Sansar डेली करंट अफेयर्स, 19 March 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 19 March 2021


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential; citizens charters, transparency & accountability and institutional and other measures.

Topic : Electoral Bond Scheme

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने एक गैर-सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (ADR) द्वारा चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) की विक्रय पर रोक लगाने के लिए दायर की गई एक याचिका पर त्वरित सुनवाई के लिए मंजूरी व्यक्त की है.

याचिका में, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे महत्त्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले, 1 अप्रैल से प्रारम्भ होने वाली नए चुनावी बांड्स की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई है.

संबंधित प्रकरण

याचिकाकर्ता ने न्यायालय का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और निर्वाचन आयोग दोनों का मानना है कि चुनावी बांडों की बिक्री, मुखौटा कॉरपोरेशन और इकाईयों के लिए गैर-कानूनी धन तथा रिश्वत से प्राप्त आय को राजनीतिक दलों के पास जमा करने का एक माध्यम बन गया है.

चुनावी बांड योजना से सम्बंधित प्रमुख तथ्य

  • चुनावी बांड अथवा इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे.
  • चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत 1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
  • इलेक्टोरल बांड 1,000 रु., 10,000 रु., 1 लाख रु, 10 लाख रु. और 1 करोड़ रु. के होंगे.
  • हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
  • परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए अतिरिक्त 30 दिन और दिए जायेंगे.
  • बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
  • चुनाव आयोग में पंजीकृत दल से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
  • चुनावी बांड राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
  • चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
  • चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.

चुनावी बांड के फायदे

अक्सर ब्लैक मनी वाले लोग पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में लेन-देन न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे. पार्टी को बांड देने वालों की पहचान बैंक के पास होगी. अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों.

इस व्यवस्था से चुनाव में धन के उपयोग में पारदर्शिता आएगी क्योंकि सभी दानकर्ता को अपने खातों में उनके द्वारा खरीदे बांड की राशि को दिखलाना होगा और सभी दलों को भी यह घोषित करना होगा कि उनको कितने बांड मिले हैं.

चुनावी बांड के बारे में और भी विस्तार से बढ़ें > चुनावी बांड


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : MP Local Area Development Scheme

संदर्भ

हाल ही में गोवा की ग्राम पंचायतों में “संसद स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम” (MPLADS) के अंतर्गत संचालित विभिन्‍न परियोजनाओं के लिए धनराशि वितरित की गई है. ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व सभी राजनीतिक दलों के सांसदों ने एकमत होकर सरकार से वर्ष 2018 और 2019 में स्वीकृत परियोजनाओं के लिए धन जारी करने की मांग की थी.

सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के अंतर्गत स्वीकृत की जा चुकी राशि को कोविड-19 महामारी के चलते 2 सालों के लिए निलंबित कर दिया गया था. इसके अतिरिक्त सांसदों की सैलरी में भी 30% की कटौती की गई थी.

MPLAD योजना क्या है?

  • यह योजना 1993 के दिसम्बर में आरम्भ की गई थी. इसका उद्देश्य सांसदों की ओर से विकासात्मक कार्यों के लिए अनुशंसा प्राप्त कर टिकाऊ सामुदायिक संपदा का सृजन एवं स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर बुनियादी सुविधाएँ (सामुदायिक संरचना निर्माण सहित) प्रदान करना था.
  • इस योजना के अंतर्गत इन कार्यों के लिए राशि खर्च की जा सकती है – पेयजल, सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, सड़क आदि. यह राशि सांसद अपने ही चुनाव क्षेत्र के लिए खर्च कर सकता है.
  • MPLAD के लिए निर्गत राशि सीधे जिला अधिकारियों को अनुदान के रूप में निर्गत की जाती है. यह राशि वित्त वर्ष के साथ समाप्त (non-lapsablee) नहीं होती है, अपितु बाद के वर्षों में भी इसका उपयोग हो सकता है.
  • इस योजना में सांसदों की भूमिका एक अनुशंसक की होती है. वे अपने संसदीय क्षेत्र के लिए ही कार्य करा सकते हैंपरन्तु राज्य सभा के सांसद को यह अधिकार है कि वे अपने पूरे राज्य में कहीं भी काम करने के लिए अनुशंसा कर सकते हैं. सांसद अपनी पसंद के कार्यों की अनुशंसा जिला अधिकारियों को करते हैं और जिला अधिकारी राज्य सरकार द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार उन कार्यों का क्रियान्वयन करते हैं. जिला अधिकारी ही यह देखते हैं कि प्रस्तावित कार्य करने योग्य हैं या नहीं और वे ही कार्यान्वयन करने वाली एजेंसियों का चयन करते हैं. कौन काम पहले होगा, उसका निर्धारण भी यही करते हैं. हो रहे काम का निरीक्षण और जमीनी स्तर पर उसके क्रियान्वयन की निगरानी भी उन्हीं का काम है.

