Sansar Daily Current Affairs, 19 November 2018
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : Rani Lakshmibai of Jhansi
संदर्भ
19 नवम्बर को रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिवस होता है.
कौन थी रानी लक्ष्मीबाई?
- रानी लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 1828 में हुआ था. उनका मूल नाम मणिकर्णिका ताम्बे था.
- 1842 में लक्ष्मीबाई का विवाह झाँसी के महाराजा गंगाधर राव नेवलकर के साथ हुआ और तब से वह रानी लक्ष्मीबाई कहलाने लगी. विवाह के कुछ वर्षों के पश्चात् 1851 में लक्ष्मीबाई के एक बेटा हुआ, पर वह चार महीने में चल बसा.
- इसके पश्चात् लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव के चचेरे भाई के बेटे आनंद राव को गोद ले लिया और उसे दामोदर नाम दिया.
- दत्तक ग्रहण के शीघ्र पश्चात् महाराजा 1853 में काल-कवलित हो गये. उस समय लक्ष्मीबाई मात्र 25 की ही थीं.
- महाराजा के निधन का लाभ उठाते हुए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने झाँसी राज पर हड़प नीति (Doctrine of Lapse) लागू कर दी. अंग्रेजों ने दामोदर राव को महाराजा गंगाधर राव का वैध उत्तराधिकारी नहीं माना. उनकी योजना थी कि झाँसी को कम्पनी के साम्राज्य मिला लिया जाए.
- 1854 के मार्च में रानी झाँसी को 60,000 रु. का वार्षिक पेंशन दिया गया और उन्हें झाँसी किले से निकल जाने का आदेश दे दिया गया पर लक्ष्मीबाई झाँसी छोड़ने को तैयार नहीं थी.
- इन परिस्थितियों में झाँसी की रानी उन जमींदारों के समूह में शामिल हो गईं जो कई कारणों से अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े हो रहे थे. इस क्रम में एक युद्ध के दौरान जून 17, 1858 को वह वीरगति को प्राप्त हो गईं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : J&K all set for President’s rule
संदर्भ
सम्प्रति जम्मू-कश्मीर पर राज्यपाल का शासन चल रहा है. यदि अगले दो महीने में इसकी विधानसभा भंग नहीं होती है तो इस राज्य पर जनवरी से राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा.
ऐसा क्यों?
जम्मू-कश्मीर का संविधान अलग है. इसकी धारा 370 के अनुभाग 92 में यह प्रावधान है कि यदि आवश्यक हो तो राष्ट्रपति के अनुमोदन से इस राज्य पर छह महीने के लिए राज्यपाल का शासन लागू किया जा सकता है. यदि अगले छह महीने के भीतर-भीतर इसकी विधानसभा भंग नहीं होती है तो इस पर भारतीय संविधान की धारा 365 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू हो जायेगा. ज्ञातव्य है कि राज्यपाल का शासन जनवरी 19 को समाप्त होने जा रहा है.
संविधान की धारा 370 के तहत कश्मीर में राज्यपाल शासन
- संविधान की धारा 356 के तहत अन्य राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान है जबकि जम्मू-कश्मीर के लिए धारा 370 सेक्शन 92 के तहत राज्यपाल शासन लगाने का प्रावधान है.
- 370 धारा के अनुसार जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को यदि लगे कि राज्य में संवैधानिक मशीनरी ठप पड़ गई है तो वह प्रशासन का सम्पूर्ण कार्य अपने हाथ में ले सकते हैं और संवैधानिक स्थिति के फिर से बहाल होने तक आवश्यक कदम उठा सकते हैं.
- राज्यपाल शासन की अवधि छह महीने की होती है परन्तु इसे बढ़ाया भी जा सकता है.
- राज्यपाल शासन के समय राज्यपाल के पास कानून बनाने का भी अधिकार होता है.
