Sansar डेली करंट अफेयर्स, 20 August 2020

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 20 August 2020


GS Paper 1 Source : PIB

pib_logo

UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.

Topic : Prakash Parv

संदर्भ

19 अगस्त, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री ने पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ (Guru Granth Sahib) के प्रकाश पर्व (Prakash Parv) पर देशवासियों को शुभकामनाएँ दी.

विदित हो कि वर्ष 1604 में, प्रथम प्रकाश पर्व उत्सव हरमंदिर साहिब (Harmandir Sahib) में गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) की स्थापना के रूप में मनाया गया था जिसे स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) के नाम से भी जाना जाता है.

प्रकाश पर्व के दिन सुबह से ही गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो देर रात तक चलता है. प्रकाश पर्व यानी मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य, ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना.

गुरु ग्रंथ साहिब

  • सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब को शाश्वत गुरु का दर्जा दिया गया है इसी कारण इसे ‘आदि ग्रंथ’ के रूप में भी जाना जाता है. यह सिख धर्म का प्रमुख धार्मिक ग्रंथ है.
  • आदि ग्रंथ (पहला प्रतिपादन) को सिख धर्म के पाँचवें गुरु ‘गुरु अर्जुन देव’ द्वारा संकलित किया गया था.
  • गुरू ग्रंथ साहिब का संकलन 1604 में किया गया था.
  • इस आदि ग्रंथ में सिख धर्म के दसवें गुरु ‘गुरु गोविंद सिंह’ ने अपना कोई भजन नहीं जोड़ा. हालाँकि उन्होंने नौवें सिख गुरु ‘गुरु तेग बहादुर’ के सभी 115 भजनों को जोड़ा और उनके उत्तराधिकारी के रूप में पाठ की पुष्टि की.
  • इस दूसरी प्रस्तुति को गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में जाना जाता है और कभी-कभी इसे आदि ग्रंथ भी कहा जाता है.
  • गुरु ग्रंथ साहिब को गुरमुखी लिपि में विभिन्न भाषाओं में लिखा गया है, जिसमें लाहंडा (Lahnda), ब्रजभाषा, कौरवी, संस्कृत, सिंधी एवं फारसी सम्मिलित हैं.
  • ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ की रचना मुख्य रूप से 6 सिख गुरुओं (गुरु नानक, गुरु अंगद, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जुन देव एवं गुरु तेग बहादुर) द्वारा की गई थी.
  • इसमें भक्ति आंदोलन से संबंधित 13 संत कवियों एवं दो सूफी मुस्लिम कवियों की काव्य शिक्षाएँ भी शामिल हैं.
  • गुरु ग्रंथ साहिब की मूल चेतना ‘किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के बिना दैवीय न्याय (Divine Justice) पर आधारित समाज की स्थापना’ पर आधारित है.
  • वर्ष 1604 में आदि ग्रंथ का पहला संस्करण पूरा हुआ जिसे आधिकारिक रूप से गुरु अर्जुन देव द्वारा अनुमोदित किया गया और इसे स्वर्ण मंदिर में स्थापित किया गया था जहाँ बाबा बुद्ध (Baba Buddha) इसके पहले ग्रन्थि या पाठक थे. 