चुनौतियाँ

MPLAD योजना के क्रियान्वयन में जो बड़ी समस्या आती है वह यह है कि मंत्रालय तक जिला स्तर से आवश्यक दस्तावेज समय पर नहीं पहुँचते हैं, जैसे – अंकेक्षण प्रमाण पत्र (Audit Certificate), उपयोग प्रमाण पत्र (Utilization Certificate), अनंतिम उपयोग प्रमाण पत्र (Provisional Utilization Certificate), मासिक प्रगति प्रतिवेदन (Monthly Progress Report), बैंक विवरण एवं ऑनलाइन मासिक प्रगति प्रतिवेदन (Bank Statement and Online Monthly Progress Report) आदि.


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential; citizens charters, transparency & accountability and institutional and other measures.

Topic : None of The Above – NOTA

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र व निर्वाचन आयोग से यह प्रश्न किया है कि नोटा (None of The Above – NOTA) विकल्प के सर्वाधिक मत प्राप्त करने की स्थिति में क्‍या निर्वाचन को शून्य घोषित किया जा सकता है.

पृष्ठभूमि

सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका के समाधान के अंतर्गत केंद्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग से यह प्रश्न किया है कि क्‍या उन निर्वाचन क्षेत्रों में नए चुनाव आयोजित किए जाने चाहिए, जहां सर्वाधिक मतदान नोटा के पक्ष में किया गया है.

NOTA के बारे में

  • 2013 में ने सुप्रीम कोर्ट लोक सभा और विधान सभाओं के लिए NOTA के प्रयोग का विधान किया था.
  • 2014 में यह विकल्प राज्यसभा चुनाव के लिए भी घोषित किया गया.
  • इस प्रकार भारत NOTA का प्रयोग करने वाला विश्व का 14वाँ देश बन गया था.
  • 16वें लोकसभा चुनाव में 60 लाख मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था.
  • NOTA का चिन्ह National Institute of Design (NID) अहमदाबाद द्वारा निर्मित किया गया हैं.
  • नोटा का सर्वाधिक प्रयोग पुडुचेरी में किया गया था.
  • हालांकि, NOTA “अस्वीकरण का अधिकार” (Right to Reject) प्रदान नहीं करता है, क्योंकि NOTA वोट अमान्य घोषित किए जाते हैं. इस प्रकार, अधिकतम मत प्राप्त करने वाला उम्मीदवार, NOTA को प्राप्त मतों की संख्या के निरपेक्ष चुनाव में विजित हो जाता है.
  • इससे पूर्व, महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक आदेश जारी किया था कि NOTA को सर्वाधिक मत प्राप्त होने पर नए चुनाव आयोजित किए जाने चाहिए.

NOTA अच्छा क्यों है?

  • NOTA के विकल्प के कारण राजनैतिक दल इमानदार उम्मीदवार खड़ा करने के लिए विवश हो जायेंगे.
  • नोटा लोगों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है.
  • NOTA के प्रयोग से मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा.

अस्वीकरण के अधिकार (Right to Reject) के बारे में

  • यह मतदाताओं को अपना मत डालते समय सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार करने की अनुमति देने का एक विकल्प प्रदान करता है.
  • इसकी आवश्यकता इसलिए अनुभव की गई, क्योंकि राजनीतिक दल अत्यंत अलोकतांत्रिक तरीके से उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं, जिससे राजनीति में अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, जातिवाद आदि को बढ़ावा मिलता है.
  • अस्वीकरण के अधिकार के साथ मुद्दा: यदि सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार कर दिया जाता है और वह निर्वाचन क्षेत्र पूर्णतया प्रतिनिधित्वहीन हो जाता है, तो एक वैध संसद का गठन संभव नहीं हो सकता है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.Effects of liberalization on the economy, changes in industrial policy and their effects on industrial growth.

Topic : Vehicle Scrappage Policy 

संदर्भ

केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में वाहन स्क्रैपिंग नीति (Vehicle Scrapping Policy) की घोषणा की है.

