Sansar Daily Current Affairs, 19 March 2020
GS Paper 1 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Issues related to women.
Topic : Permanent Commission for Women in Indian Navy
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने नौसेना में महिला अधिकारियों के स्थाई कमिशन मामले पर निर्णय सुना दिया है. आदेश के अनुसार, नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमिशन दिया जाएगा. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “महिलाओं और पुरुष अधिकारियों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए”. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पश्चात् अब महिलाएं अनेक प्रकार के लाभ पाने की हकदार होंगीं.
पृष्ठभूमि
सर्वोच्च न्यायालय ने जिस वाद में यह आदेश दिया वह सबसे पहले 2003 में दिल्ली उच्च न्यायालय में महिला अधिकारियों ने दायर किया था. वहाँ उन्हें 2010 में मनचाहा आदेश भी मिला था, परन्तु उस आदेश का पालन नहीं किया गया और भारत सरकार ने उसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
महिला अधिकारियों की आपत्ति क्या थी?
सेना के पुरुष शोर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी दस वर्ष की सेवा के अनंतर स्थायी कमीशन का विकल्प दे सकते थे. परन्तु यह विकल्प महिला अधिकारियों को उपलब्ध नहीं था. इस प्रकार वे किसी प्रकार की कमांड नियुक्ति से बाहर रखी जाती हैं. साथ ही उनको सरकारी पेंशन नहीं मिलता है क्योंकि 20 वर्ष की सेवा पूरी करने के उपरान्त भी सरकारी पेंशन देय होती है.
भारत सरकार का मंतव्य था कि एक तो महिलाएँ कठिन जगहों पर काम करने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होतीं, वहीँ दूसरी ओर उनके साथ मातृत्व और बच्चों की देखभाल की समस्या रहती है. साथ ही परिवार से अलग तैनाती बच्चों की पढ़ाई, गर्भावस्था के कारण काम से लम्बी अवधि तक दूर रहना आदि ऐसी बाते हैं जिनके कारण उनको स्थायी कमीशन नहीं मिलना चाहिए.
एक आपत्ति यह भी थी कि सेना मुख्यतः पुरुषों की सेवा है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाला सैनिक महिला अधिकारी के आदेश को मानने में कोताही बरत सकता है.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपान का निहितार्थ
- अब महिला अधिकारी सभी कमांड नियुक्तियों के लिए योग्य हो जाएँगी और आगे प्रोन्नति के लिए उनके रास्ते खुल जाएँगे.
- इसका एक अर्थ यह भी है कि जूनियर रैंक की महिला अधिकारी वही प्रशिक्षण पाठ्यक्रम कर सकती हैं जो पुरुष करते हैं. अब उन्हें संवेदनशील स्थानों पर नियुक्त किया जा सकता है जो उच्चतर प्रोन्नति के लिए आवश्यक होता है.
स्थायी कमिशन क्या है?
- स्थायी कमिशन का मतलब है कि कोई अधिकारी रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकता है और इसके बाद वह पेंशन का भी हकदार होगा. इसके तहत वे अधिकारी भी स्थयी कमिशन में जा सकती हैं जो अभी शॉर्ट सर्विस कमिशन में काम कर रही हैं. शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत अधिकारियों को 14 वर्ष में सेवानिवृत्त कर दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती है. इससे पहले महिलाएं केवल 10 वर्ष तक ही नौकरी कर पाती थीं.
- दरअसल सेना में अधिकारियों की कमी पूरी करने के लिए शॉर्ट सर्विस कमिशन शुरू किया गया था. इसमें पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही शामिल किया जाता था. लेकिन स्थायी कमिशन के लिए केवल पुरुष ही अप्लाइ कर सकते थे. परेशानी यह थी कि कम समय में रिटायर होने के बाद रोजगार का संकट पैदा होता है और साथ ही एक उम्र के बाद दूसरी जगह नौकरी करने की उम्मीद भी कम हो जाती.
GS Paper 1 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Issues related to women.
Topic : Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill, 2020
संदर्भ
लोकसभा ने हाल ही में ‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020′ (The Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill-2020) पारित कर दिया. इस विधेयक में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट-1971 में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है.
प्रस्तावित परिवर्तन
- वर्तमान में 20 सप्ताह तक के भ्रूण के समापन की अनुमति है. अब इस अवधि को 24 सप्ताह किया जा रहा है.
- वर्तमान प्रावधान के अनुसार, गर्भ निरोध की विफलता से सम्बंधित उपवाक्य में मात्र “विवाहित स्त्री अथवा उसके पति” का उल्लेख है. अब यह“किसी भी स्त्री अथवा उसके साथी” पर भी लागू होगा.
- प्रारूप विधेयक में यह प्रावधान किया जा रहा है कि 20 सप्ताह के गर्भ की समाप्ति के लिए एक पंजीकृत चिकित्सा डॉक्टर (registered medical practitioner – RMP) का मन्तव्य अपेक्षित होगा.
- परन्तु 20 से लेकर 24 सप्ताह के गर्भ की समाप्ति के लिए दो पंजीकृत डॉक्टरों का मंतव्य अनिवार्य होगा.