सिख गुरु

  1. गुरुनानक (1469-1539 ई.) ने सिख सम्प्रदाय की स्थापना की. उनका जन्म 1469 ई. को
    तलबंडी (पाकिस्तान) में हुआ. गुरु नानक ने गुरु का लंगर निःशुल्क सह भागी भोजनालय स्थापित किए. पढ़ें : (गुरु नानक की जीवनी). गुरु नानक ने संगत (धर्मशाला) और पंगत (लंगर) स्थापित किए. 1539 ई. में करतारपुर में गुरु नानक की मृत्यु हो गई.
  2. गुरु अंगद (1539-52 ई.) सिखों के दूसरे गुरु थे. गुरु अंगद ने “गुरुमुखी लिपि” का आरंभ
    करवाया. उन्होंने लंगर व्यवस्था को स्थायी रूप प्रदान किया.
  3. गुरु अमरदास (1552-74 ई.) सिखों के तीसरे गुरु थे. उन्होंने हिन्दुओं से अलग विवाह पद्धति लवन को प्रचलित किया. अकबर ने गुरु अमरदास से गोविन्दवाल जाकर भेंट की और गुरु-पुत्रो बीबी भानी को कई गाँव दान में दिए. अमरदास ने 22 गद्वियों की स्थापना की और प्रत्येक पर एक महन्त की नियुक्ति की.
  4. गुरु रामदास (1574 – 81 ई.) सिखों के चौथे गुरु हुए. गुरु रामदास ने अमृतसर नामक जलाशय खुदवाया और अमृतसर नगर की स्थापना की.
  5. गुरु अर्जुन देव (1581-1605 ई.) सिखों के पाँचवें गुरु हुए. इन्होंने गुरु पद को पैतृक बनाया. उन्होंने सिक्खों के धार्मिक ग्रंथ ‘आदिग्रंथ-गुरु ग्रंथ साहिब’ की रचना की. गुरु अर्जुन ने अमृतसर जलाशय के मध्य में हरमन्दर साहब का निर्माण करवाया.
  6. गुरु हरगोविन्द (1606-1645 ई.) सिक्खों के छठे गुरु हुए. उन्होंने सिखों को सैन्य बल में बदल दिया तथा अकाल-तख्त का निर्माण करवाया.
  7. गुरु हरराय (1645-61 ई.) सिखों के सार्वें गुरु थे. उन्होंने शाहजहाँ के पुत्र दाराशिकोह को आशीर्वाद दिया था.
  8. गुरु हरकिशन (1661-64 ई.) सिक्‍खों के आठवें गुरु हुए. इनकी मृत्यु चेचक से हो गयी. इन्हें दिल्‍ली जाकर गुरुपद के बारे में औरंगजेब को समझाना पड़ा था.
  9. गुरु तेगबहादुर (1664-75 ई.) सिखों के नौवें गुरु थे. इन्हें इस्लाम स्वीकार नहीं करने के कारण औरंगजेब ने शीशगंज (दिल्ली) में गुरुद्वारा के निकट उनकी हत्या करवा दी.
  10. गुरु गोविन्द सिंह 1675-1708 ई. सिक्‍खों के दसवें एवं अंतिम गुरु हुए. इनका जन्म 1666 ई. में पटना में हुआ था. गुरु गोविन्द सिंह ने अपने को सच्चा पादशाह कहा. इन्होंने सिखों के लिए पाँच “ककार” अर्थात्‌ कंश, कघा, कृपाण, कच्छा और कड़ा रखने की अनुमति दी और नाम के अन्त में ‘सिंह’ शब्द जोड़ने के लिए कहा. गुरु गोविन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना 1699 ई में करवाई. गुरु गोविन्द सिंह ने पाहुल प्रणाली का प्रारम्भ किया. गुरुगोविंद सिंह ने सिखों के धार्मिक ग्रंथ आदिग्रंथ को वर्तमान रूप दिया और उन्होंने कहा कि अब “गुरुवाणी” सिख सम्प्रदाय के गुरु का कार्य करेगी. 1708 ई. में नादेड़ नामक स्थान पर गुल खान नामक पठान ने गुरुगोविंद सिंह की हत्या कर दी.   
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

“सिख धर्म वास्तव में हिन्दू धर्म को सुधारने के उद्देश्य से चालया गया आन्दोलन है.” आलोचनात्मक टिपण्णी करें. 

“Sikhism is in fact a movement aimed at reforming Hinduism.” Critically comment.


GS Paper 1 Source : The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Important International Institutions, Effect of Policies & Politics of Countries on India’s Interests.

Topic : Ancient Chora Church (Kariye Museum)

संदर्भ

हाल ही में तुर्की ने हागिया सोफिया के बाद एक अन्य प्राचीन चर्च ‘चोरा’ को मस्जिद में बदलने का निर्णय किया है.

  • तुर्की के राष्ट्रपति के इस निर्णय को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है.
  • हगिया सोफिया की भाँति अब चोरा को मस्जिद में परिवर्तित का निर्णय एर्दोगन की पार्टी के रूढ़िवादी और धार्मिक आधार को और दृढ़ करने के तौर पर देखा जा रहा है.

