Sansar Daily Current Affairs, 19 March 2019
GS Paper 2 Source: Economic Times
Topic : Sary-Arka-Antiterror 2019- SCO joint anti- terrorism exercise
संदर्भ
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) द्वारा इस वर्ष रूस की अध्यक्षता में आयोजित किये जाने वाले संयुक्त आतंकवाद निरोधी अभ्यास में भारत, पाकिस्तान और संगठन के अन्य सदस्य देश हिस्सा लेंगे. शिन्हुआ संवाद समिति की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद-निरोधी ढांचे (RATS) की 34वीं बैठक के दौरान संयुक्त अभ्यास ‘सेरी-अर्का एंटीटेरर 2019’ की घोषणा की गई.
इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि ‘सेरी-अर्का एंटीटेरर 2019-21’ नामक संयुक्त सीमा कार्रवाई के पहले चरण की योजनाएँ क्या होंगी. इसके साथ ही सीमा सेवाओं के प्रमुखों की सातवीं बैठक पर भी विचार हुआ. इसके अतिरिक्त आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रतावाद के लिए इन्टरनेट के प्रयोग को समझने और उसे रोकने के लिए प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं के आयोजन का भी निर्णय लिया गया.
RATS क्या है?
- RATS शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का स्थायी अंग है. यह संगठन आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद की तीन बुराइयों के खिलाफ सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है.
- RATS के प्रमुख का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है.
- हर सदस्य देश एक स्थाई प्रतिनिधि RATS को भेजता है.
Shanghai Cooperation Organization क्या है?
- शंघाई सहयोग संगठन एक राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी. दरअसल इसकी शुरुआत चीन के अतिरिक्त उन चार देशों से हुई थी जिनकी सीमाएँ चीन से मिलती थीं अर्थात् रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान. इसलिए इस संघठन का प्राथमिक उद्देश्य था कि चीन के अपने इन पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा-विवाद का हल निकालना. इन्होंने अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक की. इस बैठक में ये सभी देश एक-दूसरे के बीच नस्ली और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपस में सहयोग करने पर राजी हुए. इस सम्मेलन को शंघाई 5 कहा गया.
- इसके बाद 2001 में शंघाई 5 में उज्बेकिस्तान भी शामिल हो गया. 15 जून 2001 को शंघाई सहयोग संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.
शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य
शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
- सदस्यों के बीच राजनैतिक, आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना.
- तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र, ऊर्जा, यातायात और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना.
- पर्यावरण का संरक्षण करना.
- मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को सहयोग करना.
- आंतकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना.
SCO का विकास कैसे हुआ?
- 2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुए SCO के सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया.
- 2016 तक भारत SCO में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में सम्मिलित था.
- भारत ने सितम्बर 2014 में शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता के लिए आवेदन किया.
- जून 2017 में अस्ताना में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई.
- वर्तमान में SCO की स्थाईसदस्य देशों की संख्या 8 है – चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान.
- जबकि चार देश इसके पर्यवेक्षक (observer countries) हैं – अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया.
- इसके अलावा SCO में छह देश डायलॉग पार्टनर (dialogue partners) हैं – अजरबैजान, आर्मेनिया, कम्बोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका.
SCO क्यों महत्त्वपूर्ण है?
SCO ने संयुक्त राष्ट्र संघ से भी अपना सम्बन्ध कायम किया है. SCO संयुक्त राष्ट्र की महासभा में पर्यवेक्षक है. इसने यूरोपियन संघ, आसियान, कॉमन वेल्थ और इस्लामिक सहयोग संगठन से भी अपने सम्बन्ध स्थापित किये हैं. सदस्य देशों के बीच समन्वय के लिए 15 जनवरी, 2004 को SCO सचिवालय की स्थापना की गई. शंघाई सहयोग संगठन के महत्त्व का पता इसी बात से चलता है कि इसके आठ सदस्य देशों में दुनिया की कुल आबादी का करीब आधा हिस्सा रहता है. इसके साथ-साथ SCO के सदस्य देश दुनिया की 1/3 GDP और यूरेशिया (यूरोप+एशिया) महाद्वीप के 80% भूभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं.