आवश्यकता क्‍यों?

नए और दुरुस्त वाहनों की तुलना में पुराने वाहन पर्यावरण को 10 से 12 गुना अधिक क्षति पहुँचाते  हैं. केंद्र सरकार अब बिजली वाले वाहनों के प्रयोग को प्रोत्साहन देना चाहती है. ऐसे में पुराने वाहनों के स्क्रेपिंग की उचित प्रक्रिया बनाया जाना आवश्यक हो गया है.

इस नीति का उद्देश्य पुराने और जंग खाए वाहनों की संख्या कम करना, पर्यावरण में सुधार लाने के भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को घटाना, सड़क और वाहनों की सुरक्षा में सुधार करना, बेहतर ईंधन क्षमता प्राप्त करना, इस समय वाहनों को नष्ट करने के लिए असंगठित रूप से चल रहे उद्योगों को औपचारिक मान्यता देना और वाहन निर्माण, इस्पात एवं इलेक्ट्रोनिक उद्योग के लिए कम लागत पर कच्चा माल उपलब्ध कराना है.

वाहन स्क्रैपिंग नीति के प्रमुख प्रावधान

  • वाणिज्यिक वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र न मिल पाने की स्थिति में 15 वर्ष के पश्चात् और निजी वाहनों को 20 वर्षों के बाद अपंजीकृत कर दिए जाने का प्रावधान है.
  • वाहनों के लिए उनके प्रारम्भिक पंजीकरण की तिथि से 15 वर्ष की अवधि सम्पूर्ण हो जाने के बाद फिर से पंजीकरण कराने के लिए बढ़ा हुआ शुल्क देना होगा.
  • इस योजना में वाहन नष्ट करने के पंजीकृत केन्द्रों के जरिये पुराने और अनुपयुक्त वाहनों के स्वामियों को रोड टैक्स में छूट, नए वाहनों के क्रय पर छूट जैसे कई आकर्षक प्रोत्साहन दिए जाएँगे.
  • वाहन नष्ट करने का केंद्र पुराने वाहन के कबाड़ का मूल्य निर्धारित करेगा जो किसी नए वाहन की शोरूम से बाहर निकलते समय देय मूल्य का लगभग 4-6 प्रतिशत होगा.
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय देशभर में वाहनों को नष्ट करने के लिए पंजीकृत सुविधाएँ (Registered Vehicle Scrapping Facility – RVSF) स्थापित करने को को बढ़ावा देगा और इसके लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को प्रोत्साहित किया जाएगा.

अक्टूबर 2021 तक फिटनेस केन्द्रों और स्क्रैपिंग केन्द्रों के लिए नियम जारी कर दिए जायेंगे. सरकारी एवं लोक उपक्रमों के 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों को स्क्रैप (नष्ट) करने की शुरुआत अप्रैल 2022 से हो जाएगी. भारी वाणिज्यिक वाहनों की फिटनेस की अनिवार्य जाँच 01 अप्रैल 2023 से होगी जबकि अन्य श्रेणियों में अनिवार्य जाँच जून 2024 से होगी.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation and pollution related issues.

Topic : IQAir Report 2021

संदर्भ

एक स्विस संगठन आइ क्यू एयर (IQAir) द्वारा “विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020” शीर्षक से रिपोर्ट तैयार की गई है. इसमें दुनिया के विभिन्‍न शहरों को वायु प्रदूषण के आधार पर रैंकिंग दी गई है. यह रिपोर्ट 106 देशों के PM2.5 डेटा पर आधारित है, जिसे स्थानीय निगरानी स्टेशनों द्वारा मापा जाता है, जिनमें से अधिकांश निगरानी स्टेशन, सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित होते हैं.

मुख्य तथ्य

  • दिल्ली, दुनिया का 10वाँ सबसे प्रदूषित शहर और सर्वाधिक प्रदूषित राजधानी है. हालाँकि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में वर्ष 2019 से 2020 तक लगभग 15% का सुधार हुआ है.
  • शीर्ष 10 प्रदूषित शहरों की सूची में 9 भारतीय शहर हैं – गाजियाबाद, बुलंदशहर, बिसरख जलालपुर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कानपुर, लखनऊ (सभी उत्तरप्रदेश में), राजस्थान का भिवाड़ी तथा दिल्‍ली.
  • होतान, चीन के बाद भारत का गाज़ियाबाद दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है.