चोरा चर्च

  • चोरा चर्च, तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में अवस्थित है जिसे कारी संग्रहालय (Kariye Museum) भी कहते हैं .
  • मध्य काल का चोरा चर्च शहर की प्राचीन दीवारों के निकट विद्यमान है, जिसमें 14वीं शताब्दी की बाइजेंटाइन मोज़ाइक और भित्तिचित्रों में बाइबिल की कहानियों के दृश्य दर्शाए गए हैं.
  • ओट्टोमन तुर्क द्वारा कांस्टेंटिनोपल की 1453 में विजय के पश्चात् इसे मूल रूप से कारी मस्जिद में बदल दिया गया था; परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् यह कारी संग्रहालय बन गया और 1958 में फिर इसे चर्च के रूप में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए खोल दिया था .
  • इस आदेश के पश्चात् अब इस्तांबुल के एक लोकप्रिय चोरा चर्च जिसे कारी संग्रहालय भी कहते हैं को मस्जिद में बदल दिया गया है.

हागिया सोफिया का ऐतिहासिक दृष्टिकोण

  • इस्तांबुल की इस प्रतिष्ठित संरचना का निर्माण लगभग 532 ई. में बाइज़ेंटाइन साम्राज्य (Byzantine Empire) के शासक जस्टिनियन (Justinian) के शासनकाल के दौरान प्रारम्भ हुआ, उस समय इस शहर को कॉन्सटेनटिनोपोल (Constantinople) या कस्तुनतुनिया (Qustuntunia) के रूप में जाना जाता था. (शायद आपने हमारा एक विडियो देखा होगा इतिहास का जिसमें मैंने कुस्तुनतुनिया और बाइजेंटाइन साम्राज्य के बारे में बताया था, नहीं देखा तो यह देखें > Medieval History Part 1)
  • इस प्रतिष्ठित इमारत को बनाने के लिये काफी उत्तम किस्म की निर्माण सामग्री का प्रयोग किया गया था और इस कार्य में उस समय के सबसे बेहतरीन कारीगरों को लगाया गया था, वर्तमान में यह एक संग्रहालय के रूप में तुर्की के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है.
  • गिरजाघर के रूप में इस ढाँचे का निर्माण लगभग पाँच वर्षों यानी 537 ईस्वी में पूरा हो गया. यह इमारत उस समय ऑर्थोडॉक्स इसाईयत (Orthodox Christianity) के लिये एक महत्त्वपूर्ण केंद्र थी, और कुछ ही समय में यह बाइज़ेंटाइन साम्राज्य की स्थापना का प्रतीक बन गया.
  • यह इमारत लगभग 900 वर्षों तक ऑर्थोडॉक्स इसाईयत के लिये एक महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित रही, किंतु वर्ष 1453 में जब इस्लाम को मानने वाले ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) के सुल्तान मेहमत द्वितीय (Sultan Mehmet II) ने कस्तुनतुनिया पर कब्ज़ा कर लिया, तब इसका नाम बदलकर इस्तांबुल कर दिया गया.
  • हमलावर ताकतों ने हागिया सोफिया में काफी तोड़फोड़ की और कुछ समय बाद इसे मस्जिद में बदल दिया गया, मस्जिद के रूप में परिवर्तन होने के पश्चात् स्मारक की संरचना में कई आंतरिक और बाह्य परिवर्तन किये गए और वहाँ से सभी रूढ़िवादी प्रतीकों को हटा दिया गया था, साथ ही इस संरचना के बाहरी हिस्सों में मीनारों का निर्माण किया गया. एक लंबे समय तक हागिया सोफिया इस्तांबुल की सबसे महत्त्वपूर्ण मस्जिद रही.
  • 1930 के दशक में आधुनिक तुर्की गणराज्य के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क (Mustafa Kemal Ataturk) ने तुर्की को अधिक धर्मनिरपेक्ष देश बनाने के प्रयासों के अंतर्गत मस्जिद को एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया. वर्ष 1935 में इसे एक संग्रहालय के रूप में आम जनता हेतु खोल दिया गया.