इसके आठ सदस्य देश और 4 पर्यवेक्षक देश दुनिया के उन क्षेत्रों में आते हैं जहाँ की राजनीति विश्व राजनीति पर सबसे अधिक असर डालती हैं. श्रम या मानव संसाधन के लिहाज से भारत और चीन खुद को संयुक्त रूप से दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति कह सकते हैं. IT, engineering, रेडी-मेड गारमेंट्स, मशीनरी, कृषि उत्पादन और रक्षा उपकरण बनाने के मामले में रूस, भारत और चीन दुनिया के कई विकसित देशों से आगे है. ऊर्जा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान जैसे मध्य-एशियाई देश काफी अहमियत रखते हैं. इस लिहाज से SCO वैश्विक व्यापार, अर्थव्यवस्था और राजनीति पर असर डालने की क्षमता रखता है. हालाँकि इन देशों के बीच आपसी खीचतान भी रही है. ये सभी देश आतंकवाद से पीड़ित भी रहे हैं. ये देश एक-दूसरे की जरूरतें पूर्ण करने में सक्षम हैं. SCO में शामिल देश रक्षा और कृषि उत्पादों के सबसे बड़ा बाजार हैं. IT, electronics और मशीनरी उत्पादन में इन देशों ने हाल के वर्षों में काफी प्रगति की है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Appointment of Lokpal
संदर्भ
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पीसी घोष को देश के पहले लोकपाल के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी दी. इसके अलावा लोकपाल में आठ सदस्यों की नियुक्ति भी की गई.
लोकपाल की नियुक्ति के लिए चयन समिति का स्वरूप
लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अनुसार नियुक्ति के लिए लोकपाल का चयन एक उच्च-स्तरीय चयन समिति करेगी जिसका स्वरूप निम्नलिखित होगा –
- प्रधानमन्त्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- लोकसभा अध्यक्ष
- सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता
- एक सुप्रतिष्ठित न्याय न्यायवेत्ता
लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के मुख्य तत्त्व
- यह अधिनियम केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोक्यायुक्त के गठन का प्रावधान करता है जिसका मूल उद्देश्य भ्रष्टाचार का निवारण है.
- लोकपाल मेंएक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होंगे.
- लोकपाल भ्रष्टाचार के जिन मामलों को देखेगा उसके अन्दर सरकारी प्रधानमन्त्री समेत केंद्र सरकार के सभी सरकारी सेवकों से सम्बंधित होंगे. परन्तुसेनालोकपाल के दायरे में नहीं आयेंगे.
- अधिनियम के अनुसार लोकपाल को यह अधिकार है कि वह भ्रष्ट तरीकों से अर्जित सम्पत्ति को जब्त कर सकता है चाहे सम्बंधित मुकदमा अभी चल ही क्यों नहीं रहा हो.
- अधिनियम के अनुसार इस अधिनियम के प्रभावी होने के एक वर्ष के अन्दर सभी राज्यों को अपना-अपना लोकायुक्त गठित कर लेना होगा.
- लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में यह सुनिश्चित किया गया है कि जो सरकारी सेवक भ्रष्टाचार की किसी मामले के बारे में पहली सूचना देंगे, उनको सुरक्षा प्रदान की जायेगी.
लोकपाल की शक्तियाँ
- लोकपाल CBI समेत किसी भी छानबीन एजेंसी को कोई मामला जाँच के लिए भेज सकता है और उसका पर्यवेक्षण और निगरानी कर सकता है.
- यदि किसी सरकारी सेवक के विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला बनता है तो लोकपाल छानबीन एजेंसी द्वारा पड़ताल आरम्भ होने के पहले भी उस सेवक को बुला सकता है और पूछताछ कर सकता है.
- यदि लोकपाल ने कोई मामला CBI को जाँच-पड़ताल के लिए दिया है तो उस CBI अधिकारी को बिना लोकपाल की अनुमति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है.
- जाँच एजेंसी को जाँच का कामछह महीने में पूरा करना होगा. परन्तु लोकपाल सही और लिखित कारण होने पर छह महीने का विस्तार दे सकता है.
