Sansar Daily Current Affairs, 19 June 2020
GS Paper 2 Source : Down to Earth
UPSC Syllabus : Government Policies & Interventions.
Topic : UNHCR Global Trends report
संदर्भ
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees-UNHCR) ने एक रिपोर्ट जारी की जिसके अनुसार, वर्ष 2019 के अंत तक लगभग 79.5 मिलियन लोग अनेक कारणों से विस्थापित हो गये. यह संख्या वैश्विक आबादी का लगभग 1 प्रतिशत है, और इसमें से अधिकांश बच्चे थे.
प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट के अनुसार, 79.5 मिलियन में से, 26 मिलियन क्रॉस-बॉर्डर शरणार्थी थे.
- 45.7 मिलियन लोग आंतरिक रूप से विस्थापित थे.
- 4.2 मिलियन शरण (Asylum) चाहने वाले थे और
- 3.6 मिलियन वेनेज़ुएला से अन्य देशों में जाने वाले विस्थापित थे.
- इतनी बड़ी संख्या में विस्थापन के मुख्य कारणों को यदि देखा जाए तो इसमें प्रमुख कारण जो थे, वे थे – उत्पीड़न, संघर्ष, हिंसा और मानवाधिकारों का उल्लंघन.
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में प्रत्येक 97 लोगों में 1 व्यक्ति जबरन विस्थापन से प्रभावित हुआ.
- जबकि वर्ष 2010 में प्रत्येक 159 में से 1 व्यक्ति जबरन विस्थापन से प्रभावित था और वर्ष 2005 में प्रत्येक 174 में से 1 व्यक्ति इससे प्रभावित था.
- UNHCR द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि विस्थापित लोगों में से काफी कम लोग ही वापस अपने घर लौटने में समर्थ थे.
- आँकड़ों के अनुसार, 1990 के दशक में हर वर्ष औसतन 1.5 मिलियन शरणार्थी घर लौटने में सक्षम थे, जबकि पिछले एक दशक (2010-2019) में यह संख्या कम होकर 385,000 रह गई है.
- वर्ष 2019 के अंत में सीमा पार विस्थापित होने वाले 10 में से 8 लोग केवल 10 देशों से ही थे और इन 10 देशों में से 4 अफ्रीकी देश हैं.
- अफगानिस्तान, सोमालिया, कांगो, सूडान और इरीट्रिया बीते एक दशक (2010-2019) से सीमा पार विस्थापन के मामले में मूल देशों के रूप में टॉप 10 सूची में बने रहे.
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 से सबसे अधिक शरणार्थी सीरिया से ही निकल रहे हैं. यदि आँकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2019 के अंत तक दुनिया भर के 126 देशों में कुल 6.6 मिलियन सीरियाई शरणार्थी थे.
शरणार्थी कौन कहलाते हैं?
- एक शरणार्थी का अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से होता है जिसे उत्पीड़न, युद्ध या हिंसा के चलते उसके देश से भागने के लिये विवश किया गया हो.
- ज्यादातर शरणार्थियों में नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता, राजनीतिक राय या उत्पीड़न का डर समाया होता है और इसी डर के चलते वे वापस अपने घर नहीं लौट पाते हैं.
पलायन का इतिहास
- दरअसल, ‘वैश्विक शरणार्थी संकट’ का जन्म सबसे पहले द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान हुआ था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 20वीं शताब्दी में संकट उत्पन्न हुआ और लाखों लोगों को अपना घर छोड़कर एक सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ा.
- एक आँकड़े के अनुसार, इस दौरान यूरोप में लगभग 40 मिलियन लोगों को विस्थापित होना पड़ा था.
- वर्ष 1945 में भले ही द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हो गया, पर संघर्ष इसके बाद भी जारी रहा और इसके चलते विश्व युद्ध के बाद भी लोगों का विस्थापन जारी रहा.
- अगस्त 1947 में भारत स्वतंत्र हो गया. पर भारत का दो हिस्सों में विभाजन हो गया और लाखों लोगों को इस दौरान अपना सब कुछ छोड़ कर एक नए स्थान पर जाना पड़ा. आँकड़ों को देखा जाए तो इस दौरान लगभग 14 मिलियन लोगों ने पलायन किया था.