अन्य तथ्य

  • वर्ष 2020 में भारत, विश्व का तीसरा सर्वाधिक प्रदूषित देश है.
  • बांग्लादेश और पाकिस्तान में प्रदूषण की स्थिति भारत से भी ख़राब थी. जबकि वर्ष 2019 के दौरान भारत, वायु प्रदूषण की दृष्टि से 5वें स्थान पर था.
  • 106 देशों में से केवल 24 देशों द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक मापदंडों को पूरा किया गया.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Indigenization of technology and developing new technology.

Topic : National Technical Textiles Mission

संदर्भ

वर्ष 2020 में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा एक 1,480 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय से ‘राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन’ (National Technical Textiles Mission) की स्थापना को मंजूरी दी गई थी.

राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन

इस मिशन के चार घटक होंगे :-

अनुसंधाननवाचार और विकास: इसके अंतर्गत 1000 करोड़ रुपये के परिव्‍यय की योजना तैयार की गई है जिसमें-

  • कार्बन फाइबर, अरामिड फाइबर, नाइलॉन फाइबर और कम्‍पोजिट में शानदार तकनीकी उत्‍पादों के उद्देश्‍य से फाइबर स्‍तर पर मौलिक अनुसंधान और
  • भू-टेक्‍सटाइल, कृषि- टेक्‍सटाइल, चिकित्‍सा-टेक्‍सटाइल, मोबाइल- टेक्‍सटाइल और खेल- टेक्‍सटाइल एवं जैवनिम्‍नीकरण त‍कनीकी टेक्‍सटाइल के विकास पर आधारित अनुसंधान अनुप्रयोग को शामिल किया गया है.

संवर्द्धन और विपणन विकास

  • भारतीय तकनीकी कपड़ा श्रेणी का अनुमानित आकार 16 अरब डॉलर है जो 250 अरब डॉलर के वैश्विक तकनीकी कपड़ा बाजार का लगभग 6 प्रतिशत है.
  • भारत में तकनीकी कपड़ा की पहुँच 5 से 10 प्रतिशत ही है. जबकि विकसित देशों में यह आँकड़ा 30 से 70 प्रतिशत है.
  • इस मिशन का उद्देश्‍य बाजार विकास, बाजार संवर्धन, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहयोग, निवेश प्रोत्साहन और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के माध्यम से वार्षिक 15 से 20 प्रतिशत की औसत वृद्धि के साथ घरेलू बाजार के आकार 2024 तक 40 से 50 अरब डॉलर करना है.

निर्यात संवर्धन

  • इसका उद्देश्‍य तकनीकी कपड़ा के निर्यात को बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 20,000 करोड़ रुपये करना है जो वर्तमान में करीब 14,000 करोड़ रुपये है.
  • साथ ही वर्ष 2023-24 तक प्रति वर्ष निर्यात में 10 प्रतिशत औसत वृद्धि सुनिश्चित करना है.
  • इस श्रेणी में प्रभावी बेहतर तालमेल और संवर्द्धन गतिविधियों के लिए एक तकनीकी कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की जाएगी.

शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास

  • यह मिशन उच्चतर इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी स्‍तर पर तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहन देगा और इसके अनुप्रयोग का दायरा इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कृषि, जलीय कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों तक बढ़ाएगा.
  • कौशल विकास को प्रोत्साहन दिया जाएगा और अत्यधिक कुशल मानव संसाधनों का पर्याप्त भंडार तैयार करेगा ताकि अपेक्षाकृत परिष्कृत तकनीकी कपड़ा विनिर्माण इकाइयों की आवश्यकता पूर्ण की जा सके.

तकनीकी वस्त्र क्या है?

  • तकनीकी कपड़ा वह कपड़ा होता है जिसका निर्माण मुख्य रूप से तकनीकी कामों के लिए होता है न कि साज-सज्जा के लिए.
  • वाहनों (गाड़ियों) में उपयोग में आने वाले वस्त्र, चिकित्सा में उपयोग किये जाने वाले वस्त्र, भू-वसन (geotextiles, तटबन्धों की मजबूती के लिये प्रयुक्त), कृषिवसन (agrotextiles, फसलों की सुरक्षा के लिये प्रयुक्त), सुरक्षा वस्त्र (ऊष्मा एवं विकिरण से सुरक्षा, अग्नि-सुरक्षा) आदि तकनीकी वस्त्र के कुछ उदाहरण हैं.