- लोकपाल के द्वारा भेजे गए मामलों पर सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय बनाए जायेंगे.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : United Nations Office for Disaster Risk Reduction (UNISDR)
संदर्भ
आपदा रोधी बुनियादी ढांचे पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का कल से शुभारंभ होगा। इस दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority – NDMA) द्वारा संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (United Nations Office for Disaster Risk Reduction – UNISDR) के साथ संयोजन पर वैश्विक आयोग, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और विश्व बैंक की भागीदारी में किया जा रहा है।
उद्देश्य
- इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में आपदा जोखिम प्रबंधन की अच्छी प्रक्रियाओं की पहचान करना, परिवहन, ऊर्जा, दूरसंचार और जल (डीआरआई) के बारे में सहयोगात्मक विशेष क्षेत्रों और तरीकों की पहचान करना है, अगले तीन वर्षों के लिए बोधात्मक रोल-आउट योजना के रूप में आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए सहयोग की व्यापक रूपरेखा और सह-सृजन के बारे में विचार-विमर्श करना, साझा हितों के क्षेत्रों में काम करने के लिए सदस्यों के लिए मंच तैयार करना और विशेष प्रतिबद्धताएं तैयार करना शामिल है।
- इसके उद्देश्यों में विश्व के विभिन्न हिस्सों में स्थित देशों, बहुपक्षीय विकास बैंकों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, शिक्षाविदों और अनुसंधान संस्थानों, निजी क्षेत्र, शैक्षिक और नीति, विचार समूहों (थींक टेंक) को बड़ी बुनियादी ढांचा प्रणालियों (परिवहन, दूरसंचार, ऊर्जा, जल) में आपदा रोधन अर्जित करने के लिए नीतियों प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करने के बारे में विचार विमर्श और सहयोग करने के लिए एक मंच पर लाना भी शामिल है।
UNISDR
- इस कार्यालय की स्थापना 1999 में अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण रणनीति (International Strategy for Disaster Reduction – ISDR) को लागू करने के लिए की गई थी. यह कार्यालय संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की एक संगठनात्मक इकाई है. इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में है और इसके सबसे प्रमुख अधिकारी आपदा जोखिम न्यूनीकरण महासचिव के एक विशेष प्रतिनिधि होते हैं.
- UNISDR की स्थापना के मूल में संयुक्त राष्ट्र महासभा का संकल्प 56/195 है जिसमें कहा गया था कि विश्व-भर में आपदा के न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर आवश्यक कारर्वाइयाँ की जाएँ.
- UNISDR का मुख्य कार्य सेंडई फ्रेमवर्क का कार्यान्वयन, अनुश्रवण एवं समीक्षा है.
Sendai Framework क्या है?
Sendai Framework का full form “Sendai Framework for Disaster Risk Reduction 2015-2030” है. यह फ्रेमवर्क आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction) के विषय में आयोजित तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मलेन के दौरान अंगीकृत किया गया था. यह सम्मेलन मार्च, 2015 में जापान के सेंडई नगर में आयोजित हुआ था.
Sendai Framework के मुख्य तत्त्व
- 2015 के बाद के विकास से सम्बंधित एजेंडा का यह सबसे बड़ा समझौता है.
- इसमें 7 लक्ष्य और 4 प्राथमिकताएँ तय की गई थीं.
- 2015 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मलेन के पश्चात् संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने इसकी पुष्टि की थी.
- Sendai फ्रेमवर्क15 वर्ष के लिए है.
- यह एक ऐसा स्वैच्छिक और अबाध्यकारी समझौता है जिसमें यह माना गया है कि आपदा जोखिम को घटाने में देश की सबसे बड़ी भूमिका होती है परन्तु इस जिम्मेवारी के निर्वहण में अन्य हितधारकों (स्थानीय सरकार सहित), निजी क्षेत्र आदि को भी सहयोग करना चाहिए.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Govt.’s prerogative to frame schemes: SC
संदर्भ
हाल ही के निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि योजनाएँ बनाने का काम सरकार का है और न्यायालयों को प्रशासन से दूर रहना चाहिए.
पृष्ठभूमि
सर्वोच्च न्यायालय का यह मन्तव्य इस संदर्भ में आया है कि हाल ही में उत्तराखंड के उच्च न्यायालय ने सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation – BRO) के द्वारा चारधाम यात्रा के लिए सड़कों के निर्माण में लगाये गये सैंकड़ों आकस्मिक श्रमिकों को नियमित करने की योजना बनाई थी.
सर्वोच्च न्यायालय के महत्त्वपूर्ण मन्तव्य
- किसी योजना को बनाने का काम न्यायालय का नहीं है, अपितु यह सरकार का विशेषाधिकार होता है.
- संविधान की धारा 226 में प्रदत्त विशेष शक्ति के अनुसार उच्च न्यायालय हद से हद किसी सरकार को कोई समुचित योजना बनाने के लिए विचार करने हेतु निर्देश दे सकता है.
- इस प्रकार का निर्देश प्रत्येक अलग मामले से सम्बंधित तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही दिया जा सकता है.
- केवल आपवादिक मामलों में न्यायालय इस प्रकार के निर्देश किसी सरकार को दे सकते हैं, न कि साधारण मामलों में.
आगे की राह
न्यायिक सक्रियता और न्यायिक अतिक्रमण के बीच की सीमा-रेखा अत्यंत ही संकरी होती है. स्पष्ट रूप से कहा जाए तो न्यायिक सक्रियता जब अपनी सीमा पार कर जाती है तो यह न्यायिक अति-उत्साह में बदल जाती है और इसे न्यायिक अतिक्रमण का नाम दिया जाता है. जब न्यायालय अपनी शक्ति को लांग कर काम करता है तो इससे सरकार की विधायी अथवा कार्यकारिणी शाखाओं के सम्यक् संचालन में विघ्न उपस्थित हो जाता है. सच पूछा जाए तो न्यायिक अतिक्रमण शक्ति विभाजन की भावना पर एक कुठाराघात होता है.