- विधेयक में गर्भ के समापन के लिए बढ़ाई गई समय-सीमा (20 सप्ताह से 24 सप्ताह) उन स्त्रियों पर भी लागू होगी जो बलात्कार के बाद जीवित हों, जो कौटुम्बिक व्यभिचार की शिकार हों आदि.
माहात्म्य
- MTP अधिनियम, 1971 के लिए प्रस्तावित इन संशोधनों को स्त्री सशक्तीकरण की दिशा में एक आगे ले जाना वाला एक कदम माना जा रहा है.
- गर्भपात को स्त्रियों के प्रजनन स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण पहलू माना जाता है, अतः प्रस्तावित संशोधनों से उन्हें प्रजनन से सम्बंधित अधिक अधिकार मिलेंगे.
- असुरक्षित गर्भपात से होने वाली मृत्यु एवं शारीरिक क्षति से बचने का उपाय यह है कि गर्भ समापन के लिए किसी प्रशिक्षित डॉक्टर की सेवाएँ विधिसम्मत रीति से ली जाएँ.
दुनिया-भर में गर्भपात से सम्बंधित कानून
- गर्भपात से सम्बंधित कानून विश्व में अलग-अलग ढंग के हैं. लगभग 60 देशों में गर्भ समापन के लिए गर्भ की अवधि के बारे में सीमाएं तय की हुई हैं.
- 52% देशों में इसके लिए यह प्रावधान है कि यदि भ्रूण में असामान्यता का पता चले तो 20 सप्ताह के पश्चात् भी उसे समाप्त किया जा सकता है. इनमें से कुछ देश हैं – फ्रांस, यूके, ऑस्ट्रिया, इथियोपिया, इटली, स्पेन, आइसलैंड, फिनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड और नेपाल.
- 23 देश ऐसे हैं जहाँ माँ के कहने पर किसी भी समय गर्भ समाप्त किया जा सकता है. इनमें से कुछ देश हैं – कनाडा, जर्मनी, वियतनाम, डेनमार्क, घाना और जाम्बिया.
- यूनाइटेड किंगडम में 24 सप्ताह तक के गर्भपात की अनुमति है. वहाँ रॉयल कॉलेज ऑफ़ ऑब्सटेट्रीसियंस एंड गायनीकॉलोजिस्ट ने गर्भपात के विषय में मार्गनिर्देश निर्धारित कर रहे हैं जिनमें 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ की समाप्ति की प्रक्रिया दी हुई है. इसमें यह भी उल्लेख है कि यदि गर्भ 21 सप्ताह और 6 दिन से अधिक पुराना है तो भूर्ण की मृत्यु के लिए एक सुई दी जाए और तब भ्रूण को बाहर निकाला जाए.
GS Paper 1 Source: Down to Earth
UPSC Syllabus : Population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.
Topic : ODF+ and ODF++ under Phase 2 of the Swachh Bharat Mission (Urban)
संदर्भ
पिछले दिनों शहरी विकास से सम्बंधित संसदीय स्थाई समिति ने लोक सभा के समक्ष स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के प्रदर्शन के विषय में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.
मुख्य मन्तव्य
- 2024 तक स्वच्छ भारत मिशन (शहरी – 2) के अगले चरण में इन तीन प्रोटोकालों पर काम पूरा किया जाना था – ODF+, ODF++ और वाटर प्लस. परन्तु अभी की स्थिति में यह लक्ष्य पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है क्योंकि प्रगति की दर धीमी चल रही है.
- ODF+ के रूप में अभी तक 30% से भी कम शहरों का सत्यापन किया जा सका है. ODF के रूप में 4,320 शहर घोषित थे जिनमें मात्र 1,276 शहरों को ODF+ के रूप में सत्यापित किया गया है.
- अभी तक 411 ही शहरों को ODF++ दिया गया है जोकि लक्ष्य का 30% ही है.
ODF के तहत मानदंड
- मार्च 2016 में जारी किये गए मूल ODF प्रोटोकॉल में कहा गया है कि “एक शहर / वार्ड को ODF शहर / वार्ड के रूप में अधिसूचित किया जाता है, यदि दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता हुआ नहीं पाया जाता है.”
- ODF + और ODF++ को अगस्त 2018 में प्रारम्भ किया गया था.
ODF+ के अंतर्गत मानदंड
- ODF + प्रोटोकॉल में कहा गया है – “एक शहर, वार्ड या कार्यक्षेत्र को ODF+ घोषित किया जा सकता है, यदि किसी दिन किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच और/या पेशाब करते हुए नहीं पाया जाता है और सभी सामुदायिक तथा सार्वजनिक शौचालय कार्यात्मक अवस्था में एवं सुव्यवस्थित हैं.”
- उन शहर और कस्बों को ODF+ के अंतर्गत रखा जाता है, जो पहले ही आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) द्वारा निर्धारित ODF प्रोटोकॉल के अनुसार ODF स्थिति प्राप्त कर चुके हैं और शौचालय सुविधाओं के उचित रख-रखाव के लिये ODF स्थिति की निरंतरता सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं.