- फिलिस्तीन में युद्ध के बाद यहूदी राज्य के गठन के कारण वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान में लगभग 750,000 लोगों का पलायन हुआ.
- 20 वीं शताब्दी के शुरूआती चरण में एशिया और अफ्रीका में स्वतंत्रता आंदोलन हुए. इस दौरान स्वतंत्रता से सम्बंधित युद्धों और उसके बाद हुए नागरिक संघर्षों ने अल्जीरिया, कांगो, अंगोला, नाइजीरिया और अन्य देशों के लाखों लोगों को पलायन के लिए मजबूर कर दिया.
- वर्ष 1981 से वर्ष 1989 के बीच मध्य अमेरिका में गृहयुद्ध का दौर था, जिसमें लगभग 2 मिलियन लोगों को विस्थापित होना पड़ा.
- वर्ष 1971 में बांग्लादेश आज़ाद हो गया, इस दौरान तत्कालीन पूर्वी बंगाल से तकरीबन 10 मिलियन लोगों ने पलायन किया था.
भारत में शरणार्थी से सम्बंधित कानून
- भारत में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920; विदेशी कानून, 1946 इत्यादि कानून हैं जो शरणार्थियों के प्रवेश से सम्बंधित हैं. ये कानून शरणार्थियों को अन्य विदेशियों के समान मानते हैं.
- आपको जानकार आश्चर्य होगा कि भारत में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सबसे अधिक शरणार्थी जनसंख्या है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees -UNHCR) एक संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और एक वैश्विक संगठन है जो शरणार्थियों के जीवन बचाने, उसके अधिकारों की रक्षा करने और उनके लिये बेहतर भविष्य के निर्माण के प्रति समर्पित है.
- संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी की स्थापना वर्ष 1950 में की गई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा (Geneva) में स्थित है.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Role of civil services in a democracy.
Topic : Civil Services Board
संदर्भ
हाल ही में पंजाब सरकार ने IAS अधिकारियों को एक निश्चित कार्यकाल प्रदान करने के लिये सिविल सेवा बोर्ड (Civil Services Board- CSB) को सूचित किया है.
मुख्य तथ्य
- सिविल सेवा बोर्ड, प्रवेश स्तर की भर्ती और संयुक्त सचिव स्तर से कम रैंक वाली नौकरी में पदोन्नति के लिये ज़िम्मेदार है.
- 2 जून की पंजाब सरकार की अधिसूचना के अनुसार, CSB की अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे और इसके सदस्यों में कार्मिक सचिव के साथ या तो वित्तीय आयुक्त (राजस्व) या गृह सचिव ( वरिष्ठता के आधार पर) शामिल होंगे.
- सिविल सेवा बोर्ड राज्य कैडर के अधिकारियों के लिये कम-से-कम दो वर्ष का निश्चित कार्यकाल प्रदान करने हेतु केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करने का प्रावधान करता है.
- इस निश्चित कार्यकाल से पहले उनका स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है और यदि कोई उनके स्थानांतरण की सिफारिश करता है तो बोर्ड उसकी जाँच करेगा और इससे संबंधित निर्णय लेने का अंतिम अधिकार मुख्यमंत्री के पास है.
पृष्ठभूमि
विदित हो कि पंजाब में पिछली सरकार ने आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण पर राज्य के विशेषाधिकार से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करने से इंकार कर दिया था और इसके पीछे तर्क दिया था कि यदि उनका कार्यकाल तय होता है तो यह न केवल कार्यात्मक एवं प्रशासनिक समस्याएँ पैदा करेगा बल्कि राज्य सरकार के प्राधिकारों एवं अधिकार क्षेत्र को भी खत्म कर देगा.
सिविल सेवा बोर्ड क्या है?
- नौकरशाही को राजनीतिक हस्तक्षेप से अलग करने तथा राजनीतिक अधिकारियों द्वारा बार-बार स्थानांतरण को समाप्त करने हेतु, वर्ष 2013 में उच्चत्तम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को नौकरशाहों के स्थानांतरण तथा नियुक्ति पर विचार करने के लिए ‘सिविल सेवा बोर्ड’ गठित करने का निर्देश दिया था.