GS Paper 3 Source: Economic Times
Topic : Hayabusa2
संदर्भ
पिछले महीने जापान का Hayabusa 2 अन्तरिक्षयान एक दूरस्थ क्षुद्रग्रह पर उतर गया था. अब पुनः यह अन्तरिक्षयान वहाँ एक जोखिम-भरा काम करने वाला है – वह उस क्षुद्रग्रह पर विस्फोट कर एक क्रेटर बनाएगा और तत्पश्चात् क्षुद्रग्रह के तल के नीचे से नमूने निकालेगा जिससे कि सौरमंडल की उत्पत्ति के बारे में कोई सुराग मिल सके.
पृष्ठभूमि
जापान द्वारा भेजे गये खोजी अन्तरिक्ष यान Hayabusa 2 ने Ryugu नामक अंडाकार क्षुद्रग्रह की ओर दो अन्वेषक रोबोट भेजे हैं जिससे कि उस क्षुद्र ग्रह से खनिज के नमूने प्राप्त किये जा सकें. इन नमूनों से सौर मंडल की उत्पत्ति के विषय में जानकारी मिल सकती है. यदि यह अभियान सफल होता है तो यह इतिहास में पहली बार होगा कि किसी खोजी अन्तरिक्ष यान ने किसी क्षुद्रग्रह की सतह को रोबोट के माध्यम से निरीक्षण किया हो. इस क्षुद्रग्रह में गुरुत्वाकर्षण बहुत कम है. इस बात का लाभ उठाकर यह रोबोट उसकी सतह पर 15-15 मीटर उछल सकते हैं और साथ ही हवा में 15 मिनट तक ठहर सकते हैं. इस प्रकार ये अपने कैमरों और सेंसरों के माध्यम से क्षुद्रग्रह की भौतिक विशेषताओं का सर्वेक्षण कर सकते हैं.
HAYABUSA 2 क्या है?
- Hayabusa 2 एक जापानी खोजी यान है जिसमें आदमी नहीं होता है. यह 2014 में जापान के Tanegashima Space Centre से H-IIA rocket से छोड़ा गया था. यह छह वर्ष तक काम करेगा और Ryugu क्षुद्रग्रह से खनिज नमूने लाएगा.
- Hayabusa 2 फ्रांस और जर्मनी का एक भूमि पर उतरने वाला वाहन भी छोड़ेगा जिसका नाम MASCOT (Mobile Asteroid Surface Scout) है.
- इस खोजी यान का आकार एक बड़े फ्रिज इतना है. इसमें सौर पैनल लगे हुए हैं.
- विदित हो कि Hayabusa 1 पहला ऐसा खोजी यान था जो क्षुद्रग्रह की खोज करने के लिए प्रक्षेपित हुआ था. Hayabusa जापानी भाषा में बाज को कहते हैं. Hayabusa 2 इसी का उत्तराधिकारी है.
- यदि सबकुछ ठीक रहा तो Hayabusa 2 2020 तक पृथ्वी पर मिट्टी के नमूने लेकर लौट आएगा.
अभियान का माहात्म्य
Ryugu एक C-श्रेणी का क्षुद्रग्रह है जिसे सौर मंडल के प्रारम्भिक काल का अवशेष माना जाता है. वैज्ञानिकों का विचार है कि C-श्रेणी के क्षुद्रग्रहों में जैव-पदार्थ के साथ –साथ फंसा हुआ जल भी होता है. अतः हो सकता है कि इनके माध्यम से ही पृथ्वी पर ये दोनों वस्तुएँ आई हों और इस प्रकार हमारी धरती पर जीवन के उद्भव में सहायता पहुँचाई हो.
Prelims Vishesh
Parrotfish in Andaman :–
- एक नए अध्ययन से पता चला है कि अंडमान में पाई जाने वाली बम्पहेड पैरट फिश (Bolbometopon muricatum) के अस्तित्व पर बहुत अधिक मछली मारे जाने और प्रवाल-भित्ति के क्षरण से खतरा उपस्थित हो गया है.
- बम्पहेड पैरटफिश प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तन्त्र का एक महत्त्वपूर्ण अवयव है, परन्तु पूरे विश्व में इनका जीवन संकटग्रस्त हो गया है.
- IUCN की लाल सूची में इसे संकटापन्न (vulnerable) की श्रेणी में रखा गया है.
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