- इस अवधि में वे जो भी कानून बनाए जाएँगे वह राज्यपाल शासन की समाप्ति से दो वर्ष बाद तक मान्य होंगे.
राष्ट्रपति शासन क्या होता है?
संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति को राज्यपाल से सूचना मिले अथवा उसे यह विश्वास हो जाए कि किसी राज्य में संविधान के अनुसार शासन चलाना असंभव हो गया है, तो वह घोषणा द्वारा उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है. ऐसी स्थिति में वह राज्य की कार्यपालिका शक्ति अपने हाथों में ले सकता है. राज्य के विधानमंडल की शक्तियाँ संसद राष्ट्रपति को दे सकती है. राष्ट्रपति कभी भी दूसरी घोषणा द्वारा इस घोषणा को रद्द कर सकता है. राष्ट्रपति शासन के लिए संसद के दोनों सदनों की स्वीकृति आवश्यक है. यह शासन मूल्यतः छह महीने के लिए होता है किन्तु यदि आवश्यकता हो तो इसे आगे अधिकतम तीन वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है. इस विस्तार के लिए हर छह महीने पर संसद का अनुमोदन अनिवार्य होता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Trans fatty acids (TFAs)
संदर्भ
केरल सरकार की योजना है कि बाजार में उपलब्ध खाने की चीजों में ट्रांस-फैटी एसिड (TFAs), नमक और चीनी क ई मात्रा को एक निर्देश द्वारा घटाया जाए. इसके लिए सरकार विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन और FSSAI की तकनीकी सहायता लेगी.
माहातम्य
- आजकल केरल के निवासियों में चयापचय (metabolic) से सम्बंधित रोग और अकाल मृत्यु की घटनाएँ अधिक देखने को मिल रही हैं. इसका कारण खान-पान का अस्वास्थ्यकर होना है. इसलिए भोजन में ट्रांस-फैटी एसिड का कम होना अत्यावश्यक है.
- आधुनिकतम अनुमानों के अनुसार केरल में चयापचय के रोगों का प्रचालन 24-33% है अर्थात् 3 अथवा 4 लोगों में से एक को चयापचय सम्बन्धी रोग अवश्य है. इन रोगियों में मुख्य रूप से स्त्रियाँ हैं.
- चयापचय रोग कई ऐसी असामान्यताओं का समूह है जो बहुधा एक साथ होती हैं और जिनके कारण हृदयरोग, आघात एवं मधुमेय का खतरा बढ़ जाता है. ये असमान्यताएँ हैं – उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, कमर का मोटापा, असमान्य कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड के स्तर.
ट्रांस-फैटी एसिड क्या हैं?
- ट्रांस फैटी एसिड (TFAs) या ट्रांस वसा सबसे हानिकारक प्रकार के वसा होते हैं जो हमारे शरीर पर किसी भी अन्य आहार से अधिक प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.
- यह वसा मानव निर्मित वसा है. इसका कुछ ही भाग प्रकृति में निर्मित होता है.
- कृत्रिम TFAs तेल में हाइड्रोजन प्रविष्ट कराकर उत्पन्न किया जाता है.
- इस प्रक्रिया में तेल का स्वरूप शुद्ध घी या मक्खन जैसा हो जाता है.
- जहाँ तक प्राकृतिक TFAs का प्रश्न है यह माँस और पशु उत्पादों में सूक्ष्म मात्रा में मिलता है.
- हमारे भोजन में कृत्रिम ट्रांस-फैट के सबसे बड़े स्रोत हाइड्रोजनेटेड वनस्पति तेल/मार्गरीन हैं.
ट्रांस फैट के स्वास्थ्य खतरे
विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, ट्रांस फैट के रूप में ऊर्जा ग्रहण करने में 2% की वृद्धि हृदय रोग की संभावना में 23% की वृद्धि करती है. WHO द्वारा एक अन्य अनुमान के अनुसार:-
- इसके उपभोग से कम-घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या LDL (जिसे “ख़राब” कोलेस्ट्रोल भी कहा जाता है) के स्तर में वृद्धि होती है. इसके फलस्वरूप हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही यह उच्च-घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या HDL (जिसे “अच्छा” कोलेस्ट्रोल भी कहते हैं) के स्तर को कम करता है.