- नियमानुसार, सभी राज्यों में नौकरशाहों के स्थानांतरण तथा नियुक्ति पर निर्णय लेने हेतु ‘सिविल सेवा बोर्ड’ होना चाहिए.
सिविल सेवा बोर्ड के कार्य
- बोर्ड को सिविल सेवक के निर्धारित कार्यकाल के पूरा होने से पहले उसके स्थानांतरण पर निर्णय लेने हेतु अधिदेशित किया गया है.
- नियमों के अनुसार, प्रतिवर्ष 1 जनवरी को सिविल सेवा बोर्ड, केंद्र सरकार के लिए उनके द्वारा आयोजित की गयी बैठकों के बारे में एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है.
गठन
राज्य के मुख्य सचिव (Chief Secretary) सिविल सेवा बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं.
- वरिष्ठ अतिरिक्त मुख्य सचिव या राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष, वित्तीय आयुक्त अथवा अन्य समकक्ष अधिकारी इसके सदस्य होते है.
- इसके अतिरिक्त, बोर्ड के अन्य सदस्य के रूप में प्रधान सचिव (Principal Secretary) अथवा कार्मिक विभाग के सचिव सम्मिलित होते है.
प्रीलिम्स बूस्टर
Civil Services Day :-
- 21 अप्रैल, 1947 को तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के पहले बैच के अधिकारियों को संबोधित किया था और सिविल सेवकों को भारत का इस्पाती ढाँचा बताया था. तब से प्रतिवर्ष 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस मनाया जाता रहा है.
- इस दिन प्रधानमंत्री लोक प्रशासन में उत्कृष्ट काम के लिए 2006 से प्रतिवर्ष पुरस्कार भी देते हैं.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.
Topic : Why banning trade with China will hurt India more?
संदर्भ
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-चीन सीमा पर तनाव का द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर तत्काल किसी तरह का असर पड़ने की उम्मीद कम है. हालांकि, विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अगर स्थिति और अधिक बिगड़ती है तो इसका असर द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों पर देखने को मिल सकता है.
परन्तु, वैश्विक व्यापार में चीन की प्रमुखता तथा भारत की अल्प भागीदारी को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि चीन पर किसी भी तरह का व्यापार प्रतिबंध लगाए जाने से भारत पर चीन की तुलना में अधिक प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है.
प्रमुख क्षेत्रों में चीन की भागीदारी
- स्मार्टफोन: कुल बाजार: 2 लाख करोड़ रुपये; चीनी उत्पादों की हिस्सेदारी: 72%.
- दूरसंचार उपकरण: कुल बाजार: 12,000 करोड़ रुपये; चीनी उत्पादों की हिस्सेदारी: 25%.
- वाहनों के पुर्जे: कुल बाजार: 43.1 लाख करोड़; चीनी उत्पादों की हिस्सेदारी: 26%.
- इंटरनेट एप: कुल बाजार: 45.0 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ता; चीनी उत्पादों की हिस्सेदारी: 66%.
- सौर ऊर्जा: कुल बाजार: 37,916 मेगावाट; चीनी उत्पादों की हिस्सेदारी: 90%.
- इस्पात: चीनी उत्पादों का हिस्सा: 18-20%.
- फार्मा: बाजार का आकार: 1.5 लाख करोड़; चीनी उत्पादों की हिस्सेदारी: 60%.
‘चीनी वस्तुओं का बाहिष्कार’ क्या संभव हो सकता है?
भारत में चीनी वस्तुओं का कारोबार बहुत ही व्यापक है. भारत को डब्ल्यूटीओ का सदस्य होने के नाते चीनी वस्तुओं का आयात करना आवश्यक हो जाता है. चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. इस कारण भारत को चीन से व्यापारिक साझेदारी खत्म करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
भारत निर्यात की तुलना में 7 गुना ज्यादा माल चीन से आयात करता है. कृषि और आज के मानव जीवन का अनिवार्य वस्तु मोबाइल जब हम चीन से आयात करने पर विवश हैं.
चीनी उत्पाद सस्ते क्यों होते हैं?
- सस्ते श्रम की उपलब्धता: चीनी उत्पादों के सस्ते होने के प्रमुख कारकों में से एक है.
