पाद निर्माताओं की मेहरबानी पर छोड़ दिया जाता है, और ये उत्पाद निर्माता यह निर्धारित करते हैं कि इन उपकरणों को कौन ठीक कर सकता है.
- इस प्रकार अधिकतर लोगों के लिए उपकरणों की मरम्मत करवाना काफी महंगा और कठिन हो जाता है.
‘राइट-टू-रिपेयर’ के लाभ
- रिपेयर/मरम्मत करने वाली छोटी दुकानें स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्त्वपूर्ण भाग होती हैं, इस अधिकार को दिये जाने से इन दुकानों के कारोबार में बढ़ोतरी होगी.
- यह ई-कचरे की इतने अधिक मात्रा को कम करने में सहायता करेगा जो कि महाद्वीप पर हर साल बढ़ता जा रहा है.
- यह उपभोक्ताओं को पैसा बचाने में सहायता करेगा.
- यह उपकरणों के जीवनकाल, रख-रखाव, पुन: उपयोग, उन्नयन, पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार कर चक्रीय अर्थव्यवस्था के उद्देश्यों में योगदान देगा.
विभिन्न देशों में ‘राइट-टू-रिपेयर’ कानून
- हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किये हैं. इस आदेश में ‘फ़ेडरल ट्रेड कमीशन’ से, उपभोक्ताओं के अपनी शर्तों पर अपने उपकरण की मरम्मत करने पर निर्माताओं द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर लगाम लगाने के लिए कहा गया है.
- ब्रिटेन में ‘राइट-टू-रिपेयर’ नियम लागू किए गए हैं जिनके अंतर्गत टीवी और वाशिंग मशीन जैसे दैनिक उपयोग के उपकरणों का क्रय और उनकी मरम्मत करना बहुत ही सरल हो जाएगा.
आंदोलन का विरोध
इस आंदोलन को गत कुछ वर्षों में एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे तकनीकी दिग्गजों के जबरदस्त प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है.
- इनका तर्क यह है कि अपनी बौद्धिक संपदा को, तीसरे पक्ष की मरम्मत सेवाओं या शौकिया मरम्मत करने वालों के लिए खोलने से उनका शोषण हो सकता है और उनके उपकरणों की विश्वसनीयता और सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है.
- इन कंपनियों द्वारा यह तर्क भी दिया जाता है कि इस प्रकार की पहल से डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Lemru Elephant Reserve
संदर्भ
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने 450 वर्ग किमी. क्षेत्र में लेमरू हाथी रिज़र्व बनाने का प्रस्ताव दिया है. ज्ञातव्य है कि इससे पहले राज्य सरकार ने इसका क्षेत्र 1,995 वर्ग किमी. तक विस्तारित करने का निर्णय किया था, परन्तु इस क्षेत्र में कोयले के भंडार भी विद्यमान है इसलिए उनके उपयोग की दृष्टि से रिजर्व क्षेत्र को सीमित रखा गया है.
लेमरू हाथी रिजर्व के बारे में
- इसे वर्ष 2005 में प्रस्तावित किया गया था और वर्ष 2007 में केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया.
- इस क्षेत्र में हाथियों के ओडिशा और झारखंड से छत्तीसगढ़ की ओर आने पर होने वाले “मानव-वन्यजीव संघर्ष” को रोकने के लिए यह योजना बनाई गई है.
एशियाई हाथी
- यह हाथी भारत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार में पाया जाता है.
- IUCN में इसे “संकटग्रस्त” (Endangered) की पदवी मिली हुई है.
- इसके अतिरिक्त यह निम्नलिखित प्रलेखों में भी सूचीबद्ध है – संकटग्रस्त वन्य जीव एवं वनस्पति अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संधि (CITES) तथा भारतीय वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 की अनुसूची
RE-HAB परियोजना मानव-हाथी संघर्षों को कम करने के उद्देश्य से खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के राष्ट्रीय शहद मिशन के अंतर्गत RE-HAB परियोजना को संचालित किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि हाथी, मधुमक्खियों के समीप जाने से बचते हैं, ऐसे में मानव बस्ती से हाथियों को दूर रखने के लिए मधुमक्खियों के बक्सों का उपयोग किया जा सकता है. अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कर्नाटक के कोडाग में शुरू किया गया है. Genome Sequencing Laboratory :- Hypersonic Missiles :- Discovery of “Dragon Man” skull in China :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi June,2021 Sansar DCA is available Now, Click to Download इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
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