संबंधित विवाद

  • विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तुर्की के वर्तमान राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन ने तुर्की की राजनीति में प्रवेश किया था तो उनके प्रमुख एजेंडे में हागिया सोफिया की तत्कालीन स्थिति सम्मिलित नहीं थी. तुर्की के आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार, रेसेप एरदोगन ने अपनी राजनीति के शुरुआत दौर में एक बार हागिया सोफिया को मस्जिद के रूप में बदलने की मांग पर आपत्ति दिखाई थी.
  • हालाँकि राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन ने इस्ताम्बुल में नगरपालिका चुनावों में हार के पश्चात् अपना पक्ष पूर्ण रूप से बदल दिया.
  • इसके पश्चात् जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा येरुशलम को इज़राइल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी गई, तब रेसेप एरदोगन ने भी हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदलने के पक्ष में बयान देना शुरू कर दिया.
  • कुछ लोगों का मानना है कि हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद के रूप में बदलने को लेकर रेसेप एरदोगन का पक्ष राजनीतिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने की इच्छा से काफी हद तक जुड़ हुआ है. अपने इस कदम के माध्यम से वह पुनः अपना राजनीतिक समर्थन प्राप्त करना चाहते हैं, जो इस्तांबुल के नगरपालिका चुनावों के बाद लगातार कम हो रहा है.

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • ज्ञातव्य है कि हागिया सोफिया को लेकर यह विवाद ऐसे समय में आया है जब तुर्की और ग्रीस के बीच विभिन्न मुद्दों पर कूटनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है.
  • इसी वर्ष मई माह में ग्रीस ने पूर्व बाइज़ेंटाइन साम्राज्य पर ऑटोमन साम्राज्य के आक्रमण की 567वीं वर्षगांठ पर हागिया सोफिया संग्रहालय के अंदर कुरान के अंशों को पढ़ने पर आपत्ति जताई थी. ग्रीस के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए कहा था कि तुर्की का यह कदम यूनेस्को के ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण संबंधी कन्वेंशन’ (UNESCO’s Convention Concerning the Protection of the World Cultural and Natural Heritage) का उल्लंघन है.
  • इस विषय पर ग्रीस ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि हागिया सोफिया विश्व भर के लाखों ईसाईयों के लिये आस्था का केंद्र और तुर्की में इसका प्रयोग राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिये किया जा रहा है.
  • इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (Mike Pompeo) ने अपने एक बयान में कहा था कि हागिया सोफिया को तुर्की की परंपराओं और उसके विविध इतिहास के एक उदाहरण के रूप में बनाए रखा जाना चाहिये. उन्होंने चेताया था कि हागिया सोफिया संग्रहालय की स्थिति में कोई भी परिवर्तन करने से भिन्न-भिन्न परंपराओं और संस्कृतियों के मध्य एक ‘सेतु’ के रूप में सेवा करने की उसकी क्षमता को दुर्बल करेगा.

आगे की राह

  • तुर्की के के कानून विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन को हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में परिवर्तित के लिये न्यायालय से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है, न्यायालय का यह निर्णय केवल एक प्रतीकात्मक निर्णय होगा.
  • ज्ञातव्य है कि तुर्की के अन्दर राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन की इस योजना का बहुत ही कम विरोध हो रहा है.
  • बीते महीने ग्रीस ने यूनेस्को से अपील की थी कि वह इस आधार पर तुर्की के कदमों पर आपत्ति जताए कि यह परिवर्तन अंतर्राष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन करता है.
  • ऑर्थोडॉक्स इसाईयत के प्रतिनिधि ने तुर्की के इस निर्णय पर चिंता ज़ाहिर करते हुए दुःख व्यक्त किया है, ऐसे में तुर्की सरकार का यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दो पक्षों में विभाजित करता दिखाई दे रहा है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न

क्या आप इस दृष्टिकोण से सहमत हैं कि धर्म और राजनीति दो स्तम्भ हैं जिनपर समाज टिका हुआ है और यह समाज के हित में है कि वे दोनों एक-दूसरे को बनाए रखें. आलोचनात्मक टिप्पणी करे. 

Do you agree with the view that religion and politics are two pillars holding up society and it is in the interest of society that they both should maintain from each other? Critically comment.


GS Paper 2 Source : PIB

pib_logo

UPSC Syllabus : e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential.

Topic : Harit Path

संदर्भ

हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने ‘हरित पथ’ नामक एक मोबाइल ऐप विकसित किया है.