- कम दामों में कच्चे माल की आपूर्ति: कच्चा माल किसी उत्पाद की कुल लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. चूंकि चीनी कंपनियां थोक उत्पादन के लिए थोक खरीद में निवेश करती हैं, इससे उत्पादन लागत में महत्वपूर्ण कमी होती है.
- दक्ष व्यापार माहौल: एक कुशल वपापार तंत्र में आपूर्तिकर्ता, कल-पुर्जों के निर्माता, वितरक, सरकारी एजेंसियों तथा ग्राहकों का एक नेटवर्क सम्मिलित होता है. यह सभी उत्पादन प्रक्रिया में होने वाली दिक्कतों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.
- व्यवसाय हेतु ऋणों की सुलभता: उद्योगों तथा व्यवसायों, विशेष रूप से बड़े उद्योगों के लिए आसानी से ऋण उपलब्ध होता है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र में व्यवसायों को अधिक वित्तीय क्षमता प्राप्त होती है.
- चीनी कारखानों की स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों तथा पर्यावरण संरक्षण कानूनों की अवहेलना के लिए आलोचना की जाती है.
- चीन में मूल्य वर्धित कर (Value Added Tax– VAT) प्रणाली प्रचलित है. तथा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर जीरो प्रतिशत वैट लगता है.
भारत में ‘चीनी उत्पादों का बहिष्कार‘ आंदोलन क्यों कठिन है?
व्यापार घाटा: वित्तीय वर्ष 2018-19 में, भारत का चीन को कुल 16.7 बिलियन डॉलर का निर्यात किया गया, जबकि चीन से कुल आयात 70.3 बिलियन डॉलर था. परिणामस्वरूप कुल व्यापार घाटा 53.6 बिलियन डॉलर के बराबर था.
चीनी निवेश वाली निजी भारतीय कंपनियाँ: वर्ष 2015 से 2019 के बीच चीन से कुल 1.8 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) किया गया. चीनी प्रोद्योगिकी निवेशकों ने भारतीय स्टार्ट-अपों में अनुमानित $4 बिलियन का निवेश किया है.
भारतीय डिजिटल बाजार में चीन का दबदबा: भारतीय डिजिटल बाजार में चीनी निवेश वाले ऐप्स का बड़ा हिस्सा है. गेटवे हाउस के एक प्रतिवेदन के अनुसार, iOS और गूगल प्ले, दोनों मंच पर डाउनलोड किये जाने वाली ऐप में 50% चीनी निवेश वाले ऐप होते हैं.
वर्तमान में महामारी के कारण छोटे भारतीय व्यवसाय अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में चीनी आयातों पर प्रतिबंध से सभी छोटे व्यवसायों को क्षति पहुंचेगी.
मेरी राय – मेंस के लिए
महात्मा गांधी ने कहा था, कि हमें विदेशी वस्तुओं के उपयोग से मुक्त होने की जरूरत है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसा तभी होगा, जब हम स्वयं अपने उत्पाद बनाएंगे. चीन ने विश्व ही नहीं, पूरे दक्षिण एशिया व्यापार पर कब्जा जमाया, और इन देशों में अपनी वस्तुएं बेच रहा है. अब अगर भारत चीन को जवाब देने को तत्पर नजर आ रहा है, तो उसे चीन को उसके पायदान से बेदखल करना होगा. इसके लिए भारत को अपने उत्पादन क्षेत्र को बढ़ाना होगा. चीन के सामान गुणवत्ता और टिकाऊपन के क्षेत्र में कमजोर होते हैं, इस क्षेत्र में अच्छा काम करके भारत अपना स्थान बना सकता है. अगर लंबे समय के गुणवत्तापूर्ण सामान की बात करेंगे तो जर्मनी का नाम आएगा. जर्मन मशीनरी का अभी तक कोई सानी नहीं है. चीन ने भले ही सस्ते सामान बनाकर विश्व बाजार में स्थान बना लिया है, लेकिन गुणवत्ता के मामले में बहुत पीछे है. भारत को इस ओर ध्यान देना चाहिए.