तकनीकी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा उठाये गये कदम

  • तकनीकी वस्‍त्र उद्योग के विकास तथा उच्‍च गुणवत्‍तापूर्ण विशेष फाइबर के भारत में निर्माण के लिए शोध व अनुसंधान के संबंध में सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. विशेष फाइबर का आयात एक बड़ी चुनौती है. भारत इसे किफायती बनाने के लिए प्रयासरत है.
  • तकनीकी वस्‍त्रों में 530 प्रोटोटाइम नमूनों को पिछले चार वर्षों में पहले ही मंत्रालय में विकसित किए जा चुके हैं; 140 करोड़ रुपये की लागत से 8 उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र स्‍थापित किए गए हैं; पिछले तीन से चार वर्षों में तकनीकी वस्‍त्रों में 22,000 भारतीयों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
  • जमीनी स्‍तर पर करीब 650 सम्‍मेलन और सेमिनार आयोजित किए गए हैं; 11 इन्‍क्‍यूबेशन सेंटर स्‍थापित किए गए हैं; सड़कों, जलाशयों के लिए 40 जियो टैक्‍सटाइल परियोजनाओं और स्‍लोप स्‍टेबीलाइजेशन को हाथ में लिया गया है.
  • ऐसे कदम उठाए गए हैं, जिससे सुनिश्चित हो कि किसान 54 एग्रोटैक प्रदर्शन केन्‍द्रों में निरूपण के जरिए एग्रोटैक अपनाएं; और रोजमर्रा के कामकाज में एग्रोटैक के इस्‍तेमाल के बारे में किट्स वितरित किए गए हैं.

आगे की राह

तकनीकी वस्त्र को पूरी दुनिया में कई देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनमें विकसित देशों के अलावा कई विकासशील देश भी शामिल हैं. भारत में अभी इसके तकनीकी, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी लाभ उठाए जाने की स्थिति नहीं बनी है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ और पर्यावरण क्षरण की समस्या मौजूद हैं. कुछ इलाकों में बाढ़ प्रबंधन और नियंत्रण के लिए तकनीकी वस्त्रों से बने ट्यूब, कंटेनर और बैग इत्‍यादि का उपयोग किया जा सकता है.


Prelims Vishesh

Sixth India & Brazil & South Africa (IBSA) Women’s Forum Meeting :-

  • महिला और बाल विकास मंत्रालय के नेतृत्व में इस मंच पर उन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई, जो महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने में योगदान करते हैं.
  • इस बैठक में जीवन के सभी क्षेत्रों में लैँंगिक समानता प्राप्त करने के लिए IBSA के साझा लक्ष्यों को रेखांकित करते हुए एक संयुक्त घोषणा-पत्र भी जारी किया गया.
  • IBSA की स्थापना को औपचारिक रूप 6 जून, 2003 को संपन्न the Brasilia Declaration के द्वारा दिया गया था.
  • यह संगठन भारत, ब्राज़ील और दक्षिणी अफ्रीका जैसे उभरते हुए देशों के बीच समन्वयन के लिए बनाया गया है.

Inter Parliamentary Union – IPU :-

  • IPU के अध्यक्ष भारत की संसद के निमंत्रण पर भारत की यात्रा पर आए हैं.
  • IPU राष्ट्रीय संसदों का एक वैश्विक संगठन है. इसे वर्ष 1889 में गठित किया गया था.
  • यह संसदीय कूटनीति और संवाद के जरिये शांति को प्रोत्साहन देने के प्रति समर्पित है.
  • वर्तमान में, इसमें 179 सदस्य संसद (भारत सहित) और 13 सहयोगी सदस्य हैं.
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है.

Chenab Bridge, Jammu and Kashmir :-

  • पूर्ण होने पर यह सेतु विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे सेतु (359 मीटर) होगा.
  • इसकी उंचाई पेरिस के एफिल टावर की तुलना में भी 30 मीटर अधिक होगी.
  • चेनाब नदी हिमाचल प्रदेश राज्य में चन्द्र और भागा के संगम से निर्मित होती है.
  • सिंघु जल संधि, 1960 के तहत सिंघु, चिनाब और झेलम नदियों का जल पाकिस्तान को आवंटित किया जाता है.
  • मगर भारत निर्दिष्ट मापदंडों के अंतर्गत कृषि, नौपरिवहन व जलविद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए इनके जल का उपयोग कर सकता है.

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