‘हरित पथ’ के बारे में

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने स्थान, विकास, प्रजातियों के विवरण, रख-रखाव गतिविधियों, लक्ष्य और उपलब्धियों की निगरानी के लिए ‘हरित पथ’ नामक एक मोबाइल ऐप विकसित किया है.
  • इस मोबाइल ऐप के जरिये NHAI, पौधों की वृद्धि और उनकी सेहत पर नज़र रखेगा तथा हर 3 महीने में पौधों के डेटा के साथ तस्वीरें ऐप पर अपलोड की जाएंगी. इसके लिए NHAI बिग डेटा एनालिटिक्स तकनीक का भी प्रयोग करेगा.
  • ‘हरित पथ’ मोबाइल ऐप की शुरूआत देश भर में ग्रीन हाईवे के निर्माण की सुविधा प्रदान करने के लिए भी की गयी है .
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने राष्ट्र को अपनी सेवा के 25 वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में हाल ही में ‘हरित भारत संकल्प’ भी प्रारम्भ किया है जो देशव्यापी वृक्षारोपण अभियान है जो पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप है.
  • NHAI ने राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर ऐसे स्‍थानों की पहचान की है और वह पहले किए जा चुके सम्‍पूर्ण पौधारोपण और इन स्‍थानों पर लगाए जाने वाले पौधों का डेटा बेस बना रहा है.

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1988 के अंतर्गत किया गया था . इस प्रकार यह एक वैधानिक निकाय है.
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) देश के राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

भारत के अवसंरचना परिदृश्य के पुनर्गठन में सड़क निर्माण के महत्त्व पर प्रकाश डालें.

Throw light on the significance of road development in restructuring India’s infrastructure scenario.


GS Paper 2 Source : PIB

pib_logo

UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : Atal Beemit Vyakti Kalyan Yojana

संदर्भ

कर्मचारी राज्य बीमा निगम कॉरपोरेशन (Employees’ State Insurance Corporation – ESIC) ने केंद्रीय श्रम एवं राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में आयोजित अपनी 182वीं बैठक के दौरान अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के अंतर्गत पात्रता मानदंड में छूट एवं बेरोजगारी लाभ के भुगतान में वृद्धि के लिए महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए हैं.

प्रमुख बिंदु

  • ESIC, द्वारा किये गए ये बदलाव COVID-19 महामारी द्वारा प्रभावित श्रमिकों को राहत प्रदान करने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं.
  • कर्मचारी राज्य बीमा निगम, एक बहुआयामी सामाजिक प्रणाली है जो श्रमिक आबादी को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में कार्य करती है.

अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के बारे में

  • कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) द्वारा ने कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अंतर्गत आने वाले बीमित लोगों के लिए यह योजना चलायी जाती है.
  • इस योजना का लक्ष्य रोज़गार की बदलती प्रवृत्ति के कारण बेरोजगार हुये लोगों को वित्तीय समर्थन देना है. रोज़गार की बदलती प्रवृत्ति के कारण बेरोजगार हो गए हैं.
  • इसके लाभार्थी नियमित रूप से दो वर्ष की समयावधि के लिए कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अंतर्गत कवर किये गए बीमित व्यक्ति होंगे.

योजना के लिए पात्रता की शर्तें

  • बीमित व्यक्ति को राहत का दावा करने की अवधि के दौरान बेरोजगार होना चाहिए.
  • बीमित व्यक्ति न्यूनतम दो वर्षों की अवधि के लिए बीमा योग्य रोजगार में रहा हो.
  • बीमित व्यक्ति द्वारा पूर्ववर्ती चार योगदान अवधि के दौरान 78 दिनों से कम का योगदान नहीं किया गया हो.
  • इस योजना के लिए निम्नलिखित प्रकार से बेरोजगार हुए व्यक्ति पात्र नहीं होंगे:
  • कर्मचारी राज्य बीमा निगम से बीमित कोई भी व्‍यक्ति जिसे किसी गलत आचरण के कारण कंपनी से निकाल दिया जाता है.
  • अगर किसी व्यक्ति पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होता है.
  • अगर आप स्वेच्छा से रिटायरमेंट (VRS) लेते हैं तो आप इस योजना से लाभान्वित नहीं होंगे.