ODF++ के अंतर्गत मानदंड
- ODF ++ प्रोटोकॉल इस शर्त को जोड़ता है कि “मल कीचड़/सेप्टेज (Faecal sludge/Septage) और नालियों का सुरक्षित रूप से प्रबंधन और उपचार किया जाए, जिसमें किसी प्रकार के अनुपचारित कीचड़/सेप्टेज (Sludge/Septage) और नालियों की निकासी जल निकायों या खुले क्षेत्रों के नालों में नहीं होती है.”
- ODF ++ में सभी के लिये सुरक्षित स्थायी स्वच्छता प्राप्त करने हेतु ODF+ के प्रोटोकॉल के अलावा सभी संग्रहणीय मल और सीवेज के सुरक्षित संग्रहण, परिवहन, उपचार और निपटान शामिल हैं. यह शहरों में स्वच्छता की निरंतर स्थिरता के लिये प्रशंसनीय कदम है.
GS Paper 3 Source: PIB
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Potential Fishing Zone (PFZ)
संदर्भ
पिछले दिनों भारत सरकार ने GEMINI नामक एक उपकरण का अनावरण किया जिसका उद्देश्य संभावित मत्स्यपालन जोनों (Potential Fishing Zones – PFZ) का पता लगाना तथा महासागरीय राज्य पूर्वानुमान (Ocean States Forecasts – OSF) उपलब्ध कराना है.
मछली मारने के लिए योग्य क्षेत्रों तथा उन क्षेत्रों में जाने वाले मछुआरों को दिशानिर्देश देने के लिए संभावित मत्स्यपालन जोन (Potential Fishing Zone – PFZ) तैयार करने के लिए भारतीय महासागर सूचना सेवा राष्ट्रीय केंद्र (The Indian National Centre for Ocean Information Services – INCOIS) आजकल ओशन सैट – 2 (Oceansat-2) उपग्रह डाटा का उपयोग कर रहा है.
PFZ की पहचान कैसे होती है?
ऐसे ज़ोनों की पहचान के लिए क्लोरोफिल सघनता के विषय में ISRO के उपग्रह Oceansat-2 से प्राप्त आँकड़ों के साथ-साथ राष्ट्रीय महासागरीय वायुमंडल प्रशासन से उपलब्ध समुद्रतल के तापमान का सहारा लिया जाता है.
ओशन सैट – 2
- यह एक उपग्रह है जो 2009 में छोड़ा गया था.
- यह उपग्रह ओशन सैट – 1 के महासागरीय वर्ण मॉनिटर (Ocean Colour Monitor – OCM) उपकरण के उपयोगकर्ताओं को सेवा प्रदान करता है.
- ओशन सैट – 2 का मुख्य उद्देश्य इन विषयों का अध्ययन करना है – सतही पवन, समुद्र तल, क्लोरोफिल सघनता, फाइटोप्लैंकटोन ब्लूम्स, वायुमंडलीय तथा जल में लंबित रहने वाला गाद.
GEMINI क्या है?
- GEMINI का पूरा नाम है – Gagan Enabled Mariner’s Instrument for Navigation and Information.
- यह उपकरण महासागर से सम्बंधित आकस्मिक सूचना तथा आपदा चेतावनी देने के लिए बनाया गया है.
- यह गगन उपग्रह से प्राप्त डाटा को ब्लूटूथ के माध्यम से एक मोबाइल द्वारा हस्तांतरित करता है.
- यह मोबाइल ऐप INCOIS ने बनाया है और इसपर 9 प्रादेशिक भाषाओं में जानकारी दी जाती है.
Prelims Vishesh
Open market operations (OMO) :-
- OMO भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों और कोषागार विपत्रों के क्रय एवं विक्रय को कहते हैं.
- OMO का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को नियमित करना होता है.
- भारतीय रिज़र्व बैंक इस प्रकार का क्रय-विक्रय केवलवाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से करता है और जनसाधारण से वह प्रत्यक्ष कारोबार नहीं करता है.
- For more details, read this > Open market operations in Hindi
Defence Acquisition Council (DAC) :-
- 2001 में रक्षा अधिग्रहण परिषद् (DAC) की स्थापना सैनिक सामग्रियों के क्रय की गति को बढ़ाने और उसमें भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए भारत सरकार द्वारा की गई थी. इसके अध्यक्ष रक्षा मंत्री होते हैं.
- DAC का उद्देश्य सेना के लिए आवश्यक उपकरणों के क्रय का समयसीमा के अंदर निष्पादन करना है. इसके लिए यह बजट में किये गये आवंटन का आदर्शतम उपयोग करती है. विदित हो कि सरकार सेना की शक्ति को बढ़ाने के लिए समय-समय पर धनराशि की व्यवस्था करती है.
- DAC अधिग्रहण के लिए नीतिगत मार्गनिर्देश देती है. यह अधिग्रहण दीर्घकालिक क्रय योजना पर आधारित होता है. यह सभी प्रकार के अधिग्रहण का काम करती है. ये अधिग्रहण आयातित सामग्रियों एवं स्वदेशी दोनों प्रकार की रक्षा सामग्रियों से सम्बन्धित हो सकते हैं.
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