- इन्हें Type-2 मधुमेह का मुख्य कारण माना जाता है, जो इन्सुलिन प्रतिरोध से जुड़ा हुआ होता है.
TFAs की अनुमान्य सीमा
विश्व स्वास्थ्य की यह अनुशंसा है कि एक व्यक्ति जितनी ऊर्जा लेता है उसमें से मात्र 1% ही ट्रांसफैट होना चाहिए. इस संगठन का आह्वान है कि 2023 तक पूरे विश्व से TFAs खत्म हो जाना चाहिए. जहाँ तक FSSAI का प्रश्न है, उसने भोजन में TFAs की सीमा 2% तक रखी है और इसके पूर्ण उन्मूलन के लिए 2022 का वर्ष निर्धारित किया है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Asia-Pacific Economic Cooperation (APEC)
संदर्भ
हाल ही में पापुआ न्यू गिनी में APEC शिखर सम्मेलन 2018 सम्पन्न हुआ.
शिखर सम्मेलन का परिणाम
ऐसा पहली बार हुआ कि किसी APEC की बैठक में कोई संयुक्त घोषणा नहीं निर्गत की हो. इस सम्मेलन में प्रशांत क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई खुल कर सामने आ गई. इसमें दो गुट थे. एक गुट ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान का था तो दूसरी ओर चीन था.
APEC क्या है?
- APEC का फुल फॉर्म Asia-Pacific Economic Cooperation है. यह एक क्षेत्रीय आर्थिक मंच है जिसकी स्थापना 1989 में हुई थी.
- इसमें 21 देश सदस्य हैं. इनके नाम हैं – ऑस्ट्रेलिया; ब्रुनेई दारुस्सलाम; कनाडा; चिली; चीन जनवादी गणराज्य; हांगकांग, चीन; इंडोनेशिया; जापान; कोरिया गणराज्य; मलेशिया; मेक्सिको; न्यूजीलैंड; पपुआ न्यू गिनी; पेरू; फिलीपींस; रूसी संघ; सिंगापुर; चीनी ताइपी; थाईलैंड; संयुक्त राज्य अमरीका; वियतनाम. इन 21 देशों की जनसंख्या का विश्व की जनसंख्या के लगभग 40% के बराबर है.
- विश्व की सम्पूर्ण की GDP का 54% इन देशों के पास है और साथ ही विश्व व्यापार का 44% इन्हीं देशों के बीच होता है.
- इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लोगों की खुशहाली में वृद्धि करना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए APEC जिन वस्तुओं को बढ़ावा देता है, वे हैं – संतुलित, समावेशी, सतत, नवप्रवर्तक, सुरक्षित वृद्धि और आर्थिक एकसूत्रता.
APEC के कार्य
- APEC एशिया-प्रशांत के सभी निवासियों को बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में भागीदारी करने में सहायता पहुँचाती है.
- यह ग्रामीण समुदायों के लिए डिजिटल कौशल प्रशिक्षण देने तथा महिलाओं को अपने उत्पादों को विदेश में निर्यात करने में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है.
- APEC जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझते हुए सभी देशों को ऊर्जा की बचत करने तथा जंगल और सामुद्रिक संसाधनों के सतत प्रबन्धन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है.
- APEC सदस्य देशों को अपने ढंग से इन विषयों में कार्यवाई करने की छूट देता है – आपदा, महामारी और आतंकवाद.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : GROWTH-India telescope
संदर्भ
लद्दाख के हानले (Hanle) में अधिष्ठापित भारतीय खगोल वेधशाला (Indian Astronomical Observatory) की 0.7 m ग्रोथ-इंडिया दूरबीन ने पहली बार हाल में नोवा-विस्फोट से सम्बंधित एक वैज्ञानिक अवलोकन किया है?