पात्रता मानदंडों में परिवर्तन

मूल योजना के अंतर्गत मानदंड

संशोधित मानदंड

  • योजना के अंतर्गत प्रतिदिन की औसत कमाई के 25% (पिछली चार योगदान अवधि के लिये) तक राहत प्रदान की जाती है.
  • बीमित व्यक्ति के जीवनकाल में एक बार में अधिकतम 90 दिनों की बेरोज़गारी के लिये भुगतान किया जाता है.
  • बेरोज़गारी के 90 दिनों के बाद राहत भुगतान किया जाएगा. कर्मचारी के संबंध में योगदान, नियोक्ता द्वारा भुगतान या देय होना चाहिये.
  • बीमित व्यक्ति को दो वर्ष की न्यूनतम अवधि के लिये बीमा योग्य रोज़गार में होना चाहिये. बीमित व्यक्ति को पूर्ववर्ती चार योगदान अवधि के दौरान कम-से-कम 78 दिनों का योगदान होना चाहिये.
  • अधिकतम 90 दिनों की बेरोज़गारी के लिये, योजना के अंतर्गत भुगतान राशि को औसत मज़दूरी के 25% से बढ़ाकर 50% तक बढ़ा दिया गया है.
  • पहले बेरोज़गारी के 90 दिनों के बाद राहत भुगतान किये जाने के बजाय अब 30 दिनों के बाद भुगतान किया जाएगा.
  • बीमित व्यक्ति अंतिम नियोक्ता द्वारा अग्रेषित किये जा रहे दावे के बजाय सीधे ESIC शाखा कार्यालय में दावा प्रस्तुत कर सकता है और भुगतान सीधे बीमित व्यक्ति के बैंक खाते में किया जाएगा.
  • बीमित व्यक्ति को उसकी बेरोज़गारी से पूर्व कम-से-कम दो वर्ष की अवधि के लिये बीमा योग्य रोज़गार में होना चाहिये तथा उसका बेरोज़गारी से ठीक पूर्व की योगदान अवधि में 78 दिनों से कम का योगदान नहीं होना चाहिये. बेरोज़गारी से 2 वर्ष पहले की शेष तीन योगदान अवधियों में से एक में न्यूनतम 78 दिनों का योगदान होना चाहिए.

योजना के अंतर्गत अन्य शर्तें

  • ऐसे कर्मचारी जो कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम- 1948 की धारा 2 (9) के अधीन कवर हैं, बीमित व्यक्ति (Insured Person- IP) को राहत का दावा करने की अवधि के दौरान बेरोज़गार होना चाहिये.
  • बेरोज़गारी का कारण दुराचार, सेवानिवृत्ति या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं होना चाहिये.
  • बीमित व्यक्ति के आधार कार्ड और बैंक खाते को उसके डेटाबेस से जोड़ा जाना चाहिये.
  • यदि बीमित व्यक्ति एक से अधिक नियोक्ता के लिये कार्य कर रहा है और उस कर्मचारी राज्य बीमा योजना के अंतर्गत कवर किया गया है, तो उसे केवल तभी बेरोज़गार माना जाएगा, जब वह सभी नियोक्ताओं के यहाँ बेरोज़गार है.
  • बीमित व्यक्ति एक ही अवधि के लिये किसी भी अन्य नकद मुआवज़े और ABVKY के अंतर्गत राहत का एक साथ लाभ नहीं ले सकेगा.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

भारत में स्वास्थ्य बीमा में कई खामियाँ हैं. संविधान के अनुच्छेद 21 से उद्भूत नागरिकों के स्वास्थ्य के मूल अधिकार के आलोक में, भारत के स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र को बाधित करने वाली समस्याओं का आलोचनात्मक विश्लेषण करें तथा इन समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक उपाय बताएँ.

The health insurance in India suffers from many lacunae. In the light of the basic right to health of citizens that flows from Article 21 of the Constitution, critically analyse problems plaguing India’s health insurance sector and measures needed to fix these problems.


GS Paper 2 Source : PIB

pib_logo

UPSC Syllabus : Employment, e-governance.

Topic : PM Svanidhi Scheme

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने 125 शहरों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों एवं विभिन्न राज्यों के शहरी विकास मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म-निर्भर निधि (Prime Minister Street Vendors AtmaNirbhar Nidhi- PM SVANidhi) योजना अर्थात् पीएम स्वनिधि योजना (PM Svanidhi Scheme) के संदर्भ में बातचीत की.