भारत, चीन के माल का बहिष्कार नहीं कर सकता, क्योंकि व्यापार भावनाओं पर नहीं होते, सस्ते उत्पादों और मुनाफों पर टिके होते हैं. वैश्विक दौर में किसी भी देश के लिए किसी अन्य देश के उत्पाद पर रोक लगा पाना संभव नहीं है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Border areas and their management.
Topic : India China Galwan Valley standoff
संदर्भ
पिछले डेढ़ माह से भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव बना हुआ है जिसके केन्द्र में लद्दाख क्षेत्र में स्थित गलवान घाटी है. गलवान घाटी पर चीन ने विवाद पैदा किया और अपना फौजी जमावड़ा बढ़ाया तो भारत ने भी उसी शैली में जवाब दिया. लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के आमने सामने हैं.
गलवान घाटी की भौगोलिक स्थिति
गलवान घाटी लद्दाख़ और अक्साई चीन के बीच स्थित है जहाँ से भारत-चीन सीमा बहुत करीब है. भारत और चीन के बीच की वास्तविक नियंत्रण रेखा अर्थात एलएसी यहीं स्थित है जो कि अक्साई चीन को भारत से अलग करती है. अक्साई चीन भारत और चीन दोनों के बीच विवाद का मुद्दा है और दोनों ही देश इस पर अपना अपना दावा करते हैं. गलवान घाटी के भौगोलिक प्रसार की बात करें तो ये घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख़ तक फैली हुई है.
इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने का कारण
- भारत लेह से काराकोरम पास को जोड़ने वाला 255 किलोमीटर लंबा दार्बुक-श्योक- दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO road) रोड का निर्माण रहा है.
- यह सड़क श्योक नदी के समानांतर है तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा के निकट संचार के लिए बहुत आवश्यक है.
- इसलिए, चीनी इस क्षेत्र पर नियंत्रण करना चाहते है, क्योंकि उन्हें डर है कि भारत इस नदी घाटी का उपयोग करके अक्साई चिन पठार पर चीन के अधिकार को समाप्त कर सकता है.
संक्षिप्त इतिहास
- 1962 – भारत-चीन युद्ध, ये लड़ाई क़रीब एक महीने चली थी और इसका क्षेत्र लद्दाख़ से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ था.
- 1967 – नाथु ला में चीन और भारत के कई सैनिक मारे गए थे. संख्या के बारे में दोनों देश अलग-अलग दावे करते हैं.
- 1975 – भारतीय सेना के गश्ती दल पर अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर चीनी सेना ने हमला किया था.
- भारत और चीन संबंधों के इतिहास में साल 2020 का ज़िक्र भी अब 1962, 1967 और 1975 की तरह ही होगा. कारण साफ़ है भारत-चीन सीमा विवाद में 45 साल बाद इतनी संख्या में सैनिकों की जान गई है.
Prelims Vishesh
i-Labs :-
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने नई दिल्ली में आई-लैब (संक्रामक रोग निदान प्रयोगशाला) लांच की. यह भारत में लांच की गयी पहली बार आई-लैब है. आई-लैब देश भर में कोविड-19 के परीक्षण को बढ़ाने में मदद करेगा.
- आई-लैब एक मोबाइल परीक्षण सुविधा है जिसका उपयोग देश के ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्गम क्षेत्रों में कोविड-19 के लिए नमूने एकत्र करने और परीक्षण के लिए किया जाएगा.
PM Modi Launches Garib Kalyan Rojgar Yojana Scheme :-
- हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े पैमाने पर ग्रामीण सार्वजनिक कार्य योजना- गरीब कल्याण रोज़गार अभियान का शुभारंभ करने का ऐलान किया.
- इस योजना का लक्ष्य देश भर के ग्रामीण हिस्सों में ग्रामीण नागरिकों को आजीविका सहायता प्रदान करके, खासकर प्रवासी श्रमिकों के लिए आजीविका समर्थन प्रदान करने के कारण देश के ग्रामीण हिस्सों में होने वाले आर्थिक प्रभाव को कम करना होगा.
- केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत लगभग 25 योजनाओं को एक साथ लाकर देश भर के 116 जिलों में योजना के तहत लक्ष्य प्राप्त करने की योजना बनाई है.
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