ग्रोथ-इंडिया दूरबीन क्या है?
- GROWTH का फुल फॉर्म है – Global Relay of Observatories Watching Transients Happen.
- कई देशों के सहयोग से ब्रह्मांड की घटनाओं के अवोलकन हेतु एक दूरबीन बनाई गई है जिसे Growth-India दूरबीन कहा जाता है.
- यह पूरी तरह से रोबोट से चलता है.
- यह अपेक्षाकृत छोटी अविधियों में घटने वाली ब्रह्मांडीय घटनाओं को पकड़ने के लिए तैयार किया गया है.
- इस वैज्ञानिक पहल में अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, भारत, जर्मनी, ताइवान और इजराइल के विश्वविद्यालय तथा अनुसंधान संस्थान शामिल हैं.
- इस दूरबीन का सबसे प्रधान लक्ष्य समय-आयामी खगोलशास्त्र का अध्ययन करना है जिसमें विस्फोटक घटनाओं तथा प्रकाश एवं विकिरण के विभिन्न स्रोतों का अध्ययन शामिल है.
इसके तिहरे लक्ष्य
- जब कभी LIGO समूह को किसी युग्म न्यूट्रोन तारे के विलय का पता चलता है तो उस समय होने वाले विस्फोटों की खोज.
- आस-पास के नए सुपर-नोवा विस्फोटों का अध्ययन.
- आस-पास के क्षुद्रग्रहों का अध्ययन.
नोवा अवलोकन (Nova Observation) क्या है?
जब कभी श्वेत-वामन तारों (white dwarf stars) की सतह पर विस्फोट होता है तो उन तारों की चमक में तात्कालिक रूप से वृद्धि हो जाती है. इन विस्फोटों को नोवा विस्फोट कहते हैं. एक ओर जहाँ सुपर नोवा विस्फोट में सम्बन्धित तारा मरने लगता है, वहीं दूसरी ओर नोवा विस्फोट में ऐसा नहीं होता है. नोवा विस्फोट के बाद तारा पुरानी स्थिति में वापस लौट आता है. वैज्ञानिकों को M31N-2008 नामक एक ऐसे नोवा विस्फोट का पता चला है जो कई बार होता है. इसका सबसे नया विस्फोट नवम्बर 2018 में देखा गया.
Prelims Vishesh
World Toilet Day :-
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2013 में नवम्बर 19 को विश्व शौचालय दिवस घोषित किया था.
- इसके पहले 2001 में विश्व शौचालय संगठन ने विश्व शौचालय दिवस की स्थापना की थी.
- विदित हो कि सतत विकास लक्ष्य 6 (SDG 6) के अनुसार यह लक्ष्य बनाया गया है कि 2030 तक खुले में शौच को समाप्त कर देना है.
- 2018 की थीम है – “When Nature Calls”.
India’s First Elephant Hospital Opens In Mathura :-
- हाल ही में मथुरा में हाथियों का पहला विशेष अस्पताल खोला गया.
- इस अस्पताल में वायरलेस डिजिटल X-ray, लेजर उपचार, डेंटल X-ray, ताप-छाया चित्रण, अल्ट्राध्वनि चित्रण, जल चिकित्सा एवं सुरक्षित निवास सुविधाएँ उपलब्ध हैं.
Punjab becomes 3rd state to ban hookah bars or lounges :-
- महाराष्ट्र और गुजरात के बाद अब पंजाब ने हुक्का बार अथवा लाउन्ज पर प्रतिबंध लगा दिया है.
- इसका लक्ष्य विभिन्न रूपों में तम्बाकू के प्रयोग की रोकथाम करना और इसके चलते होने वाले रोगों का प्रतिषेध करना है.
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