यह योजना रेहड़ी वालों (स्ट्रीट विक्रेताओं) को अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने के लिये कार्यशील पूंजी हेतु ऋण उपलब्ध कराने के लिये शुरू की गई है.

  • यह योजना विक्रेताओं को ऋण सुविधा प्रदान करती है किंतु यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे उत्पीड़न मुक्त वातावरण में व्यापार करने में सक्षम हैं.

शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Body) के अधिकारियों के लिये मोबाइल एप

  • इस अवसर पर केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Body) के अधिकारियों के लिये एक मोबाइल एप लॉन्च किया.
  • यह एप ऋण के आवेदन हेतु यूएलबी अधिकारियों के लिये उपयोगकर्त्ता के अनुकूल डिजिटल इंटरफेस उपलब्ध कराएगा.

पीएम स्वनिधि योजना के बारे में मुख्य तथ्य

  • यह योजना मार्च 2022 तक वैध है.
  • इस योजना के लिये सरकार द्वारा 5,000 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है.
  • कोरोना वायरस की वजह से लड़खड़ाई देश की अर्थव्यवस्था से सबसे अधिक प्रभावित फेरीवालों, रेहड़ी-पटरी पर काम करने वालों (स्ट्रीट वेंडर) को अब पीएम स्वनिधि स्कीम के अंतर्गत 10 हजार का कर्ज दिया जाएगा.
  • इस राशि को रेहड़ी-पटरी वाले 1 वर्ष के अन्दर क़िस्त में लौटा सकते हैं.
  • यह ऋण बहुत ही आसान शर्तों के साथ दिया जाएगा. इसमें किसी ज़मानत या कोलैट्रल (Collateral) की आवश्यकता नहीं होगी.
  • इस ऋण को समय पर चुकाने वाले छोटे दुकानदारों, फेरीवालों को 7% का वार्षिक ब्याज सब्सिडी के तौर पर उनके खाते में सरकार की ओर से स्थानान्तरण किया जाएगा.

पीएम स्वनिधि मोबाइल ऐप

  • प्रधानमंत्री स्वनिधि मोबाइल ऐप, डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है.
  • इस ऐप का उद्देश्य, स्ट्रीट वेंडरों के ऋण आवेदनों की सोर्सिंग और प्रोसेसिंग के लिए, ऋण प्रदाता संस्थानों (एलआई) और उनके फील्ड कार्यकर्ताओं को अनुकूल डिजिटल इंटरफेस प्रदान करना है.
  • यह ऐप ऋण प्रदाता संस्थानों (एलआई) के फील्ड कार्यकर्ताओं/एजेंटों को योजना का अधिकतम कवरेज सुनिश्चित करने के लिए सक्षम बनाएगा.
  • मोबाइल ऐप जारी करने से, स्ट्रीट वेंडरों तक कागज-रहित माइक्रो-क्रेडिट सुविधाओं की डिजिटल पहुंच को बढ़ावा देने के अलावा, इस योजना की कार्यान्वयन रणनीति को भी गति मिलेगी.
  • इस ऐप में, पीएम स्वनिधि के वेब पोर्टल के जैसी ही सभी सुविधाएँ हैं, जिसे आसान पोर्टेबिलिटी की सुविधा के साथ जोड़ा गया है
  • इस योजना के तहत जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न

क्या आपको लगता है कि कोरोना काल में फुटकर विक्रेताओं को आर्थिक सुदृढ़ता प्रदान करने में पीएम स्वनिधि योजना कारगर सिद्ध हो सकेगी? तर्क सहित अपना विचार व्यक्त करें. 

Do you think that PM Swanidhi Scheme will be effective in strengthening the street vendors financially in the Corona times? Express your opinion with logic.


Prelims Vishesh

Ramesh Chand Task force :-

  • रमेश चंद कार्यदल नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अगुवाई वाले कार्यदल ने गन्ने की कीमतों को चीनी दरों से जोड़ने की सिफारिश की है.
  • कार्यदल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि है उद्योग को एक अच्छे वित्तीय स्वास्थ्य में रखना आवश्यक है.
  • कार्यदल ने अपनी रिपोर्ट में न्यूनतम चीनी की कीमत में 33 रुपये प्रति किलोग्राम की एकमुश्त बढ़ोतरी की अनुशंसा की है

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

July, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Download

Read them too :
[related_posts_by_tax]